तुर्की में सीरियाई शरणार्थी कैसे बन गए राजनीतिक मुद्दा
१३ मई २०२२
तुर्की में अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में सभी मुद्दे पीछे छूटते दिख रहे हैं और सीरियाई शरणार्थी का मुद्दा सबसे गर्म हो गया है.
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साल 2012 से ही लाखों सीरियाई शरणार्थी अपने देश से भागकर पड़ोसी देश तुर्की में जा बसे. गृहयुद्ध से प्रभावित सीरियाई लोगों की एकमात्र इच्छा शांतिपूर्ण स्थान पर पहुंचने की थी. बाद में वही सीरियाई यूरोपीय देशों में तक जा पहुंचे. हालांकि, 2016 में तुर्की और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत अंकारा सीरियाई लोगों को यूरोप की यात्रा करने से रोकने के लिए सहमत हुआ जिसके बदले में ईयू ने तुर्की को वित्तीय मदद देने का वादा किया.
राजनीतिक और आर्थिक मुद्दे पीछे
एक अनुमान के अनुसार तुर्की में अभी भी लगभग 37 लाख सीरियाई शरणार्थी हैं. हालांकि बदलती राजनीतिक और आर्थिक स्थिति के कारण तुर्की के कुछ लोग अब उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण लीरा की कीमत में ऐतिहासिक गिरावट आई है. इसके साथ ही देश में सालाना महंगाई अप्रैल महीने में बढ़कर करीब 70 प्रतिशत पर पहुंच गई है. इन कारणों से राजनीतिक बहस के केंद्र में शरणार्थी आ गए हैं.
सीरिया की स्थिति की निगरानी करने वाले विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि वहां की परिस्थितियां शरणार्थियों के लौटने के लिए अनुकूल नहीं हैं. लेकिन तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा है कि वह सीरिया में पुनर्निर्माण और पुनर्वास चाहते हैं ताकि सीरियाई लोगों को धीर-धीरे वापस भेजा सके.
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शरणार्थियों की "स्वैच्छिक" वापसी चाहते हैं एर्दोवान
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोवान 2003 से सत्ता में हैं और वे अगला चुनाव भी जीतना चाहते हैं लेकिन आर्थिक संकट उनके लिए मुश्किलें बढ़ा रहा है. एर्दोवान शरणार्थियों की "स्वैच्छिक" वापसी को प्रोत्साहित करना चाहते हैं और वे सीरिया में अधिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करने का वादा कर रहे हैं. अंकारा ने 2016 से सीरिया में सैनिकों को तैनात किया है. एर्दोवान कहते आए हैं कि वह सीरिया को रहने योग्य बनाने के लिए और कदम उठाएंगे.
तुर्की ने अपने सीमावर्ती इलाकों से सटे सीरिया में भी एक सुरक्षित क्षेत्र स्थापित किया है, जबकि इदलिब में हजारों घर बनाए गए हैं. एर्दोवान ने यह भी कहा है कि वह इन सीरियाई शरणार्थियों को "हत्यारों" को नहीं सौंपेंगे, जिसका मतलब है कि जब तक सीरिया में स्थिति शांतिपूर्ण नहीं हो जाती, उनका मिशन सीरियाई लोगों की रक्षा करना है. लेकिन राजनीतिक रूप से उन्हें अब कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि अगर वे अपने बयान पर कायम रहे तो उन्हें मतदाताओं का समर्थन खोना पड़ सकता है.
एर्दोवान के मुख्य प्रतिद्वंद्वी और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार केमाल कुलुचदारोलू ने खुले तौर पर कहा है कि अगर वह अगला राष्ट्रपति चुनाव जीतते हैं, तो वह सभी सीरियाई शरणार्थियों को वापस भेज देंगे. केमाल की राजनीतिक पार्टी सीएचपी के इस सार्वजनिक नारे ने तुर्की के मतदाताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा है. इसी तरह से दक्षिणपंथी कट्टरपंथी राजनीतिक दल विक्ट्री पार्टी ने शरणार्थियों के "मूक हमले" को पार्टी का नारा बना दिया है.
कुछ तुर्क सीरियाई लोगों पर "उनकी नौकरी चुराने" या "किराए में वृद्धि" का आरोप लगाते हैं. तो वहीं कुछ लोग देश में महंगाई और वित्तीय संकट को इस मुद्दे से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. अंकारा स्थित थिंक टैंक टीईपीएवी (TEPAV) के शोधकर्ता उमर कदकोय का कहना है कि अभी तक किसी ने भी शरणार्थियों को वापस भेजने की योजना नहीं बताई है.
