जर्मनी में महिला खिलाड़ियों को हिंसा से बचाएगा ‘सेफ स्पोर्ट’
१२ जुलाई २०२३
जर्मनी में खेलों की दुनिया में औरतें हिंसा और गलत व्यवहार का सामना करती हैं. बर्लिन में अब ‘सेफ स्पोर्ट’ की व्यवस्था की गई है जहां खिलाड़ी ऐसी दिक्कतों की शिकायत कर सकती हैं.
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धमकियां, शोषण और यौन हिंसा, जर्मनी में महिला खिलाड़ियों के लिए ये शब्द अनजाने नहीं हैं भले ही इसकी चर्चा कम होती रही है. सेफ स्पोर्ट एक ऐसी व्यवस्था के तौर पर शुरू किया जा रहा है जिस पर विश्वास करके महिलाएं मदद मांगने के लिए आगे आएं ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके. 2018 में हुए एक अकादमिक शोध में सामने आया कि खेलों की दुनिया में कम से कम 37.6 फीसदी महिलाओं ने यौन शोषण झेला. यह भी पता चला कि इनमें से 11.2 प्रतिशत के साथ गंभीर यौन हिंसा हुई यानी इस तरह की घटनाएं खिलाड़ियों के साथ बड़े पैमाने पर होती रही हैं. सेफ स्पोर्ट का उद्घाटन करते हुए जर्मनी की गृह मंत्री नैंसी फेजर ने भी इस बात का जिक्र किया.
खेलों में हिंसा के बहुत रूप हैं जो भावनात्मक प्रताड़ना से लेकर कमर-तोड़ ट्रेनिंग, बुलींग, शारीरिक हिंसा या फिर सजा और यौन हिंसा तक जा सकते हैं. सेफ स्पोर्ट का मकसद प्रभावित पेशेवर और गैर-पेशेवर दोनों ही तरह के ऐथलीटों की मदद करना है जहां शिकायत ऑनलाइन, फोन या खुद पेश होकर की जा सकती है. इसके तहत दी जाने वाली काउसिलिंग सेवा में मानसिक और कानूनी सहायता तो शामिल है ही, घटना ज्यादा गंभीर होने की स्थिति में दखल देने की संभावना भी रखी गई है.
जर्मनी के कोलोन स्पोर्ट विश्वविद्यालय में रिसर्चर बेटीना रूलौफ्स खेलों में यौन हिंसा पर शोध कर रही हैं. खेलों की दुनिया में बच्चों और युवाओं की 72 रिपोर्टों के अध्ययन पर आधारित एक रिसर्च में उन्होंने पाया कि जिनके साथ हिंसा या दुर्व्यवहार होता है वो सारी उम्र उसका बोझ ढोते हैं. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि उन्हें किसी तरह की मदद नहीं मिल पाती. सहायता की जरूरत पर जोर देते हुए गृह मंत्री नैंसी फेजर ने भी कहा, "बहुत से खिलाड़ियों को ऐसे अनुभव होते हैं जहां सीमाओं का सम्मान नहीं होता बल्कि उन्हें शब्दों या हरकतों से तोड़ा जाता है. अक्सर ऐसा जानबूझ कर किया जाता है. जिनके साथ ऐसा कुछ हुआ है उन्हें सुरक्षा और मदद की जरूरत है और हम ऐसा करने की पूरी कोशिश करेंगे”.
उल्म मेडिकल कॉलेज और कोलोन स्पोर्ट यूनिवर्सिटी का शोध दिखाता है कि कई संस्थाओं ने रोकथाम के कदम उठाने शुरू भी कर दिए हैं जैसे प्रशिक्षक अच्छे व्यवहार से जुड़े सर्टिफिकेट दे रहे हैं या फिर इस संबंध में ट्रेनिंग दी जा रही है. हालांकि केवल 40 या 50 फीसदी संस्थाओं ने ही ऐसी कोई व्यवस्था की है जहां कोई व्यक्ति हिंसा के मामलों में संपर्क बिंदु हो.
रूलौफ्स मानती हैं कि खेल क्लबों में हिंसा झेलने वालों में से ज्यादातर को मदद नहीं मिल पाती है. वह कहती हैं, "हमने देखा है कि क्लबों से जो खबरें आती हैं वो गुम हो जाती हैं या फिर उन्हें बेमतलब मानकर अनदेखा कर दिया जाता है”. इसका सीधा मतलब है कि कोई बोले भी तो उसकी सुनवाई का कोई रास्ता नहीं है लेकिन सेफ स्पोर्ट ने उस खाली जगह को भरने की एक उम्मीद दी है. इसमें शिकायत करने वाली खिलाड़ी की पहचान को गुप्त रखा जाएगा. मकसद है कि महिला खिलाड़ी चुप-चाप शोषण ना सहें बल्कि दोषियों के खिलाफ आवाज उठाएं. जैसा कि गृह मंत्री ने कहा, ये दुखद है कि सेफ स्पोर्ट जैसे संपर्क केन्द्र को स्थापित करना पड़ रहा है लेकिन ये बेहद जरूरी कदम है.
रिपोर्टः स्वाति बक्शी
दुनिया के सबसे अजीबोगरीब खेल
कीचड़ में गोता लगाना, महिलाओं को उठा कर दौड़ना, कूड़ेदान की रेस - ये सारे खेल इस बात का प्रमाण हैं कि लोगों के पास अगर थोड़ा खाली समय हो तो वो अपनी कल्पना से आपको चौंका सकते हैं. जानिए सबसे अजीबोगरीब खेलों के बारे में.
