स्विट्जरलैंड ने माना, अवैध रूप से गोद लिए गए हजारों बच्चे
११ दिसम्बर २०२३
स्विट्जरलैंड ने स्वीकार किया है कि 1970 से 1990 के बीच हजारों बच्चे अवैध रूप से गोद लेकर वहां लाए गए थे.
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स्विट्जरलैंड की सरकार ने कहा है कि 1970 से 1990 के बीच दुनियाभर से हजारों बच्चे अवैध रूप से गोद लेकर वहां लाए गए थे. ये तथ्य बाहर आने के बाद विदेश से गोद लेने के लिए बनाए गए कानूनों में बदलाव की मांग हो रही है.
2020 में सबसे पहले इस मामले ने तूल पकड़ा था. तब दर्जनों ऐसे लोगों ने गवाही दी थी जिन्हें श्रीलंका से अवैध रूप से गोद लिया गया था. उस जांच के बाद जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि "स्पष्ट संकेत होने के बावजूद” अधिकारी उचित उपाय करने में नाकाम रहे.
हजारों हुए शिकार
तब सरकार ने दूसरी जांच बिठाई. ज्यूरिख की यूनिवर्सिटी ऑफ अप्लाईड साइंसेज द्वारा की गई इस जांच में बांग्लादेश, ब्राजील, चिली, कोलंबिया, ग्वाटेमाला, भारत, लेबनान, पेरू, रोमानिया और दक्षिण कोरिया से बच्चे गोद लेने के मामलों की जांच की गई.
कानून से अनाथ बच्चों की भलाई
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में कई अहम संशोधन किए गए हैं. सरकार का कहना है कि इन संशोधनों से बच्चा गोद लेना आसान होगा और उनकी सुरक्षा भी बढ़ेगी. इस विधेयक में बाल संरक्षण को मजबूत करने के उपाय भी हैं.
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गोद लेने की प्रक्रिया आसान
किशोर न्याय अधिनियम, 2015 में संशोधन करने के लिए किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 राज्यसभा में पारित हो चुका है और यह जल्द ही कानून बन जाएगा. इस कानून के तहत बच्चों के गोद लेने की प्रक्रिया आसान बनाई जा रही है.
सरकार का कहना है कि किशोर न्याय अधिनियम, 2015 में संशोधन से कानून मजबूत होगा और बच्चों की सुरक्षा बेहतर ढंग से होगी.
तस्वीर: IANS
अनाथ बच्चों का कल्याण
सरकार का कहना है कि यह एक बेहतर कानून है जिससे अनाथ बच्चों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना सुनिश्चित किया जा सकता है. कानून के प्रभावी तरीके से लागू होने से अनाथ बच्चों को शोषण से बचाया जा सकता है.
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किशोर अपराध से जुड़े मामले जल्द निपटेंगे
संशोधित कानून में एक अहम बदलाव ऐसे अपराध से जुड़ा है जिसमें भारतीय दंड संहिता में न्यूनतम सजा तय नहीं है. 2015 में पहली बार अपराधों को तीन श्रेणियों में बांटा गया-छोटे, गंभीर और जघन्य अपराध. तब ऐसे केसों के बारे में कुछ नहीं बताया गया था जिनमें न्यूनतम सजा तय नहीं है. संशोधन प्रस्तावों के कानून बन जाने से किशोर अपराध से जुड़े मामले जल्द निपटेंगे.
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बाल कल्याण समिति
संशोधन प्रस्तावों में बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) को ज्यादा ताकत दी गई है. इससे बच्चों का बेहतर संरक्षण करने में मदद मिलेगी. एक्ट में प्रावधान है कि अगर बाल कल्याण समिति यह निष्कर्ष देती है कि कोई बच्चा, देखरेख और संरक्षण की जरूरत वाला बच्चा नहीं है, तो समिति के इस आदेश के खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकती है. बिल इस प्रावधान को हटाता है.
