जर्मनी में सीरियाई युद्ध अपराधों से जुड़ा लैंडमार्क फैसला
१३ जनवरी २०२२
जर्मन अदालत में यह केस 'यूनिवर्सल ज्यूरिस्डिक्शन' के तहत चलाया गया. इसके तहत किसी और देश में हुए संभावित युद्ध अपराधों में भी केस चलाया जा सकता है और दोषियों को सजा दी जा सकती है.
विज्ञापन
जर्मनी की एक अदालत ने सीरिया के एक पूर्व खुफिया अधिकारी को युद्ध अपराध का दोषी पाया है. दोषी अफसर को मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.
यह मुकदमा जर्मनी के कोब्लेंस शहर की हायर रीजनल कोर्ट में चला. यहां 58 साल के पूर्व सीरियाई अधिकारी अनवर आर पर 'यूनिवर्सल ज्यूरिस्डिक्शन' के तहत केस चलाया गया. इसके तहत, विदेश में हुए युद्ध अपराध से जुड़े मामलों में भी जर्मनी के भीतर मुकदमा चलाया जा सकता है. यह पहली बार था, जब दुनिया में कहीं पर सीरिया की बशर अल असद सरकार द्वारा प्रायोजित युद्ध अपराधों के खिलाफ मुकदमा चला.
अपने फैसले में अदालत ने कहा कि अभियुक्त को हत्या, यातना, बलात्कार, यौन उत्पीड़न और लोगों को उनकी आजादी से वंचित रखने का दोषी पाया गया है. उसे दो मामलों में लोगों को बंधक बनाने का दोषी भी पाया गया. साथ ही, कैदियों के यौन शोषण से जुड़े तीन मामलों में भी आरोप सिद्ध हुए.
ह्यूमन राइट्स वॉच ने इस अदालती फैसले को सीरिया में यातना का शिकार हुए लोगों के लिए महत्वपूर्ण बताया है. यूरोपियन सेंटर फॉर कॉन्स्टिट्यूशनल एंड ह्यूमन राइट्स के महासचिव वोल्फगांग कालेक ने फैसले पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा, ''अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल जस्टिस से जुड़ी सारी कमियों के बावजूद अनवर आर को सजा मिलना बताता है कि यूनिवर्सल ज्यूरिस्डिक्शन के सिद्धांत से क्या हासिल हो सकता है.''
सीरिया: बर्बादी, तबाही और रिसते जख्मों के दस साल
सीरिया बीते दस साल से लगातार बर्बादी और तबाही झेल रहा है. सीरिया के कुछ फोटोग्राफरों ने युद्ध से लहूलुहान अपने देश के दर्दनाक वर्तमान को तस्वीरों में दर्ज किया है.
तस्वीर: Omar Sanadiki/OCHA
मलबे में दबी यादें
सीरिया के शहर रक्का की यह तस्वीर 2019 में ली गई. एक महिला मलबे के बीच अपने बच्चे को गाड़ी पर बिठाकर घुमाने निकली है. इस तस्वीर को लेने वाले अबूद हमाम कहते हैं, "देखकर बड़ा धक्का लगा कि मेरे शहर को क्या हो गया है जिसकी हर गली से मेरी कुछ ना कुछ यादें जुड़ी हैं. उन्होंने सब बर्बाद कर दिया है, हमारा अतीत, हमारी यादें और इस शहर में हमारी जिंदगी."
तस्वीर: Abood Hamam/OCHA
ये दुख खत्म क्यों नहीं होता
इदलीब प्रांत में यह तस्वीर 2020 में ली गई जिसमें दो भाई अपनी मां को खोने के बाद एक दूसरे से लिपट कर बिलख रहे हैं. इस तस्वीर को लेने वाले गैथ अलसैयद 17 साल के थे जब उनके देश में लड़ाई शुरू हुई. उन्होंने एक बम हमले में अपने भाई को खोया है. वह कहते हैं, "जब भी कोई हवाई हमला होता है तो मैं उस दिन में पहुंच जाता हूं जब हमारे शहर पर मिसाइल हमला हुआ और मेरा भाई मारा गया."
तस्वीर: Ghaith Alsayed/OCHA
बर्बादी में गुम
यह तबाह इमारत कभी एक स्कूल हुआ करती थी. मोहानाद जायत ने 2020 में यह तस्वीर ली जिसमें एक मां ने अपने बच्चे के साथ शरण ली हुई थी. वह कहते हैं, "जब सीरिया में लड़ाई शुरू हुई तो मैं हाई स्कूल में था और मैंने कभी नहीं सोचा कि मैं पत्रकार और फोटोग्राफर बनूंगा. बीते बरसों में, मैंने इस मानवीय संकट से जुड़ी बहुत सी कहानियां दुनिया भर में पहुंचाई हैं. इससे मुझे अपने काम को जारी रखने की हिम्मत मिलती है."