तस्वीर: Jacob King/empics/picture alliance
कीचड़ में फुटबॉल
कीचड़ में फुटबॉल का आविष्कार फिनलैंड में हुआ, जहां दलदलों की कोई कमी नहीं है. अगर आप सोच रहे हैं कि क्या और भी किसी देश में यह खेल खेला जाता है तो आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 2000 से फिनलैंड में इस खेल की विश्व प्रतियोगिता भी आयोजित की जा रही है. आखिर कीचड़ कहां नहीं है?
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कीचड़ में रेस
यह वेल्स के सानरटिड वेल्स इलाके का एक नाला है जहां 1985 से विश्व दलदल स्नॉर्कलिंग प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है. यह नाला 55 मीटर लंबा है और हर तैराक को पूरे नाले को पार कर वापस भी आना होता है. सबसे कम समय में रेस पूरा करने का अभी तक का रिकॉर्ड एक मिनट 18 सेकंड का है. कई तैराकों को इससे काफी ज्यादा समय लग जाता है.
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चीज रेस
अगर कभी आपको हजारों लोग जान जोखिम में डाल कर एक पहाड़ से लुढ़कते हुए दिखें तो समझ जाइए ब्रिटेन के कूपर्स हिल पर चीज रेस चल रही है. 200 सालों से चल रहे इस अनोखे खेल में पहले चीज के एक गोले को पहाड़ से नीचे लुढ़का दिया जाता है और उसके बाद उस गोले को नीचे पहुंचने से रोकने के लिए लोग खुद लुढ़कना शुरू कर देते हैं. सबसे पहले नीचे पहुंचने वाले व्यक्ति को विजेता घोषित कर दिया जाता है.
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स्प्लैशडाइविंग
आम डाइविंग में पानी में कोमलतापूर्वक कूदना होता जिससे पानी के छींटे कम से कम इधर उधर उड़ें. लेकिन स्प्लैशडाइविंग में लक्ष्य इसका ठीक उल्टा होता है. नियम सिर्फ एक है - डाइव इस तरह करें कि शरीर का पिछले हिस्सा सबसे पहले पानी को छुए. 2006 से इस खेल की विश्व प्रतियोगिता भी आयोजित की जा रही है. आपको अगर हंसी आ रही हो तो खुद कोशिश करके देख सकते हैं.
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जूता फेंको
कुछ खेलों की खूबसूरती उनकी सरलता में है. वेली टॉस नाम के इस खेल में आपको सही में बस एक जूते को फेंकना है. वेलिंग्टन बूट के नाम से जाने जाने वाले रबर के ऊंचे जूतों को दूर फेंकना होता है. मौजूदा विश्व रिकॉर्ड जूते को 68.03 मीटर फेंकने का है, जो फिनलैंड के एक व्यक्ति के नाम है. कहा जाता है कि फिनलैंड के नाविक 19वीं शताब्दी से इस खेल को खेलते आ रहे हैं.
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पत्नी उठाओ रेस
इस रेस को आपको एक महिला को उठा कर दौड़ते हुए पूरा करना होता है. महिला की उम्र कम से कम 17 साल होनी चाहिए और वजन 49 किलो होना चाहिए. यह जरूरी नहीं की आप अपनी पत्नी को ही उठाएं. आप अपने पड़ोसी की पत्नी को या किसी अनजान महिला को भी उठा सकते हैं. अब यह मत पूछिएगा कि सहमति अनिवार्य है या नहीं.
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अपना ही गोल कीजिए
इंग्लैंड के ऐशबोर्न गांव में रॉयल श्रवटाइड फुटबॉल नाम का यह खेल 12वीं शताब्दी से चला आ रहा है. गांव के ठीक बीच से बहने वाली एक नदी गांव को दो हिस्सों में बांटती है. खेलने वालों को एक गेंद को गांव के केंद्र से उठा कर अपने ही गोल तक ले जाना होता है. गेंद को ले जाने और रोकने के लिए सब कुछ करने की अनुमति है. बस किसी की जान नहीं ले सकते.
इसे कुछ लोग गरीबों का फॉर्मूला वन भी कहते हैं. इसमें भाग लेने वालों को इस तरह के कूड़ेदानों पर सवार एक ढलान से नीचे की तरफ रेस लगानी होती है. 120 लीटर के कूड़ेदान सबसे लोकप्रिय होते हैं और इन पर सवार हो कर 60 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार तक हासिल की जा सकती है. कूड़ेदान साफ, खाली और बदबू रहित होना चाहिए.
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शतरंज-बॉक्सिंग
चेस-बॉक्सिंग वाकई एक खेल है. इसमें खिलाड़ी एक राउंड बॉक्सिंग करते हैं, फिर शतरंज खेलते हैं और फिर बॉक्सिंग करते हैं. ऐसा तब तक चलता रहता है जब तक एक खिलाड़ी या तो चेकमेट नहीं हो जाता या नॉकआउट. अगर ड्रॉ हो जाए तो विजेता का चुनाव चेस की तरह टाइम पेनल्टी के आधार पर या रिंग में अंकों के आधार पर भी किया जा सकता है.
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ऊंची हील दौड़
ऊंची हील पहन कर दौड़ लगाने की शुरुआत बड़ी दुकानों ने पब्लिसिटी स्टंट के रूप में की थी. लेकिन अब ये प्राइड आयोजनों या मैराथनों के बाहर नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं. शुक्र है कि ये पूरी रेस की जगह स्प्रिंट, यानी कम दूरी की दौड़ वाली प्रतियोगिताएं होती हैं. (आंद्रेआस स्तेन-जिमोंस)