कुछ समय पहले तक आस्मा के लिए अपने प्रेमी के साथ सऊदी अरब के समुद्र तट पर पूरा दिन बिताना अकल्पनीय था. पर अब सऊदी अरब बदल रहा है.
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बेहद रूढ़िवादी सऊदी अरब के समुद्र तट पर अपने प्रेमी के साथ पूरा दिन बिताना आस्मा के लिए अकल्पनीय था. अब 32 साल की आस्मा लाल सागर के सफेद रेतीले तटों पर अपने दोस्त के साथ डांस कर सकती हैं.
आस्मा इस बात से भी खुश हैं कि वह समुद्र तट पर अपने साथी के साथ डांस करते हुए पास के लाउडस्पीकर पर बजने वाले तेज संगीत का आनंद ले सकती हैं. यह सामाजिक परिवर्तन खाड़ी के इस इस्लामी साम्राज्य में शुरू हुए खुलेपन का एक उदाहरण मात्र है.
जानेंः पर्दा फैशन है या मजबूरी
पर्दा: फैशन या मजबूरी
घूंघट, बुर्का, नकाब या हिजाब - इनके कई अलग नाम और अंदाज हैं. ऐसे पर्दों से अपने व्यक्तित्व को ढकने को दासता का प्रतीक मानें या केवल एक फैशन एक्सेसरी, यहां देखिए दुनिया भर के चलन.
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ईरान में प्रचलित हिजाब
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मलेशिया का हिजाब 'टुडोंग'
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इराक में पूरा ढकने वाला पर्दा
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तुर्की में प्रचलित इस्लामी हेडस्कार्फ
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फलस्तीन के सुरक्षा दस्ते में शामिल महिलाएं
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भारतीय महिलाओं का दुपट्टा
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लेबनान की मारोनीट ईसाई महिलाओं का सिर ढकने का अंदाज
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ईसाई महिलाओं का शादी में पहना जाने वाला घूंघट
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अफगानी औरतों का पूरे शरीर ढकने वाला पर्दा
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नेपाल और भारत के ग्रामीण इलाकों का घूंघट
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फलीस्तीनी महिलाओं का पूरा चेहरा ढकने वाला नकाब
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चेहरे पर जाली वाली डिजायनर हैट
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चीन के एक समुद्री बीच पर फेसकिनी पहले चीनी महिला
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पश्चिम अफ्रीका के सेनेगल में हिजाब फैशन
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हाल के दिनों में सऊदी अरब में हुए कई सामाजिक परिवर्तनों के दो मुख्य कारण हैं. इन परिवर्तनों के साथ-साथ जहां एक ओर अति कठोर सामाजिक ढांचे को आधुनिकता की सोच में बदला जा रहा है, वहीं तेल पर निर्भर अर्थव्यवस्था का विकल्प तैयार करना भी है.
खाड़ी देश के सामाजिक सुधार पर्यटन और घरेलू खर्च को प्रोत्साहित करके अपनी तेल-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने की इच्छा से प्रेरित हैं.
संगीत से बैन हटा, महिलाएं कर रहीं ड्राइविंग
सऊदी अरब में 2017 तक सार्वजनिक स्थानों पर संगीत पर प्रतिबंध लगा हुआ था. प्रतिबंध का सम्मान देश की धार्मिक पुलिस द्वारा सुनिश्चित किया जाता था. प्रतिबंध चार साल पहले हटा लिया गया था, इसके एक साल बाद महिलाओं को ड्राइविंग की इजाजत दी गई. अरब देश के अधिकांश बीचों में अभी भी पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग व्यवस्था है.
बीच पर इस तरह की छूट देश में पर्यटन और सार्वजनिक मनोरंजन को बढ़ावा देने के लिए अब तक उठाए गए कदमों में से एक है. 300 रियाल भुगतान करके आप जेद्दाह के पास प्योर बीच नामक एक समुद्र तट रिसॉर्ट में जा सकते हैं. यहां संगीत और डांस पर कोई प्रतिबंध नहीं है और आप समुद्र तट की सफेद रेत की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं.
