स्पेन के प्रधानमंत्री ने देश से वेश्यावृत्ति को खत्म करने का बीड़ा उठाया है. उन्होंने कहा है कि यह महिलाओं के लिए गुलामी है. स्पेन यूरोप का सबसे बड़ा सेक्स-बाजार है.
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स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने कहा है कि वह देश से वेश्यावृत्ति को खत्म करना चाहते हैं क्योंकि यह महिलाओं को गुलाम बनाती है.
अपनी सोशलिस्ट पार्टी के तीन दिवसीय सम्मेलन की समाप्ति के मौके पर वामपंथी नेता सांचेज ने अपनी सरकार की नीतियों को गिनवाते हुए कहा कि इन कदमों ने स्पेन को आगे बढ़ने में मदद की है. उन्होंने घरेलू हिंसा और न्यूनतम मजदूरी के संबंध में लाए गए कानूनों का जिक्र किया.
स्पेन में वेश्यावृत्ति
वैलेन्सिया शहर में हुए सम्मेलन में सांचेज ने कहा, "इस सम्मलेन से एक प्रतिबद्धता उभर रही है, जिसे मैं लागू करूंगा. हम महिलाओं को गुलाम बनाने वाली वेश्यावृत्ति को खत्म करेंगे.”
स्पेन में वेश्यावृत्ति के पेशे को लेकर किसी तरह के नियम नहीं हैं. हालांकि यौन उत्पीड़न और महिलाओं की दलाली अपराध है. लेकिन अपनी मर्जी से धन के बदले यौन सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए कोई सजा मुकर्रर नहीं है और कानून मानव तस्करी पर केंद्रित हैं.
स्पेन में यौनकर्म नियमित पेशा तो नहीं है, लेकिन देश में बड़ी संख्या में वेश्यालय हैं. ज्यादातर वेश्यालय होटलों या लॉज आदि से चलते हैं. 2009 में एक सर्वेक्षण हुआ था, जिसमें 30 प्रतिशत पुरुषों ने कहा था कि उन्होंने कम से कम एक बार पैसे देकर सेक्स किया है. यह सर्वेक्षण सरकारी संस्था सोशल इन्वेस्टिगेशन सेंटर ने किया था.
स्पेन में देह व्यापार
स्पेन में देह व्यापार का विस्तार इतना बड़ा है कि 2011 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के बाद इसे ‘यूरोप का वेश्यालय' कहा गया था. यूएन की उस रिपोर्ट में स्पेन को थाईलैंड और प्युएर्टो रीको के बाद दुनिया में सेक्स का तीसरा सबसे बड़ा बाजार बताया गया था.
देखिए, गुलामी के भंवर में भारतीय
गुलामी के भवर में आज भी फंसे हैं भारत के कई लोग
भारत और अफ्रीका जैसे देशों को आजादी सालों पहले मिल गई, लेकिन फिर भी कई लोग आज भी अलग-अलग रूपों में गुलामों वाली जिंदगी जी रहे हैं.
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भारत में दुर्दशा
80 लाख की संख्या के साथ भारत में सबसे ज्यादा आधुनिक गुलाम रहते हैं. इसके बाद 38.6 लाख के साथ चीन इस मामले में दूसरे स्थान पर आता है. पाकिस्तान में 31.9 लाख, उत्तर कोरिया में 26.4 लाख और नाइजीरिया में 13.9 लाख लोग आज भी गुलाम हैं.
मुनाफे के लिए लोगों से हर तरह का काम कराया जा रहा है. उन्हें देह व्यापार, बंधुआ मजदूरी और अपराधों की दुनिया में धकेला जा रहा है. कहीं उनसे भीख मंगवाई जा रही है, तो कहीं घरों में उनका शोषण हो रहा है. जबरन शादी और अंगों के व्यापार में भी उन्हें मुनाफे का जरिया बनाया जा रहा है.
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कुल कितने गुलाम
दुनिया में कम से 4.03 करोड़ लोग गुलामों की तरह रह रहे हैं. इसमें से दो करोड़ से खेतों, फैक्ट्रियों और फिशिंग बोट्स पर काम लिया जा रहा है. 1.54 करोड़ को शादी के लिए मजबूर किया जाता है जबकि पचास लाख लोग देह व्यापार में धकेले गए हैं.
