नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर दायर 144 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई करते हुए कहा कि वह फिलहाल इस पर रोक नहीं लगाएगा. कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र सरकार का पक्ष जाने बिना कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं करेगा.
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नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है और कहा है कि अब अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी. बुधवार को सीएए से जुड़ी 144 याचिकाओं पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने सुनवाई की. हालांकि ज्यादातर याचिका कानून के खिलाफ हैं लेकिन एक याचिका इसके पक्ष में और एक याचिका केंद्र की तरफ से दायर की गई है.
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि तीन जजों की बेंच मामले में अंतरिम राहत नहीं दे सकती, पांच जजों की बेंच ही अंतरिम राहत दे सकती है. साथ ही कोर्ट ने कहा जब तक सुप्रीम कोर्ट याचिकाओं पर फैसला नहीं सुना देती है तब तक किसी भी हाईकोर्ट में इस कानून से जुड़े मामलों की सुनवाई नहीं की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बेंच को बताया कि 143 याचिकाओं में से करीब 60 की प्रतियां सरकार को दी गई हैं और उन पर प्रतिक्रिया देने में उसे अभी और वक्त लगेगा.
एक याचिकाकर्ता के वकील अरिंदम दास ने डीडब्ल्यू से कहा, "हमें इस आदेश से आश्चर्य नहीं हुआ. हमें ऐसे ही आदेश की अपेक्षा थी. हम उम्मीद करते हैं कि पांच जजों की संविधान पीठ में जब मामला उठेगा तो हमें जरूर न्याय मिलेगा." वहीं सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से सीएए के ऑपरेशन पर रोक लगाने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की कवायद फिलहाल टाल देने का आग्रह किया था.
दूसरी ओर कोर्ट ने असम, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश से जुड़ी याचिकाओं को अलग सुनने की बात कही है. दरअसल उत्तर प्रदेश में बिना कोई नियम बनाए ही सीएए से जुड़ी प्रक्रिया शुरू कर चुकी है.
दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले कई हफ्तों से सीएए और एनआरसी के खिलाफ धरने पर बैठीं प्रदर्शनकारी महिलाओं में से एक रिजवा खालिद कहती हैं, "हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं और चार हफ्ते तक सब्र के साथ बड़ी बेंच के फैसले का इंतजार करेंगे. हमें उम्मीद है कि संविधान के तहत हमें न्याय मिलेगा." साथ ही वह कहती हैं तब तक अगले चार हफ्तों तक शाहीन बाग में धरना प्रदर्शन इसी तरह से जारी रहेगा. 18 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सीएए को चुनौती देने वाली अलग-अलग याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था और केंद्र से जनवरी के दूसरे हफ्ते तक जवाब दाखिल करने को कहा था.
इस बीच नागरिकता कानून के खिलाफ देश के प्रमुख शहरों और विश्वविद्यालयों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं तो वहीं इस कानून के समर्थन केंद्र सरकार के मंत्री और बीजेपी के नेता समर्थन रैली कर रहे हैं. सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धर्म के आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. नए कानून के तहत हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी. वहीं विपक्ष का आरोप है कि नागरिकता धर्म के आधार पर नहीं दी जा सकती है और यह संविधान का उल्लंघन है.
शहर-शहर शाहीन बाग
दिल्ली का गुमनाम इलाका शाहीन बाग महिलाओं के विरोध प्रदर्शन और जज्बे के लिए सुर्खियों में है. कभी सार्वजनिक या राजनीतिक मंच पर ना जाने वाली महिलाएं पिछले एक महीने से इलाके में सीएए और एनआरसी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.
तस्वीर: DW/M. Javed
शाहीन बाग की महिलाएं
पिछले एक महीने से शाहीन बाग की महिलाएं नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. महिलाएं मानती हैं कि नागरिकता कानून से मुसलमानों के साथ भेदभाव होगा और यह संविधान की प्रस्तावना के खिलाफ है.
तस्वीर: DW/M. Javed
पहली बार विरोध प्रदर्शनों में शामिल
शाहीन बाग की कई महिलाओं का कहना है कि वे जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों पर हुई कथित पुलिस ज्यादतियों और नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध जता रही हैं. प्रदर्शन में अधिकतर महिलाएं ऐसी हैं जो कभी इस तरह के प्रदर्शनों में शामिल नहीं हुई हैं. इसमें कॉलेज जाने वाली छात्राओं से लेकर गृहिणियां तक शामिल हैं.