तस्वीर: Mohannad Zayat/OCHA
बम से फूटा पानी
2013 में यह तस्वीर एलैप्पो में ली गई. यहां एक बम ने पाइप लाइन को तबाह कर दिया, तो उससे पानी निकलने लगा. एक लड़का इसी से अपनी प्यास बुझा रहा है. इस तस्वीर को लेने वाले मुजफ्फर सलमान कहते हैं, "कुछ लोगों ने तस्वीर के सच होने पर सवाल कुछ उठाए. कुछ ने कहा कि फोटोग्राफर को फोटो लेने की बजाय बच्चे को पानी देना चाहिए था. लेकिन मेरा मकसद हालात को बिल्कुल वैसे ही दिखाना था, जैसे वे हैं."
तस्वीर: Muzaffar Salman/OCHA
अपने शहर से विदाई
मार्च 2018 में गौला में यह तस्वीर ली गई थी जिसमें एक पिता अपनी बेटी को सूटकेस में रखकर शहर छोड़ रहा है. इस पल को कैमरे में कैद करने वाले ओमर सानादिकी कहते हैं, "युद्ध ने ना सिर्फ सीरिया को बदला है, बल्कि इसने हमारे नजरिए को भी बदल दिया है और यह बात हम दुनिया को बताना चाहते हैं. मेरा सपना है कि एक दिन, भले ही 50 साल बाद, मेरी बेटियां असली और जोया मेरी फोटो दुनिया को दिखाएं."
तस्वीर: Omar Sanadiki/OCHA
कॉफी की चुस्कियां
राजधानी दमिश्क के पास दौमा में एक महिला अपने पति के साथ तबाह घर में कॉफी पी रही है. समीर अल दौमी अपनी इस तस्वीर के बारे में कहते हैं, "उम मोहम्मद उन सबसे खास लोगों में हैं जिनसे मैं मिला. वह गंभीर रूप से घायल थीं और अपनी चोटों से उबर रही थीं. उनके पति को भी हवाई हमले में चोटें आई थीं और वह चल नहीं पा रहे थे. लेकिन इन हालात में अपने पति के लिए उनका प्यार साफ तौर पर दिखता था."
तस्वीर: Sameer Al-Doumy/OCHA/AFP
बेटे को खोने का गम
"बहुत से मौके पर मैं फोटो नहीं लेता हूं क्योंकि मेरे सामने जो रहा होता है उसमें बहुत दर्द और अत्याचार छिपा होता है." यह कहना है फोटोग्राफर मोहम्मद अबाजीद का. "जब मैंने इस तस्वीर को लिया वो 2017 के ईद उल फितर की बात है. यह महिला अपने बेटे की कब्र पर जाकर उसे लगातार चूम रही थी और रो रही थी. मैं भी उसके साथ रो रहा था और अपने आंसू पोंछ रहा था ताकि इस लम्हे को कैमरे में कैद कर पाऊं."
तस्वीर: Mohamad Abazeed/OCHA
बच्ची ने खोया अपना पैर
दिसंबर 2013 में ली गई इस तस्वीर में पांच साल की आया खाने का इंतजार कर रही है, जो उसके पिता बना रहे हैं. वह स्कूल जा रही थी कि एक मोर्टार हमले का शिकार बनी. उसने फोटोग्राफर कैरोल अलफराह को बताया, "मैंने अपने ब्राउन जूते पहने हुए थे, मेरा जूता ऊपर उड़ गया और उसके साथ मेरे मेरी टांग भी उड़ गई. मेरी टांग चली गई."
तस्वीर: Carole Alfarah/OCHA
तबाही के बीच ट्रेनिंग
यह नजारा अलैप्पो के पास कफ्र नूरान का है जहां कुछ नौजवान खिलाड़ी तबाह इमारतों को अपने अभ्यास के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. यह तस्वीर सितंबर 2020 में ली गई. इसे अनास अल खारबौतली ने अपने कैमरे में कैद किया. वह अपनी तस्वीरों में दिखाना चाहते हैं कि मलबे के बीच लोग कैसे अपनी जिंदगी को वापस पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं.
तस्वीर: Anas Alkharboutli/OCHA/picture alliance/dpa
नई जिंदगी की उम्मीद?
फोटोग्राफर अली हज सुलेमानी कहते हैं, "मैंने यह तस्वीर इदलीब के दक्षिण में बालयून शहर में 2020 में ली थी, जिसमें एक परिवार युद्धविराम समझौते के बाद वापस अपने घर लौटा था. उस वक्त दुख और खुशी की मिली जुली भावना थी. खुशी इसलिए कि लोग अपने घर लौटे थे और दुख इसलिए कि मैं वापस अपने घर और अपने गांव लौटकर नहीं जा सकता था."
