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भारत को लेकर जर्मन कंपनियों की उम्मीद बढ़ीः सर्वे

१९ जून २०२४

इंडो-जर्मन चैंबर ऑफ कॉमर्स की एक रिपोर्ट बताती है कि जर्मन कंपनियां भारत को बहुत उम्मीद से देखती हैं और वहां उन्हें आगे बढ़ने के मौके नजर आ रहे हैं.

2022 में जर्मनी के दौरे पर गए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्त्स
भारत को लेकर उत्साहित हैं जर्मन कंपनियांतस्वीर: Michael Kappeler/dpa/picture alliance

अधिकतर जर्मन कंपनियों का मानना है कि भारत में विकास की बहुत संभावनाएं हैं और वे इस विकास की हिस्सेदार बनने को उत्सुक हैं. इंडो-जर्मन चैंबस ऑफ कॉमर्स (आईजीसीसी) ने ऑडिटिंग कंपनी केपीएमजी के साथ मिलकर किए एक सर्वे के बाद यह बात कही है.

आईजीसीसी ने भारत में काम कर रहीं 85 जर्मन कंपनियों के बीच यह सर्वे किया है. इनमें वे कंपनियां भी शामिल हैं जो जर्मनी में भारत संबंधी कारोबार में सक्रिय हैं. इनमें से 78 फीसदी ने उम्मीद जताई है कि अगले वित्त वर्ष में उनकी बिक्री में वृद्धि होगी. 55 फीसदी को उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष में भारत में उनका मुनाफा बढ़ेगा. बीते साल से यह सात फीसदी ज्यादा है.

भारत में क्या है खास?

सर्वे में शामिल कंपनियों ने बताया कि भारत में कुछ खास गुण हैं, जो उन्हें आकर्षित करते हैं. इन गुणों में सस्ता श्रम, राजनीतिक स्थिरता और कुशल कामगारों की उपलब्धता जैसी बातों को गिनाया गया है.

कई कंपनियों ने प्रशासनिक बाधाओं, भ्रष्टाचार और कर व्यवस्था जैसी चुनौतियों पर चिंता भी जाहिर की. सबसे ज्यादा 64 फीसदी कंपनियां प्रशासनिक बाधाओं को लेकर चिंतित हैं जबकि 39 फीसदी भ्रष्टाचार और 27 फीसदी कर व्यवस्था से नाखुश हैं.

रिपोर्ट कहती है कि भारत को लेकर लंबी अवधि में कारोबारी संभावनाएं सकारात्मक हैं और अधिकतर कंपनियां अगले पांच साल में भारत में निवेश की इच्छा रखती हैं.

आईजीसीसी के प्रमुख स्टेफान हालुसा ने कहा कि क्षेत्रीय उत्पादन केंद्र और दुनिया के विकास में भूमिका के रूप में भारत एक अहम जगह है.

जीडीपी के आधार पर भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में विकास की संभावनाओं के कारण दुनियाभर के निवेशक उस ओर आकर्षित हो रहे हैं. ऐसा अनुमान है कि भारत जल्द ही जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.

नई सरकार से उम्मीदें

हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के बहुमत खो देने से हालुसा ज्यादा चिंतित नहीं हैं. उन्हें उम्मीद है कि देश में आर्थिक स्थिरता बनी रहेगी. 2024 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अपने बूते पर बहुमत हासिल करने में नाकाम रही थी और नरेंद्र मोदी ने अन्य दलों के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई है. 4 जून को जब चुनाव के नतीजे आए तो भारतीयशेयर बाजारों में बहुत बड़ी गिरावट आई थी. आईजीसीसी का सर्वे चुनाव के नतीजों से पहले, 9 अप्रैल से 20 मई के बीच किया गया था. विशेषज्ञों के मुताबिक निवेशकों को संदेह था कि गठबंधन सरकार में नरेंद्र मोदी कड़े आर्थिक सुधार लागू कर पाएंगे या नहीं.

हालुसा उम्मीद कर रहे हैं कि ढांचागत विकास में निवेश और नौकरियां पैदा करने के लिए उद्योगों को मदद जैसे कार्यक्रम जारी रहेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक 67 फीसदी कंपनियों को उम्मीद है कि नई सरकार में कानूनी स्थिरता में सुधार होगा. 55 फीसदी को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की उम्मीद है जबकि 48 फीसदी को उम्मीद है कि व्यापारियों को सुविधाओं में सुधार होगा.

सर्वे रिपोर्ट कहती है कि 78 फीसदी कंपनियां 2029 तक भारत में निवेश करने की योजना बना रही हैं. बीते पांच साल से यह 19 फीसदी ज्यादा है. 45 फीसदी जर्मन कंपनियां भारत को उत्पादन केंद्र के रूप में इस्तेमाल करना चाहती हैं जो बीते पांच साल से 12 फीसदी ज्यादा है.

सर्वे करने वाली संस्था केपीएमजी के मैनेजिंग पार्टनर आंद्रियास ग्लुंत्स ने कहा, "जर्मन कंपनियां तेजी से अपने कारोबार में विविधता बढ़ा रही हैं और वे दुनियाभर में क्षेत्रीयकरण के लिए नई जगहों पर पहुंच रही हैं. एशिया में निवेश के लिए भारत उनकी पसंदीदा जगह है. इसकी वजहें आबादी का आकार, राजनीतिक स्थिरता और सतत विकास की संभावनाएं हैं.”

रिपोर्टः विवेक कुमार (डीपीए)

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