सीरिया से भाग रहे कलाकारों को बर्लिन सबसे ज्यादा भा रहा है. वे यहां आजादी महसूस कर रहे हैं और उन्हें काम करने के मौके भी मिल रहे हैं.
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मूर्तिकार हों या फिल्मकार, गायक हों या एक्टर, युद्धग्रस्त सीरिया से जो भी कलाकार भाग रहे हैं उनकी पहली पसंद जर्मनी की राजधानी बर्लिन है. वे ऐसी जगह जाना चाहते हैं जहां वे अपनी बात खुलकर कह सकें. पहले ऐसी जगहों के लिए खासतौर पर अरब कलाकार बेरूत या फिर पैरिस को चुनते थे. लेकिन हाल के सालों में यह दर्जा बर्लिन को मिल रहा है. इसकी वजह ये है कि काम आसानी से मिल जाता है और रहने की जगह भी सस्ती है.
सीरियाई जेल से छूटने के बाद एक्टर-डायरेक्टर जैद अदवान ने बर्लिन का रुख किया. दो साल पहले वह बर्लिन पहुंचे थे. वह कहते हैं कि बर्लिन रॉक और अनार्की का शहर है.
यह भी देखिए, कैसी थी बर्लिन की दीवार
बर्लिन की दीवार की सैर
बर्लिन शहर को दो हिस्सों में बांटने वाली दीवार 13 अगस्त 1961 को खड़ी की गई और 9 नवंबर 1989 को गिराई गई. चलिए बर्लिन के इतिहास, संस्कृति और प्रकृति को एक साथ समेटे हुए बर्लिन वॉल ट्रेल पर.
तस्वीर: DW/M. Fürstenau
बर्लिन वॉल ट्रेल
बर्लिन की दीवार ने 28 सालों तक बर्लिन शहर को पश्चिम और पूर्व में बांटा था. इसे गिरे हुए भी अब तीस साल बीत चुका है और साथ ही दोनों पुराने टुकड़ों के बीच का अंतर भी. शीतयुद्ध काल के अवशेष देखने हों तो करीब 160 किलोमीटर लंबे बर्लिन वॉल ट्रेल पर जाना इसका सबसे अच्छा तरीका है.
बर्लिन वॉल मेमोरियल
यह एक राउंड टूर है इसलिए आप इस ट्रेल पर अपनी यात्रा कहीं से भी शुरू कर सकते हैं. हालांकि शुरुआत का सबसे लोकप्रिय बिन्दु बर्लिन वॉर मेमोरियल है. बैर्नाउअर श्ट्रासे पर वॉल के हिस्से रखे हैं और करीब 1.4 किलोमीटर की दूरी तक ये दिखाया गया है कि बॉर्डर की किलेबंदी कैसे की जाती थी. दीवार पार कर पूर्वी जर्मनी से भागने की कोशिश में मारे गए लोगों को भी यहां श्रद्धांजलि दी गई है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Gambarini
कॉबलस्टोन चिह्न
कॉबलस्टोन पर ऐसी लकीरें बनी हैं जिनसे दर्शक बर्लिन की दीवार की सटीक लोकेशन जान सकें. शहर के बीच से होकर गुजरने वाली दीवार की करीब 40 किलोमीटर की लंबाई को ऐसे दर्शाया गया है. ज्यादातर पूर्वी और पश्चिमी जर्मनीवासी 9 नवंबर 1989 को गिराई गई इस दीवार का नामोनिशान तक मिटा देना चाहते थे.
तस्वीर: DW/E. Grenier
ब्रांडेनबुर्ग गेट
साइकिल ट्रैक पर चल कर बर्लिन शहर के मध्य की ओर बढ़ते हुए श्प्रे नदी और उसके आसपास स्थित सरकारी इलाके में ही ब्रांडेनबुर्ग गेट है. विभाजक दीवार खड़ी होने के बाद बर्लिन का यह मशहूर प्रतीक 'नो-मैन्स लैंड' में बनाया गया था. हालांकि दीवार के कारण पश्चिमी जर्मनी से तो एक तरह से कट ही गया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
चेक पॉइंट चार्ली
पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के बीच का सबसे प्रसिद्ध क्रॉसिंग पॉइंट चेकपॉइंट चार्ली है. पर्यटक यहां रुककर इन सैनिक कॉस्ट्यूमों में सजे एक्टरों के साथ तस्वीरें जरूर लेते हैं. गौर कीजिए सिपाही के हाथ में पकड़ी तख्ती पर क्या लिखा है - "यू आर लीविंग द अमेरिकन सेक्टर." यहां रेड आर्मी की हैट या गैस मास्क जैसे प्रतीक भी बिकते हैं. इसी कारण कई लोग इसे कोल्ड वॉर डिज्नीलैंड भी कहते हैं.