तस्वीर: Ali Haj Suleiman/OCHA
10 तस्वीरें1 | 10
क्या आरोप थे?
इस मामले का घटनाक्रम सीरियाई गृह युद्ध के शुरुआती सालों 2011-12 से जुड़ा है. उस समय अनवर खुफिया विभाग में कर्नल के पद पर था. उस पर कैदियों से पूछताछ की भी जिम्मेदारी थी. इल्जाम है कि उसकी निगरानी में राजधानी दमिश्क स्थित 'अल-खातिब डिटेंशन सेंटर' में बंद कम-से-कम चार हजार कैदियों को यातनाएं दी गईं. इनमें से कम-से-कम 30 कैदी मारे गए.
मुकदमे के दौरान अनवर ने अपने ऊपर लगे इल्जामों से इनकार किया था. उसका दावा था कि उसने कभी अमानवीय व्यवहार नहीं किया. अभियोजन पक्ष ने उसके लिए उम्रकैद की अपील की थी. अभियोजन पक्ष ने अदालत से यह भी मांग की कि अपराधों की गंभीरता देखते हुए यह सुनिश्चित किया जाए कि सजा के शुरुआती 15 सालों में उसे रिहाई न मिले. केस के मुख्य अभियोजक ने यह भी कहा था कि जर्मनी पर ऐसे अपराधों में न्याय तय करने की ऐतिहासिक जिम्मेदारी है.
सीरिया में असद के शासन के 20 साल
02:37
इसी केस में पहले भी एक फैसला आ चुका है
अनवर 2012 में सीरिया से भागकर जर्मनी आया और यहां शरण ले ली. अप्रैल 2020 में उस पर मुकदमा शुरू हुआ. इस केस में अनवर के अलावा सीरियन सेना के एक और पूर्व सदस्य अयाद एल.जी पर भी आरोप थे. अयाद पर प्रदर्शनकारियों को पकड़ने में मदद करने और उन्हें डिटेंशन सेंटर लाने का आरोप था.
2021 में फैसला सुनाते हुए अदालत ने अयाद को मानवता के खिलाफ हुए अपराधों में मददगार माना. उसे साढ़े चार साल जेल की सजा सुनाई गई. यह पहली बार था जब असद सरकार द्वारा लोगों को यातना देने से जुड़े मामले में किसी को सजा मिली हो.
नर्क जैसा बना सीरिया का पूर्वी गूटा
सीरिया के गूटा इलाके के पूर्वी हिस्से में हालात बद से बदत्तर हो चुके हैं. विद्रोहियों के सफाये के चक्कर में सीरिया और रूस ने पूरे शहर को तबाह कर दिया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP/Syrian Civil Defense White Helmets
अंधाधुंध हवाई हमले
सीरिया की राजधानी दमिश्क से सटे पूर्वी गूटा में 19 फरवरी से 26 फरवरी तक रूस ने खूब हवाई हमले किए. हवाई हमलों की आड़ में सीरियाई सेना ने विद्रोहियों के आखिरी गढ़ कहे जाने वाले गूटा में जमीनी सैन्य कार्रवाई की. इसकी कीमत 500 लोगों ने अपनी जान देकर चुकाई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP/Syrian Civil Defense White Helmets
धरती पर नर्क
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव आंतोनियो गुटेरेश ने पूर्वी गूटा के हालात को धरती पर नर्क जैसा बताया. गुटेरेश ने पूर्वी गूटा में तुरंत संघर्ष विराम लागू करने की मांग की. पूर्वी गूटा में करीब चार लाख लोग रहते हैं.
तस्वीर: Reuters/B. Khabieh
रासायनिक हथियारों का शक
इलाके के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और डॉक्टरों के मुताबिक पूर्वी गूटा के कई लोगों में रासायनिक हमले जैसे लक्षण दिखे हैं. लक्षण क्लोरीन गैस के हमले से मिलते जुलते हैं. सीरिया की सरकार का कहना है कि उसने कभी रासायनिक हथियारों का प्रयोग नहीं किया.
तस्वीर: Reuters/B. Khabieh
रॉकेट के अवशेष
पूर्वी गूटा के दूमा में मिसाइलों और रॉकेटों से भी हमले किए गए. 27 फरवरी से हर दिन पांच घंटे का संघर्ष विराम लागू हुआ है. लाखों लोगों को वहां से बाहर निकाला जाना है.
तस्वीर: Reuters/B. Khabieh
घर की जगह मलबा
सीरिया और रूस की हालिया सैन्य कार्रवाई ने दूमा में खासी तबाही मचाई. दूमा में अपने घर मलबा साफ करता एक युवक.
