गहरे आर्थिक संकट में श्रीलंका, मांगी अंतरराष्ट्रीय मदद
१७ मार्च २०२२आर्थिक बदहाली झेल रहा श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से राहत पैकेज की मांग करेगा. इसकी घोषणा राष्ट्रपति राजपक्षे ने बुधवार को की, इससे पहले लोगों ने रोज की जरूरत की चीजों में महंगाई को लेकर राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.
राजपक्षे ने कहा कि उनकी सरकार आईएमएफ, अन्य एजेंसियों और देशों के साथ ऋण चुकौती को स्थगित करने पर चर्चा कर रही है. उन्होंने सबसे खराब आर्थिक संकट के कारण देश के लोगों से बिजली और ईंधन की खपत को सीमित करने में मदद करने के लिए कहा. 1948 में मिली आजादी के बाद दक्षिण एशियाई देश अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. आर्थिक मुसीबतों से नाराज लोग अब सड़कों पर उतर कर सरकार का विरोध कर रहे हैं.
हालांकि यह मुद्दा यूक्रेन में युद्ध से काफी पहले का है, लेकिन ईंधन की बढ़ती कीमतों ने हाल के हफ्तों में देश की आर्थिक स्थिति को और बिगाड़ दिया है. राजपक्षे ने राष्ट्र के नाम एक संबोधन में कहा, "अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ मेरी चर्चा के बाद, मैंने उनके साथ काम करने का फैसला किया है." राजपक्षे ने कहा, "जितना संभव हो सके ईंधन और बिजली के इस्तेमाल को सीमित करके जनता भी इस समय देश को अपना समर्थन दे सकती है."
साथ ही उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि आप इस चुनौतीपूर्ण समय में अपनी जिम्मेदारी को समझेंगे."
विरोध प्रदर्शन
देश के राजनीतिक दलों और नागरिक समाज समूहों ने आर्थिक संकट के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है और देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है. प्रभावशाली राजपक्षे परिवार के आलोचकों ने राष्ट्रपति के बड़े भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे पर भाई-भतीजावाद और कुप्रबंधन का आरोप लगाया है.
तकनीकी रूप से दीवालिया हुए श्रीलंका ने चीन से लगाई मदद की गुहार
इस बीच बुधवार को श्रीलंका के वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने बुधवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. मुलाकात के दौरान वित्त मंत्री ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के लिए भारत द्वारा किए समर्थन के लिए मोदी को धन्यवाद दिया. मोदी ने भारत की 'पड़ोस पहले' की नीति और उसके एसएजीएआर (इस क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) सिद्धांत में श्रीलंका की केंद्रीय भूमिका के बारे में बात की. उन्होंने दोहराया कि भारत, श्रीलंका के मित्रवत लोगों के साथ हमेशा खड़ा रहेगा.
भोजन, दवा और अन्य जरूरी चीजों की बढ़ती कीमतों पर उनके इस्तीफे की मांग को लेकर मुख्य विपक्षी दल ने मंगलवार को राष्ट्रपति कार्यालय के पास एक बड़ा प्रदर्शन किया. बढ़ती महंगाई 2.2 करोड़ की आबादी वाले श्रीलंका के लिए नई मुसीबत बन चुकी है.
श्रीलंका को अपने आयात के लिए भुगतान करना बहुत मुश्किल हो रहा है, इसलिए देश मुद्रास्फीति के रिकॉर्ड स्तर के साथ-साथ अभूतपूर्व भोजन और ईंधन की कमी से जूझ रहा है.
कोरोना वायरस महामारी ने देश के पर्यटन क्षेत्र को बुरी तरह बर्बाद कर दिया है और विदेशों में रहने वाले श्रीलंकाई लोगों के स्वदेश पैसे भेजने में भी कमी आई है.
एए/सीके (एपी, एएफपी)