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वॉच टावर, पॉट्सडामर प्लात्स
बर्लिन की दीवार पर निगरानी करने के लिए उसके आसपास 300 से भी अधिक वॉच टावर बनाए गए थे. बॉर्डर गार्ड्स यहीं से नजर रखते थे कि कहीं कोई पूर्वी जर्मनी से भागने की कोशिश तो नहीं कर रहा. अब कुछ ही वॉच टावर बचे हैं. जैसे कि पॉट्सडामर प्लात्स के पास खड़ा ये टावर. पहले काफी चौड़े वर्गाकार टावर बनते थे लेकिन 1966 से ऐसे मशरूम के आकार के टावर बनने लगे.
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ईस्ट साइड गैलरी
ब्रांडेनबुर्ग गेट के अलावा इस ट्रेल का दूसरा सदाबहार आकर्षण है ईस्ट साइड गैलरी. कई अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने 1990 में बच गई इस 1.3 किलोमीटर लंबी दीवार को पेंट कर इसे दुनिया की सबसे बड़ी खुली कला दीर्घा बना दिया. खासकर लियोनिद ब्रेझनेव और एरिष होनेकर का चुंबन दिखाती ये पेंटिंग तो अब इस आर्ट गैलरी की पहचान बन चुकी है.
तस्वीर: Reuters/F. Bensch
ग्लीनिके ब्रिज
शहरी हिस्से से बाहर निकलने पर साइकिल के रास्ते आप बर्लिन के उपनगरीय इलाके में पहुंचते हैं. पॉट्सडाम पहुंचने से ठीक पहले ही यह पुल आता है. शीतयुद्ध काल में इसी पुल पर जासूसों की अदलाबदली हुआ करती थी. सन 1962 में यहां एक केजीबी एजेंट को एक अमेरिकी पायलट के बदले सौंपा गया, जिसे स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म "ब्रिज ऑफ स्पाइज" में भी दिखाया गया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Hirschberger
वॉच टावर म्युजियम, हेनिग्सडॉर्फ
इस ट्रेल का बहुत बड़ा हिस्सा जंगलों के बीच से होकर गुजरता है. इससे बर्लिन शहर और आसपास की हरियाली पर भी ध्यान जाता है. हावेल नदी के किनारे पर स्थित ये पूर्व वॉच टावर बर्लिन से करीब 20 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में हैं. यहां दीवार और उसके इस शहर पर असर के इतिहास को प्रदर्शित करता एक छोटा सा संग्रहालय है, जहां प्रवेश शुल्क भी नहीं लगता है.
तस्वीर: DW/M. Fürstenau
चेरी ट्री एवेन्यू, पान्को
एक बार फिर शहर में प्रवेश करते हुए चेरी के पेड़ों की कतारें आपका स्वागत करेंगी. पान्को में यह सबसे खूबसूरत नजारा अप्रैल के अंत में दिखता है. यहां के करीब 10,000 पेड़ जापान ने भेंट किए थे जिससे "लोगों के दिलों को शांति मिले." पूर्व दीवार के कई हिस्सों में इन पेड़ों को लगाया गया. यह एवेन्यु बोएजेब्रुके के पास है जो कि दीवार गिरने के दिन खुलने वाली सबसे पहली क्रॉसिंग थी.
