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समाज

बेरूत धमाका: सरकार से नाराज युवकों ने संभाला मोर्चा

६ अगस्त २०२०

बेरूत के युवकों ने धमाके के बाद शहर की सफाई का जिम्मा उठा लिया है. हाथ में झाड़ू लिए युवा शीशे, इमारतों के मलबे को इकट्ठा कर उसे ठिकाना लगा रहे हैं. वे सरकार से बेहद नाराज दिख रहे हैं और इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Amro

लेबनान की राजधानी बेरूत में युवा सरकारी बदइंतजामी से बेहद गुस्से में हैं. मंगलवार को शक्तिशाली धमाके के बाद साफ-सफाई को लेकर सरकार की ओर कोई से इंतजाम नजर नहीं आता देख लेबनान के सैकड़ों युवाओं ने खुद ही मोर्चा संभाल लिया. राजधानी बेरूत में हुए विस्फोट के कारण शहर के बंदरगाह का एक बड़ा हिस्सा और कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं.

42 साल की मेलिसा फदाल्लाह ताना मारते हुए पूछती हैं, "कौन सी सरकार?" फदाल्लाह उन वॉलंटियरों में शामिल हैं जो सबसे ज्यादा प्रभावित मार मिखाइल जिले में साफ-सफाई का काम कर रहे हैं. बंदरगाह के पास हुए भीषण धमाके ने मार मिखाइल के पब और क्लब के दरवाजे और शीशे तोड़ डाले. विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि घर और इमारतों का मलबा सड़कों पर फैल गया.

बेरूत के युवाओं ने उस डरावने हादसे से बाहर आकर बुधवार से ही एकजुटता दिखाई और खुद से ही सफाई अभियान की शुरूआत कर दी. बिना किसी मदद के युवा मलबा हटाने के काम में जुटे हुए हैं. हाथ में दस्ताने पहने और चेहरे पर मास्क लगाए वॉलंटियर धमाके के बाद एक टुकड़ा-टुकड़ा उठाकर उसे किनारे कर रहे हैं. धमाके के कारण कम से कम 137 लोगों की मौत हो गई और 5,000 लोग घायल हो गए हैं.

धमाके के बाद राहत और बचाव कार्य में जुटे युवक और मेडिकल स्टाफ. तस्वीर: Reuters/IHH

लेबनान की जनता पिछले साल भी सरकारी भ्रष्टाचार और अक्षमता के खिलाफ गुस्से से भड़क उठी थी. फदाल्लाह कहती हैं, "हम इस देश को ठीक करने में लगे हैं. हम पिछले नौ महीनों से देश को ठीक करने में लगे हुए हैं लेकिन अब हम अपने तरीके से इसे दुरुस्त करेंगे." फदाल्लाह सवाल करती हैं, "वास्तव में सरकार होती तो वह रात से ही सड़क पर होती और सफाई का काम कर रही होती. कहां है सरकार?"

सफाई के लिए नौजवानों की पहल

कुछ नागरिक सुरक्षा कर्मचारी जरूर तहस-नहस इमारतों का मुआयना कर रहे हैं लेकिन युवा वॉलंटियरों की संख्या के सामने वे कम पड़ रहे हैं. सड़कों पर युवा मदद के लिए अपने हाथ आगे बढ़ा रहे हैं. एक छोटा समूह पूरी ऊर्जा के साथ इमारतों से गिरे शीशे के टुकड़ों को इकट्ठा कर उसे प्लास्टिक के थैलों में जमा कर रहा है. दूसरे युवा ऐसे लोगों को अपने घर पर रहने का प्रस्ताव दे रहे हैं जिन्होंने इससे पहले की रात सड़क पर बिताई. 30 साल के हुस्म अबु नस्र कहते हैं, "हम क्षतिग्रस्त घरों में लोगों को भेज कर बुजुर्गों और विकलांगों को सुविधा के साथ रात बिताने के लिए मदद की पेशकश कर रहे हैं. यह कदम उठाने के लिए हमारे पास सरकार नहीं है. इसलिए हमने इस मामले को अपने हाथ में ले लिया."