'सपना सच हो गया'
स्विमसूट के ऊपर नीले रंग की पोशाक पहने आस्मा ने एएफपी को बताया, "मैं अपने घर के पास इस समुद्र तट पर आकर बहुत खुश हूं. मैं मजे ले सकती हूं. हमारा सपना था कि हम यहां आएं और एक खूबसूरत वीकएंड बिताएं. अब वह सपना सच हो गया है."
जो लोग सऊदी अरब के प्योर बीच पर जाते हैं वे भी समुद्र में स्नान कर सकते हैं. महिलाओं ने बिकनी पहन रखी है और उनमें से कुछ हुक्का पी रही हैं. सूरज ढलने के साथ पास ही मंच पर पश्चिमी संगीत की धुन पर कलाकार नृत्य पेश करते हैं. एक जोड़ा एक दूसरे को गले लगाता देखा जा सकता है.
तस्वीरेंः सऊदी महिलाओं को मिले अधिकार
सऊदी अरब में कब-कब मिले महिलाओं को अधिकार
सऊदी अरब को महिलाओं के दृष्टिकोण से एक पिछड़ा देश माना जाता है. यहां महिलाओं के अधिकार पुरुषों की तुलना में कम हैं. जानिए सऊदी अरब में किन-किन सालों में ऐसे बड़े बदलाव हुए जो महिलाओं को बराबरी देते हैं.
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1955: लड़कियों के लिए पहला स्कूल
सऊदी अरब में लड़कियों के लिए पहला स्कूल दार-अल-हनन 1955 में खोला गया, उस साल तक कुछ ही लड़कियों को किसी भी तरह की शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिलता था. इसी तरह लड़कियों के लिए पहला सरकारी स्कूल 1961 में खोला गया था.
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1970: लड़कियों के लिए पहली यूनिवर्सिटी
लड़कियों के लिए पहली यूनिवर्सिटी "रियाद कॉलेज ऑफ एजुकेशन" थी जो साल 1970 में खोली गयी थी. यह देश में महिलाओं की उच्ची शिक्षा के लिए पहली यूनिवर्सिटी थी.
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2001: महिलाओं का पहचान पत्र
21वीं सदी के साथ सऊदी अरब में एक और नई शुरूआत हुई और यह शुरुआत थी महिलाओं के पहचान पत्र की. हालांकि यह पहचान पत्र महिला के अभिभावक की स्वीकृति से जारी किये जाते थे, लेकिन 2006 से बिना किसी इजाजत के महिलाओं को पहचान पत्र जारी किये जा रहे हैं.
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2005: जबरन शादी का अंत
सऊदी अरब ने जबरन शादी पर 2005 में रोक लगाया. हालांकि, विवाह प्रस्ताव लड़के और लड़की के पिता के बीच तय होना जारी रहा.
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2009: पहली महिला मंत्री
2009 में राजा अब्दुल्ला ने सऊदी अरब की सरकार में पहली महिला मंत्री नियुक्त किया और इस तरह नूरा अल-फैज महिला मामलों के लिए उप शिक्षा मंत्री बनीं.
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2012: पहली महिला ओलंपिक एथलीट्स
सऊदी अरब ने पहली बार महिला एथलीट्स को ओलंपिक की राष्ट्रीय टीम में हिस्सा लेने की अनुमति दी. इन खिलाड़ियों में सारा अत्तार थीं, जो 2012 के ओलंपिक खेलों में लंदन में स्कार्फ पहन कर 800 मीटर की रेस दौड़ीं.
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2013: महिलाओं को साइकिल/मोटरसाइकिलों की सवारी करने की अनुमति
सऊदी नेताओं ने महिलाओं को 2013 में पहली बार साइकिल और मोटरबाइक की सवारी करने की अनुमति दी. हालांकि, इस पर भी शर्ते थीं महिलाएं केवल मनोरंजक क्षेत्रों में, पूरे शरीर को ढंक कर और एक पुरुष रिश्तेदार की उपस्थित में सवारी कर सकती थीं.
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2013: शूरा में पहली महिला
फरवरी 2013 में, राजा अब्दुल्ला ने सऊदी अरब की सलाहकार परिषद शूरा में 30 महिलाओं को शपथ दिलवायी. इसके बाद इस समिति में महिलाओं को नियुक्त किया जाने लगा जल्द ही वे सरकारी दफ्तर भी संभालेंगी.
