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राजनीतिस्विट्जरलैंड

स्विट्जरलैंड में तंबाकू उत्पादों के विज्ञापनों पर प्रतिबंध

१४ फ़रवरी २०२२

स्विट्जरलैंड में तंबाकू उत्पादों के प्रचार पर बैन के समर्थन में 56 फीसदी लोगों ने मतदान किया है. लोगों ने सरकार की ओर से मीडिया को सब्सिडी देने के प्रस्ताव के विरोध में भी वोट डाले हैं.

Afrika | Zigarettenkonsum
तस्वीर: Rodger Bosch/AFP/Getty Images

स्विट्जरलैंड ने तंबाकू कानूनों को सख्त बनाने का फैसला लिया है. यहां तंबाकू को लेकर बने कानूनों की ढीला बताकर अक्सर आलोचना होती रही है. अब यह देश तंबाकू के सभी विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाएगा. इस मुद्दे पर हुई एक वोटिंग में यहां के 26 राज्यों में से 16 राज्यों के लोगों ने देश के तंबाकू कानूनों को कड़ा करने की मांग की. कुल 56 फीसदी मतदाताओं ने कानूनों को कड़ा किए जाने की जरूरत के पक्ष में वोट डाले.

अन्य अमीर देशों की तुलना में स्विट्जरलैंड में तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन को लेकर कानून कड़े नहीं थे. इसके लिए दुनिया की कई बड़ी तंबाकू कंपनियों के हेडक्वॉर्टर यहां होने को वजह माना जाता था. ये शक्तिशाली तंबाकू कंपनियां लंबे समय से ऐसा न करने का दबाव बनाती आ रही थीं. यही वजह थी कि अभी तक देश में ज्यादातर तंबाकू उत्पादों का प्रचार करने की अनुमति थी. सिर्फ टीवी और रेडियो पर इनके विज्ञापन नहीं दिए जा सकते थे.

तंबाकू समर्थक बेहद नाराज

हालांकि विज्ञापनों में नाबालिग बच्चों को तंबाकू उत्पाद के इस्तेमाल के लिए उकसाने पर रोक थी. इससे पहले भी स्विट्जरलैंड के कई राज्य तंबाकू प्रतिबंध को लेकर कड़े स्थानीय कानून बना चुके थे. इस पर एक नया राष्ट्रीय कानून भी बनना था लेकिन तंबाकू विरोधी कार्यकर्ताओं ने इस मसले का मतदान के जरिए हल निकालने का फैसला किया. यह स्विट्जरलैंड के प्रत्यक्ष लोकतंत्र के तहत एक प्रक्रिया है. इस मतदान में लोगों ने तंबाकू के लिए कड़े प्रतिबंधों की मांग की.

हालांकि परिणामों के बाद कदम के विरोध में रहे लोगों का कहना है कि इन चीजों का कोई अंत नहीं है. दक्षिणपंथी लिबरल पार्टी के सांसद फिलिप बाउअर ने कहा, "आज हम सिगरेट की बात कर रहे हैं लेकिन जल्द ही हम शराब और मीट की बात कर रहे होंगे. यह हमेशा राजनीतिक तौर पर सही होने की तानाशाही है, जहां हर चीज कानून से नियंत्रित होनी चाहिए."

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भारत में ज्यादा तंबाकू का सेवन

तंबाकू सेवन के मामले में स्विट्जरलैंड की स्थिति बहुत खराब नहीं है. यहां 15 साल से अधिक उम्र के करीब 20 फीसदी लोग सिगरेट पीते हैं जबकि भारत में सिगरेट या अन्य तरीकों से तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों की संख्या करीब 29 फीसदी है. इस मामले में नाउरू और किरिबाती जैसे देशों की स्थिति सबसे खराब है क्योंकि यहां कुल बालिग लोगों में से आधे से भी ज्यादा तंबाकू का सेवन करते हैं.

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी, 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक तंबाकू के इस्तेमाल से हर साल दुनियाभर में 87 लाख लोगों की मौत होती है. इनमें से 12 लाख लोग ऐसे भी होते हैं, जिनकी मौत खुद तंबाकू का सेवन करने से नहीं होती बल्कि वे इसलिए शिकार बनते हैं क्योंकि उनके आसपास कोई तंबाकू का सेवन कर रहा होता है.

मीडिया को सब्सिडी का भी विरोध

तंबाकू विज्ञापनों के अलावा करीब 55 फीसदी मतदाताओं ने मीडिया कंपनियों को मिलने वाली सब्सिडी का भी विरोध किया. इस विरोध के समर्थकों का दावा था कि ऐसा करने से पत्रकार सरकार के प्रति आलोचनात्मक रुख नहीं अपना सकेंगे. देश के 26 में से 23 राज्यों के मतदाताओं ने सब्सिडी के विरोध में मतदान किया.

यह मतदान उस प्रस्ताव के विरोध में हुआ, जिसके तहत प्रकाशकों को अखबारों और मैग्जीन के प्रकाशन के लिए मदद दी जानी थी जबकि ऑनलाइन मीडिया को कुछ शर्तों के तहत सीधा पैसा मिलना था.

एडी/वीके (एएफपी)

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