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बढ़ेगी जवाबदेही, तेजी से होगा निस्तारण
संशोधन विधेयक में बच्चों से जुड़े मामलों का तेजी से निस्तारण सुनिश्चित करने और जवाबदेही बढ़ाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट व अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को ज्यादा शक्तियां देकर सशक्त बनाया गया है. इन संशोधनों में अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट समेत जिला मजिस्ट्रेट को जेजे अधिनियम की धारा 61 के तहत गोद लेने के आदेश जारी करने के लिए अधिकृत करना शामिल है.
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और भी बदलाव
विधेयक में सीडब्ल्यूसी सदस्यों की नियुक्ति के लिए पात्रता मानकों को फिर से परिभाषित किया गया है. सीडब्ल्यूसी सदस्यों की अयोग्यता के मानदंड भी यह सुनिश्चित करने के लिए पेश किए गए हैं कि, केवल आवश्यक योग्यता और सत्यनिष्ठा के साथ गुणवत्तापूर्ण सेवा देने वालों को ही सीडब्ल्यूसी में नियुक्त किया जाए.
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बदलाव की जरूरत क्यों
बाल अधिकार सुरक्षा पर राष्ट्रीय आयोग ने देश भर के बाल संरक्षण गृहों का ऑडिट कर साल 2020 में रिपोर्ट दी थी. 2018-19 के इस ऑडिट में सात हजार के करीब बाल गृहों का सर्वेक्षण किया गया, ऑडिट में पाया गया कि 90 प्रतिशत संस्थानों को एनजीओ चलाते हैं और करीब 1.5 फीसदी कानून के हिसाब से काम नहीं कर रहे थे.
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इस जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद शुक्रवार को सरकार ने कहा, "अवैध गतिविधियों, बच्चों की तस्करी, फर्जी दस्तावेजों और बच्चों के मूल देश के बारे में जानकारी ना होने जैसे संकेत मिले हैं. जितनी संख्या में प्रवेश पत्र जारी किए गए, उनसे संकेत मिलता है कि उस समय हजारों बच्चे अनियमितताओं का शिकार हुए.”
सबसे ज्यादा भारतीय
जूरिख यूनिवर्सिटी के जांचकर्ताओं ने पाया कि 1970 से 1990 के बीच आठ हजार बच्चों को स्विट्जरलैंड के प्रवेश पत्र जारी किए गए थे. इनमें से सबसे ज्यादा 2,799 बच्चे भारत से थे. उसके बाद कोलंबिया (2,122), ब्राजील (1,222) और दक्षिण कोरिया (1065) से सबसे ज्यादा बच्चों को लाया गया.
बच्चे और उनके खिलौने: एक फोटो सीरीज
इतालवी फोटोग्राफर गाब्रिएल गालिम्बेर्ती दुनियाभर में घूमे और हर महाद्वीप में बच्चों और उनके मनपसंद खिलौनों की तस्वीरें लीं. देखिये क्या पाया उनके कैमरे ने.
तस्वीर: Gabriele Galimberti
मेरा डायनासोर, मेरा रक्षक
मलावी में रहने वाली चार साल की चीवा एक ट्राईसेराटॉप्स डायनासोर की मालिक होने में बड़ा गर्व महसूस करती हैं. चीवा कहती हैं कि उनका डायनासोर उन्हें खतरनाक जानवरों से बचाता है. उनके पास सिर्फ यह डायनासोर और दो छोटे स्टफ्ड खिलौने ही हैं, जो उनके जन्म के समय उनके एक एनजीओ से मिले थे. वो अधिकतर अपने खिलौनों और उनके गांव में रहने वाले करीब 50 बच्चों के साथ बाहर खेलती हैं.
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एक और डायनासोर क्रेज
ये अमेरिका के टेक्सास में रहने वाले ओर्ली हैं और इन्हें भी डायनासोरों से प्यार है. छह साल के ओर्ली के पास डायनासोरों की पूरी फौज है. वो उन सबके नाम जानते हैं, जीने के तरीके, मजबूत पक्ष और कमजोरियां जानते हैं. स्पाइडरमैन भी उनके हीरो में से एक हैं और वो उनके भी मजबूत पक्ष और कमजोरियों को जानते हैं.