तस्वीर: Reuters/B. Khabieh
न खाना, न पीना
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक दूमा के लाखों आम लोगों के पास न तो पर्याप्त पानी है और न ही खाना. जान बचाने के लिए शिविरों में रह रहे लोगों के लिए खाना पीना जुटाना भी मुश्किल हो गया.
तस्वीर: Reuters/B. Khabieh
रूस और सीरिया पर दबाव
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एकमत से सीरिया में 30 देश के संघर्ष विराम का प्रस्ताव पास हुआ. इसके बाद रूस ने 27 फरवरी से पूर्वी गूटा में हर दिन पांच घंटे के संघर्ष विराम का एलान किया. (रिपोर्ट: निकोल गोएबल/ओएसजे)
तस्वीर: picture alliance/ZUMAPRESS.com
7 तस्वीरें1 | 7
कैसी यातनाएं दी गईं?
मुकदमे के दौरान एक जर्मन जांचकर्ता ने अदालत को बताया कि अनवर ने 18 साल तक सीरिया के खुफिया विभाग में नौकरी की. रैंकिंग में ऊपर चढ़ते हुए वह आंतरिक खुफिया एजेंसी की इन्वेस्टिगेशन सर्विस का प्रमुख बनाया गया. प्रॉसिक्यूटरों के मुताबिक, उसकी निगरानी में कैदियों को यातनाएं दी गईं.
इनमें कैदियों के साथ बलात्कार, यौन शोषण, बिजली के झटके दिया जाना, कोड़े और घूंसों से पिटाई और सोने न देने जैसी यातनाएं शामिल थीं. इस मामले में करीब 80 गवाहों ने बयान दिया. इनमें यूरोपीय देशों में शरण लेने वाली कई सीरियाई महिलाएं और पुरुष शामिल थे. साथ ही, असद सरकार का साथ छोड़कर भागे 12 लोग भी गवाहों में शामिल थे.
गवाहों की आपबीती
मुकदमे के दौरान कुछ गवाहों ने यातनाओं का ब्योरा भी दिया. उन्होंने बताया कि कैदियों को कोड़े से पीटा जाता था, सिगरेट से जलाया जाता था, उनके जननांगों पर चोट पहुंचाई जाती थी. कुछ ने बताया कि उन्हें केवल हथेली के सहारे लटका दिया जाता था. लटके-लटके केवल उनके पांव का एक सिरा ही जमीन को छू पाता था.
एक शख्स ने अपने बयान में सामूहिक कब्रों की बात कही और बताया कि वह उन्हें सूचीबद्ध करने का काम करता था. कुछ गवाह अपना चेहरा छुपाकर या भेष बदलकर भी अदालत के सामने आए, ताकि उनकी गवाही के चलते सीरिया में रह रहे उनके रिश्तेदारों को निशाना न बनाया जाए.
सीरियाई जेल में कैद महिलाओं पर जुल्म की दास्तान
01:41
This browser does not support the video element.
और भी देशों में चल रहे हैं ऐसे केस
सीरियाई गृह युद्ध के दौरान और बाद के सालों में वहां के कई लोगों ने भागकर यूरोप में शरण ली. इनमें से कुछ शरणार्थियों ने गृह युद्ध के दौरान असद सरकार और सेना द्वारा किए गए युद्ध अपराध से जुड़े मामलों में जिम्मेदारी तय करने के लिए यूरोपीय देशों में लागू कानून व्यवस्था का रुख किया. इसके चलते ही जर्मनी में यह केस शुरू हो पाया. आने वाले दिनों में सीरिया के गृह युद्ध से जुड़े और भी कुछ केस जर्मनी में शुरू होने जा रहे हैं.
इनमें से एक प्रमुख केस में सीरिया के एक पूर्व डॉक्टर पर मानवता के विरुद्ध अपराध करने का आरोप है. यह मुकदमा अगले हफ्ते फ्रैंकफर्ट में शुरू होगा. जर्मन प्रॉसिक्यूटरों का कहना है कि आरोपी डॉक्टर ने युद्ध अपराध किए. उसने एक सैन्य अस्पताल में कैदियों को यातनाएं दीं. प्रॉसिक्यूशन के मुताबिक, आरोपी ने जहरीला इंजेक्शन लगाकर एक कैदी की जान भी ली.
जर्मनी के अलावा फ्रांस और स्वीडन में भी सीरियाई युद्ध अपराधों से जुड़े मुकदमे चल रहे हैं. कोब्लेंस में चले केस और उसमें सुनाए गए फैसले से जर्मनी में रह रहे करीब आठ लाख सीरियाई शरणार्थियों को उम्मीद मिलेगी. असद सरकार कैदियों को यातना देने और युद्ध अपराध करने के आरोपों से इनकार करती है. इस मामले में एक अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल बनाने की भी कोशिश हुई थी, जो नाकाम रही.