स्विट्जरलैंड ने महिलाओं पर अनिवार्य सैन्य सेवा और अमीरों पर जलवायु कर लगाने के प्रस्ताव खारिज कर दिए हैं. यह एक ऐतिहासिक रेफेरेंडम था.
स्विट्जरलैंड के राष्ट्रीय मीडिया एसएसआर ने बताया कि नागरिक सेवा की योजना को लगभग 84 प्रतिशत मतदाताओं ने रिजेक्ट किया, जबकि सुपर-रिच पर कर लगाने वाले प्रस्ताव को 79 प्रतिशत ने खारिज किया.तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP
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इस रविवार स्विट्जरलैंड ने अपने मतदाताओं के सामने दो बड़े और ऐतिहासिक प्रस्ताव रखे थे. पहला प्रस्ताव यह था कि पुरुषों की तरह महिलाओं को भी अनिवार्य रूप से सैन्य या नागरिक सेवा करनी होगी, यानी ‘सिटिजन सर्विस इनिशिएटिव'. दूसरा प्रस्ताव सुपर-रिच यानी अत्यंत अमीर लोगों पर जलवायु कर लगाने का था, ताकि इसके जरिए पर्यावरण संरक्षण के लिए फंड जुटाया जा सके.
मतदान बंद होने के बाद शुरुआती अनुमानों के अनुसार, दोनों प्रस्तावों को भारी मतों से खारिज कर दिया गया है. स्विट्जरलैंड के राष्ट्रीय मीडिया एसएसआर ने बताया कि नागरिक सेवा की योजना को लगभग 84 प्रतिशत मतदाताओं ने रिजेक्ट किया, जबकि सुपर-रिच पर कर लगाने वाले प्रस्ताव को 79 प्रतिशत ने खारिज किया. यूरोप में सुरक्षा चिंताओं और ऊर्जा संकट के बीच यह वोटिंग इसलिए भी अहम मानी जा रही थी क्योंकि इसके समर्थकों का कहना था कि इससे सिर्फ सेना की ताकत नहीं बढ़ेगी, बल्कि समाज में एकता और सामाजिक जुड़ाव भी मजबूत होंगे.
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नागरिक सेवा और समाज की मजबूती का तर्क
‘सिटिजन सर्विस इनिशिएटिव' के समर्थक मानते हैं कि सभी नागरिकों को देश की सेवा में शामिल करना समाज में असली समानता और सामाजिक जुड़ाव को बढ़ाएगा. कमेटी की प्रमुख नोएमी रोतेन ने एएफपी से कहा, "यह पहल ‘सच्ची समानता' के लिए है. पुरुष और महिला दोनों को सेवा का मौका मिलेगा और इससे समाज में एकता बढ़ेगी.” उन्होंने वर्तमान प्रणाली को भेदभावपूर्ण बताते हुए कहा, "यह सिर्फ पुरुषों के लिए है, लेकिन महिलाओं को इससे बाहर रखा गया है, जिससे वे उस अनुभव और नेटवर्क से वंचित रह जाती हैं जो सेवा के दौरान मिलता है."
समर्थकों का कहना है कि यह पहल सिर्फ फौज बढ़ाने के लिए नहीं है, बल्कि समाज को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश है. उन्होंने कहा, "सभी युवाओं के लिए एक राष्ट्रीय सेवा का प्रस्ताव रखकर, यह पहल ठीक उसी जरूरत को पूरा करती है जिसकी आज हमें जरूरत है कि हर कोई एक मजबूत स्विट्जरलैंड के लिए काम करने की जिम्मेदारी ले, जो किसी भी संकट का सामना करने में सक्षम हो.” अभी तक महिलाएं अपनी मर्जी से सेना में जा सकती हैं, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है.
दुनिया के 10 सबसे मेहमाननवाज इलाके
ट्रैवल वेबसाइट बुकिंग डॉट कॉम ने दुनिया के उन दस इलाकों की सूची जारी की है, जिन्हें सबसे ज्यादा मेहमाननवाज बताया गया है. ये हैं सबसे मेहमाननवाज इलाके.
तस्वीर: DENIS BALIBOUSE/REUTERS
ओसियेक-बरान्या, क्रोएशिया
ओसियेक-बरान्या क्षेत्र का मुख्य आकर्षण है कोपाचकी रिट नेचर पार्क. यूरोप के सबसे अच्छे संरक्षित वेटलैंड्स में से एक, यह एक शांत और देखने लायक स्थान है. बरान्या में अंगूर के बागानों की सैर और इतिहास से भरी गलियां इस क्षेत्र को और भी स्वागतयोग्य बनाती हैं.
तस्वीर: IMAGO/Depositphotos
काखेती, जॉर्जिया
इस इलाके के पहाड़, झीलें और जंगल यात्रियों का मन मोह लेते हैं. काखेती के पारिवारिक विनयार्ड बहुत मशहूर हैं.
