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२९ जनवरी २०१८
वास्तुकार ली कोर्बुजिए की दुनिया
चाहे वास्तुकला हो, सिटी प्लानिंग या फर्नीचर का डिजायन, चंडीगढ़ को डिजायन करने वाले स्विस आर्किटेक्ट ली कोर्बुजिए अपने समय से बहुत आगे थे. पचास साल पहले दिवंगत कोर्बुजिए को 20वीं सदी के अहम वास्तुकारों में गिना जाता है.
वास्तुकार ली कोर्बुजिए की दुनिया
चाहे वास्तुकला हो, सिटी प्लानिंग या फर्नीचर का डिजायन, चंडीगढ़ को डिजायन करने वाले स्विस आर्किटेक्ट ली कोर्बुजिए अपने समय से बहुत आगे थे. पचास साल पहले दिवंगत कोर्बुजिए को 20वीं सदी के अहम वास्तुकारों में गिना जाता है.
साहसी नौजवान
ली कोर्बुजिए ने 1912 में अपने माता-पिता के लिए इस घर का निर्माण किया. उस समय वे सिर्फ 25 साल के थे. आज यह घर म्यूजियम है. इसे देखने आए एक व्यक्ति ने लिखा: मुझे एक नौजवान के साहस पर आश्चर्य है, जिसने अपने पहले घर का इस्तेमाल परीक्षण के लिए किया और उस समय ही अपनी वह क्षमता दिखाई जिसने उन्हें 20वीं सदी का सबसे प्रसिद्ध आर्किटेक्ट बना दिया.
रहने की मशीन
जबकि ली कोर्बुजिए का अपना घर बहुत ही रमणीक लगता है, बहुमंजिली इमारत में ढेर सारे फ्लैटों वाली रहने की मशीन को स्वीकार करना आसान नहीं था. वे आदर्श शहर बनाना चाहते थे जहां दसियों हजार लोगों के पास रहने की जगह हो. ली कोर्बुजिए का यह मकान बर्लिन में है और कुख्यात है. इसी तरह की इमारतें उन्हें फ्रांस के मार्शे और दूसरे शहरों में भी बनाई.
विला सावोय
यह आधुनिक विला फ्रांस की राजधानी पेरिस के उत्तर पश्चिम में स्थित पोस्सी में एक बड़े प्लॉट पर बना है. ली कोर्बुजिए का डिजायन किया गया यह मकान पियर और यूजीन सावोय दंपत्ति के लिए 1928 से 1931 के बीच बनाया गया. इसकी गिनती अभी तक आधुनिक काल की महत्वपूर्ण इमारतों में की जाती है.
पांच तत्वों वाला सिद्धांत
ली कोर्बुजिए ने नई वास्तुकला के लिए पांच तत्वों वाला सिद्धांत बनाया था. इसमें खिड़कियों की लंबी कतारें, पायों के सहारे वाली इमारतें और खुली खुली दीवारें शामिल थीं. ये तत्व रूस की राजधानी मॉस्को में सांख्यिकी कार्यालय की इमारत में भी दिखती है. 1929 से 1936 के बीच बनी इमारत में उस समय उपभोक्ता सहकारिता संघ का दफ्तर हुआ करता था.
ला टूरेट मठ
फ्रांसीसी शहर लियों के निकट स्थित यह ईसाई मठ ली कोर्बुजिए ने रोमानिया के आर्किटेक्ट इयानिस शेनाकिस के साथ मिलकर डिजायन किया था. ली कोर्बुजिए ने इसे 1953 में डिजायन करना शुरू किया था और इसे 1956 से 1960 के बीच पूरा किया गया. 2006 से यह मठ संरक्षित इमारतों की सूची में शामिल है.
कोर्बुजिए का चंडीगढ़
ली कोर्बुजिए ने चंडीगढ़ की सिटी प्लानिंग तो की ही, शहर के कई भवनों को भी डिजायन किया. यह पंजाब और हरियाणा के हाई कोर्ट का भवन है. इसके छत का विशालकाय पैमाना इमारत को गर्मियों में धूप से बचाता है, लोगों को सुरक्षा और न्याय की छांव देता है और कानून की विशालता का अनुभव भी कराता है.
दूरदर्शी कारीगर
6 अक्टूबर 1887 के पैदा हुए स्विस-फ्रेंच आर्किटेक्ट ली कोर्बुजिए आधुनिक वास्तुकला के अगुआ थे. वे किसी कारीगर की तरह थे, जो एक नियम से बंध कर काम नहीं करते थे. वे हमेशा फॉर्म, मैटेरियल और डिजायन के साथ परीक्षण किया करते थे और बार बार नए प्रकार का वास्तुशिल्पी मॉडल पेश करते थे.
सोफा एलसी2
सिर्फ इमारतों के डिजायन के मामले में ही ली कोर्बुजिए ने कुछ नया करने की नहीं ठानी थी, इंटीरियर डेकोरेटर के रूप में भी उन्होंने नई राहें तय की. यहां उनका डिजायन किया हुआ सोफा एलसी2 दिख रहा है. आज भी यह मॉडल दुनिया भर के फर्नीचर शॉप में मिलता है और क्लासिक फर्नीचर माना जाता है.
रोशाँ का चैपल
ली कोर्बुजिए एकदम अलग भी कुछ कर सकते थे इसकी मिसाल रोशाँ का यह चैपल है. वोजा पहाड़ी की तलचटी में 1955 में बना यह चैपल चर्च की क्लासिक इमारतों से एकदम अलग था. उन्हें अपने आर्किटेक्ट साथियों के साथ साथ चर्च अधिकारियों की आलोचना सुननी पड़ी. आज यह चैपल पर्यटकों में अत्यंत लोकप्रिय है.