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प्रकृति और पर्यावरणस्विट्जरलैंड

क्यों स्विट्जरलैंड में इतनी तेजी से गुम होती जा रही है बर्फ

स्वाति मिश्रा डीपीए
२ अगस्त २०२५

स्विट्जरलैंड में इस साल भी ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार काफी डरावनी है. वैज्ञानिकों ने बताया है कि समय से पहले ही ग्लेशियरों में बर्फ की परत पिघलने लगी है. वजह, सर्दियों में कम बर्फबारी.

स्विस आल्प्स में एक झील की तस्वीर.
स्विट्जरलैंड, दुनिया के उन शीर्ष 10 देशों में है जो सबसे ज्यादा तेजी से गर्म हो रहे हैंतस्वीर: Erik Lattwein/Zoonar/picture alliance / Zoonar

स्विट्जरलैंड में कुल 1,400 ग्लेशियर हैं. सर्दी के मौसम में इन ग्लेशियरों को बर्फ और हिम की खुराक मिलती है. गर्मी का मौसम आने पर आकार में छोटे-बड़े इन ग्लेशियरों से बर्फ पिघलने लगती है.

पिघलते ग्लेशियर हम पर क्या असर डालते हैं

जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, पिघलने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. शोधकर्ता इसकी निगरानी करते हैं. साल का वह दिन, जब किसी ग्लेशियर से सर्दी के दौरान जमा सारा हिम और बर्फ पिघल जाती है, उसे 'ग्लेशियर लॉस डे' (जीएलडी) कहते हैं.

स्विट्जरलैंड में कुल 1,400 ग्लेशियर हैंतस्वीर: Anthony Anex/KEYSTONE/picture alliance

ग्लोबल वॉर्मिंग का स्केल बता रहे हैं ग्लेशियर

ग्लेशियर किस ऊंचाई पर है, इस तरह के पक्षों का जीएलडी पर असर पड़ता है. साल 2025 में जून खत्म होते-होते, या फिर जुलाई की शुरुआत में ही जीएलडी आ गया. 'स्विस इन्फो' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्विस ग्लेशियरों में पिछली सर्दी के दौरान स्विस ग्लेशियरों में जमा हुई बर्फ और हिम इस साल 4 जुलाई तक पिघल चुकी थी और वो सिकुड़ने लगे थे.

ये सामान्य से कई हफ्ते पहले हुआ. यानी, एक तरफ तो सर्दी में बर्फ कम गिर रही है. दूसरी तरफ, ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण गर्म होती हमारी दुनिया में गर्मियां ज्यादा गर्म होती जा रही हैं. दोनों फैक्टर मिलकर ग्लेशियरों पर अभूतपूर्व असर डाल रहे हैं.

एक तरफ तो सर्दी में बर्फ कम गिर रही है और दूसरी तरफ, गर्मियां और गर्म होती जा रही हैंतस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP/Getty Images

सर्दी के मौसम में बर्फबारी में भारी कमी

ईटीएच ज्यूरिख, स्विट्जरलैंड की एक पब्लिक यूनिवर्सिटी है. इसमें शोधकर्ता आंद्रेयास बॉएडर ने समाचार एजेंसी डीपीए से बातचीत में बताया, "उत्तर-पूर्वी स्विट्जरलैंड के कुछ इलाकों में, सर्दी खत्म होते-होते ग्लेशियरों के ऊपर पहले कभी भी बर्फ की इतनी कम मात्रा नहीं देखी थी."

क्या स्विस आल्प्स के पिघलते ग्लेशियर बचा पाएगा नया कानून

बर्फबारी क्यों जरूरी है, इसे रेखांकित करते हुए बॉएडर ने कहा, "जब तक जमीन पर बर्फ रहती है, तब तक हिम नहीं पिघलेगा. लेकिन इस साल, मई के आखिर में ही बर्फ पिघलनी शुरू हो गई. पूरे जून और जुलाई में बर्फ का पिघलना बहुत तेजी से जारी रहा."

