दिल्ली में सिंथेटिक, नायलॉन पतंग उड़ाने वाले धागे समेत मशहूर चीनी मांझे पर प्रतिबंध है. लेकिन हर साल ऐसे धागों की चपेट में आने से इंसान ही नहीं बल्कि पक्षी भी घायल हो रहे हैं.
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दिल्ली में एक बार फिर चीनी मांझा एक व्यक्ति की मौत का कारण बन गया. बदरपुर इलाके में रविवार देर रात फरीदाबाद हाईवे से गुजर रहे जोमैटो डिलिवरी ब्वॉय नरेंद्र कुमार की बाइक में चीनी मांझा उलझ गया. अचानक उनकी बाइक का संतुलन बिगड़ा और वह गिर गए. पीछे से आ रहे तेज रफ्तार वाहन ने उन्हें कुचल दिया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई. परिवार का आरोप है कि सड़क से गुजर रहे किसी भी व्यक्ति ने नरेंद्र की मदद नहीं की. 32 साल के नरेंद्र की बाइक में पुलिस को चीनी मांझा लिपटा मिला है और उसे शक है कि हादसे का कारण मांझा ही हो सकता है.
नरेंद्र के परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं. परिवार का कहना है कि ऑटो-पार्ट वर्कशॉप की नौकरी जाने के बाद नरेंद्र ने तीन से चार हफ्ते पहले जोमैटो के लिए काम करना शुरू किया था.
इससे पहले दिल्ली के ही जगतपुरी इलाके में रविवार शाम को चीनी मांझे से 22 साल का युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था. मांझे से गर्दन कटने के बाद अभिनव नाम के युवक को अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट में रखा गया है. अब उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है.
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इंसान और पक्षियों के लिए खतरनाक
हर साल स्वतंत्रता दिवस के पहले पतंगबाजों के बीच पतंगबाजी आम चलन है, लेकिन पेंच लड़ाने के लिए पतंगबाज ऐसे मांझे का इस्तेमाल करते हैं जो धारदार होता. ऐसे मांझे इंसान के लिए खतरनाक तो है ही साथ पक्षी भी इनसे सुरक्षित नहीं है. जानलेवा होने की वजह से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 2017 में चीनी मांझे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था. प्रतिबंध के बावजूद यह धड़ल्ले से बाजार में बिकता है.
दिल्ली पुलिस के आंकड़े से पता चलता है कि 2017 में बैन लगने के बाद से जुलाई 2022 तक 6 लोगों की जान मांझा द्वारा गला रेतने से गई. पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट में पुलिस ने एक हलफनामा दायर किया था जिसमें कहा गया कि 2017 के बाद से सरकारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के 256 केस और 6 मामले पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत दर्ज किए गए हैं.
दिल्ली में 15 अगस्त तक पतंग उड़ाने का प्रचलन है. जब पतंग उड़ाने वाले मजबूत धागे की मांग करते हैं तो दुकानदार चीनी मांझा चोरी-छिपे बेच देते हैं. यही कारण है कि प्रतिबंध के बावजूद मांझे का इस्तेमाल होता है. दक्षिण-पूर्व जिला की डीसीपी ईशा पांडेय के मुताबिक, "एनजीटी ने चीनी मांझा की बिक्री, निर्माण और उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है. इसका उल्लंघन करते पाए जाने पर 5 साल की सजा या एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. कोई अप्रिय घटना न हो इसलिए लोगों से अपील है कि इसका प्रयोग नहीं करें. नियम तोड़ने वालों पर कानून के तहत सख्ती से कार्रवाई की जाएगी."
आरोपी तक पहुंचना मुश्किल
पुलिस का कहना है कि पुलिस रिकॉर्ड में घायल लोगों की संख्या कम है क्योंकि लोग मांझे से घायल होने के बाद इसकी सूचना पुलिस को नहीं देते हैं. पुलिस का कहना है मौत या घायल होने के मामले में मांझे का इस्तेमाल करने वालों तक पहुंचना मुश्किल है. ऐसा इसलिए क्योंकि पतंग कई किलोमीटर दूर से उड़ती है, जिसकी डोर टूटने पर सड़क पर चलने वाले लोग शिकार हो जाते हैं. ऐसे में पुलिस के पहुंचने तक डोर का ओर-छोर दूर दूर तक नहीं होता.
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत जारी किए निर्देशों का उल्लंघन करने पर पांच साल की सजा हो सकती है या एक लाख तक जुर्माना लगा जा सकता है. दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस हर साल प्लास्टिक, नायलॉन और चीनी मांझे को लेकर लोगों को आगाह करती है.
चीनी मांझा जिसे प्लास्टिक मांझा भी कहा जाता है यह नायलॉन और मैटेलिक पाउडर से मिलकर बनाया जाता है. इस मांझे पर लोहे या कांच के चूरे से धार भी लगाई जाती है.
इसी महीने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली में पतंग उड़ाने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी. हाईकोर्ट ने याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि यह सांस्कृतिक गतिविधि है. हाईकोर्ट ने चीनी मांझे के बैन को लेकर एनजीटी के आदेश को सख्ती से लागू करने को कहा.
दुनिया के सबसे अजीबोगरीब खेल
कीचड़ में गोता लगाना, महिलाओं को उठा कर दौड़ना, कूड़ेदान की रेस - ये सारे खेल इस बात का प्रमाण हैं कि लोगों के पास अगर थोड़ा खाली समय हो तो वो अपनी कल्पना से आपको चौंका सकते हैं. जानिए सबसे अजीबोगरीब खेलों के बारे में.