तस्वीर: Getty Images/F.Nureldine
2013: शूरा में पहली महिला
फरवरी 2013 में, राजा अब्दुल्ला ने सऊदी अरब की सलाहकार परिषद शूरा में 30 महिलाओं को शपथ दिलवायी. इसके बाद इस समिति में महिलाओं को नियुक्त किया जाने लगा जल्द ही वे सरकारी दफ्तर भी संभालेंगी.
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2015: वोट देने का अधिकार
2015 में सऊदी अरब के नगरपालिका चुनाव में, पहली बार महिलाओं ने वोट डाला साथ ही उन्हें इन चुनावों में उम्मीदवार बनने का भी मौका मिला. इसके विपरीत, 1893 में, महिलाओं को वोट का अधिकार देने वाला पहला देश न्यूजीलैंड था. जर्मनी ने 1919 में ऐसा किया था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Batrawy
2017: सऊदी स्टॉक एक्सचेंज की पहली महिला प्रमुख
फरवरी 2017 में, सऊदी अरब स्टॉक एक्सचेंज ने सारा अल सुहैमी के रूप में अपनी पहली महिला अध्यक्ष को नियुक्त किया था. इससे पहले 2014 में वह नेशनल कामर्शियल बैंक (एनसीबी) की पहली महिला सीईओ भी बनाई जा चुकी थीं.
तस्वीर: pictur- alliance/abaca/Balkis Press
2018: महिलाओं को ड्राइव करने की अनुमति दी जाएगी
26 सितंबर, 2017 को, सऊदी अरब ने घोषणा की कि महिलाओं को जल्द ही ड्राइव करने की अनुमति दी जाएगी. जून 2018 से उन्हें गाड़ी के लाइसेंस के लिए अपने पुरुष अभिभावक से अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी साथ ही गाड़ी चलाने के लिए अपने संरक्षक की भी जरूरत नहीं होगी.
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दूरगामी सामाजिक परिवर्तनों के फलस्वरूप सऊदी अरब में अब जो दृश्य देखने को मिल रहे हैं वे कई देशों में काफी सामान्य हैं, लेकिन इस अरब साम्राज्य में ऐसे दृश्य बहुत ही अलग और असामान्य लगते हैं क्योंकि सऊदी अरब शुरू से ही यह सख्त वहाबी मुस्लिम विचारधारा वाला एक रूढ़िवादी देश रहा है. इसके अलावा मक्का में काबा और मदीना में पैगंबर मोहम्मद की मस्जिद दुनिया में मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से दो हैं.
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खुलता सऊदी समाज
इस देश में जेद्दाह और आसपास के क्षेत्र के बाहर प्योर बीच जैसे दृश्य कभी नहीं देखे गए. ऐसा इसलिए है क्योंकि जेद्दाह देश का वह इलाका है जहां खुलेपन का विचार सबसे ज्यादा प्रचलित है. सऊदी अरब का प्योर बीच जेद्दाह शहर के केंद्र से लगभग 125 किलोमीटर उत्तर में किंग अब्दुल्ला इकोनॉमिक सिटी में स्थित है.
मिस्र के हादिल उमर कहते हैं, "मैं यहां पला-बढ़ा हूं. कुछ साल पहले तक हमें संगीत सुनने की भी इजाजत नहीं थी. तो हमारे लिए यह स्वर्ग के समान है."
सऊदी में मॉडल बना देसी कारपेंटर
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अपना खुद का कारोबार चलाने वाली एक युवा सऊदी महिला दीमा ने समुद्र तट पर संगीत पर डांस करते हुए एएफपी को बताया, "मुझे नहीं लगता कि मुझे अच्छा समय बिताने के लिए विदेश जाने की जरूरत है. यहीं सब है इसके लिए."
2017 में सत्ता में आए क्राउन प्रिंस और वास्तविक शासक मोहम्मद बिन सलमान के तहत देश परिवर्तन का अनुभव कर रहा है. लेकिन 'एमबीएस' ने महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, मौलवियों और पत्रकारों को हिरासत में लेते हुए असंतोष पर व्यापक कार्रवाई शुरू की है. एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट ने उन पर इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में पत्रकार जमाल खशोगी की 2018 की नृशंस हत्या को मंजूरी देने का आरोप लगाया है.