जर्मनी में परमाणु कचरे को कम खतरनाक बनाने की नई तकनीक
११ फ़रवरी २०२५
परमाणु ऊर्जा पर ध्यान लगातार बढ़ रहा है लेकिन उसके कचरे का निवारण सबसे बड़ी समस्या है. जर्मनी के शोधकर्ताओं ने एक नई तकनीक विकसित की है जो इस कचरे को काम की चीज बना सकती है.
जर्मनी में परमाणु कचरा बहुत बड़ा मुद्दा हैतस्वीर: Sean Gallup/Getty Images
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जर्मनी के वैज्ञानिकों ने परमाणु कचरे को कम खतरनाक तत्वों में बदलने का तरीका खोजा है. म्यूनिख की टेक्निकल यूनिवर्सिटी और टीयूवी इंस्पेक्शन अथॉरिटी के विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक रेडियोधर्मी कचरे की तीव्रता और सक्रियता की अवधि को काफी हद तक घटा सकती है.
इस प्रक्रिया को "ट्रांसम्यूटेशन" कहते हैं. इसमें पुराने ईंधन रॉड्स के परमाणु नाभिक पर न्यूट्रॉन से हमला किया जाता है, जिससे वे कम खतरनाक तत्वों में बदल जाते हैं.
कचरे से मिलेंगे कीमती तत्व
इस तकनीक की एक और खासियत यह है कि इससे रेडियोधर्मी कचरे में मौजूद कीमती धातुएं भी निकाली जा सकती हैं. इनमें यूरेनियम, रोडियम और रूथेनियम शामिल हैं. इसके अलावा, जीनॉन और क्रिप्टोन जैसे नोबल गैसें भी प्राप्त होती हैं. कुछ तत्व, जैसे सीजियम और स्ट्रोंशियम, चिकित्सा और शोध कार्यों में काम आते हैं.
कहां फेंके परमाणु कचरा
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रेडियोएक्टिव कचरे को जर्मनी में कहां रखें. इस समस्या का समाधान नया आयोग ढूंढेगा. जर्मनी इस मामले में कभी एकमत नहीं हो सका.
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नया रास्ता?
जर्मनी में एक ऐसी जगह ढूंढी जा रही है जहां परमाणु कचरा हमेशा के लिए रखा जा सके. अभी तक जर्मन राज्य इस मुद्दे पर एक नहीं हो सके. फिलहाल लोअर सेक्सनी का गोरलेबन प्रस्तावित है.
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अस्थाई हल
कैस्टर कहे जाने वाले सूखे स्टोरेज कंटेनरों को गोरलेबन के पास के स्टोरेज में ठंडा होने के लिए रख दिया जाता है. परमाणु ईंधन की छड़ें सुरक्षा कारणों से ऐसी गैस में रखी जाती हैं जो कम क्रियाशील हो.
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वर्तमान समस्या
दुनिया में कहीं भी फिलहाल रेडियोएक्टिव या परमाणु कचरे को रखने की व्यवस्था नहीं है. जर्मनी के गोरलेबन में फ्रांस का परमाणु कचरा भी रखा जाता है.
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अंधेरे में
गोरलेबन में फ्रांस का परमाणु कचरा कंटेनरों में भर कर रात को पहुंचाया जाता है. ताकि मुश्किलें पैदा न हों और लोगों का इस पर कम ध्यान जाए.
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विरोध प्रदर्शन
गोरलेबन में परमाणु कचरा रखने के विरोध में अक्सर प्रदर्शन होते हैं. 2012 में हुए सर्वे के मुताबिक 40 फीसदी जर्मन अपने शहर में परमाणु कचरे का स्टोरेज नहीं चाहते.
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फिर से इस्तेमाल
गोरलेबन के पास नमक की खान की जांच की जा रही है कि वहां परमाणु कचरा रखा जाए. चिंता है रेडियोएक्टिव पदार्थों के पानी में जाने की.
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भारी दबाव
परमाणु कचरे के स्थाई स्टोरेज के मुद्दे का पर्यावरण मंत्री पेटर आल्टमायर पर काफी दबाव है. साथ ही परमाणु ऊर्जा की बजाए अक्षत ऊर्जा को आगे बढ़ाने की कोशिश भी जर्मनी में हो रही है.
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गलतियां
जर्मनी की आसे ll की नमक खदान में रखे सवा लाख बैरल रेडियोएक्टिव कचरा को साफ करने के आदेश दिए गए हैं. यहां 60 और 70 के दशक से रेडियोएक्टिव कचरा रखा गया जा रहा था. अभी यह सील है.
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दूषित पानी
आसे की खान से पानी के सैंपल लिए जा रहे हैं. पानी में रेडियोएक्टिव प्रदूषण की आशंका है. इस साइट को खास ड्रेस पहन कर देखा जा सकता है.
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प्लांट बंद
जर्मनी 2020 तक देश के सभी परमाणु बिजली संयंत्र बंद कर देना चाहता है. लेकिन परमाणु ईंधन की छड़ों का आखिरकार क्या होगा यह तब तक अनिश्चित रहेगा जब तक स्टोरेज की समस्या हल नहीं होती.
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यह प्रक्रिया बड़ी मात्रा में ऊष्मा भी पैदा करती है, जिसे जिला ताप नेटवर्क (डिस्ट्रिक्ट हीटिंग) में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसका मतलब है कि यह न केवल कचरे को कम करने में मदद करेगा, बल्कि ऊर्जा उत्पादन में भी सहायक होगा.
जर्मनी के लिए यह तकनीक अहम हो सकती है क्योंकि यहां बहस हो रही है कि परमाणु संयंत्रों की वापसी होनी चाहिए या नहीं.
जर्मनी में कहां बनेगा पहला संयंत्र?
विशेषज्ञों का कहना है कि पहला ट्रांसम्यूटेशन प्लांट किसी मौजूदा परमाणु कचरा भंडारण केंद्र में बनाया जा सकता है. इससे पूरे देश में कचरे को इधर-उधर ले जाने की जरूरत नहीं होगी. जर्मनी में इस समय 16 अस्थायी भंडारण केंद्र हैं. इनमें से दो केंद्रीय और 14 विकेंद्रीकृत केंद्र हैं.
धरती से आधा किलोमीटर नीचे परमाणु हथियारों का कचरा
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इस अध्ययन को फेडरल एजेंसी फॉर ब्रेकथ्रू इनोवेशन ने करवाया था. रिपोर्ट के मुताबिक, पहला संयंत्र 1.5 अरब यूरो (लगभग 1.6 अरब डॉलर) में बनेगा. सालाना संचालन खर्च 11.5 करोड़ यूरो होगा. लेकिन शोधकर्ताओं का दावा है कि यह प्लांट इतनी कमाई करेगा कि यह लागत कई गुना वसूल हो जाएगी.
इस तकनीक से गैर-रीसायकल होने वाले परमाणु कचरे की सक्रियता की अवधि 10 लाख साल से घटकर सिर्फ 800 साल रह जाएगी. यानी, यह तकनीक परमाणु कचरे की सबसे बड़ी समस्या को हल कर सकती है. 1988 तक जर्मनी में कुल 20 परमाणु बिजलीघर काम कर रहे थे, जो अब बंद किए जा चुके हैं.