अनुमान है कि जर्मनी आने वाले शरणार्थियों में दस प्रतिशत लोग मानसिक रूप से अस्थिर होते हैं. तबाही और बर्बादी के मंजर उनका पीछा नहीं छोड़ते. बर्लिन में रहने वाले एक सीरियाई मनोविज्ञानी ऐसे लोगों की मदद कर रहे हैं.
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कौन सा समंदर कितने शरणार्थियों को खा गया
शरण की तलाश में सब कुछ दांव पर लगा देने वाले बहुत से लोग अक्सर मंजिल पर पहुंचने से पहले ही इस दुनिया को छोड़ देते हैं. पिछले कुछ वर्षों के दौरान कितने प्रवासी मारे गए, कहां मारे गए और उनका संबंध कहां से था, जानिए.
कौन सा समंदर कितने शरणार्थियों को खा गया
शरण की तलाश में सब कुछ दांव पर लगा देने वाले बहुत से लोग अक्सर मंजिल पर पहुंचने से पहले ही इस दुनिया को छोड़ देते हैं. पिछले कुछ वर्षों के दौरान कितने प्रवासी मारे गए, कहां मारे गए और उनका संबंध कहां से था, जानिए.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/T. Markou
'प्रवासियों का कब्रिस्तान'
इस साल दुनिया के विभिन्न भागों में लापता या मारे जाने वाले शरणार्थियों की संख्या 1,319 है. सबसे ज्यादा मौतें भूमध्य सागर में हुईं, जहां अप्रैल के मध्य तक 798 लोग या तो मारे गये हैं या लापता हो गये हैं. शरण की तलाश में अफ्रीका या अन्य क्षेत्रों से यूरोप पहुंचने की कोशिशों में हजारों लोग अब तक भूमध्य सागर में समा चुके हैं.
तस्वीर: Getty Images/M. Bicanski
सैकड़ों लापता या मारे गये
इस साल जनवरी से लेकर मध्य अप्रैल तक दुनिया भर में 496 ऐसे लोग मारे गये हैं या लापता हुए हैं जिनकी पहचान स्पष्ट नहीं है. इनमें सब सहारा अफ्रीका के 149, हॉर्न ऑफ अफ्रीकी क्षेत्र के देशों के 241, लैटिन अमेरिकी क्षेत्र के 172, दक्षिण पूर्व एशिया के 44 और मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के पच्चीस लोग शामिल हैं.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/E. Morenatti
2016 का हाल
सन 2016 में वैश्विक स्तर पर लापता या मारे गये शरणार्थियों की कुल संख्या 7,872 रही. पिछले साल भी सबसे ज्यादा लोग भूमध्य सागर में ही मारे गये या लापता हुए. इनकी कुल संख्या 5,098 रही. 2016 के दौरान उत्तरी अफ्रीका के समुद्र में 1,380 लोग, अमेरिका और मैक्सिको की सीमा पर 402 लोग, दक्षिण पूर्व एशिया में 181 जबकि यूरोप के 61 प्रवासी मारे गये या लापता हो गये.
अफ्रीका पर सबसे ज्यादा मार
पिछले साल अफ्रीका के 2,815 प्रवासी मारे गये या लापता हो गये. मध्य पूर्व और दक्षिण एशियाई क्षेत्र के 544, दक्षिण पूर्व एशिया के 181 जबकि लैटिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र के 675 शरणार्थी 2016 में मौत के मुंह में चले गये. पिछले साल बिना नागरिकता वाले 474 प्रवासी भी लापता हुए या मारे गये.
तस्वीर: Reuters/G. Moutafis
दक्षिण पूर्व एशिया भी प्रभावित
2015 में शरण के लिए अपनी मंजिल पर पहुंचने से पहले ही दुनिया को अलविदा कह देने वालों की संख्या 6,117 रही. उस साल भी सबसे ज्यादा 3,784 मौतें भूमध्य सागर में ही में हुईं. इसके बाद सबसे अधिक मौतें दक्षिण पूर्व एशिया में हुईं, जहां 789 शरणार्थियों के बेहतर जीवन के सपने चकनाचूर हो गये.
तस्वीर: AFP/Getty Images
रोहिंग्या भी शरण दौड़ में खो गए
सन 2015 के दौरान भूमध्य सागर के तट पर स्थित देशों के 3784 प्रवासी, दक्षिण पूर्व एशिया के 789 प्रवासी जबकि उत्तरी अफ्रीका के 672 प्रवासी मारे गये या लापता हो गये थे. यूएन की शरणार्थी संस्था यूएनएचसीआर के मुताबिक शरण के लिए समंदर में उतरने वाले हजारों रोहिंग्या भी काल के गाल में जा चुके हैं.
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पहचान स्पष्ट नहीं है
दुनिया के विभिन्न भागों में लापता या मारे गये प्रवासियों की संख्या सन 2014 में 5,267 थी. मौतों के मामले में इस साल भी भूमध्य सागर और दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र सबसे ऊपर हैं जहां 3,279 और 824 मौतें हो चुकी हैं. इस साल मारे गये करीब एक हजार लोगों की पहचान नहीं हो सकी थी.
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17 साल में 46,000 मौतें
'मिसिंग माइग्रेंट्स प्रोजेक्ट' पलायन करने वाले लोगों को लेकर शुरू की गयी एक अंतरराष्ट्रीय परियोजना है. इस संस्था के अनुसार सन 2000 से लेकर अब तक लगभग 46,000 लोग शरण की आस में जान गंवा चुके हैं. यह संस्था सरकारों से इस समस्या का हल तलाशने को कहती है.