स्विट्जरलैंड के लोगों ने जनमत संग्रह में जलवायु बिल का समर्थन किया है. सत्ताधारी पार्टी के विरोध के बावजूद 59.1 फीसदी लोगों ने 2050 तक देश को कार्बन न्यूट्रल बनाने पर रजामंदी जताई.
विज्ञापन
लंबे समय से स्विट्जरलैंड के पिघलते ग्लेशियरों को देख रहे स्विस ग्लेशियर विज्ञानी, माथियाज हुस ने नतीजों पर खुशी जताते हुए ट्वीट किया, "जलवायु विज्ञान के तर्कों को सुना गया, यह बहुत ही खुशी की बात है." हुस ने कहा कि यह नतीजा नेताओं के लिए एक स्पष्ट संदेश है.
सोशलिस्ट पार्टी की सांसद वालेरी पिले ने नतीजों को "भावी पीढ़ियों के लिए एक अहम कदम" करार दिया. जनमत संग्रह की प्रक्रिया के तहत रविवार को लोगों के सामने नया जलवायु बिल रखा गया था. बिल में स्विट्जरलैंड को 27 साल के भीतर यानी 2050 तक कार्बन न्यूट्रल बनाने की मांग की गई. 59.1 प्रतिशत लोगों के समर्थन का अर्थ है कि स्विट्जरलैंड को बड़े स्तर पर तेल और गैस से पीछा छुड़ाना होगा. घरों के निर्माण और ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए वैकल्पिक ईको फ्रेंडली विकल्प खोजने होंगे.
एक दूसरे जनमत संग्रह में स्विस वोटरों ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर कम से कम 15 फीसदी ग्लोबल टैक्स लगाने का समर्थन भी किया. इस टैक्स के पक्ष में वोट डालने वालों की संख्या 78.5 फीसदी रही.
सत्ताधारी पार्टी का विरोध
स्विट्जरलैंड की सत्ताधारी, स्विस पीपल्स पार्टी (एसवीपी) जलवायु बिल का विरोध करने वाली अकेली पार्टी थी. दक्षिणपंथी एसवीपी, बिजली की किल्लत और आर्थिक परेशानियों का हवाला देकर जलवायु बिल का विरोध कर रही थी. एसवीपी ने बिल को "इलेक्ट्रिसिटी वेस्ट लॉ" बताया. एसवीपी के मुताबिक 27 साल के भीतर कार्बन न्यूट्रल होने का मतलब है कि देश के सामने ऊर्जा संकट खड़ा होगा और बिजली का बिल आसमान छूने लगेगा.
बिल का समर्थन करने वालों के मुताबिक, "जलवायु परिवर्तन के नतीजों से निपटने और ऊर्जा सुरक्षा व आजादी की रक्षा करने के लिए" क्लाइमेट बिल की जरूरत है. स्विट्जरलैंड आल्प्स पहाड़ों की गोद में बसा है.
तेजी से पिघल रहे हैं स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर
2022 स्विट्जरलैंड के ग्लेशियरों के लिए एक नाटकीय साल रहा. आल्प्स की हिमशिलाओं ने इस साल अपना छह प्रतिशत आयतन खो दिया. यहां की बर्फ विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन का खामियाजा भुगत रही है.
तस्वीर: Sean Gallup/Getty Images
बर्फ की अनंत चादर को अलविदा
जून 2022 के अंत में ली हुई इस तस्वीर में रोन ग्लेशियर को अपनी ही बर्फ के पिघलने से बनी झील में मिलते हुए देखा जा सकता है. स्विस अकैडेमी ऑफ साइंसेज (एससीएनएटी) के मुताबिक स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर इस साल अपनी बर्फ का छह प्रतिशत आयतन खो चुके हैं, जो पहले कभी नहीं हुआ. बल्कि इससे पहले तक तो दो प्रतिशत बर्फ के कम हो जाने को "चर्म" माना जाता था.
तस्वीर: Sean Gallup/Getty Images
2000 सालों में पहली बार बर्फ मुक्त
सितंबर 2022 की इस तस्वीर में हाइकरों को सानफ्लूरोन दर्रा पार करते हुए देखा जा सकता है. नंगी जमीन देख कर यह अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता कि यह दर्रा कम से कम पिछले 2,000 सालों से लेकर हाल तक बर्फ के नीचे दबा हुआ था. सिर्फ 10 साल पहले तक यहां 15 मीटर मोटी बर्फ जमी हुई थी. स्विट्जरलैंड में ग्लेशियरों के पिघलने के कई कारण हैं: कम बर्फ का गिरना, गर्मियों में बार बार हीट वेव का आना कुछ कारण हैं.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP/Getty Images
सहारा की धूल का असर
सर्दियों में कम बर्फ के गिरने के बाद इस साल मार्च से मई के बीच बड़ी मात्रा में सहारा से आई धूल ने ग्लेशियर के पिघलने की गति को और बढ़ा दिया. पीली धुंध में ढका हुआ यह माउंट ब्रिसेन है. प्रदूषित बर्फ ने सूरज की किरणों को और सोख लिया जिसकी वजह से ग्लेशियरों के ऊपर जमी बर्फ की सुरक्षात्मक सतह समय से पहले पिघल गई. एससीएनएटी का कहना था, "यह एक नाटकीय घटना की शुरुआत थी."