तस्वीर: Jacob King/empics/picture alliance
कीचड़ में फुटबॉल
कीचड़ में फुटबॉल का आविष्कार फिनलैंड में हुआ, जहां दलदलों की कोई कमी नहीं है. अगर आप सोच रहे हैं कि क्या और भी किसी देश में यह खेल खेला जाता है तो आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 2000 से फिनलैंड में इस खेल की विश्व प्रतियोगिता भी आयोजित की जा रही है. आखिर कीचड़ कहां नहीं है?
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कीचड़ में रेस
यह वेल्स के सानरटिड वेल्स इलाके का एक नाला है जहां 1985 से विश्व दलदल स्नॉर्कलिंग प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है. यह नाला 55 मीटर लंबा है और हर तैराक को पूरे नाले को पार कर वापस भी आना होता है. सबसे कम समय में रेस पूरा करने का अभी तक का रिकॉर्ड एक मिनट 18 सेकंड का है. कई तैराकों को इससे काफी ज्यादा समय लग जाता है.
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चीज रेस
अगर कभी आपको हजारों लोग जान जोखिम में डाल कर एक पहाड़ से लुढ़कते हुए दिखें तो समझ जाइए ब्रिटेन के कूपर्स हिल पर चीज रेस चल रही है. 200 सालों से चल रहे इस अनोखे खेल में पहले चीज के एक गोले को पहाड़ से नीचे लुढ़का दिया जाता है और उसके बाद उस गोले को नीचे पहुंचने से रोकने के लिए लोग खुद लुढ़कना शुरू कर देते हैं. सबसे पहले नीचे पहुंचने वाले व्यक्ति को विजेता घोषित कर दिया जाता है.
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स्प्लैशडाइविंग
आम डाइविंग में पानी में कोमलतापूर्वक कूदना होता जिससे पानी के छींटे कम से कम इधर उधर उड़ें. लेकिन स्प्लैशडाइविंग में लक्ष्य इसका ठीक उल्टा होता है. नियम सिर्फ एक है - डाइव इस तरह करें कि शरीर का पिछले हिस्सा सबसे पहले पानी को छुए. 2006 से इस खेल की विश्व प्रतियोगिता भी आयोजित की जा रही है. आपको अगर हंसी आ रही हो तो खुद कोशिश करके देख सकते हैं.
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जूता फेंको
कुछ खेलों की खूबसूरती उनकी सरलता में है. वेली टॉस नाम के इस खेल में आपको सही में बस एक जूते को फेंकना है. वेलिंग्टन बूट के नाम से जाने जाने वाले रबर के ऊंचे जूतों को दूर फेंकना होता है. मौजूदा विश्व रिकॉर्ड जूते को 68.03 मीटर फेंकने का है, जो फिनलैंड के एक व्यक्ति के नाम है. कहा जाता है कि फिनलैंड के नाविक 19वीं शताब्दी से इस खेल को खेलते आ रहे हैं.
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पत्नी उठाओ रेस
इस रेस को आपको एक महिला को उठा कर दौड़ते हुए पूरा करना होता है. महिला की उम्र कम से कम 17 साल होनी चाहिए और वजन 49 किलो होना चाहिए. यह जरूरी नहीं की आप अपनी पत्नी को ही उठाएं. आप अपने पड़ोसी की पत्नी को या किसी अनजान महिला को भी उठा सकते हैं. अब यह मत पूछिएगा कि सहमति अनिवार्य है या नहीं.
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अपना ही गोल कीजिए
इंग्लैंड के ऐशबोर्न गांव में रॉयल श्रवटाइड फुटबॉल नाम का यह खेल 12वीं शताब्दी से चला आ रहा है. गांव के ठीक बीच से बहने वाली एक नदी गांव को दो हिस्सों में बांटती है. खेलने वालों को एक गेंद को गांव के केंद्र से उठा कर अपने ही गोल तक ले जाना होता है. गेंद को ले जाने और रोकने के लिए सब कुछ करने की अनुमति है. बस किसी की जान नहीं ले सकते.
इसे कुछ लोग गरीबों का फॉर्मूला वन भी कहते हैं. इसमें भाग लेने वालों को इस तरह के कूड़ेदानों पर सवार एक ढलान से नीचे की तरफ रेस लगानी होती है. 120 लीटर के कूड़ेदान सबसे लोकप्रिय होते हैं और इन पर सवार हो कर 60 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार तक हासिल की जा सकती है. कूड़ेदान साफ, खाली और बदबू रहित होना चाहिए.
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शतरंज-बॉक्सिंग
चेस-बॉक्सिंग वाकई एक खेल है. इसमें खिलाड़ी एक राउंड बॉक्सिंग करते हैं, फिर शतरंज खेलते हैं और फिर बॉक्सिंग करते हैं. ऐसा तब तक चलता रहता है जब तक एक खिलाड़ी या तो चेकमेट नहीं हो जाता या नॉकआउट. अगर ड्रॉ हो जाए तो विजेता का चुनाव चेस की तरह टाइम पेनल्टी के आधार पर या रिंग में अंकों के आधार पर भी किया जा सकता है.
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ऊंची हील दौड़
ऊंची हील पहन कर दौड़ लगाने की शुरुआत बड़ी दुकानों ने पब्लिसिटी स्टंट के रूप में की थी. लेकिन अब ये प्राइड आयोजनों या मैराथनों के बाहर नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं. शुक्र है कि ये पूरी रेस की जगह स्प्रिंट, यानी कम दूरी की दौड़ वाली प्रतियोगिताएं होती हैं. (आंद्रेआस स्तेन-जिमोंस)