तस्वीर: IMAGO/imagebroker
मदीरा, पुर्तगाल
मदीरा द्वीपसमूह पूरे साल गर्मजोशी से भरपूर रहता है और तस्वीरों जैसा सुंदर है. सर्फिंग, "लेवाडा" हाइकिंग, या पेड़ों से घिरे शांत चौक में घूमने जैसी कई गतिविधियां यहां उपलब्ध हैं.
तस्वीर: Rico Ködder/Zoonar/picture alliance
मिसियोनेस, अर्जेंटीना
यहां स्थित इगुआजू जलप्रपात दुनिया के सात प्राकृतिक अजूबों में से एक है. लेकिन इसके अलावा घने जंगल, वन्यजीवों को देखने के अवसर और ग्वारानी संस्कृति की पारंपरिक जानकारी इसे अनोखा बनाती है.
तस्वीर: IMAGO/SuperStock
ग्राउब्युंडेन, स्विट्जरलैंड
यहां की साफ-सुथरी झीलों के किनारे बैठकर पूरा दिन बिताया जा सकता है. वहीं स्कीइंग, हाइकिंग और ट्रेन यात्रा जैसे साहसिक विकल्प भी उपलब्ध हैं.
तस्वीर: DENIS BALIBOUSE/REUTERS
साउथ ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रेलिया
यहां के दोस्ताना लोग और आरामदायक माहौल आकर्षण का प्रमुख केंद्र हैं. प्रकृति प्रेमी कंगारू आइलैंड का आनंद ले सकते हैं, साहसी लोग गांवों की सैर कर सकते हैं और बरौसा घाटी वाइन का आनंद देती है.
तस्वीर: Morne de Klerk/Getty Images
ब्रेतान्य, फ्रांस
ब्रेतान्य अपने समुद्री गांवों, नीले समुद्र और घने जंगलों के लिए मशहूर है. यहां का आरामदायक जीवन और स्वादिष्ट भोजन इसे खास बनाता है.
तस्वीर: Nicolas Créach/MAXPPP/dpa/picture alliance
बाजा कैलिफॉर्निया सूर, मेक्सिको
उत्तर-पश्चिम मेक्सिको में स्थित इस क्षेत्र में शानदार समुद्र तट, व्हेल वॉचिंग और गुफाओं की चित्रकारी के टूर हैं, जो स्थानीय गाइड के साथ और भी आनंददायक बनते हैं.
तस्वीर: Michael Nolan/robertharding/picture alliance
किएन जियांग, वियतनाम
यह क्षेत्र समुद्र तटों और जंगलों से भरा है लेकिन इसकी असली खासियत इसकी सांस्कृतिक परंपराएं और स्थानीय स्वाद हैं, जो मेहमानों को शांत अनुभव देते हैं.
तस्वीर: picture alliance/photothek
ड्रेन्थे, नीदरलैंड्स
यह कम आबादी वाला क्षेत्र खुले मैदानों और शांति के लिए जाना जाता है. यहां के प्रागैतिहासिक डोल्मेन और पारंपरिक फार्महाउस, अतीत की झलक देते हैं.
तस्वीर: Fokke Baarssen/Zoonar/picture alliance
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समानता के नाम पर महिलाओं पर दोहरी मार
स्विस सरकार और संसद ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज करने की अपील की थी. उनका तर्क मुख्य रूप से आर्थिक और व्यावहारिक था. सरकार का कहना था कि सेना और नागरिक सुरक्षा (सिविल डिफेंस) के पास पहले से ही पर्याप्त कर्मचारी हैं और जरूरत से ज्यादा लोगों की भर्ती करने का कोई मतलब नहीं है. इसके अलावा, हजारों युवाओं को वर्कफोर्स (कामकाजी दुनिया) से निकालकर अनिवार्य सेवा में लगाने से देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो सकता है.
सरकार ने लैंगिक समानता के मुद्दे पर भी एक तर्क दिया था. सरकार ने कहा कि भले ही महिलाओं के लिए अनिवार्य सैन्य सेवा को "लैंगिक समानता की दिशा में एक कदम" के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन असलियत कुछ और है. सरकार ने अपनी बात रखते हुए कहा, "यह विचार कई महिलाओं पर एक अतिरिक्त बोझ डालेगा, जो पहले से ही बच्चों और परिवारों की देखभाल और घर के कामों का एक बड़ा हिस्सा बिना किसी वेतन के निभा रही हैं.” सरकार ने स्पष्ट शब्दों में कहा, "चूंकि कार्यस्थल और समाज में समानता अभी भी एक हकीकत नहीं बनी है, इसलिए महिलाओं को नागरिक सेवा करने के लिए मजबूर करना समानता के लिहाज से कोई प्रगति नहीं मानी जाएगी.”
