अब तक ‘स्वच्छ’ हाइड्रोजन को पर्यावरण के लिए सुरक्षित ऊर्जा स्रोत के रूप में देखा जाता रहा है. लेकिन एक नए अध्ययन में इसे कोयले से भी ज्यादा खतरनाक बताया गया है.
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पर्यावरण के लिए सुरक्षित माने जाने वाले स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में हाइड्रोजन का जिक्र अक्सर होता है. माना जाता रहा है कि यह पेट्रोल और डीजल जैसे प्रदूषक ईंधनों की जगह ले सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार, अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी और कई कंपनियां इसका समर्थन कर चुकी हैं.
किंतु एक नए अध्ययन के बाद राय बदल सकती है. गुरुवार को प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि हाइड्रोजन से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कोयले से भी ज्यादा हो सकता है. ‘ब्लू हाइड्रोजन' के बारे में शोधकर्ता कहते हैं कि पर्यावरण के आधार पर तो "इसे जायज नहीं ठहराया जा सकता.”
अकादमिक जर्नल ‘एनर्जी साइंस ऐंड इंजीनियरिंग' में छपे अध्ययन के मुताबिक ब्लू हाइड्रोजन उत्सर्जन मुक्त नहीं है.
उत्सर्जन कोयले से ज्यादा
कॉरनेल विश्वविद्यालय के रॉबर्ट हॉवर्थ और स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी के मार्क जैकबसन ने अपने शोध में पाया है कि हाइड्रोजन के ईंधन के उत्पादन में अच्छी खासी ऊर्जा की जरूरत होती है. वे कहते हैं कि प्राकृतिक गैस से हाइड्रोजन निकालने की प्रकिया में जब उसे गर्म किया जाता है और उस पर दबाव बढ़ाया जाता है, तब कार्बन उत्सर्जन होता है.
वैसे तो ‘ब्लू हाइड्रोजन' में कुछ ही उत्सर्जन होता है लेकिन अध्ययन कहता है कि कार्बन सोखने की प्रक्रिया में भी ऊर्जा लगती है. इस आधार पर शोधकर्ता लिखते हैं कि "इसका कोई फायदा नहीं है” क्योंकि ब्लू और ग्रे हाइड्रोजन का कुल उत्सर्जन असल में डीजल, गैस या कोयले से ज्यादा है.
तस्वीरों मेंः ऐसी जगहों पर भी पहुंची सौर ऊर्जा
ऐसी ऐसी जगहों पर भी सौर ऊर्जा
सूर्य से ऊर्जा लेकर बिजली बनाने वाले सौर पैनल दुनियाभर में अनोखी जगहों पर इस्तेमाल किए जा रहे हैं. देखिए कहां कहां पहुंचे रवि...
तस्वीर: Halil Fidan/AA/picture alliance
ऐसी ऐसी जगहों पर भी सौर ऊर्जा
तुर्की का यह चरवाहा अपना मोबाइल फोन चार्ज करने के लिए सौर पैनल का प्रयोग करता है. लंबी यात्राओं के दौरान इस तरह के छोटे पैनल बहुत लोकप्रिय हैं. ये बैकपैक्स या टेंटों के लिए भी उपलब्ध हैं.
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झोपड़ियों में
दक्षिणी सूडान के इस गांव टुकुल में बिजली तो नहीं पहुंची है लेकिन सौर ऊर्जा ने कमी नहीं रहने दी है. मोबाइल फोन चार्ज करने से लेकर छोटे लैंप जलाने जैसी अपनी रोजमर्रा की जरूरतें ग्रामीण सौर ऊर्जा से ही पूरी कर रहे हैं.
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पानी पर
केन्या में इन लोगों ने पहला पानी पर तैरता सोलर प्लांट बनाया है. यह प्लांट राजधानी नैरोबी के नजदीक फूलों के एक खेत को बिजली सप्लाई करता है. कई और झीलों में भी ऐसे ही प्रयोग हुए हैं.
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आसमान में
सोलर इंपल्स ना के इस जेट विमान ने कई चरणों में सिर्फ सौर ऊर्ज के दम पर दुनियाभर का चक्कर लगाकर इतिहास रच दिया था. इसके परों पर लगे सौर पैनल ऊर्जा पैदा करते हैं जिनसे इंजन की बैट्री चलती हैं.
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पहाड़ों पर
स्विट्जरलैंड के बाजल में मुटजे झील पर बनी बांध की दीवारों पर एक विशाल सौर पैनल बनाया गया है. सर्दियों में यह काफी बिजली पैदा करता है क्योंकि बर्फ की चमक से ज्यादा ऊर्जा सौर पैनलों तक पहुंचती है.
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खेतों में
कृषि में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल बहुत तरह से हो रहा है लेकिन यूं डेनमार्क में फार्मड्रॉएड अनोखा ही है. बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए यह ट्रैक्टरनुमा मशीन खुद ही सारा काम कर लेती है. और थकती भी नहीं है. इसे जीपीएस से नियंत्रित किया जाता है.