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सुपरहीरो से लगाव
स्विट्जरलैंड के लूजैन में रहने वाले तीन साल के जूलियस को भी सुपरहीरो बेहद पसंद हैं, जैसा की उनकी स्पाइडरमैन कॉस्ट्यूम और बैटमोबील से पता लगता है. अगर आप करीब से देखें तो आपको डायनासोरों के प्रति उनका लगाव भी दिख जाएगा. इसके अलावा उनके पास गाड़ियां, लेगो की ईंटें और किताबों का एक पूरा ढेर है.
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मोटरसाइकिल चलाना
बैंगकॉक, थाईलैंड में रहने वाले तीन साल के वाचारापोम को अपनी छोटी छोटी रंग बिरंगी मोटरसाइकिलों से खेलना बहुत पसंद है. हर सुबह, उनके पिता एक असली मोटर स्कूटर पर अपने दफ्तर जाते हैं. और जब वो नहीं होते हैं तब वाचारापोम अपने पिता के हेलमेट के साथ खेलते हैं और उनकी नकल करते हैं.
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चीजों पर नजर रखना
तीन साल के माउदी जाम्बिया के कलुलुशी के पास एक छोटे से गांव में रहते हैं. गांव में सिर्फ कुछ ही बच्चों के पास कोई भी खिलौने हैं. ज्यादातर बच्चों को गलियों में जो भी मिलता है वो उसी चीज से खेल लेते हैं. माउदी और उनके दोस्त धूप के चश्मों का एक डब्बा पा कर बेहद खुश हुए. तब से, ये ही उनके मनपसंद खिलौने बन गए.
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हर तरफ गुलाबी रंग
तीन साल की जूलिया अल्बानिया की राजधानी तिराना में रहती हैं. उनका मनपसंद रंग साफ है: दीवारें, शेल्फ, परदे, बिस्तर, गुड़िया, यहां तक की दीवार पर टंगा गिटार भी - सब गुलाबी ही होना चाहिए.
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बेसबॉल से प्यार
अमेरिका के यूटा में रहने वाली पांच साल की वर्जिनिया मे "लड़कियां = गुलाबी + गुड़ियां" के समीकरण को तोड़ती हैं, क्योंकि उन्हें बेसबॉल बेहद पसंद है. और वो बेहद अच्छी खिलाड़ी हैं. लेकिन, उनके दिल में गुलाबी रंग के लिए एक जगह जरूर है. जरा उनकी लेगिंग और फर्श पर पड़े उनके गुलाबी रंग के बेसबॉल बैट तो देखिये.
तस्वीर: Gabriele Galimberti
किसने पहने किसके कपड़े
कनाडा के मुस्कोका जिले में रहने वाली छह साल की लॉरेन की एक मनपसंद गुड़िया है. उन्हें वह गुड़िया इतनी पसंद है कि वो उसे अपनी ही तरह कपड़े भी पहनाती है. या वो खुद अपनी गुड़िया की तरह तैयार होती हैं? शायद ने इन दोनों का आपसी रहस्य रहेगा. (निकोलास फिशर)
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अपने बयान में सरकार ने माना है कि विदेश से गोद लेने के मामलों में अनियमितताएं हुईं. सरकार ने कहा, "इस बात का खेद है कि अधिकारियों ने बच्चों और उनके परिवारों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का पूरी तरह से निर्वाह नहीं किया. अधिकारियों की तरफ से हुईं ये लापरवाहियां आज तक उन गोद लिए गए लोगों के जीवन को प्रभावित कर रही हैं.”
सरकार ने कहा है कि इन प्रभावित लोगों की मदद का जिम्मा देश के 26 स्थानीय प्रशासनिक क्षेत्रों का है.