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राजनीतिश्रीलंका

श्रीलंका के राष्ट्रपति का इस्तीफा से इनकार

५ अप्रैल २०२२

देश में आर्थिक संकट के बीच श्रीलंकाई सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन जारी है. लोग सड़कों पर उतर कर अपना विरोध जता रहे हैं. इस बीच राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने कहा है कि वे पद नहीं छोड़ेंगे.

सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनतस्वीर: ISHARA S. KODIKARA/AFP

श्रीलंका के विपक्ष ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के एकता मंत्रिमंडल में शामिल होने के निमंत्रण को "बेवकूफी" वाला बताते हुए उसे खारिज कर दिया और विपक्ष ने देश में भोजन, ईंधन और दवाओं की बढ़ती कमी पर उनके इस्तीफे की मांग की है. सत्तारूढ़ राजपक्षे परिवार के खिलाफ पिछले कई हफ्तों से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. देश में बिगड़ते आर्थिक संकट को लेकर राष्ट्रपति के इस्तीफे की बढ़ती मांगों और विरोध प्रदर्शनों के बीच आपातकाल की स्थिति लागू होने के बाद से श्रीलंका की संसद में आज पहला सत्र हो रहा है.

डिप्टी स्पीकर का भी इस्तीफा

देश में आपातकाल की घोषणा के बाद पहली बार संसद बुलाए जाने पर संसद के डिप्टी स्पीकर रंजीत सियाम्बलपतिया ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया. राष्ट्रपति ने संसद की वैधता और स्थिरता को बनाए रखने के लिए चार मंत्रियों को नामित किया है जब तक कि एक पूर्ण मंत्रिमंडल की नियुक्ति नहीं हो जाती. इस बीच देश में दवा की भारी कमी को देखते हुए मंगलवार से आपात स्थिति घोषित कर दी गई है.

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सोमवार को श्रीलंका के सेंट्रल बैंक के गवर्नर अजित काबराल ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया. काबराल ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) संरचनात्मक समायोजन सुविधा के जरिए श्रीलंका के आर्थिक राहत मांगने पर अड़ियल रुख अपनाने का आरोप लगाया गया था.

पुलिस की चेतावनी

श्रीलंकाई पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को कानून अपने हाथ में नहीं लेने की चेतावनी दी है और कहा है कि आंदोलन के दौरान हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. पुलिस ने सोमवार रात कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया और कहा कि वे आने वाले दिनों में कानून तोड़ने वालों को पकड़ने के लिए वीडियो फुटेज और तकनीक का इस्तेमाल करेंगे.

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को दी चेतावनीतस्वीर: ISHARA S. KODIKARA/AFP

इससे पहले श्रीलंका के पूरे मंत्रिमंडल ने खुद को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भाइयों से अलग करते हुए रविवार को अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था. 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका में खाने, ईंधन और अन्य जरूरी चीजों की भारी कमी हो गई है. महंगाई सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुकी है और बिजली-पानी भी सलीके से उपलब्ध नहीं हैं.

आर्थिक संकट से जूझते श्रीलंका ने मांगी आईएमएफ से मदद 

देश पर 51 अरब डॉलर यानी लगभग 39 खरब रुपये का कर्ज है और वह अपनी किश्तें नहीं चुका पा रहा है. उसके पास जरूरी चीजें खरीदने के लिए भी धन नहीं है इसलिए आम लोगों के लिए सामान की किल्लत हो गई है. आईएमएफ ने मंगलवार को कहा कि वह श्रीलंका में राजनीतिक और आर्थिक स्थिति पर "बहुत बारीकी से" नजर बनाए हुए है.

एए/वीके (एएफपी, रॉयटर्स)

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