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अंतरिक्ष में
सौर पैनल अंतरिक्ष की लंबी उड़ानों को संभव बना रहे हैं. ये बृहस्पति तक पहुंच चुके हैं. इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन पर भी सोलर पैनलों का इस्तेमाल हो रहा है. शोधकर्ता अंतरिक्ष में सौर पार्क बनाने पर भी विचार कर रहे हैं.
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समुद्र में
‘रेस फॉर वॉटर’ नाम की यह नौका दुनिया की सबसे बड़ी सौर नोका है. यह यॉट पूरी तरह स्वच्छ ऊर्जा पर चलती है और जीवाश्म ईंधन का कोई इस्तेमाल नहीं करती.
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शोधकर्ता कहते हैं, "हमारा सुझाव है कि हाइड्रोजन को बस ध्यान बंटाने वाली चीज के रूप में देखा जाए जिसकी वजह से वैश्विक ऊर्जा अर्थव्यवस्था को कार्बन से पूरी तरह मुक्त करने में देरी हो सकती है.”
अमेरिका की नीतियों में हाइड्रोजन
इसी हफ्ते बाइडेन सरकार का 1.2 खरब डॉलर का इन्फ्रास्ट्रक्चर बिल सेनेट से पास हुआ है, जिसमें क्षेत्रीय स्तर पर आठ ‘स्वच्छ हाइड्रोजन हब' बनाने के लिए आठ अरब डॉलर आवंटित किये गए हैं. हालांकि इस बिल में ‘ब्लू हाइड्रोजन' का जिक्र नहीं है.
शोधकर्ताओं की चेतावनी है कि जिस ईंधन में कार्बन को सोखकर रख लेने की प्रक्रिया शामिल है, वह "उसी सीमा तक काम करता है जितना उसमें अनिश्चित काल तक कार्बन को सोख कर रखने की क्षमता हो और उसमें से वह वापस वातावरण में न चली जाए.”
देखिएः बिजली उत्पादन के विभिन्न तरीके
संसाधनों की होड़ के बीच प्रकृति को बचाने का संघर्ष
अफ्रीका के युगांडा में उप-सहारा अफ्रीका के सबसे बड़े तेल के भंडार को हासिल करने के लिए दो बड़ी ऊर्जा कंपनियां तैयार हैं, लेकिन स्थानीय लोगों को वहां की अद्भुत जैवविविधता पर इसके असर की चिंता सता रही है.
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जमीन के निगहबान
88 साल के अलोन कीजा यहां के बागुंगु स्थानीय समुदाय के एक बुजुर्ग हैं. वो ग्रामीण बुलीसा जिले में रहते हैं जो इस महाद्वीप के प्राकृतिक संसाधनों को हासिल करने की होड़ के ठीक मध्य में स्थित है. वो कहते हैं, "तेल के लिए ड्रिलिंग करने से इकोसिस्टम अस्त व्यस्त हो जाएगा. इस जगह की आत्मा इन मशीनों को स्वीकार नहीं करती है."
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वन्य जीवों पर खतरा
एक गंभीर समस्या है इस इलाके के वन्य जीवों पर होने वाला असर. ड्रिलिंग का कुछ हिस्सा मर्चिसन फॉल्स राष्ट्रीय उद्यान में भी होगा जहां कई हाथी, तेंदुए, शेर और जिराफ के अलावा 450 नस्लों के पक्षी रहते हैं. पर्यावरणविदों को इन वन्य जीवों पर ड्रिलिंग के संभावित असर की चिंता है.
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शुरुआत हो चुकी है
लेकिन ये विशाल परियोजना शुरू भी हो चुकी है. अप्रैल में युगांडा और तंजानिया ने फ्रांसीसी बहुराष्ट्रीय तेल कंपनी टोटलएनर्जीज और चीन की नेशनल ऑफशोर ऑयल कॉर्पोरेशन के साथ संधियों पर हस्ताक्षर किये. इनके तहत 425 वर्ग मील के ड्रिलिंग क्षेत्र से करीब 1.7 अरब बैरल तेल निकाला जाएगा. इलाका सुदूर है इसलिए एक चीनी निर्माण कंपनी को एक 70 मील लंबी सड़क बनाने का भी ठेका दिया गया है.
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एक अंतर्राष्ट्रीय कोशिश
2025 में जब निकाले हुए तेल की पहली खेप मिलेगी तो उसे पूर्व अफ्रीकी कच्चे तेल की पाइपलाइन के जरिए 900 मील दूर तंजानिया के बंदरगाह वाले शहर तांगा तक पंप किया जाएगा. यह शहर हिन्द महासागर में मैंग्रोव और मूंगे की चट्टानों से घिरा हुआ है. पाइपलाइन ना सिर्फ नाजुक वन्य जीव इलाकों से गुजरेगी बल्कि जानकारों का कहना है कि वो हजारों किसानों को भी विस्थापित करेगी.
