यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने अंतरिक्ष में इकट्ठा होते जा रहे कचरे से निपटने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग किए जाने की मांग की है. कचरे से अंतरिक्ष में घूम रहे उपग्रहों के लिए खतरा पैदा हो गया है.
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अंतरिक्ष में धरती से भेजे गए कई उपग्रह अलग अलग कक्षाओं में घूम रहे हैं. साथ ही घूम रहा है कई तरह का कचरा भी. ऐसे कचरे के महंगे महंगे उपग्रहों से टकरा कर उन्हें नुकसान पहुंचाने का खतरा भी बढ़ रहा है.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) के प्रमुख यान वोएर्नर ने जर्मन शहर डार्मश्टाट में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में कहा, इस बारे में "कोई देश अकेला कुछ भी नहीं कर सकता." उन्होंने जोर देकर कहा कि "हमें ये साफ हो चुका है कि अंतरिक्ष में कचरे की समस्या एक बहुत गंभीर बात है."
1993 से ही हर चार साल पर ईएसए ऐसी कॉन्फ्रेंस आयोजित करता है. इस चार दिन के आयोजन में करीब 400 इंजीनियर, वैज्ञानिक और यूनिवर्सिटियों के प्रबंधक हिस्सा लेते हैं. साथ ही अंतरिक्ष में अपने लोगों को भेजने वाले देशों से भी प्रतिनिधि डार्मश्टाट के सैटेलाइट कंट्रोल सेंटर में आते हैं.
ब्रह्मांड में अजूबों की भरमार
जितनी विविध पृथ्वी है, उतना ही विविध ब्रह्मांड भी है. वहां कई खूबियों वाले ग्रह हैं. कोई हीरों से भरा है तो कोई धधकता गोला सा है. एक नजर ऐसे ग्रहों पर.
तस्वीर: Reuters/Caltech/MIT/LIGO
विशाल छल्ला
पृथ्वी से 434 प्रकाश वर्ष दूर एक बड़ा ग्रह है. वैज्ञानिक इसे J1407B कहते है. यह बृहस्पति और शनि से भी 40 गुना बड़ा है. इस ग्रह के बाहर बना छल्ला 12 करोड़ किलोमीटर तक फैला है. वैज्ञानिकों को लगता है कि J1407B में चंद्रमा बनने जा रहा है.
तस्वीर: NASA/Ron Miller
पानी नहीं, सिर्फ बर्फ या गैस
सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन ग्लिश 436बी ग्रह अपने तारे के बेहत करीब घूमता है. इस वजह से इसकी सतह का तापमान 439 डिग्री तक पहुंच जाता है. अथाह गर्मी से बर्फ सीधे गैसों में टूट जाती है और ग्रह के आस पास हाइड्रोजन के बादल बनने लगते हैं.
तस्वीर: NASA/public domain
तारकोल से लबालब
बाहरी ब्रह्मांड में ट्रेस-2b नाम का ग्रह भी मिला. यह अपने तारे से मिलने वाली सिर्फ एक फीसदी रोशनी को परावर्तित करता है. इसे ब्रह्मांड का अब तक खोजा गया सबसे काला ग्रह माना जाता है. ग्रह की सतह में विषैला तारकोल और उससे निकलने वाली गैसें हैं.
तस्वीर: NASA/Kepler/TrES/David A. Aguilar (CfA)
तीन सूरज वाला ग्रह
HD 188 753 Ab पहला ऐसा ग्रह है जिसके पास तीन सूर्य हैं. इस ग्रह की खोज 2005 में पोलैंड के वैज्ञानिक ने की थी. वैज्ञानिकों ने ऐसे और ग्रह खोजने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली.
तस्वीर: NASA/JPL-Caltech
हीरों की खान
55 कैंक्री में अथाह मात्रा में कार्बन है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 55 कैंक्री की सतह हीरों से भरी है. लेकिन वहां तक पहुंचने के मतलब है 1,700 डिग्री का तापमान झेलना.
तस्वीर: NASA/JPL-Caltech
सुंदर, लेकिन घातक
धरती की तरह नीले इस ग्रह का नाम है HD189733. लेकिन वहां जीवन के लिए कोई जगह नहीं. HD189733 का तापमान 1,000 डिग्री से ज्यादा है. वहां 7,000 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से खगोलीय बारिश भी होती है.
तस्वीर: NASA/ESA/M. Kornmesser
एक और धरती
ग्लिश 581 C की खोज ने विज्ञान जगत को कौतूहल से भर दिया था. इसे धरती का जोड़ीदार मानते हुए जीवन के लिए मुफीद करार दिया गया. लेकिन जैसे जैसे ज्यादा जानकारी मिली वैसे वैसे कौतूहल खत्म होता गया. यह ग्रह गुरुत्व बल के संघर्ष में फंसा हुआ है. इसकी वजह से ग्रह का एक ही हिस्सा हमेशा प्रकाश की तरफ रहता है.
तस्वीर: ESO
हॉट टब
GJ1214b गर्म पानी के टब की तरह है. 230 डिग्री सेल्सियस की गर्मी के चलते यह ग्रह ब्रह्मांड में लगातार भाप और बादल छोड़ता रहता है.
तस्वीर: ESO/L. Calçada
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अंतरिक्ष में यह कचरा भी असल में इंसान की ही करनी है. अक्सर सैटेलाइट या रॉकेटों के टूटे या बचे खुचे हिस्से ही अंतरिक्ष का बड़ा कचरा बनते हैं. ईएसए अधिकारी बताते हैं कि इस बड़े कचरे के अलावा भी करीब 750,000 ऐसी छोटी चीजें अंतरिक्ष में घूम रही हैं, जो एक से 10 सेंटीमीटर के व्यास वाली होंगी.
ऐसी कई छोटी चीजों से भी खतरा काफी बड़ा है. ये आमतौर पर बहुत तेज गति से घूमती हैं, जिसका मतलब हुआ कि इस रफ्तार पर छोटे से छोटा टुकड़ा भी विमान या उपग्रह जैसी चीज को नष्ट कर सकता है.
इसी साल जापान का अंतरिक्ष के कचरे को साफ करने का एक प्रयोग विफल हो गया. उम्मीद की जा रही थी कि पांच दशक की मानवीय गतिविधियों से अंतरिक्ष में जो भी कचरा जमा हुआ है उसे धीरे धीरे नीचे लाया जाएगा और पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करते ही वह खुद ही जलकर नष्ट हो जाएगा. लेकिन कचरा साफ करने का यह प्रयोग नाकाम रहा.