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यूएन का लक्ष्य
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इंसानों की तस्करी तेजी से बढ़ते हुए अपराध उद्योग की जगह ले रही है. संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक बंधुआ मजदूरी और जबरी विवाह को खत्म करने का लक्ष्य रखा है. लेकिन यह काम बहुत ही चुनौतीपूर्ण है.
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इंसानी तस्करी विरोधी दिवस
कहां पर कितने लोगों से गुलामों की तरह काम लिया जा रहा है, इस पर कहीं विश्वसनीय आंकड़े नहीं मिलते. लेकिन कुछ आंकड़े और तथ्य इतना जरूर बता सकते हैं कि समस्या कितनी गंभीर है. इसी की तरफ ध्यान दिलाने के लिए यूरोपीय संघ 18 अक्टूबर को इंसानी तस्करी विरोधी दिवस मनाता है.
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महिलाएं और लड़कियां निशाना
आधुनिक गुलामों में हर दस लोगों में सात महिलाएं और लड़कियां हैं जबकि इनमें एक चौथाई बच्चे शामिल हैं. वैश्विक स्तर पर देखें तो हर 185 लोगों में से एक गुलाम है. आबादी के हिसाब से उत्तर कोरिया में सबसे ज्यादा आधुनिक गुलाम रहते हैं.
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कहां क्या स्थिति
उत्तर कोरिया में 10 प्रतिशत आबादी को गुलाम बनाकर रखा गया है. इसके बाद इरिट्रिया में 9.3 प्रतिशत, बुरुंडी में चार प्रतिशत, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में 2.2 प्रतिशत और अफगानिस्तान में 2.2 प्रतिशत लोग गुलामों की जिंदगी जी रहे हैं.
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तो किसे अपराध कहेंगे?
2019 की शुरुआत तक 47 देशों में इंसानी तस्करी को अपराध घोषित नहीं किया गया था. 96 देशों में बंधुआ मजदूरी अपराध नहीं थी जबकि 133 देशों में जबरन शादी को रोकने वाला कोई कानून नहीं था.
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विकसित देश भी पीछे नहीं
अनुमान है कि इंसानी तस्करी से हर साल कम से कम 150 अरब डॉलर का मुनाफा कमाया जा रहा है. विकासशील ही नहीं, विकसित देशों में भी आधुनिक गुलाम मौजूद हैं. ब्रिटेन में 1.36 लाख और अमेरिका में चार लाख लोगों से गुलामों की तरह काम लिया जा रहा है. (स्रोत: अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन, वॉक फ्री फाउंडेशन)
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1995 में स्पेन ने देह व्यापार को वैध बना दिया था जिसके बाद यह बाजार लगातार बड़ा होता गया है. गार्डियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक स्पेन का घरेलू यौन व्यापार 26.5 अरब डॉलर का हो सकता है. इस पेशे में तीन लाख लोग काम करते हैं.
इस क्षेत्र में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि कानून को लेकर ऊहापोह की स्थिति के कारण यौनकर्म में तस्करी कर लाई गई महिलाओं की संख्या बढ़ी है.
पेड्रो सांचेज पिछले साल जनवरी में प्रधानमंत्री बने थे जब उनकी पार्टी ने लगातार दूसरी बार चुनाव जीता था. हालांकि उन्हें बहुमत नहीं मिल पाया था. अप्रैल 2019 में पार्टी ने महिलाओं को केंद्र में रखकर अपना घोषणापत्र जारी किया था और उसी पर चुनाव लड़ा था. इस घोषणापत्र में वेश्यावृत्ति को गैरकानूनी बनाने की बात कही गई थी, जिसे महिला मतदाताओं को लुभाने के कदम के तौर पर देखा गया था.
गरीबी के चलते बढ़ता सेक्स टूरिज्म
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घोषणापत्र में यौन कर्म को ‘गरीबी के अकाल का सबसे क्रूर पहलू और महिलाओं के खिलाफ हिंसा का सबसे बुरा तरीका' बताया गया था.