एक नए शोध में कहा गया है कि धूम्रपान इंसान के मस्तिष्क को स्थायी रूप से भी सिकोड़ सकता है और इससे होने वाली क्षति अपरिवर्तनीय है.
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सभी जानते हैं कि सिगरेट सेहत के लिए कितनी हानिकारक है और इसे पीने से इंसान के दिल और फेफड़ों को कैसे नुकसान पहुंच सकता है. यहां तक कि कैंसर भी हो सकता है. लेकिन नए शोध में कहा गया है कि इसका असर मस्तिष्क पर भी पड़ता है.
जर्नल बायोलॉजिकल साइकिएट्री: ग्लोबल ओपन साइंस में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चला है कि धूम्रपान छोड़ने से मस्तिष्क के टिश्यू को और अधिक नुकसान होने से रोका जा सकता है, लेकिन इससे मस्तिष्क अपने मूल आकार में वापस नहीं आएगा.
अध्ययन यह भी बताता है कि धूम्रपान करने वालों को उम्र से संबंधित मानसिक विकास में गिरावट और अल्जाइमर रोग का अधिक खतरा क्यों होता है.
धूम्रपान का मस्तिष्क पर गंभीर असर
सेंट लुइस में वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने कहा, चूंकि उम्र के साथ लोगों के दिमाग का आकार स्वाभाविक रूप से कम हो जाता है, धूम्रपान प्रभावी रूप से मस्तिष्क को समय से पहले बूढ़ा कर देता है.
यूनिवर्सिटी में मनोचिकित्सा की प्रोफेसर लाउरा जे बेरुत ने कहा, "हाल तक वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क पर धूम्रपान के प्रभावों को नजरअंदाज कर दिया था. हम फेफड़ों और दिल पर धूम्रपान के सभी भयानक प्रभावों पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे."
उन्होंने आगे कहा, "लेकिन जैसे-जैसे हमने मस्तिष्क को अधिक बारीकी से देखना शुरू किया, यह साफ हो गया है कि धूम्रपान वास्तव में आपके मस्तिष्क के लिए बुरा है."
सिगरेट के कश की कीमत
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दिमाग पर धूम्रपान का सीधा असर
शोध के लिए टीम ने 32,094 लोगों के मस्तिष्क पर धूम्रपान के इतिहास और धूम्रपान के आनुवंशिक जोखिम पर पहचाने गए डाटा का विश्लेषण किया. शोधकर्ताओं ने धूम्रपान के इतिहास और धूम्रपान के लिए मस्तिष्क की मात्रा के आनुवंशिक जोखिम के बीच एक संबंध पाया.
इसके अलावा, धूम्रपान और मस्तिष्क के आकार के बीच संबंध खुराक पर निर्भर करता है. एक व्यक्ति प्रतिदिन जितना अधिक धूम्रपान करता है, उसके मस्तिष्क का आकार उतना ही कम होता है.
मध्यस्थता विश्लेषण नाम के एक सांख्यिकीय दृष्टिकोण का उपयोग करके शोधकर्ताओं ने घटनाओं के अनुक्रम को निर्धारित किया कि आनुवंशिक प्रवृत्ति धूम्रपान की ओर ले जाती है, जिससे मस्तिष्क का आकार कम हो जाता है.
बेरूत ने कहा, "मस्तिष्क के आकार में कमी उम्र बढ़ने के अनुरूप है. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारी आबादी वृद्ध हो रही है. उम्र बढ़ना और धूम्रपान दोनों डिमेंशिया के लिए जोखिम कारक हैं."
सालों पहले धूम्रपान छोड़ने वाले लोगों के डाटा का विश्लेषण कर शोधकर्ताओं ने पाया कि उनका दिमाग उन लोगों की तुलना में स्थायी रूप से छोटा रहता है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया था.
एए/सीके (एएफपी)
न्यूजीलैंड ने ई-सिगरेट पर लगाया कई तरह का बैन
न्यूजीलैंड ने डिस्पोजेबल वेप पर बैन लगा दिया है. यह बैन अगस्त 2023 से लागू होगा. बड़ी संख्या में सिगरेट ना पीने वाले युवा और किशोर भी ई-सिगरेट की ओर मुड़ रहे हैं. इससे लत लगने के अलावा सेहत पर असर पड़ने का भी खतरा है.
