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विवादजर्मनी

जर्मनी में सीरियाई युद्ध अपराधों से जुड़ा लैंडमार्क फैसला

१३ जनवरी २०२२

जर्मन अदालत में यह केस 'यूनिवर्सल ज्यूरिस्डिक्शन' के तहत चलाया गया. इसके तहत किसी और देश में हुए संभावित युद्ध अपराधों में भी केस चलाया जा सकता है और दोषियों को सजा दी जा सकती है.

जर्मन अदालत ने पूर्व सीरियाई कर्नल अनवर आरतस्वीर: Thomas Frey/dpa/picture alliance

जर्मनी की एक अदालत ने सीरिया के एक पूर्व खुफिया अधिकारी को युद्ध अपराध का दोषी पाया है. दोषी अफसर को मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.

यह मुकदमा जर्मनी के कोब्लेंस शहर की हायर रीजनल कोर्ट में चला. यहां 58 साल के पूर्व सीरियाई अधिकारी अनवर आर पर 'यूनिवर्सल ज्यूरिस्डिक्शन' के तहत केस चलाया गया. इसके तहत, विदेश में हुए युद्ध अपराध से जुड़े मामलों में भी जर्मनी के भीतर मुकदमा चलाया जा सकता है. यह पहली बार था, जब दुनिया में कहीं पर सीरिया की बशर अल असद सरकार द्वारा प्रायोजित युद्ध अपराधों के खिलाफ मुकदमा चला.

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फैसले पर प्रतिक्रिया

अपने फैसले में अदालत ने कहा कि अभियुक्त को हत्या, यातना, बलात्कार, यौन उत्पीड़न और लोगों को उनकी आजादी से वंचित रखने का दोषी पाया गया है. उसे दो मामलों में लोगों को बंधक बनाने का दोषी भी पाया गया. साथ ही, कैदियों के यौन शोषण से जुड़े तीन मामलों में भी आरोप सिद्ध हुए.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने इस अदालती फैसले को सीरिया में यातना का शिकार हुए लोगों के लिए महत्वपूर्ण बताया है. यूरोपियन सेंटर फॉर कॉन्स्टिट्यूशनल एंड ह्यूमन राइट्स के महासचिव वोल्फगांग कालेक ने फैसले पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा, ''अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल जस्टिस से जुड़ी सारी कमियों के बावजूद अनवर आर को सजा मिलना बताता है कि यूनिवर्सल ज्यूरिस्डिक्शन के सिद्धांत से क्या हासिल हो सकता है.''

क्या आरोप थे?

इस मामले का घटनाक्रम सीरियाई गृह युद्ध के शुरुआती सालों 2011-12 से जुड़ा है. उस समय अनवर खुफिया विभाग में कर्नल के पद पर था. उस पर कैदियों से पूछताछ की भी जिम्मेदारी थी. इल्जाम है कि उसकी निगरानी में राजधानी दमिश्क स्थित 'अल-खातिब डिटेंशन सेंटर' में बंद कम-से-कम चार हजार कैदियों को यातनाएं दी गईं. इनमें से कम-से-कम 30 कैदी मारे गए.

मुकदमे के दौरान अनवर ने अपने ऊपर लगे इल्जामों से इनकार किया था. उसका दावा था कि उसने कभी अमानवीय व्यवहार नहीं किया. अभियोजन पक्ष ने उसके लिए उम्रकैद की अपील की थी. अभियोजन पक्ष ने अदालत से यह भी मांग की कि अपराधों की गंभीरता देखते हुए यह सुनिश्चित किया जाए कि सजा के शुरुआती 15 सालों में उसे रिहाई न मिले. केस के मुख्य अभियोजक ने यह भी कहा था कि जर्मनी पर ऐसे अपराधों में न्याय तय करने की ऐतिहासिक जिम्मेदारी है.

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इसी केस में पहले भी एक फैसला आ चुका है

अनवर 2012 में सीरिया से भागकर जर्मनी आया और यहां शरण ले ली. अप्रैल 2020 में उस पर मुकदमा शुरू हुआ. इस केस में अनवर के अलावा सीरियन सेना के एक और पूर्व सदस्य अयाद एल.जी पर भी आरोप थे. अयाद पर प्रदर्शनकारियों को पकड़ने में मदद करने और उन्हें डिटेंशन सेंटर लाने का आरोप था.

