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समाज

बदलाव के लिए एकजुट होती एसिड हमलों की पीड़ित

६ अगस्त २०२१

एलिसा खालपा जब 18 साल की थीं, तब उन पर उनके पूर्व पार्टनर ने एसिड हमला किया था. अब उनकी तीन बेटियां हैं और नौकरी भी लेकिन दो दशक बाद भी वह इंसाफ के लिए लड़ रही हैं.

तस्वीर: Getty Images/AFP/L. Acosta

मेक्सिको में एलिसा जैसी कई एसिड हमलों की पीड़ित एकजुट हो रही हैं और इंसाफ के लिए आवाज उठा रही हैं. देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध आसमान छू रहे हैं. लचर कानून व्यवस्था के कारण महिलाओं के साथ हिंसा करने वाले आसानी से बच निकलने में कामयाब होते हैं.

38 साल की एलिसा कहती हैं, ''मुझे लगा कि मैं ही अकेली हूं.'' मेक्सिको सिटी के दक्षिणी इलाके में एलिसा फूलों की खेती करती हैं. वह कहती हैं, ''लेकिन हम लोग अब अकेले नहीं हैं.''

नहीं दर्ज होते मामले

इस साल की शुरुआत में एसिड पीड़ितों के लिए कानूनी सुधारों के लिए समर्थन और लॉबी देने के लिए इलाके में कारमेन सांचेज फाउंडेशन का गठन हुआ था. इसने अब तक 29 एसिड हमले के मामले दर्ज किए हैं, जिनमें से पांच इसी साल के हैं. लेकिन फाउंडेशन मानता है कि यह वास्तविक संख्या का केवल एक अंश है.

पीड़ित चाहती हैं कि हमलों को फेमिसाइड के रूप में वर्गीकृत किया जाए. पीड़ितों को हमले से उबरने के लिए कई सर्जरी से गुजरना पड़ता है और उन्हें मनोवैज्ञानिक समर्थन की जरूरत पड़ती है. वे दिखना चाहती हैं भले ही उनके चेहरे पर चोट लगी हो.

एलिसा की नौ साल की बेटी डेनिएला ने एक दिन पूछा, ''मां, एसिड क्या होता है?'' एक पल के लिए एलिसा खामोश रहीं, फिर उन्होंने बताया कि यह एक तरल पदार्थ है जिसका इस्तेमाल ग्रीनहाउस में होता है और वह खतरनाक होता है.

दर्द की हद नहीं

एलिसा बताती हैं एक और दिन डेनिएला स्कूल से रोती हुई घर लौटी. डेनिएला ने अपनी मां से कहा, ''कुछ बच्चों ने मुझसे कहा कि तुम बदसूरत हो मां, और यह सच नहीं है.''

एलिसा अपनी तीन बेटियों के साथ खुश हैं. वह फूलों की खेती करती हैं और कोर्ट में नई सुनवाई के लिए तैयारी कर रही हैं. उन्हें उम्मीद है कि एक दिन वह अपनी तीन बेटियों को यह समझा पाएंगी कि हमले ने कैसे उनकी जिंदगी बदल डाली और वह एक समय में मरना भी चाहती थीं.

एलिसा पर हमला करना वाला इसी साल फरवरी में गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने अधिकारियों को तीन बार शिकायतें कीं और हमलावर ने लगातार उसको धमकियां दीं. अभी उस पर केवल घरेलू हिंसा के आरोप लगाए गए हैं.  लेकिन एलिसा को उम्मीद है कि वह मामले को फेमिसाइड की कोशिश तक ले जाने के लिए लड़ाई लड़ेंगी.

एलिसा को एक खंभे से बांध दिया गया था और एसिड ने रस्सी और उनके कपड़े को गला डाला, वह जान बचाने के लिए अर्ध-नग्न ही दौड़ पड़ीं. इलाज के दौरान उनकी 40 बार सर्जरी हुई.

फाउंडेशन शुरू करने वाली कारमेन सांचेज साल 2014 में अपने घर पर मां और बहन के साथ सुबह का नाश्ता कर रही थीं, जब उसके पार्टनर ने घर में घुसकर चेहरे पर एसिड फेंक दिया और वहां से फरार हो गया. सांचेज का गाल और सीना एसिड से जल गया. हमला इतना खतरनाक था कि हाथ में पकड़ा मोबाइल फोन भी गल गया.

सबके लिए लड़ाई

सांचेज को एक अधिकार कार्यकर्ता बनने में कई साल लग गए. वह कहती हैं, "शुरुआत से मेरे पास केवल दो विकल्प थे खुद को मरने दो, जिसके बारे में कई बार सोचा या मेरे निशान को अंदर और बाहर से देखो और समझो कि यह मेरी नई वास्तविकता है."

जुलाई में सांसदों ने जब उन्हें पुरस्कार दिया तो सांचेज ने कहा महिलाएं ना केवल हमलावरों का शिकार बनती है बल्कि उन्हें न्याय नहीं मिलता है. मीडिया उनका ही ट्रायल करता है और दोबारा उन्हें पीड़ित बना देता है.

एसिड हमले के शिकार लोगों में बच्चे और पुरुष भी हैं, लेकिन एसिड सर्वाइवर्स ट्रस्ट इंटरनेशनल के मुताबिक 80 फीसदी महिलाएं हमले की शिकार होती हैं.

एए/वीके (एपी)

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