ये हैं दुनिया की प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाएं
१७ अक्टूबर २०१८Study reveals world's most competitive economies
क्या वैश्विक अर्थव्यवस्था एक बार फिर संकट में घिर सकती है, क्या फिर से दुनिया वैश्विक मंदी की चपेट में आ सकती है. मौजूदा उतार चढ़ाव ऐसा सोचने के लिए दुनिया को मजबूर कर रहे हैं. जानिए क्या हैं जोखिम.
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर मंडराते सात संकट
क्या वैश्विक अर्थव्यवस्था एक बार फिर संकट में घिर सकती है, क्या फिर से दुनिया वैश्विक मंदी की चपेट में आ सकती है. मौजूदा उतार चढ़ाव ऐसा सोचने के लिए दुनिया को मजबूर कर रहे हैं. जानिए क्या हैं जोखिम.
बढ़ता कर्ज
2008 के बाद से अब तक दुनिया में ऋण का स्तर 60 फीसदी तक बढ़ गया है. विकसित और विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं में "बैड लोन" एक बड़ी समस्या बन कर उभरा है. तकरीबन 1,82,000 करोड़ डॉलर सरकारी और निजी क्षेत्रों में ऋण के तौर पर फंसे हुए हैं. अब सवाल उठने लगा है कि अगर अर्थव्यवस्था चरमरा जाती है तो क्या हमारे पास कर्ज की भरपाई करने के लिए पूंजी होगी.
उभरती अर्थव्यवस्थाएं
ग्लोबल अर्थव्यवस्था में कुल उत्पादन का 40 फीसदी हिस्सा उभरते बाजारों से आता है, लेकिन इनमें जोखिम का खतरा काफी है. अधिकतर ऐसे बाजारों में विदेशी मुद्रा और डॉलर का दबदबा रहता है. ऐसी स्थिति में जब अमेरिका ब्याज दर बढ़ाता है, सिस्टम से पैसा बाहर जाने लगता है और बाजार कमजोर पड़ जाते हैं. हाल में अर्जेंटीना और तुर्की में कुछ ऐसा ही देखने को मिला.
अमेरिकी अर्थव्यवस्था
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप कर रियायतें और कारोबारी नियमन कर अब भी अमेरिकी अर्थव्यवस्था में तेजी बनाए रखने में सफल रहे हैं. इसके बावजूद बड़ी कंपनियां इस अनिश्चितता भरे माहौल में बड़ा निवेश करने से कतरा रहीं हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएम) का मानना है कि साल 2018 में आर्थिक विकास शिखर को छूने के बाद धीमा धीमा पड़ जाएगा.
4. कारोबारी विवाद
अमेरिका और चीन एक दूसरे के उत्पादों पर शुल्क लगा रहे हैं. चीन ने अमेरिकी मांस और सब्जियों पर तो वहीं अमेरिका ने चीन से आने वाले स्टील, टैक्सटाइल्स और तकनीक पर शुल्क बढ़ा दिया है. दोनों देश का यह विवाद करीब 360 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. आईएमएफ के अनुमान मुताबिक ये कारोबारी जंग अमेरिका की जीडीपी को 0.9 फीसदी तो वहीं चीन की जीडीपी को 0.6 फीसदी तक प्रभावित करेगी.
5. चरमराती बैंकिंग व्यवस्था
व्यवस्थित बैंकिग सेक्टर के अलावा अब कई वित्तीय संस्थाएं भी लेनदेन में सक्रिय हो गए हैं. यूरोपियन सेंट्रल बैंक के मुतबिक यूरोपीय संघ में ऐसे शेडो बैंक करीब 40 फीसदी वित्तीय लेनदेन के लिए जिम्मेदार हैं. यही नहीं, बहुत से वित्तीय संस्थाओं के पास भी जोखिमों से निपटने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं है.
6. ब्रेक्जिट का असर
मार्च 2019 में ब्रिटेन, यूरोपीय संघ से पूरी तरह अलग हो जाएगा. समय तेजी से निकल रहा है लेकिन अब तक यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने की योजना पूरी तरह से तैयार नहीं हो सकी है. अगर मुक्त व्यापार समझौता नहीं हो पाता है तो सिर्फ जर्मन कंपनियों को ही सालाना 3 अरब यूरो का टैरिफ चुकाना होगा.
7. इटली की नीतियां
लोकलुभावन नीतियों का वादा करने वाले इटली के राजनीतिक दल देश में समान आय और रिटायरमेंट की उम्र कम करने के पक्ष में हैं. वहीं इटली 240 खरब डॉलर के ऋण के साथ यूरोपीय संघ का सबसे बड़ा कर्जदार भी है. इसके साथ ही डूबते कर्जों के मामले में इटली का दुनिया में पहला स्थान है. (पाउल क्रिस्टियान ब्रिट्ज/एए)