जरूरत से ज्यादा चारा खाने वाली और ढेर सारा दूध देने वाली स्विट्जरलैंड की मोटी चर्बी वाली गायों को आल्प्स के घास के मैदानों में चढ़ने में समस्या आ रही है. तो क्या छोटी और हल्की गायें ज्यादा फायदेमंद साबित होंगी.
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बनारस एयरपोर्ट से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर बसा रामेश्वर गांव आजकल चर्चा में है. वैसे तो गाय की वजह से भारत में तमाम विवाद हो रहे हैं लेकिन रामेश्वर गांव "काउ टूरिज्म" के लिए मशहूर हो रहा है.
गाय से मशहूर हुआ गांव
बनारस एयरपोर्ट से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर बसा रामेश्वर गांव आजकल चर्चा में है. वैसे तो गाय की वजह से भारत में तमाम विवाद हो रहे हैं लेकिन रामेश्वर गांव "काउ टूरिज्म" के लिए मशहूर हो रहा है.
तस्वीर: DW/F. Fareed
गाय और गौशालाएं
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के छात्र दिव्यांशु उपाध्याय और कुछ दूसरे छात्र साथियों की मेहनत ने इस गांव को देश के पहले "काउ विलेज" की तरह विकसित किया है. गांव में सौ साल से अधिक पुरानी चार गौशालाएं हैं जिनकी स्थापना बीएचयू के संस्थापक भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय जी ने की थी. दिव्यांशु और उनके दोस्तों ने इन्हीं गौशालाओं का रूपरंग बदल दिया है.
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गौशालाओं की बदली तस्वीर
गौशालाओं में एक हजार से ज्यादा गाय हैं. दिव्यांशु को इस काम की प्रेरणा एक विदेशी जोड़े ने दी जिसने एक भारतीय गांव में घूमने की इच्छा जाहिर की थी. दिव्यांशु खुद एलएलबी के छात्र हैं. उन्होंन मेहनत कर के इस गांव की सफाई की, गौशाला को खूबसूरत बनाया.
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विदेशी सैलानी
आज इस गांव में विदेशी पर्यटक भी आते हैं. वो गाय के साथ समय बिताते हैं, सेल्फी लेते हैं. इस गांव में करीब 11 धर्मशालाएं हैं जहां रुक कर छुट्टियां मनाई जा सकती है और साथ ही साथ होम स्टे की व्यवस्था भी है. आमतौर पर इस गांव में आने वाले एक रात यहां जरूर बिताते हैं. काशी में विख्यात पंचकोशी यात्रा का तीसरा पड़ाव भी इसी गांव में पड़ता है.
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गांव की दीवारों पर गाय ही गाय
छात्रों ने सफाई के बाद दीवारों पर खूबसूरत पेंटिंग की है. बीएचयू के फाइन आर्ट्स के छात्रों ने अपनी कला इन दीवारों पर बिखेरी है. गांव में लगभग दो किलोमीटर लंबी दीवारों पर गाय के कई चित्र बनाए गए हैं. जिसमें गाय के शरीर में देवताओं का वास और गाय को कामधेनु की तरह प्रदर्शित किया गया है. हर तरफ इस गांव में आपको मंदिर, गाय और उसके चित्र ही दिखेंगे.
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गाय का दूध
इस गांव में अतिथियों का स्वागत दूध से बनी चीजें परोस कर किया जाता है. गांव की गौशाला के अलावा भी यहां लगभग सभी के घर गाय हैं और लोग बहुत खुशी से इनकी सेवा करते हैं. गाय का दूध इनके लिए कमाई का जरिया भी है.
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सेल्फी विद काउ
अब इस "काउ विलेज" में आपको कई आकर्षण मिल जाएंगे, सेल्फी विद काउ, वॉक विद काउ जिसमें आप गाय के साथ घूमेंगे, फीड द काउ, जिसमें आप गाय को चारा खिलाएंगे. आपको खाने में दूध, पेड़ा जो ठेठ गवईं तरीके से गाय के दूध से बना होगा, दिया जाएगा. गांव को पर्यटन विभाग अपने स्तर पर प्रमोट करे इसके लिए दिव्यांशु ने पत्र लिखा है.