तस्वीर: DW/M. Javed
बच्चे और बूढ़ी औरतें भी बनीं हिस्सा
शाहीन बाग की औरतों की चर्चा देश और विदेश में हो रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि पहली बार इतनी बड़ी संख्या में भारत की मुसलमान महिलाएं अधिकारों की मांग करते हुए विरोध पर बैठी हुई हैं. प्रदर्शन में महिलाएं अपने बच्चों को भी लाती हैं और कई बार घर का काम निपटाने के बाद धरने पर बैठ जाती हैं.
तस्वीर: DW/M. Javed
संविधान के लिए सड़क पर
महिलाओं का कहना है कि वे संविधान को बचाने के लिए सड़क पर उतरी हैं और जब तक यह कानून वापस नहीं हो जाता उनका विरोध प्रदर्शन इसी तरह से जारी रहेगा. महिलाओं का कहना है कि वे हिंदुस्तान से बहुत प्यार करती हैं और धर्म के आधार पर देश में नागरिकता देने का विरोध करती हैं.
तस्वीर: DW/M. Javed
आम महिलाओं का आंदोलन
शाहीन बाग की महिलाओं का आंदोलन पिछले एक महीने से ज्यादा समय से शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है. विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं और घर के पुरुष उन महिलाओं का समर्थन कर रहे हैं. शाहीन बाग की महिलाओं को समर्थन देने के लिए कला, फिल्म, साहित्य, राजनीति और सामाजिक कार्यकर्ता भी आकर संबोधित कर चुके हैं.
तस्वीर: DW/M. Javed
पंजाब से आए किसान
शाहीन बाग में लगातार लोगों को अन्य जगह से समर्थन मिल रहा है. पंजाब से सैकड़ों की संख्या में लोग शाहीन बाग पहुंचे, इसमें भारतीय किसान यूनियन के सदस्य भी थे. इन लोगों ने धरने पर बैठी महिलाओं के लिए लंगर भी बनाया.
तस्वीर: DW/S. Kumar
दूसरे धर्म के लोगों का समर्थन
शाहीन बाग की महिलाएं दिन और रात, सर्दी और बारिश के बीच 24 घंटे प्रदर्शन कर रही हैं. ऐसे में उन्हें अन्य धर्मों के लोगों का भी समर्थन मिल रहा है. पिछले दिनों सभी धर्मों के लोगों ने मिलकर वहां सर्व धर्म पाठ किया. इसके पहले कई धर्म गुरुओं ने मंच पर आकर संविधान की प्रस्तावना भी पढ़ी और एकता, समानता और शांति का संदेश दिया.
तस्वीर: DW/M. Javed
शाहीन बाग से सीख
पूर्वी दिल्ली के खुरेजी इलाके में भी शाहीन बाग की तर्ज पर महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. पहले यहां महिलाएं कम संख्या में प्रदर्शन कर रही थी लेकिन बाद में इसने बड़ा रूप ले लिया. प्रदर्शन में बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल हैं और उनका कहना है कि वे इस कानून के खिलाफ सड़क पर आई हैं.
तस्वीर: DW/S. Kumar
कॉलेज की छात्रों का विरोध
दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज की छात्राओं ने नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध किया और संविधान की प्रस्तावना पढ़ी. दूसरी ओर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने 'वंदेमातरम्' के नारे लगाए. रामजस कॉलेज की छात्राओं ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ यह प्रदर्शन किया.
तस्वीर: DW/S. Kumar
शहर-शहर शाहीन बाग
शाहीन बाग की तर्ज पर ही कोलकाता के पार्क सर्कस में महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. यहां की महिलाओं ने दिल्ली के शाहीन बाग की महिलाओं से प्रेरणा लेते हुए विरोध करने के बारे में सोचा और उनका विरोध भी दिन और रात जारी है.
तस्वीर: DW/S. Bandopadhyay
आंचल बना परचम
दिल्ली और कोलकाता के बाद उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की महिलाएं मंसूर अली पार्क पर धरने पर बैठ गई हैं. यह महिलाएं नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रही हैं. हर बीतते दिन के साथ महिलाओं की संख्या भी बढ़ रही हैं. हालांकि पुलिस ने महिलाओं को धारा 144 का हवाला देते हुए वहां से हटने को कहा है लेकिन वह अब तक नहीं हटी हैं.
तस्वीर: DW/A. Ansari
बुलंद होती आवाज
बिहार के गया में भी महिलाओं ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ आवाज बुलंद की. महिलाओं के इस तरह से आगे आने से पुरुष भी उन्हें समर्थन दे रहे हैं.
तस्वीर: DW/Rafat Islam
अधिकार के लिए संघर्ष
झारखंड के जमशेदपुर में भी हजारों की संख्या में महिलाओं ने मार्च निकालकर सीएए का विरोध किया और केंद्र सरकार से कानून वापस लेने की मांग की.