हादसे के बाद ही प्रभावित लोगों के खाने-पीने की व्यवस्था लोगों ने ही कर दी. 26 साल की रिता फरजली कहती हैं, "हम यहां खाना-पानी, चॉकलेट और नैतिक सहायता के साथ पहुंचे हैं. मुझे लगता है कि सभी लोगों को यहां होना चाहिए, खास तौर पर युवाओं को. किसी को भी घर पर नहीं बैठना चाहिए. यहां तक कि एक मुस्कान भी अभी मदद कर सकती है."

कारोबारियों ने भी तत्काल मदद की पेशकश करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट डाले. उन्होंने क्षतिग्रस्त दरवाजे, दीवारों पर पेंट और खिड़की के शीशे मुफ्त में बदलने का प्रस्ताव दिया. अब्दो अमेर खिड़की बनाने वाली कंपनी के मालिक हैं. वे बताते हैं कि धमाके से कुछ ही मिनट पहले वह बंदरगाह के पास से गुजरे थे. इसी वजह से वह यह पेशकश कर रहे हैं. अमेर कहते हैं कि वे आधी कीमत पर खिड़की बदलेंगे लेकिन देश की मुद्रा की हालत और परिवारों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए मुफ्त में भी खिड़की बदल डालेंगे. चार बच्चों के पिता अमेर कहते हैं, "मुझे अब तक 7,000 से अधिक फोन आ चुके हैं और मैं फोन नहीं रख पा रहा हूं. आपको लगता है कि सरकार यह काम कर पाएगी? असल में सरकार को इस्तीफा देकर चले जाना चाहिए."

मदद के लिए आगे आते देश 

बेरूत में हुए धमाकों के बाद कई देश मदद के लिए सामने आए हैं. जर्मनी ने भी मदद का प्रस्ताव पेश करते हुए सैन्य सहायता भेजने की बात कही है. समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार जर्मनी ने एयरबस ए310 मेडिकल राहत दल भेजने की भी पेशकश की है. इसके अलावा जर्मनी पहले ही दर्जनों खोज और बचाव विशेषज्ञ को लेबनान भेज चुका है. यह दल मलबे में फंसे लोगों को तलाशने में मदद करेगा. फ्रैंकफर्ट से टीएचडब्ल्यू के करीब 50 कर्मचारी खोजी कुत्ते के साथ बुधवार को लेबनान पहुंचे. उनके साथ 15 टन के औजार हैं जो मलबे के नीचे दबे लोगों की खोज में सहायता करेंगे. जर्मनी ने राहत कार्यों के लिए रेड क्रॉस को 10 लाख यूरो की मदद दी है.

आर्थिक संकट से जूझ रहे देश की मदद के लिए कई देशों ने वित्तीय सहायता की भी घोषणा की है. ऑस्ट्रेलिया से लेकर इंडोनेशिया और यूरोप से लेकर अमेरिका तक कई देश लेबनान के लिए मदद भेज रहे हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों धमाकों के बाद लेबनान पहुंचने वाले पहले विदेशी नेता हैं. माक्रों लेबनान के राष्ट्रपति माइकल आउन और प्रधानमंत्री हसन दियाब से मुलाकात कर रहे हैं. राष्ट्रपति कार्यालय से जारी बयान में कहा गया, "राष्ट्रपति के तौर पर यह बताने की बात है कि फ्रांस उसके साथ है. वे लेबनान में विश्वास करते हैं." बुधवार को ही फ्रांस ने तीन रेस्क्यू विमान भेजे जिसमें बचाव दल, मेडिकल उपकरण और एक मोबाइल क्लीनिक था. इसके अलावा दो सैन्य विमानों में 55 खोज और बचाव कर्मी और 25 टन मेडिकल सप्लाई भेजी गई.

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने पत्रकारों से कहा है कि वे शुरूआती तौर पर 14 लाख अमेरिकी डॉलर की मदद कर रहे हैं और अधिक मदद का विचार कर रहे हैं. इसके अलावा इराक, मिस्र और जॉर्डन ने भी मेडिकल सहायता भेजी है. 

एए/सीके (एएफपी)

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