इन देशों में है महिलाओं के लिए अनिवार्य सैन्य सेवा
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते तनाव का असर अब कई देशों की सैन्य तैयारियों पर भी दिखने लगा है. इस बीच कुछ देश महिलाओं के लिए अनिवार्य सैन्य सेवा शुरू कर चुके हैं.
डेनमार्क में 1 जुलाई 2025 के बाद 18 साल की होने वाली लड़कियों को लॉटरी सिस्टम के तहत सेना में भर्ती किया जाएगा. अगर पर्याप्त वॉलिंटयर्स नहीं मिलीं तो फिर अनिवार्य सैन्य सेवा शुरू की जाएगी.
जनवरी 2015 से ही नॉर्वे में महिलाओं और पुरुषों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है. नॉर्वे ऐसा करने वाला पहला नाटो देश है.
तस्वीर: DW
स्वीडन
स्वीडन ने 2010 में अनिवार्य सैन्य सेवा खत्म कर दी थी. लेकिन जनवरी 2018 में इसे महिलाओं और पुरुषों के लिए फिर शुरू किया गया. सैन्य सेवा की अवधि छह माह से 15 माह तक है.
तस्वीर: Vilhelm Stokstad/TT /AP/picture alliance
इस्राएल
1949 से ही इस्राएल में महिलाओं के लिए कम से कम दो साल की सैन्य सेवा अनिवार्य है. पुरुषों को यह तीन साल तक करनी होती है. हालांकि शादीशुदा महिलाओं, मांओं, गर्भवती महिलाओं और धार्मिक रस्मों को निभाने वाली महिलाओं को इससे छूट है.
तस्वीर: picture alliance / ZUMAPRESS.com
उत्तर कोरिया
2015 से ही उत्तर कोरिया में महिलाओं और पुरुषों लिए अनिवार्य सैन्य सेवा लागू है. इसके लिए न्यूनतम उम्र 17 साल है.
तस्वीर: Reuters
चीन
चीन में 18 से 19 साल की ऐसी लड़कियां जो स्कूल की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और सैन्य पेशों के लिए जरूरी दक्षता रखती है, उन्हें अनिवार्य सैन्य सेवा में शामिल होना पड़ता है.
तस्वीर: Imago/Xinhua
लातविया
रूस के पड़ोसी यूरोपीय देश लातविया में भी महिलाओं के लिए अनिवार्य सैन्य सेवा शुरू करने पर बातचीत हो रही है. सरकार का कहना है कि संसद में बहस के बाद ही यह कदम उठाया जाएगा.
तस्वीर: picture alliance/AA
स्वैच्छिक सैन्य सेवा
हालांकि दुनिया के कई देशों में महिलाएं चाहें तो सेना में जा सकती हैं. इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, भारत, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की, पोलैंड, फ्रांस, कनाडा और रूस जैसे देश भी शामिल हैं.
तस्वीर: imago images/Hindustan Times
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अत्यंत अमीर लोगों पर टैक्स का प्रस्ताव भी खारिज
दूसरे प्रस्ताव के तहत अमीर लोगों पर 50 प्रतिशत विरासत कर लगाने की बात थी, जो 50 मिलियन स्विस फ्रैंक से अधिक संपत्ति वाले घरानों को प्रभावित करता. इसे युवा सोशलिस्ट पार्टी ने "अमीरों पर कर लगाओ, जलवायु बचाओ" के नारे के तहत पेश किया था. समर्थकों का कहना था कि इससे सालाना 6 बिलियन स्विस फ्रैंक जुटेंगे, जिन्हें इमारतों के नवीनीकरण, अक्षय ऊर्जा और पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसी पर्यावरण सुधार पहलों में लगाया जा सकेगा.
लेकिन विरोधियों ने चेतावनी दी कि अमीर लोग कर से बचने के लिए देश छोड़ सकते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था कमजोर हो सकती है. लिबरल पार्टी की सांसद योहाना गापानी ने आरटीएस मीडिया हाउस से कहा, "जनता ने समझा कि विरासत का 50 प्रतिशत लेना कर नहीं, बल्कि राज्य द्वारा डकैती है.” ग्रीन्स की सांसद क्लेरेंस शॉलेट ने कहा, "यह जलवायु सुरक्षा के लिए बुरी खबर है.”
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मतदान से हुई राय साफ
मतदान परिणाम ने साफ कर दिया कि स्विट्जरलैंड की जनता फिलहाल बड़े बदलाव के लिए तैयार नहीं है. हालांकि, नोएमी रोतेन ने एसएसआर से कहा, "नागरिक सेवा का विचार आज की वोटिंग से खत्म नहीं हुआ. यह जारी रहेगा और आने वाले दशकों में सफलता पाएगा.उन्होंने आगे कहा कि जैसे महिलाओं को वोट देने का अधिकार पहली बार 1959 में खारिज हुआ था और 1971 में पास हुआ, वैसा ही बड़े सामाजिक बदलावों के लिए समय लग सकता है.