तस्वीर: DW/E. Grenier
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बर्लिन कभी एक दीवार से बंटा शहर था. फिर जब दीवार गिरी तो पाबंदियों की जकड़ से बाहर निकलने को बेताब पूर्वी बर्लिन के युवाओं का मिलन पश्चिमी जर्मनी के उन युवाओं से हुआ जो तयशुदा सैन्य सेवा से बचने के लिए राजधानी में रहने आए थे. बर्लिन को विशेष दर्जा हासिल था इसलिए वहां रहने वालों के लिए सैन्य सेवा जरूरी नहीं थी. इसलिए देश के हर हिस्से से सैन्य सेवा से बचना चाह रहे लोग वहां चले आते थे. जब इन दो आजादख्याल तबकों का मेल हुआ तो खुलेपन का अद्भुत माहौल पैदा हुआ. यह माहौल सारी दुनिया के कलाकारों को अपनी ओर खींचता है. सीरिया के कलाकार भी कोई अपवाद नहीं हैं. 16 साल से बर्लिन में रह रहे सीरियाई कलाकार अली काफ कहते हैं, "बर्लिन के सांस्कृतिक परिदृश्य अब नये अंदाज में हैं." काफ हर साल करीब 20 शरणार्थियों को अलग अलग आर्ट स्कूलों में दाखिला दिलाने में मदद करते हैं. अदवान भी ऐसा ही कर रहे हैं. वह कहते हैं कि अब यहां दमिश्क जैसा लगने लगा है. अदवान बताते हैं, "दमिश्क ड्रामा स्कूल के मेरे कुछ छात्र आजकल शराणार्थी कैंपों में रह रहे हैं."
तस्वीरों में, आओ चलें बर्लिन
आओ चलें बर्लिन
बर्लिन अद्भुत शहर है. वहां आप सिर्फ देखते देखते कई दिन बिता सकते हैं. पेश हैं बर्लिन पर कुछ हस्तियों के शब्द. साथ में तस्वीरें भी. देखिए और बर्लिन के दीवाने हो जाइए.
तस्वीर: Imago/J. Tack
गरीब लेकिन सेक्सी
2011 से 2014 के बीच बर्लिन के मेयर रहे क्लाउस वोवेराइट ने शहर के बारे में कहा थाः यह गरीब है लेकिन सेक्सी है.
तस्वीर: picture-alliance/Arco Images
क्लाउस वोवेराइट
यह गरीब है लेकिन सेक्सी है. 2011 से 2014 के बीच बर्लिन के मेयर रहे क्लाउस वोवेराइट
तस्वीर: Imago/J. Tack
डेविड बोवी
संस्कृति का सबसे बड़ा समंदर है बर्लिन.
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इरविंग बर्लिन
मुझे कुछ भी हो जाए. मेरा करियर कहीं भी पहुंचे, बर्लिन हमेशा मेरा घर रहेगा.
तस्वीर: dapd
बिल क्लिंटन
हमें कुछ नहीं रोक सकता. सब कुछ संभव है. बर्लिन आजाद है.
तस्वीर: picture alliance/H. J. Rech
जॉन एफ. केनेडी, 1963
मैं एक बर्लिनवासी हूं.
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फ्रांत्स फोन जुप्पे
तुम पागल हो मेरे बच्चे, तुम तो बर्लिन चले जाओ.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
ऐनलीस बोएडेकर
बर्लिन के लोग लापरवाह और रूखे हैं. अशिष्ट हैं और बहुत धौंस दिखाते हैं. बर्लिन घिनौना है, गंदा और शोर भरा है. लेकिन, जो लोग यहां नहीं रहते मुझे उनसे सहानुभूति है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Soeren Stache
इरविंग बर्लिन
बर्लिन मेरा फेवरिट शहर है.
तस्वीर: picture-alliance/chromorange
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पत्रकार और फोटोग्राफर दोहा हसन को बर्लिन में कई पुराने दोस्त मिल चुकी हैं. 2011 में युद्ध शुरू होने के बाद से छह लाख लोग सीरिया से जर्मनी आ चुके हैं और बर्लिन के बारे में हसन कहती हैं कि दमिश्क जैसा ही लगता है. हालांकि बाहर से आए लोगों के लिए जिंदगी की शुरुआत आसान नहीं होती. मिस्र की बासमा अल-हुसैनी कहती हैं कि अपनी पढ़ाई जारी रखना या कला-कर्म को आगे बढ़ाना नए पहुंचे लोगों के लिए आसान नहीं होता. अल-हसैनी ने एक संस्था स्थापित की है जो शरणार्थी कलाकारों की मदद करती है.
इस बीच अदवान ने एक जर्मन प्रकाशक मारियो म्युएन्स्टर के साथ मिलकर अंग्रेजी पत्रिका शुरू करने की योजना बनाई है जिसमें युवा जर्मन कलाकारों को सीरियाई शरणार्थी कलाकारों से जोड़ने की कोशिश की जाएगी.