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युवाओं के बीच बढ़ती वेपिंग
सिंगल-यूज वाले डिस्पोजेबल वेप की बैटरी खत्म होने के बाद ना हटाई जा सकती है, ना उसमें नई बैटरी लगाई जा सकती है. प्रतिबंध की घोषणा करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बड़ी संख्या में युवा वेपिंग कर रहे हैं. इसे रोकने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. उन्होंने कहा कि 2025 तक धूम्रपान मुक्त पीढ़ी तैयार करने के लिए जरूरी है कि वेप्स को बच्चों के दिमाग और पहुंच से दूर रखा जाए.
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संतुलन बनाने की कोशिश
अब स्कूलों के पास वेप बेचने वाली दुकानें नहीं खोली जा सकेंगी. कंपनियों को इनकी ब्रैंडिंग में भी बदलाव करना होगा. वेप के कॉटन कैंडी या स्ट्रॉबरी जेली डोनट जैसे नाम भी नहीं रखे जा सकेंगे. सरकार ने कहा है कि वह युवाओं को वेपिंग शुरू करने से रोकने और लोगों को ध्रूमपान छोड़ने के लिए वेप इस्तेमाल करने देने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है.
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ताकि आने वाली पीढ़ियों को ना लगे लत
न्यूजीलैंड ने सिगरेट पीने वालों की संख्या घटाने और मौजूदा बच्चों, किशोरों और आने वाली पीढ़ियों में सिगरेट की लत रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए हैं. यहां सिगरेट पीने वालों की तादाद अपेक्षाकृत कम है. बस आठ फीसदी लोग ही सिगरेट पीते हैं. दिसंबर 2022 में न्यूजीलैंड ने जनवरी 2009 में या इसके बाद पैदा हुए किसी भी शख्स को तंबाकू उत्पाद बेचे जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
तस्वीर: Nicholas T. Ansell/PA Wire/picture alliance
ई-सिगरेट का बढ़ता चलन
कई देशों में लोगों, खासतौर पर किशोरों और युवाओं के बीच वेपिंग का चलन बढ़ा है. जानकार इस बढ़ते रुझान के प्रति चिंता जताते हैं. 2021 में अस्थमा और रेसिपिरेट्री फाउंडेशन के एक अध्ययन में पाया गया कि न्यूजीलैंड में स्कूल जाने वाले किशोरों में पांच में से एक किशोर दिन में कम-से-कम एक बार वेप लेता है.
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ऑस्ट्रेलिया में भी सख्ती
बीते दिनों ऑस्ट्रेलिया ने भी डिस्पोजेबल वेप पर ऐसा ही फैसला लिया था. ऑस्ट्रेलिया ने तंबाकू कंपनियों पर आरोप लगाया कि वो जानबूझकर किशोरों को निशाना बनाकर निकोटिन लत वाली अगली पीढ़ी तैयार कर रही है.
तस्वीर: Joel Carrett/AAP/dpa/picture alliance
कैसे काम करती है ई-सिगरेट
ई-सिगरेट में यूजर भाप के माध्यम से निकोटिन का कश खींचता है. सिगरेट में धुएं से निकोटिन अंदर जाती है. ई-सिगरेट में तरल पदार्थ होता है, जिसमें निकोटिन, फ्लेवर और बाकी रसायन होते हैं. ई-सिगरेट इन्हें गर्म करता है, जिससे भाप बनती है. सिगरेट की तरह इसमें तंबाकू नहीं जलता. ई-सिगरेट को लंबे समय तक सिगरेट की तुलना में कम हानिकारक विकल्प के तौर पर प्रचारित किया गया.
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युवाओं और किशोरों को टारगेट करती हैं कंपनियां
आरोप है कि कंपनियां किशोरों और युवाओं को टारगेट करती हैं. इनमें ज्यादातर ऐसे होते हैं, जो सिगरेट नहीं पीते, ऐसे नहीं जो सिगरेट छोड़ने के लिए किसी विकल्प की तलाश में हों. कॉटन कैंडी, लेमन या फलों के फ्लेवरों वाले नाम भी युवाओं और किशोरों में उत्सुकता पैदा करते हैं. उन्हें इसकी लत लग सकती है. साथ ही, ई-सिगरेट से सांस संबंधी समस्याओं का भी जोखिम है. निकोटिन के भी नुकसान हो सकते हैं.