बर्फ और हिम, दोनों अलग चीजें हैं. पानी का ठोस रूप हिम है. वहीं, पानी से बनी भाप जब बहुत ठंडे वातावरण में ऊपर जाकर सीधे जम जाती है और आसमान से गिरती है, तो उसे बर्फ कहते हैं.

जलवायु का स्वभाव कुछेक साल से नहीं बदल रहा है

स्विट्जरलैंड में हर साल बसंत और पतझड़ में करीब 20 ग्लेशियरों की बर्फ और हिम के विस्तार, या उनकी परत को बहुत विस्तृत तरीके से मापा जाता है. करीब 10 से 15 ग्लेशियर ऐसे हैं, जिनकी गर्मियों में भी निगरानी की जाती है. इन विश्लेषणों के आधार पर जीएलडी तय किया जाता है.

रिकॉर्ड तेजी से पिघल रहे है स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर

बॉएडर के अनुसार, इस साल की तुलना में बीते साल गर्मियों की शुरुआत में बर्फ की मौजूदगी कहीं ज्यादा थी. वह बताते हैं, "अतीत में, ग्लेशियर लॉस डे आमतौर पर अगस्त के अंत में या सितंबर की शुरुआत में आता था. लेकिन पिछले 20 साल में हमने ऐसा होते नहीं देखा."

सिर्फ स्विट्जरलैंड ही नहीं, समूची दुनिया में ही ग्लेशियर गायब हो रहे हैंतस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP/Getty Images

बहुत तेजी से सिकुड़ रहा है ग्लेशियरों का विस्तार

ग्लेशियर मॉनिटरिंग इन स्विट्जरलैंड (ग्लामोस) स्विस आल्प्स के ग्लेशियरों में हो रहे बदलावों की निगरानी करता है. इसके मुताबिक, 1950 के दशक से अब तक स्विट्जरलैंड के ग्लेशियरों का घनत्व तकरीबन आधा रह गया है. 1950 में ग्लेशियर घनत्व 92.3 घन किलोमीटर था और 2024 में यह मात्र 46.5 घन किलोमीटर रह गया.

एक घन किलोमीटर का मतलब है, एक-एक मीटर आकार के 100 करोड़ आइस क्यूब. बॉएडर ने बताया कि अगर अब अगस्त में ऊंचाई के इलाकों में बर्फबारी हुई भी, तब भी हालात में बहुत अंतर नहीं आएगा. क्योंकि, गर्मी के मौसम में गिरी बर्फ सर्दियों की बर्फ जितनी सघन नहीं होती. यह जल्दी पिघल भी जाती है.

जलवायु परिवर्तन का खामियाजा भुगत रहा स्विट्जरलैंड

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सबसे ज्यादा गर्म हो रहे देशों में है स्विट्जरलैंड

स्विट्जरलैंड, दुनिया के उन शीर्ष 10 देशों में है जो सबसे ज्यादा तेजी से गर्म हो रहे हैं. जलवायु परिवर्तन के कारण यहां औसत तापमान तेजी से बढ़ रहा है. मौसम और जलवायु से संबंधित विभाग 'मीटिओस्विस' के मुताबिक, साल 1864 में जब से तापमान को मापना शुरू किया, तब से लेकर अब तक जून 2025 दूसरा सबसे गर्म जून था.

देश के तीन सबसे गर्म साल (2022, 2023 और 2024) एक के बाद एक दर्ज किए गए. ईटीएच ज्यूरिख के अनुसार, अगर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में बड़ी कमी ना लाई गई, तो 2100 तक स्विट्जरलैंड के तमाम ग्लेशियर पूरी तरह से गायब हो जाएंगे.

ये अनुमान बहुत ही गंभीर भविष्य की तस्वीर दिखाती हैं. सिर्फ स्विट्जरलैंड ही नहीं, समूची दुनिया में ही ग्लेशियर गायब हो रहे हैं. विशेषज्ञ बिना समय गंवाए ठोस कदम उठाने की जरूरत बताते हैं. यह इतनी बड़ी चिंता है कि संयुक्त राष्ट्र ने 2025 को ग्लेशियरों के संरक्षण का वर्ष घोषित किया है.

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