1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

इस्लाम के फैलाव के लिए अहम युद्ध के स्थान की हुई खोज

१२ नवम्बर २०२४

ब्रिटिश-इराकी पुरातत्वविदों का मानना है कि उन्होंने सातवीं शताब्दी में हुई अल-कादसिया जंग के मैदान को खोज निकाला है. उस समय के मेसोपोटामिया में हुए इस युद्ध को इस्लाम के प्रसार में निर्णायक भूमिका के लिए जाना जाता है.

उस रेगिस्तानी इलाके की तस्वीर जहां कभी अल-कादसिया की जंग हुई थी
इराक के दक्षिणी नजफ में अबू सखीर जिले में रेगिस्तानी इलाके में स्थित है अल-कादसिया जंग का मैदानतस्वीर: Hadi Mizban/AP/picture alliance

यह खोज 1970 के दशक की अमेरिकी खुफिया सैटलाइटों की तस्वीरों की बदौलत हुई है, जिन्हें अब गुप्त सूची से हटा दिया गया है. अल-कादसिया जंग 630 ईस्वी में अरबी मुसलमानों की सेना और सस्सनिद फारसी साम्राज्य की सेना के बीच मेसोपोटामिया में हुई थी, जिसे आज इराक के रूप में जाना जाता है.

इस युद्ध में अरब की सेना की जीत हुई थी जिसके बाद उसने उस समय के फारस और आज के ईरान पर फतह हासिल कर ली थी. ब्रिटेन के डरहम विश्वविद्यालय और अल-कादसिया विश्वविद्यालय की मिली जुली टीम को यह जगह तब मिली जब टीम के सदस्य इराक के कूफा से सऊदी अरब के मक्का तक जाने वाले एक प्राचीन तीर्थ मार्ग का नक्शा बनाने के लिए रिमोट सेंसिंगकर रहे थे.

क्यों महत्वपूर्ण हैं पुरानी तस्वीरें

1,000 साल से भी पहले बने इस मार्ग को दरब जुबैदा कहा जाता है. युद्धभूमि की खोज के बारे में जानकारी 'ऐंटीकिटी' पत्रिका में 12 नवंबर को छपी. इस तीर्थ मार्ग का नक्शा बनाते समय टीम को कूफा से करीब 30 किलोमीटर दक्षिण की तरफ ईराक के दक्षिणी प्रांत नजफ में एक जगह नजर आई जो उस जगह से काफी मिलती-जुलती थी जिसे इतिहास की किताबों में अल-कादसिया युद्धभूमि बताया गया है.

इराक में फिर से खुलने लगे इतिहास के पन्ने

03:30

This browser does not support the video element.

डरहम विश्वविद्यालय में पुरातत्व संबंधी रिमोट सेंसिंग के विशेषज्ञ विलियम डेडमैन ने बताया कि यह सैटलाइट तस्वीरें शीत युद्ध के जमाने की हैं और मध्य पूर्व में काम कर रहे पुरातत्वविदों के बीच इनका इस्तेमाल आम है. उन्होंने बताया कि पुरानी तस्वीरों में ऐसी चीजें दिख जाती हैं जो अब या तो बदली जा चुकी हैं या नष्ट हो चुकी हैं और आधुनिक सैटलाइट तस्वीरों में नहीं दिखेंगी.

मध्य-पूर्व में 5,000 साल पुराना शहर

डेडमैन का कहना है, "पिछले 50 सालों में कृषि के विस्तार और शहरी विस्तार दोनों की वजह से मध्य पूर्व बहुत बदल चुका है." उन्होंने बताया कि अल-कादसिया साइट पर मौजूद एक विशेष खाई जैसी कुछ खास आकृतियां पुरानी तस्वीरों में "काफी ज्यादा अपरिवर्तित और साफ" थीं.

इस जंग के आधुनिक राजनीतिक मायने

जमीन पर किए गए एक सर्वेक्षण ने टीम की खोज की पुष्टि की और टीम को पूरी तरह भरोसा हो गया कि उन्होंने युद्ध भूमि की सही पहचान की है. टीम के सदस्य और अल-कादसिया विश्वविद्यालय में पुरातत्व विज्ञान के प्रोफेसर जाफर जोथेरी ने बताया कि इस जगह की खास पहचानों में एक गहरी खाई, दो किले और एक प्राचीन नदी शामिल है जिसे कथित रूप से फारसी सैनिकों ने हाथियों पर बैठ कर पार किया था.

अल-कादसिया की जंग आज भी राजनीतिक रूप से प्रासंगिक हैतस्वीर: Hadi Mizban/AP/picture alliance

सर्वेक्षण करने वाली टीम को उस समय के मिट्टी के बर्तन भी मिले जब यह जंग हुई होगी. जोथेरी कहते हैं कि सद्दाम हुसैन के शासन में बड़े हुए उनकी पीढ़ी के इराकी लोग इस जंग से अच्छी तरह से वाकिफ हैं, बल्कि उन्हें दोनों तरफ के जनरलों के नाम भी याद हैं.

खतरे में मध्य-पूर्व के प्राचीन स्मारक

उस समय इस जंग के राजनीतिक मायने थे. 1980 के दशकों के अधिकांश हिस्से में इराक और ईरान के बीच युद्ध चल रहा था. सद्दाम कादसिया जंग को इराक की जीत का सूचक बताते थे. सद्दाम के बाद के समय में इस जंग को लेकर अलग अलग राय हैं लेकिन जोथेरी कहते हैं कि सभी इतना जरूर मानते हैं कि यह एक महत्वपूर्ण जंग थी. टीम की अगले एक साल में खुदाई शुरू करने की योजना है.

सीके/वीके (एपी)

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें