सूडान में सेना ने किया तख्तापलट
२६ अक्टूबर २०२१सूडान में सेना ने तख्तापलट कर देश में आपातकाल लागू कर दिया है. ज्यादातर मंत्रियों और सरकार समर्थक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है. सामाजिक संस्था 'सूडान डॉक्टर्स कमेटी' ने कहा है कि प्रदर्शनकारी भीड़ पर गोलीबारी की गई है, जिसमें कम से कम तीन लोगों की मौत हुई है जबकि 80 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं.
सूडान के सैन्य अधिकारियों और जनता के बीच असंतोष लगातार बढ़ रहा था. 2019 में उमर अल-बशीर के सत्ता से बाहर होने के बाद सेना को सत्ता में भागीदार बनाए जाने की बात थी. तब से राजनेताओं और सैन्य अधिकारियों को मिलाकर बनाई गई संप्रभु परिषद ही देश पर शासन कर रही थी. यह प्रावधान नई सरकार के चुने जाने तक रहना था.
प्रधानमंत्री गिरफ्तार
सूडान के सूचना मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री अब्दल्ला हमदूक को अपहृत कर अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है क्योंकि उन्होंने तख्तापलट में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था. सेना ने प्रधानमंत्री के बारे में फिलहाल कोई सूचना नहीं दी है.
मंत्रालय ने कहा कि हमदूक ने सूडानी जनता से इस तख्तापलट का विरोध करने और 'क्रांति की रक्षा' करने का आह्वान किया है. बयान में कहा गया है कि सैनिकों ने ओमदरमान शहर में स्थित सरकारी टीवी और रेडियो चैनलों के मुख्यालयों में घुसकर कुछ कर्मचारियों को भी बंधक बना लिया.
राजधानी खारतूम के अलावा ओमदरमान में तख्तापलट के विरोध में कुछ प्रदर्शन होने की खबरें हैं. अल जजीरा टीवी ने ऐसे वीडियो दिखाए हैं जिनमें लोगों को बैरिकेड पार करके सैन्य भवनों की ओर जाते देखा जा सकता है.
सूडान में नॉरवेजियन रिफ्यूजी काउंसिल के निदेशक विल कार्टर ने खारतूम से बात करते हुए डॉयचे वेले को बताया, "हमने सैन्य वाहनों के काफिलों को भीड़ जमा होने से रोकते और कई बार हिंसा के बल पर हटाते भी देखा है. अभी बहुत कुछ घट रहा है जिसे समझे जाने की जरूरत है. तनाव बहुत ज्यादा है. और ऐसा तब हो रहा है जब देश पहले ही एक मानवीय आपातकाल के बीच में है व लाखों लोग खतरे में हैं."
पूरी स्थिति को तख्तापलट बताते हुए सूचना मंत्रालय ने हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करने की मांग की है. मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राज्य और केंद्रीय कर्मचारी तख्तापलट के जवाब में हड़ताल करेंगे.
सेना ने क्या कहा?
एक टीवी संदेश में जनरल बुरहान ने कहा है कि जुलाई 2023 में आम चुनाव होने तक विशेषज्ञों की एक सरकार देश का नेतृत्व करेगी. उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न राजनीतिक पक्षों के बीच संघर्ष के चलते सेना को दखल देना पड़ा और सरकार को भंग करना पड़ा.
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देश पर शासन कर रही संप्रभु परिषद का हिस्सा होने के चलते जनरल बुरहान पहले ही देश के अघोषित प्रमुख थे. अपने भाषण में उन्होंने लोकतंत्र स्थापित करने का वादा किया. उन्होंने कहा, "सेनाएं देश में लोकतंत्र की स्थापना का काम तब तक जारी रखेंगी जब तक एक चुनी हुई सरकार को नेतृत्व नहीं सौंप दिया जाता."
विरोध का आह्वान
देश के लोकतंत्र-समर्थक राजनीतिक दल सूडनीज प्रोफेशनल्स एसोसिएशन ने लोगों से सड़कों पर उतरकर तख्तापलट का विरोध करने का आह्वान किया है. एक फेसबुक पोस्ट में इस दल ने कहा, "हम लोगों से आग्रह करते हैं कि सड़कों पर उतरें और उन पर कब्जा कर लें. सभी रास्तों को बैरिकेड लगाकर बंद कर दें और आम हड़ताल कर दें."
सूडनीज कम्युनिस्ट पार्टी ने हालात को बुरहान द्वारा 'पूर्ण सैन्य तख्तापलट' बताते हुए मजदूरों से हड़ताल पर चले जाने का आह्वान किया. स्थानीय मीडिया की खबरें हैं कि खारतूम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को सैनिकों ने घेर लिया है. समाचार चैनल अल अरेबिया ने बताया है कि सभी प्रमुख एयरलाइनों ने राजधानी को जाने वालीं उड़ानें रद्द कर दी हैं.
इसके अलावा इंटरनेट सेवाओं में बाधा की खबरें हैं. दुनियाभर में इंटरनेट की सेवाओं पर निगाह रखने वाली संस्था नेटब्लॉक्स ने कहा है कि मोबाइल और फिक्स्ड लाइन, दोनों तरह की इंटरनेट सेवाओं में बड़ी रुकावटें देखी गई हैं. नॉरवेजियन रिफ्यूजी काउंसिल के कार्टर ने कहा, 'संचार सेवाओं में बड़ी बाधाएं आई हैं.'
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
विभिन्न देशों की सरकारों ने सूडान में हो रही गतिविधियों की आलोचना की है. सूडान की सेना और राजनेताओं के बीच विवाद सुलझाने की कोशिश कर रहे 'हॉर्न ऑफ अफ्रीका' में विशेष अमेरिकी दूत जेफरी फेल्टमैन ने हालात को ‘पूरी तरह अस्वीकार्य' बताया. अमेरिका ने इस घटनाक्रम की आलोचना करते हुए नागरिक सरकार की स्थापना तक देश को दी जा रही सहायता रद्द कर दी है.
सूडान में संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि वोल्कर पर्थेस ने भी हालात पर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री, सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं की कथित हिरासत अस्वीकार्य है."
यूएन महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने एक बयान में 'सूडान में जारी सैन्य तख्तापलट' की आलोचना की. जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने भी तख्तापलट की आलोचना की. उन्होंने कहा, "राजनेताओं को अपने मतभेद शांतिपूर्ण तरीकों से सुलझाने चाहिए. यह तानाशाही खत्म कर लोकतांत्रिक बदलाव के लिए संघर्ष कर रहे लोगों के प्रति उनकी जिम्मेदारी बनती है."
फ्रांस, चीन और अफ्रीकन यूनियन के नेताओं ने भी तख्तापलट की निंदा करते हुए फौरन सामान्य हालात की बहाली की आग्रह किया है.
वीके/एमजे (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)