एक याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा है कि देश का माहौल "हेट स्पीच के कारण खराब हो रहा है." कोर्ट ने कहा कि ऐसी भड़काऊ बयानबाजी पर अंकुश लगाने की जरूरत है.
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यह टिप्पणी भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ "बहुसंख्यक हिंदू वोट जीतने, सभी पदों पर सत्ता हथियाने, नरसंहार करने और भारत को 2024 के चुनाव के पहले हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए नफरत भरे भाषण दिए जा रहे हैं."
मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की बेंच ने हरप्रीत मनसुखानी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, "आप यह कहने में सही हो सकते हैं कि नफरत भरे भाषणों के कारण पूरा माहौल खराब हो रहा है. और उन पर अंकुश लगाने की जरूरत है."
मनसुखानी ने दलील दी कि कुछ राजनीतिक दलों द्वारा नफरती भरे भाषणों को "लाभदायक व्यवसाय" में बदल दिया गया है और सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत के पास इन मामलों का विवरण नहीं है, जिसमें वे कब दर्ज किए गए थे. साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता नफरत भरे भाषणों के विशेष मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है, मसलन उनमें क्या हुआ और अधिकारियों द्वारा कदम उठाए गए थे या नहीं.
पीठ ने कहा कि नफरत भरे भाषणों के 58 मामले हैं, और अदालत को एक अस्पष्ट विचार देने के बजाय, याचिकाकर्ता तत्काल मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे मामलों में संज्ञान लेने के लिए अदालत को तथ्यामत्क पृष्ठभूमि की जरूरत है. उन्होंने कहा, "हमें कुछ उदाहरण चाहिए नहीं तो यह बिना किसी सिरे की याचिका जैसा है."
इस बीच एक इसी तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और उत्तराखंड की सरकारों को तथ्यात्मक पहलुओं और दो अलग-अलग धार्मिक आयोजनों की शिकायतों के बाद उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. आरोप है कि इन आयोजनों में कथित रूप से नफरत भरे भाषण दिए गए थे. कोर्ट ने कथित 'धर्म संसद' के आयोजनों में की गई कार्रवाई पर हलफनामा दाखिल करने को कहा.
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मामला धर्म संसद का भी उठा
याचिका में आरोप लगाया गया कि उत्तराखंड के हरिद्वार में पिछले साल 17 से 19 दिसंबर तक और दिल्ली में पिछले साल 19 दिसंबर को आयोजित 'धर्म संसद' में भड़काऊ भाषण दिए गए थे.
हाल के महीनों में भारत में हुईं कई गतिविधियों की अंतरराष्ट्रीय समुदाय में खासी चर्चा हुई है. पहले हरिद्वार में हुई 'धर्म संसद' में मुसलमानों के नरसंहार की अपील और उसके बाद एक ऐप बनाकर उस पर मुस्लिम महिलाओं की नीलामी की कोशिश जैसी घटनाओं की तीखी अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया हुई है.
इसी साल अमेरिका ने 2021 में भारत में धार्मिक हमले को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी. रिपोर्ट कहती है कि सालभर में भारत सरकार ने अपनी हिंदू-राष्ट्रवादी नीतियों को और मजबूत करने के लिए कई नीतियां अपनाई हैं जो मुसलमान, ईसाई, सिख, दलित और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ काम कर रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार व्यवस्थागत तरीके से मौजूदा और नए कानूनों के जरिए अपने हिंदू-राष्ट्रवाद के दर्शन को आगे बढ़ाने पर काम कर रही है.
इसी महीने की 9 तारीख को दिल्ली में एक सभा में पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के एक कार्यक्रम में समुदाय विशेष के खिलाफ बयान पर खासा बवाल हुआ था. पुलिस ने कार्यक्रम के आयोजकों पर मामला तो दर्ज कर लिया लेकिन आरोप लग रहे हैं कि वहां मौजूद नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
भारत में इन मुद्दों से खड़ा हुआ विवाद
भारत में बीते कुछ अर्से से हर रोज एक नया विवाद जन्म ले रहा है. ज्यादातर विवाद दो धर्मों के बीच होते हैं. खान-पान, पहनावा और प्रार्थना स्थल को लेकर देश के कई हिस्सों में विवाद पैदा हो चुके हैं.
तस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS
कर्नाटक का हिजाब विवाद
जनवरी 2022 में कर्नाटक के उडुपी में एक कॉलेज में छह छात्राओं के हिजाब पहनकर आने से रोकने पर विवाद खड़ा हो गया था. कॉलेज प्रशासन ने लड़कियों को हिजाब पहनकर कॉलेज में आने से मना कर दिया. जिसके खिलाफ लड़कियों ने विरोध प्रदर्शन किया. मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है.
