पाकिस्तान में सेना के बेस पर आत्मघाती हमला
१२ दिसम्बर २०२३सुरक्षाकर्मियों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि जिस पुलिस स्टेशन पर हमला हुआ, उसे पाकिस्तानी सेना अपने शिविर की तरह इस्तेमाल कर रही थी.
खबरों के मुताबिक, इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान तालिबान से जुड़े एक समूह तहरीक-ए-जिहाद पाकिस्तान ने ली है. एक बयान जारी कर समूह ने कहा कि हमला पाकिस्तानी सेना के खिलाफ केंद्रित था.
एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "मृतकों में ज्यादातर सोते हुए मारे गए और वे सादे कपड़ों में थे. ऐसे में हम अभी भी यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि वो सभी सैन्यकर्मी थे या नहीं."
वहीं एक स्थानीय पुलिस अधिकारी कमाल खान ने न्यूज एजेंसी एपी से कहा कि एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से भरी गाड़ी को थाने के मुख्य दरवाजे पर उड़ा दिया. धमाके के असर से इमारत का कुछ हिस्सा ढह गया.
सेना चला रही चरमपंथियों के खिलाफ अभियान
खान ने बताया कि निशाना बनाए गए दाराबान पुलिस स्टेशन में बड़ी संख्या में देशभर से आए सुरक्षाबलों की मौजूदगी थी. सुरक्षाबल, स्थानीय पुलिस की मदद से यहां चरमपंथियों के खिलाफ मुहिम चला रहे थे.
रॉयटर्स के मुताबिक, हमलावरों ने पहले तो विस्फोटकों से भरे ट्रक को थाने की दीवार से भिड़ाया. फिर बाकी हमलावरों ने गोलीबारी शुरू कर दी. सुरक्षा बलों और हमलावरों के बीच कई घंटों तक गोलीबारी की खबर है. आशंका है कि इस घटना में इमारत के भीतर रखा सेना का गोला-बारूद भी फट गया.
कई अधिकारियों को गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचाया गया है. अभी तक आधिकारिक स्तर पर मृतकों की संख्या की पुष्टि नहीं हुई है. आंतरिक मामलों के मंत्री सरफराज बुग्ती ने हमले की निंदा की है.
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने भी घटना में मारे गए लोगों पर शोक जताते हुए कहा कि नागरिकों और सुरक्षाबलों, दोनों पर होने वाले हमलों को माफ नहीं किया जा सकता है. पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भी हमले की कड़ी निंदा की और आतंकवाद के खात्मे की जरूरत पर जोर दिया.
चरमपंथी घटनाओं में वृद्धि
यह घटना अफगान सीमा के नजदीक खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत की है. यह प्रांत चरमपंथी पाकिस्तानी तालिबान समूह तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) का गढ़ रहा है.
जून 2022 में सरकार और टीटीपी के बीच संघर्षविराम पर रजामंदी बनी थी. फिर नवंबर 2022 में टीटीपी ने संघर्षविराम खत्म करते हुए अपने आतंकियों को देशभर में हमले करने का निर्देश दिया था.
इसके बाद से पाकिस्तान, खासकर खैबर-पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में हिंसा काफी बढ़ी है. 3 नवंबर को ही डेरा इस्माइल खान में पुलिस को निशाना बनाकर किए गए एक बम धमाके में पांच लोग मारे गए थे और 20 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
जुलाई में भी बलूचिस्तान में हुए सैन्य अभियानों के दौरान 12 सैन्यकर्मी मारे गए थे. जनवरी 2023 में एक आत्मघाती हमलावर ने पेशावर के एक मस्जिद को निशाना बनाया, जिसमें कम-से-कम 101 लोग मारे गए थे.
पाकिस्तानी तालिबान ने 2022 से ही सुरक्षाबलों पर हमले तेज कर दिए हैं. प्रशासन का कहना है कि 2021 में अफगानिस्तान के भीतर तालिबान की वापसी के बाद आतंकियों के हौसले बढ़े हैं.
एसएम/सीके (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)