तुर्की में खुला दुनिया का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज
तुर्की में दुनिया का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज खुल गया है. यह पुल एशिया और यूरोप के बीच बना सबसे लंबा सस्पेंशन पुल है.
तस्वीर: Sergen Sezgin/AA/picture alliance
1915 कानाक्कल ब्रिज
इस पुल का उद्घाटन हाल ही में तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान ने किया है. इसे बनाने में 2.7 अरब डॉलर (20 हजार करोड़ रुपये) खर्च हुए.
तस्वीर: Sergen Sezgin/AA/picture alliance
बचत भी कराएगा पुल
इस पुल के बन जाने के बाद हर साल तुर्की ईंधन की खपत और कार्बन उत्सर्जन में कमी से 45 करोड़ डॉलर यानी 3492 अरब रुपये की बचत करेगा.
तस्वीर: Sergen Sezgin/AA/picture alliance
दो टावरों के बीच लंबा फासला
पुल के दो टावरों के बीच करीब दो किलोमीटर का फासला है. एर्दोवान ने पुल के उदघाटन के मौके पर कहा, "1915 कानाक्कल ब्रिज दुनिया का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज बन गया है."
तस्वीर: Burak Akay/AA/picture alliance
6 मिनट में पूरी होगी दूरी
तुर्की के उत्तर-पश्चिमी प्रांत कानाक्कल के यूरोपीय क्षेत्र में पड़ने वाले गेलिबोलू शहर को यह पुल एशियाई क्षेत्र में पड़ने वाले लापसेकी से जोड़ेगा. पुल की मदद से डेढ़ घंटे की फेरी की यात्रा महज छह मिनट में पूरी हो जाएगी.
तस्वीर: Sergen Sezgin/AA/picture alliance
जापान को पछाड़ा
एर्दोवान ने कहा, "तुर्की ने जापान को पीछे छोड़ दिया है, जिसके पास मिडस्पैन के मामले में दुनिया का सबसे लंबा पुल है. अब तुर्की ने पहला स्थान ले लिया है."
तस्वीर: Sergen Sezgin/AA/picture alliance
ऐतिहासिक मौके पर उदघाटन
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान दार्दानेल्ज में फ्रांसीसी और ब्रिटिश सेना के खिलाफ 1915 की ओटोमन नौसैनिक जीत की 107वीं वर्षगांठ के मौके पर इसे आम लोगों के लिए खोला गया है.
तस्वीर: Sergen Sezgin/AA/picture alliance
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समाचार एजेंसी एएफपी से बात करते हुए उमर ने कहा, "तुर्की ने सीरिया की धरती पर जो घर बनाए हैं, उनका मालिक कौन है?" उन्होंने कहा कि तुर्की और सीरिया के राष्ट्रपतियों के बीच कोई समझौता नहीं हुआ है और शरणार्थियों की स्वैच्छिक स्वदेश वापसी एक अवास्तविक योजना लगती है.
अंकारा विश्वविद्यालय में शरणार्थी मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर मुराद एर्दोवान के मुताबिक इदलिब में तथाकथित "सुरक्षित क्षेत्र" की स्थिति भी खराब है. उन्होंने कहा कि वहां बने घरों की क्षमता दस लाख लोगों की है जबकि फिलहाल वक्त 40 लाख लोग वहां रह रहे हैं. एर्दोवान चेतावनी देते हैं कि सीरियाई लोगों के लिए वहां बसना "बहुत कृत्रिम" और "बहुत जोखिम भरा" है. उनके मुताबिक, "कोई नहीं जानता कि यह क्षेत्र कब तक तुर्की के नियंत्रण में रहेगा और तुर्की कब तक वहां रहेगा."
उन्होंने बताया कि तुर्की में रहने वाले सीरियाई शरणार्थी शहरी क्षेत्रों में बिखर गए हैं और शिविरों में रहने वाले शरणार्थियों की संख्या एक फीसदी से थोड़ी अधिक है.