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रोशनी की किरण
लेकिन युगांडा सरकार ने अल्बर्ट तालाब के किनारे इस तेल परियोजना को आगे ले जाने के साथ साथ एक अभूतपूर्व पर्यावरण कानून भी पास किया है. इस कानून के तहत मानवाधिकारों की तरह ही प्रकृति के अधिकारों को भी मान्यता दी जाती है. इकोसिस्टमों को जीव जंतुओं की तरह माना जाता है और उन्हें प्रतिनिधियों के जरिए अदालत के दरवाजे खटखटाने की भी इजाजत दी जाती है.
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पुरानी जड़ें
कीजा पर्यावरणविद डेनिस तबारो के बगल में बैठे हुए हैं जो उन स्थानीय पर्यावरण-संबंधी परम्पराओं को फिर से प्रचलित करने की कोशिश कर रहे हैं हो औपनिवेशिक युग में नष्ट हो गई थीं. देश का नया कानून बागुंगु जैसे स्थानीय समुदायों की प्राचीन सोच पर आधारित है. पूरी दुनिया में 37 करोड़ स्थानीय लोगों की आबादी है, लेकिन वो ऐसी जगहों पर रहते हैं जहां धरती की 80 प्रतिशत जैवविविधता पाई जाती है.
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एक पुनर्जागरण
अपने पुनर्जागरण के क्रम में बागुंगु बुजुर्गों ने उनके प्राचीन इलाके के नक्शे बनाए हैं, जिनमें पूर्व-औपनिवेशिक काल के कैलेंडर हैं. इनमें बदलते मौसम, प्रजाजन के चक्र, फसलों की कटाई के समय और रिवाज दिखाए गए हैं. एक नक्शे पर पुराने रीति-रिवाज दिखाए गए हैं, दूसरे पर आज की अव्यवस्था और तीसरे पर भविष्य के लिए एक परिकल्पना. इससे उनकी धरोहर की यादें ताजा हुई हैं.
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काला सोना?
पर्यावरण संबंधी चिंताओं के बावजूद सरकार तेल के इस भंडार को लोगों के जीवन के स्तर को बेहतर बनाने के एक तरीके के रूप में बढ़ावा दे रही है. युगांडा की आधे से ज्यादा आबादी गरीब है. यह बच्चा स्कूल नहीं जा सका क्योंकि इसे फसलों को इकठ्ठा करने में अपने परिवार की मदद करनी थी. टोटलएनर्जीज ने कहा है कि उसकी परियोजना से 6,000 नौकरियों का जन्म होगा, जिनमें से अधिकतर स्थानीय लोगों के लिए होंगी.
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आगे की ओर अग्रसर
इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि नया कानून तेल परियोजना को रोक देगा. इसमें एक प्रावधान है जिसके तहत सरकार यह तय कर सकती है कि इस कानून का संरक्षण किन प्राकृतिक स्थलों को मिलेगा और किन को नहीं. इसी तरह, प्रकृति के अधिकारों की भी गारंटी हमेशा के लिए नहीं होगी.
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अनिश्चित भविष्य
चीनी और युगांडन मजदूर निर्माण के एक गर्मी भरे दिन के बीच आराम कर रहे हैं. वकीलों का मानना है कि नए कानून से परियोजना के असर को सीमित करने का मौका तो मिल जाएगा लेकिन इससे परियोजना रुकेगी नहीं. फ्रैंक तुमुसीमे की संस्था ने इस कानून के लिए लॉबी किया था और अब उसे मजबूत करने वाले नियमों के बनाने में मदद कर रहे हैं. वो कहते हैं, "यह होना ही है. हमें असर को कम करने की योजना पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए."
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प्राकृतिक मंदिर
बागुंगु बुजुर्ग जूलियस बाएंक्या बुलीसा के बाहर सवाना के जंगलों में पवित्र माने जाने वाले पेड़ों के एक झुरमुट की तरफ बढ़ रहे हैं. ये उन कई पवित्र प्राकृतिक स्थलों में से है जिन्हें तालाबों, नदियों या जंगलों के रूप में पूजा जाता है. इनसे वन्य जीवों को शरण भी मिलती है. बाएंक्या कहते हैं, "यह हमारा आध्यात्मिक केंद्र है. हमारी प्रार्थना है कि यह जगह अछूती रहे." (जैक लॉश)
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अमेरिका के ऊर्जा विभाग ने जून में ऐलान किया था कि आधुनिक स्वच्छ हाइड्रोजन पर आधारित योजनाओं के लिए 5 करोड़ 25 लाख डॉलर दिए जाएंगे. 2019 में एक अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि हाइड्रोजन में "ज्यादा स्थिर और सुरक्षित ऊर्जा भविष्य का हिस्सा बनने” की संभावना है.