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समाज

राजपक्षे: किसी को भी हिंद महारागर पर हावी नहीं होने देंगे

२३ सितम्बर २०२०

श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा है कि उनका देश हिंद महासागर में किसी भी देश को हावी होने देने के खिलाफ है. उन्होंने कहा श्रीलंका तटस्थ विदेश नीति का पालन करता है. हालांकि चीन की नजर इस छोटे से देश पर सालों से है.

तस्वीर: Imago Images/ZumaPress/Mcs2 J. Fulton

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में रिकॉर्डेड भाषण में कहा, "हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से अहम जगह पर स्थित देश होने के कारण यह सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है कि हिंद महासागर के क्षेत्र में शांति बनाकर रखी जाए. वहां कोई भी देश किसी पर हावी ना हो, ना ही उसका फायदा उठाए." राजपक्षे ने आगे कहा, "श्रीलंका तटस्थ विदेश नीति का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है."

उन्होंने कहा कि कई देशों के लिए आर्थिक तौर पर महत्वपूर्ण समुद्री रास्ता होने के कारण "शक्तिशाली देशों" को हिंद महासागर की तटस्थता का समर्थन करना चाहिए और इसके कीमती समुद्री संसाधनों की रक्षा करनी चाहिए.

हालांकि चीन के कर्ज के जाल में फंसकर श्रीलंका हिंद महासागर का एक रणनीतिक और अहम बंदरगाह हम्बनटोटा चीन को सौंप चुका है.

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे.तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/T. Basnayaka

2009 में हुए गृहयुद्ध के अंत में हजारों तमिल नागरिकों की हत्या के कारण संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन और अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने श्रीलंका की आलोचना की थी. अमेरिका ने श्रीलंका में हुए तमिलों की हत्या की जांच करने के लिए भी कहा लेकिन श्रीलंका ने इसका विरोध किया था.

गोटबाया राजपक्षे ने कहा, "संगठन की स्थिरता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए सदस्य देशों को संदिग्ध उद्देश्यों के जरिए राजनीतिक शिकार बनाना भी बंद करना चाहिए."

तमिल टाइगर्स का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "श्रीलंकाई धरती से इसके खात्मे के बावजूद इस आतंकवादी संगठन का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क बना हुआ है. वह अपनी निर्मम विचारधारा को आगे बढ़ा रहा है. हम उम्मीद करते हैं कि कोई भी देश इस अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा जो अपनी हिंसक विचारधारा को फैला रहा है."

गौरतलब है कि इसी साल अगस्त महीने में श्रीलंका में आम चुनाव में राजपक्षे बंधुओं की पार्टी की बड़ी जीत हुई थी. राष्ट्रपति संविधान में बदलाव कर अपनी शक्तियों में इजाफा करना चाहते हैं. उनका कहना है कि संविधान में बदलाव कर वे छोटे से देश को आर्थिक और सैन्य रूप से सुरक्षित कर पाएंगे.

एए/सीके (एएफपी)

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