तस्वीर: URS FLUEELER/Keystone/picture alliance
ग्लेशियर को नापना
ग्लेशियरविद और स्विस ग्लेशियर मॉनिटरिंग नेटवर्क के प्रमुख माथियास हस (दाईं तरफ) अपने सहयोगियों के साथ पर्स ग्लेशियर पर गहराई नापने के डंडे लगा रहे हैं. इस नेटवर्क ने इन गर्मियों में 20 ग्लेशियरों का अध्ययन किया है जिसके नतीजे खतरनाक हैं. इस साल की शुरुआत से अभी तक तीन क्यूबिक किलोमीटर बर्फ पिघल चुकी है. हस ने एएफपी को बताया, "बहुत से बहुत ग्लेशियर के सिर्फ एक तिहाई हिस्से को बचाया जा सकता है."
तस्वीर: MAYK WENDT/Keystone/picture alliance
नष्ट होने के कगार पर
जिस तरह ग्लेशियर पिघल रहे हैं, ग्रीस ग्लेशियर जैसे ग्लेशियरों पर इस तरह हाइक करना असंभव हो जाएगा. अगर ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के पेरिस जलवायु संधि में तय किए गए लक्ष्य को हासिल नहीं किया गया तो 2100 तक आल्प्स के ग्लेशियर मोटे तौर पर गायब ही हो जाएंगे.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP
बर्फ की गुफाएं भी लुप्त हो रही हैं
रोन ग्लेशियर में एक बर्फ की गुफा में पर्यटक घूम रहे हैं. पिछले 10 सालों में इस ग्लेशियर की हर साल औसतन पांच मीटर बर्फ पिघली है. इस बर्फ के कुछ हिस्से तो हजारों साल पुराने हैं जो जीव जंतुओं और पौधों के अवशेषों के एक तरह के अभिलेख हैं. ये अभिलेख वैश्विक जलवायु परिवर्तन के परिपेक्ष में मध्यम और लॉन्ग टर्म बदलावों के सबसे अच्छे संकेतक हैं.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP/Getty Images
गर्म होता पानी
रोन ग्लेशियर जहां खत्म होता है वहां से 807 किलोमीटर लंबी रोन नदी शुरू होती है. नदी स्विट्जरलैंड में 246 किलोमीटर तक और फ्रांस में 543 किलोमीटर तक बहती है. गर्मियों में हीट वेव की वजह से यह नदी कुछ स्थानों पर तो पूरी तरह से सूख गई थी. सितंबर में बारिश के बाद जब नदी फिर से भर गई तब भी उसमें पानी इतना ठंडा नहीं हो सका जिससे फ्रांस में उसके किनारों पर बने परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को ठंडा किया जा सके.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP/Getty Images
बर्फ का उपचार
'ग्लेशियर 3000' स्की रिसोर्ट में बर्फ के पिघलने का मुकाबला करने के लिए कर्मचारी बची हुई बर्फ को चादरों से ढक रहे हैं. बर्फ की परत पहाड़ों को स्थिर रखती है: ग्लेशियर जब पिघलते हैं तब पत्थरों का गिरना, स्खलन या मिटटी का स्खलन बढ़ सकता है. एक के बाद एक कर सरकार धीरे धीरे आल्प्स के कई हिस्सों को पर्वतारोहियों और हाइकरों के लिए बंद करती जा रही है.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP
लुप्त हो चुके ग्लेशियरों का मातम
2019 की इस तस्वीर में ऐक्टिविस्ट पिजोल ग्लेशियर के लिए सांकेतिक रूप से मातम मना रहे हैं. तीन साल बाद वाकई मातम की जरूरत आन पड़ी है: पिजोल ग्लेशियर व्यावहारिक रूप से गायब हो चुका है. वाद्रे दल कोरवाश और श्वार्जबाकफर्न जैसे दूसरे छोटे ग्लेशियर भी पिघल चुके हैं. (नेले जेंश)
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP/Getty Images
9 तस्वीरें1 | 9
रविवार के नतीजों पर निराशा जाहिर करते हुए एसवीपी के कैंपेन चीफ मिषाएल ग्राबर ने स्विस अखबार 20 मिनट्स से कहा, इस प्रस्ताव को बिल में शामिल करने की प्रक्रिया बाद में पेश की जाएगी. पार्टी के एक अन्य नेताओं ने इसे स्विस राजस्व के लिए "एक बड़ी नाकामी" बताया.
विज्ञापन
स्विट्जरलैंड की कमजोर नस
आर्थिक और तकनीकी रूप से संपन्न स्विट्जरलैंड के लिए ऊर्जा हमेशा से एक कमजोरी रही है. देश दो तिहाई ऊर्जा विदेशों से खरीदता है. पेट्रोलियम तेल और गैस के लिए वह पूरी तरह आयात पर निर्भर है. यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद स्विट्जरलैंड में विदेशी ऊर्जा पर निर्भरता का मुद्दा केंद्र में आ गया. जलवायु कार्यकर्ताओं ने पहले 2050 तक तेल और गैस की खपत पर पूरी तरह बैन लगाने की मांग की. लेकिन सरकार ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया. इसके बदले प्रस्ताव दिया गया कि गैस और तेल से चलने वाले हीटिंग सिस्टम को ईको फ्रेंडली विकल्पों से बदलने के लिए 2.2 अरब डॉलर की वित्तीय मदद दी जाएगी. स्वच्छ ऊर्जा अपनाने में कारोबारों की भी सहायता की जाएगी.
क्लाइमेट बिल पर हुई वोटिंग ने शहरी और ग्रामीण इलाकों के अंतर को भी सामने रखा. 26 में से 7 मंडलों ने बिल के विरोध में वोट डाला. बिल का विरोध करने वालों ने कहा पवचक्कियां प्राकृतिक सुंदरता को खराब करती हैं. कुछ ने जीवाश्म ईंधन को परिवहन सुरक्षा के लिए जरूरी बताया. वहीं जिनेवा जैसे शहर में करीब 75 फीसदी लोगों ने बिल का समर्थन किया.