हिंसा के बीच गुरुग्राम में मुस्लिमों को बनाया जा रहा निशाना
चारु कार्तिकेय
२ अगस्त २०२३
नूंह और गुरुग्राम में एक अगस्त को भी हिंसा और आगजनी की कई वारदातें हुईं. मुस्लिम दुकानदारों को निशाना बनाया गया. गुरुग्राम से प्रवासी मुस्लिम परिवारों के पलायन की भी खबरें आ रही हैं.
सोहना में आंशिक रूप से जली इमारतेंतस्वीर: Altaf Qadri/AP/picture alliance
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सोमवार 31 जुलाई को नूंह में हुई हिंसा के एक दिन बाद भी नूंह और गुरुग्राम में कई वारदातें हुईं और तनाव पसरा रहा. गुरुग्राम के बादशाहपुर और पटौदी चौक में मुस्लिमों के कई ठेलों के साथ तोड़-फोड़ की गई और कई दुकानों को जला दिया गया.
इनमें बादशाहपुर स्थित रेस्तरां, मांस बेचने वाली कई दुकानें, एक कबाड़ी की दुकान और एक गद्दों बेचने की दुकान शामिल हैं. गद्दों की दुकान चलाने वाले 75 वर्षीय कल्लू मियां ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया कि दिन में करीब एक बजे दुकान का मालिक वहां आया और उनसे कहा कि तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए वो दुकान को बंद कर दे.
भीड़ ने जलाई दुकानें
कल्लू मियां ने तुरंत दुकान बंद कर दी, लेकिन करीब आधे घंटे बाद कुछ लोगों का समूह वहां आया और दुकान को आग लगा दी.
इसी तरह बसई रोड के पटौदी चौक पर भी मुस्लिमों द्वारा चलाई जाने वाले मांस की कई दुकानों पर तोड़-फोड़ की गई.
मीडिया रिपोर्टों में बताया गया कि भीड़ में शामिल लोगों ने दुकानें जलाने के लिए पेट्रोल की बोतलों का इस्तेमाल किया, जिसके बाद गुरुग्राम प्रशासन ने सभी पेट्रोल पंपों को खुला पेट्रोल और डीजल बेचने से मना कर दिया.
मंगलवार रात गुरुग्राम के सेक्टर 70 में कुछ झुग्गियों और दुकानों को आग लगा दी गई.
जारी है हिंसा, तनाव
इन घटनाओं को देखते हुए गुरुग्राम में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है. मंगलवार को कई बड़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर भेज दिया और दफ्तरों को बंद कर दिया. शहर के कई इलाकों में रहने वाली प्रवासी मुस्लिम शहर छोड़ कर दूसरे राज्यों में अपने गांवों की तरफ जा रहे हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार के मुताबिक सुबह 11 बजे कुछ लोग सेक्टर 70ए के पास स्थित झुग्गी बस्ती में आये और वहां रहने वाले लोगों को झुग्गियां खाली कर चले जाने के लिए कहा. अखबार के मुताबिक इस बस्ती में करीब 1,000 परिवार रहते हैं, जिनमें से 700 मुस्लिम हैं.
शाम को फिर कुछ लोग आये और सभी को धमकी दे कर वहां से चले जाने को कहा. रात करीब 8.30 बजे कुछ लोगों ने कुछ कच्ची दुकानों को आग लगा दी. पुलिस और प्रशासन ने इन सभी वारदातों में शामिल उपद्रवियों की पहचाननहीं की है.
हिंसा के सभी मामलों को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चंडीगढ़ स्थित अपने आवास पर एक बैठक की, जिसके बाद उन्होंने बताया कि पुलिस ने 44 एफआईआर दर्ज की हैं और 70 लोगों को गिरफ्तार किया है.
मणिपुर हिंसा से बेपटरी हुई जिंदगी
पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर बीते कई दिनों से हिंसा की चपेट में है. हिंसा के बाद वहां स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं है. कई लोग प्रदेश से भागकर पड़ोसी राज्यों में शरण लेने को मजबूर हैं. जानिए, वहां के हालात.
तस्वीर: ARUN SANKAR/AFP
हिंसा की कहानी
मणिपुर हाईकोर्ट के एक फैसले के कारण राज्य में हिंसा भड़क गई थी. दरअसल मैतेयी संगठनों ने अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग की थी. हाईकोर्ट में मैतेयी संगठनों ने एक याचिका दायर की थी. उस पर सुनवाई के दौरान अदालत ने 19 अप्रैल को राज्य सरकार से इस मांग पर विचार करने और चार महीने के भीतर केंद्र को अपनी सिफारिश भेजने का निर्देश दिया था.
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जमीन, नौकरी और संसाधन का झगड़ा
गैर-आदिवासी मैतेयी समुदाय लंबे अरसे से अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है. मैतेयी समुदाय की दलील है कि अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने के बाद वे लोग राज्य के पर्वतीय इलाकों में जमीन खरीद सकेंगे. आदिवासी संगठनों को चिंता है कि अगर मैतेयी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल गया तो सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों से आदिवासियों को वंचित होना पड़ेगा.
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हिंसा के बाद सेना की तैनाती
राज्य में हिंसा के फौरन बाद वहां सेना की तैनाती कर दी गई थी और तनावपूर्ण स्थिति के मद्देनजर देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए गए थे. हिंसा से निपटने के लिए सेना और असम राइफल्स के 10 हजार सैनिकों को तैनात किया गया है. हिंसाग्रस्त इलाकों में शांति बहाली के लिए सेना फ्लैग मार्च कर रही है.
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हिंसा में कई मरे
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि हिंसा में कम से कम 60 लोगों की मौत हो गई. हालांकि सेना ने कहा है कि 7 मई को हिंसा की कोई बड़ी घटना नहीं हुई. राज्य में कर्फ्यू में भी ढील दी गई है. सबसे ज्यादा हिंसा प्रभावित चूड़ाचांदपुर में भी हालात सामान्य बताए जा रहे हैं.
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जला दिए गए आशियाने
बीते दिनों हुई हिंसा में कई मकान, दुकान और गाड़ियां आग के हवाले कर दी गईं. और लोगों को अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित ठिकानों पर शरण लेनी पड़ी.
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बन गए शरणार्थी
हिंसा के बाद सेना ने कई हजार लोगों को कैंपों तक सुरक्षित पहुंचाने का काम किया और उनके रहने का इंतजाम किया. करीब 23 हजार लोगों को सेना ने अपने कैंपों में रखा है.
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मणिपुर छोड़ कर जाते लोग
हिंसा के बाद से ही कई लोग राज्य छोड़कर चले गए हैं. इनमें ऐसे लोग शामिल हैं जो पढ़ाई के लिए मणिपुर में थे. असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मिजोरम आदि के राज्यों ने अपने छात्रों को निकालने का इंतजाम किया है. दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकार ने भी अपने छात्रों को वहां से निकालने का फैसला किया है.
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खाने के लिए कतार में लोग
सेना के कैंपों में कई परिवार रह रहे हैं और वे अपने घर से बहुत दूर हैं. ऐसे में सेना ने उनके रहने और भोजन का इंतजाम किया है. कई लोग अब इन्हीं कैंपों में फिलहाल रहने को मजबूर हैं.
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मामला सुप्रीम कोर्ट में
मणिपुर की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में मणिपुर में हिंसा की जांच एसआईटी से कराए जाने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है.