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स्वास्थ्यसंयुक्त राज्य अमेरिका

शोध: मस्तिष्क में सिकुड़न पैदा करता है धूम्रपान

१४ दिसम्बर २०२३

एक नए शोध में कहा गया है कि धूम्रपान इंसान के मस्तिष्क को स्थायी रूप से भी सिकोड़ सकता है और इससे होने वाली क्षति अपरिवर्तनीय है.

Symbolbild Rauchen
तस्वीर: Jonathan Brady/PA Wire/picture alliance

सभी जानते हैं कि सिगरेट सेहत के लिए कितनी हानिकारक है और इसे पीने से इंसान के दिल और फेफड़ों को कैसे नुकसान पहुंच सकता है. यहां तक कि कैंसर भी हो सकता है. लेकिन नए शोध में कहा गया है कि इसका असर मस्तिष्क पर भी पड़ता है.

जर्नल बायोलॉजिकल साइकिएट्री: ग्लोबल ओपन साइंस में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चला है कि धूम्रपान छोड़ने से मस्तिष्क के टिश्यू को और अधिक नुकसान होने से रोका जा सकता है, लेकिन इससे मस्तिष्क अपने मूल आकार में वापस नहीं आएगा.

अध्ययन यह भी बताता है कि धूम्रपान करने वालों को उम्र से संबंधित मानसिक विकास में गिरावट और अल्जाइमर रोग का अधिक खतरा क्यों होता है.

धूम्रपान का मस्तिष्क पर गंभीर असर

सेंट लुइस में वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने कहा, चूंकि उम्र के साथ लोगों के दिमाग का आकार स्वाभाविक रूप से कम हो जाता है, धूम्रपान प्रभावी रूप से मस्तिष्क को समय से पहले बूढ़ा कर देता है.

यूनिवर्सिटी में मनोचिकित्सा की प्रोफेसर लाउरा जे बेरुत ने कहा, "हाल तक वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क पर धूम्रपान के प्रभावों को नजरअंदाज कर दिया था. हम फेफड़ों और दिल पर धूम्रपान के सभी भयानक प्रभावों पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे."

उन्होंने आगे कहा, "लेकिन जैसे-जैसे हमने मस्तिष्क को अधिक बारीकी से देखना शुरू किया, यह साफ हो गया है कि धूम्रपान वास्तव में आपके मस्तिष्क के लिए बुरा है."

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दिमाग पर धूम्रपान का सीधा असर

शोध के लिए टीम ने 32,094 लोगों के मस्तिष्क पर धूम्रपान के इतिहास और धूम्रपान के आनुवंशिक जोखिम पर पहचाने गए डाटा का विश्लेषण किया. शोधकर्ताओं ने धूम्रपान के इतिहास और धूम्रपान के लिए मस्तिष्क की मात्रा के आनुवंशिक जोखिम के बीच एक संबंध पाया.

इसके अलावा, धूम्रपान और मस्तिष्क के आकार के बीच संबंध खुराक पर निर्भर करता है. एक व्यक्ति प्रतिदिन जितना अधिक धूम्रपान करता है, उसके मस्तिष्क का आकार उतना ही कम होता है.

मध्यस्थता विश्लेषण नाम के एक सांख्यिकीय दृष्टिकोण का उपयोग करके शोधकर्ताओं ने घटनाओं के अनुक्रम को निर्धारित किया कि आनुवंशिक प्रवृत्ति धूम्रपान की ओर ले जाती है, जिससे मस्तिष्क का आकार कम हो जाता है.

बेरूत ने कहा, "मस्तिष्क के आकार में कमी उम्र बढ़ने के अनुरूप है. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारी आबादी वृद्ध हो रही है. उम्र बढ़ना और धूम्रपान दोनों डिमेंशिया के लिए जोखिम कारक हैं."

सालों पहले धूम्रपान छोड़ने वाले लोगों के डाटा का विश्लेषण कर शोधकर्ताओं ने पाया कि उनका दिमाग उन लोगों की तुलना में स्थायी रूप से छोटा रहता है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया था.

एए/सीके (एएफपी)

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