तस्वीर: Money SHARMA/AFP
मस्जिदों के लाउडस्पीकर पर मचा शोर
महाराष्ट्र में अप्रैल के महीने में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों में प्रार्थनाओं की आवाज को सीमा के भीतर रखने को लेकर अभियान चलाया था. उन्होंने कहा था कि अगर मस्जिदों ने ऐसा नहीं किया तो उनके समर्थक विरोध जताने के लिए मस्जिदों के बाहर हिंदू मंत्रोच्चार करेंगे. महाराष्ट्र की करीब 900 मस्जिदों ने अजान की आवाज कम करने की सहमति दी थी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Mahyuddin
उत्तर प्रदेश में लाउडस्पीकरों पर कार्रवाई
उत्तर प्रदेश में सभी धार्मिक स्थलों से करीब 1.29 लाख लाउडस्पीकर उतारे गए या फिर उनकी आवाज को तय मानकों के मुताबिक कम किया गया. यूपी सरकार ने 23 अप्रैल को धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने के आदेश जारी किए थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश पर राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में यह अभियान चलाया. सरकारी कार्रवाई मंदिर, मस्जिद और अन्य संस्थानों के लाउडस्पीकरों पर हुई.
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हिंसक घटनाएं
रामनवमी और हनुमान जयंती के दौरान दो समुदायों के बीच कई जगहों पर हिंसक झड़प हो गई थी. दिल्ली के जहांगीरपुरी में दो समुदायों के बीच झड़प हुई और माहौल तनावपू्र्ण हो गया. इसके अलावा मध्य प्रदेश के खरगोन, मुंबई की आरे कॉलोनी में एक धार्मिक यात्रा के दौरान दो समुदायों के लोगों के बीच हिंसा हुई. कर्नाटक के हुबली में भी एक व्हाट्सऐप संदेश को लेकर बवाल मच गया था.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
बुलडोजर पर सवाल
उत्तर प्रदेश में हाल के महीने में कई मामले सामने आए जिनमें ऐसे आरोपियों के घर पर प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया जिनका नाम किसी तरह के मामले में दर्ज हुआ. बुलडोजर चलाने को लेकर सवाल भी खड़े हुए और मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. कोर्ट में यूपी सरकार ने हलफनामा देकर कहा कि नियमों के मुताबिक कार्रवाई की गई है.
तस्वीर: Ritesh Shukla/REUTERS
यूपी की तर्ज पर एमपी में भी बुलडोजर चला
मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर दंगों के बाद प्रशासन ने कई मकान और दुकानों पर बुलडोजर चलवाकर तोड़ दिया. खरगोन प्रशान ने दंगों के एक दिन बाद 12 अप्रैल को कम से 45 मकानों और दुकानों पर बुलडोजर चलाकर कार्रवाई की थी. यहां भी सवाल उठे कि बिना नोटिस के प्रशासन ने कार्रवाई क्यों की.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी
एक टीवी बहस के दौरान बीजेपी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की जिसके बाद अरब जगत से इस पर विरोध दर्ज कराया गया. इसके बाद बीजेपी ने नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से निकाल दिया और बयान से किनारा कर लिया. टिप्पणी के विरोध में कई जगहों पर हिंसक घटनाएं हुईं.
तस्वीर: Vipin Kumar/Hindustan Times/imago
मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी
दिसंबर 2021 में हरिद्वार में एक धर्म संसद हुई थी और इस धर्म संसद में देश के मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए गए. इस धर्म संसद में हिंदू राष्ट्र की स्थापना की बात कही गई और मीडिया और कोर्ट के खिलाफ भी आपत्तिजनक बयान दिए गए थे.
तस्वीर: Hindustan Times/imago images
कन्हैयालाल का कत्ल
राजस्थान के उदयपुर में 28 जून को एक दर्जी कन्हैयालाल को इस सिर्फ दो मुसलमान व्यक्तियों ने धारदार हथियार से मार डाला क्योंकि उन्होंने नूपुर शर्मा के समर्थन में व्हॉट्सऐप स्टेटस लगाया था. कन्हैयालाल इस मामले में गिरफ्तार हो चुके थे और शिकायतकर्ता और उनके बीच पुलिस ने समझौता करा लिया था, उन्होंने पुलिस से जान मारने की धमकी मिलने की शिकायत की थी. हत्या के विरोध में राजस्थान में तनाव का माहौल बन गया.