एए/वीके (एएफपी)
परी जगत की यात्रा जैसा है तुर्की के कैपादोशिया जाना
तुर्की के कैपादोशिया इलाके को वहां की पत्थरों से बानी अजीबोगरीब आकृतियों के लिए जाना जाता है. इन्हें जमीन से तो देखा जा ही सकता है, लेकिन गर्म हवा के गुब्बारों में उड़ कर नीचे का नजारा देखने की बात ही कुछ और है.
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उचीसर में सूर्योदय
कैपादोशिया केंद्रीय एनाटोलिया का एक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण प्रांत है जहां कम से कम 3000 ईसापूर्व काल से मानव गतिविधियों की खोज हुई है. इसे 1985 में एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया गया था. उचीसर के इस किले में जमीन के नीचे बने आवासों के साथ साथ इस इलाके का सबसे ऊंचा स्थल भी है.
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शिल्पकारी और संस्कृति
यहां तोहफों और कालीनों की कई दुकानें हैं जिन्हें सजाने के लिए छोटी से छोटी बारीकियों का ख्याल रखा गया है. नेवसेहीर की इन गलियों में आप खुद को किसी और समय में पा सकते हैं.
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जरा नजारा तो देखिए
गोरमे नाम का यह छोटा सा शहर एक राष्ट्रीय उद्यान के ठीक बीच में स्थित है. यहां छतों पर सजी इस तरह की कई आरामदायक बैठकें हैं, जिन्हें रंग बिरंगे गद्दों से सजाया गया है. यहां से ज्वालामुखीय परिदृश्य के ऊपर तैरते हुए गर्म हवा के गुब्बारों को बखूबी निहारा जा सकता है.
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हवा में सैर
कैपादोशिया के ऊपर गर्म हवा के गुब्बारे में सैर करना एक जादूई अनुभव जैसा हो सकता है. खास कर तड़के सुबह में, जब उगते सूरज की किरणें इलाके की ऊंची ऊंची चट्टानों पर पड़ती हैं, तब तो नजारा ही कुछ और होता है. एक यात्रा एक से ले कर चार घंटों तक लंबी हो सकती है.
तस्वीर: Chris McGrath/Getty Images
एक बढ़िया तस्वीर हो जाए
यह दुर्लभ दृश्य तस्वीरों और वीडियो बनाने के लिए यहां आने वाले लोगों का मनपसंद है. आप चाहें तो इनकी तरह एक सुर्ख लाल ड्रेस में हवा में तैरते हुए तस्वीर खिचवा सकती हैं या घोड़े या ऊंट की पीठ पर बैठ कर नए नए नजारों का आनंद ले सकती हैं.
तस्वीर: Behcet Alkan/AA/picture alliance
पत्थर की दुर्लभ आकृतियां
राष्ट्रीय उद्यान में 'लव वैली' के नाम से जानी जाने वाली यह अजीबोगरीब जगह भी है. इस जगह को यह नाम इन लिंग नुमा पत्थर की इन आकृतियों से मिला है. इन चट्टानों को यह आकार हजारों सालों में हवा और मौसम के थपेड़ों ने दिया है.
तस्वीर: Givaga/Zoonar/picture alliance
चट्टानों में रिहाइश
ज्वालामुखी से निकला नरम टफ पत्थर इस इलाके में बड़ी मात्रा में मिलता है. इसके गुणों की वजह से चट्टानों के अंदर पूरे के पूरे शहर बनाना भी संभव हो सका है. जुल्म झेल रहे ईसाई समुदाय के लोगों ने यहां सबसे पहले तीसरी शताब्दी में छिपने की जगह बनाई थी. बाद में घर, चर्च और पूरे के पूरे मठ इन चट्टानों में बना दिए गए.
तस्वीर: Chun Ju Wu/Zoonar/picture alliance
दुर्लभ गुफाएं
जमीन के नीचे बनी गुफाओं की यह श्रंखला इस पूरे इलाके में फैली हुई है. इसे ऊपर से देख पाना मुश्किल है लेकिन नीचे उतरने वाले लोगों को ऐसी वास्तुकला मिलेगी जो पूरी दुनिया में दुर्लभ है.
यहां गर्म हवा के गुब्बारों, साइकिल, घोड़े और ऊंट की सवारी के अलावा क्वॉड बाइक से भी घूमा जा सकता है. आप इन्हें ले कर छोटे छोटे गांवों की तंग गलियों से गुजर सकते हैं या गोरमे के इर्द गिर्द राष्ट्रीय उद्यान में भी जा सकते हैं. (क्लॉडिया डेन)