2021 में फैसला सुनाते हुए अदालत ने अयाद को मानवता के खिलाफ हुए अपराधों में मददगार माना. उसे साढ़े चार साल जेल की सजा सुनाई गई. यह पहली बार था जब असद सरकार द्वारा लोगों को यातना देने से जुड़े मामले में किसी को सजा मिली हो.

कैसी यातनाएं दी गईं?

मुकदमे के दौरान एक जर्मन जांचकर्ता ने अदालत को बताया कि अनवर ने 18 साल तक सीरिया के खुफिया विभाग में नौकरी की. रैंकिंग में ऊपर चढ़ते हुए वह आंतरिक खुफिया एजेंसी की इन्वेस्टिगेशन सर्विस का प्रमुख बनाया गया. प्रॉसिक्यूटरों के मुताबिक, उसकी निगरानी में कैदियों को यातनाएं दी गईं.

इनमें कैदियों के साथ बलात्कार, यौन शोषण, बिजली के झटके दिया जाना, कोड़े और घूंसों से पिटाई और सोने न देने जैसी यातनाएं शामिल थीं. इस मामले में करीब 80 गवाहों ने बयान दिया. इनमें यूरोपीय देशों में शरण लेने वाली कई सीरियाई महिलाएं और पुरुष शामिल थे. साथ ही, असद सरकार का साथ छोड़कर भागे 12 लोग भी गवाहों में शामिल थे. 

गवाहों की आपबीती

मुकदमे के दौरान कुछ गवाहों ने यातनाओं का ब्योरा भी दिया. उन्होंने बताया कि कैदियों को कोड़े से पीटा जाता था, सिगरेट से जलाया जाता था, उनके जननांगों पर चोट पहुंचाई जाती थी. कुछ ने बताया कि उन्हें केवल हथेली के सहारे लटका दिया जाता था. लटके-लटके केवल उनके पांव का एक सिरा ही जमीन को छू पाता था.

एक शख्स ने अपने बयान में सामूहिक कब्रों की बात कही और बताया कि वह उन्हें सूचीबद्ध करने का काम करता था. कुछ गवाह अपना चेहरा छुपाकर या भेष बदलकर भी अदालत के सामने आए, ताकि उनकी गवाही के चलते सीरिया में रह रहे उनके रिश्तेदारों को निशाना न बनाया जाए.   

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और भी देशों में चल रहे हैं ऐसे केस

सीरियाई गृह युद्ध के दौरान और बाद के सालों में वहां के कई लोगों ने भागकर यूरोप में शरण ली. इनमें से कुछ शरणार्थियों ने गृह युद्ध के दौरान असद सरकार और सेना द्वारा किए गए युद्ध अपराध से जुड़े मामलों में जिम्मेदारी तय करने के लिए यूरोपीय देशों में लागू कानून व्यवस्था का रुख किया. इसके चलते ही जर्मनी में यह केस शुरू हो पाया. आने वाले दिनों में सीरिया के गृह युद्ध से जुड़े और भी कुछ केस जर्मनी में शुरू होने जा रहे हैं.

इनमें से एक प्रमुख केस में सीरिया के एक पूर्व डॉक्टर पर मानवता के विरुद्ध अपराध करने का आरोप है. यह मुकदमा अगले हफ्ते फ्रैंकफर्ट में शुरू होगा. जर्मन प्रॉसिक्यूटरों का कहना है कि आरोपी डॉक्टर ने युद्ध अपराध किए. उसने एक सैन्य अस्पताल में कैदियों को यातनाएं दीं. प्रॉसिक्यूशन के मुताबिक, आरोपी ने जहरीला इंजेक्शन लगाकर एक कैदी की जान भी ली.

जर्मनी के अलावा फ्रांस और स्वीडन में भी सीरियाई युद्ध अपराधों से जुड़े मुकदमे चल रहे हैं. कोब्लेंस में चले केस और उसमें सुनाए गए फैसले से जर्मनी में रह रहे करीब आठ लाख सीरियाई शरणार्थियों को उम्मीद मिलेगी. असद सरकार कैदियों को यातना देने और युद्ध अपराध करने के आरोपों से इनकार करती है. इस मामले में एक अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल बनाने की भी कोशिश हुई थी, जो नाकाम रही.

एसएम/ओएसजे (डीपीए, एएफपी, रॉयटर्स)

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