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करीब 20 साल बाद चीन पहुंचे सीरियाई राष्ट्रपति असद

२१ सितम्बर २०२३

यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में चीन के वीटो से बार बार बचे असद हांगजो पहुंचे हैं. क्या बीजिंग पश्चिम से नाराज नेताओं का नया ठिकाना बन गया है.

चीन का हांगजो एयरपोर्ट पर सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद
तस्वीर: Huang Zongzhi/Xinhua/picture alliance

2004 के बाद पहली बार चीन पहुंचे सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद का कहना है कि वह बीजिंग के साथ रिश्तों को "नए स्तर" पर ले जाना चाहते हैं. गुरुवार को असद एयर चाइना के विमान से चीनी शहर हांगजो पहुंचे. इसी शहर में असद शनिवार को एशियन गेम्स के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेंगे.

हांगजो के हवाई अड्डे पर रंग बिरंगी पोशाक वाले कलाकारों ने सीरियाई राष्ट्रपति का स्वागत किया. इस दौरान बैकग्राउंड में संगीत बज रहा था और हवा में सीरिया और चीन के झंडे लहरा रहे थे. चीन के सरकारी मीडिया, सीसीटीवी के मुताबिक हांगजो में असद और अन्य विदेशी नेता, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलेंगे. सीरिया के राष्ट्रपति कार्यालय का कहना है कि असद बीजिंग भी जाएंगे.

युद्धग्रस्त सीरिया में लगातार चौथी बार राष्ट्रपति चुनाव जीते असद

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "चीन और सीरिया के बीच पारंपरिक और गहरी दोस्ती है. हमें लगता है कि राष्ट्रपति बशर अल असद का दौरा दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में साझा राजनीतिक भरोसे और सहयोग को और गहरा करेगा."

हांगजो एयरपोर्ट पर असद का स्वागत की एक छात्रातस्वीर: Huang Zongzhi/Xinhua/picture alliance

पश्चिम विरोधियों का ठिकाना चीन

चीन लंबे समय से सीरिया की कूटनीतिक मदद करता आ रहा है. चीन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है. उसके पास वीटो का अधिकार है. सिक्योरिटी काउंसिल में चीन ने अब तक 8 बार वीटो इस्तेमाल कर असद सरकार की निंदा करने वाले प्रस्तावों को रोका है.

दमिश्क में रहने वाले राजनीति विज्ञानी ओऊसामा दानौरा कहते हैं, "यह दौरा सीरिया पर लगाए कूटनीतिक अलगाव और राजनीतिक अवरोध पर अहम चोट करता है. चीन पश्चिम की उस वर्जना को तोड़ता है, जिसके तहत वॉशिंगटन जिस देश को अकेला करना चाहता है, उससे  संपर्क करने में बाकी देश भी हिचकिचाते हैं."

लंबे समय तक पश्चिम से नाराज रहने वाले नेताओं का अहम ठिकाना मॉस्को हुआ करता था. बीते 10 साल में चीन ने इस लिस्ट में जगह बनाई है. रूस, नाइजर, ईरान, वेनेजुएला और क्यूबा जैसे देशों की राजनीति का कंपास अब बीजिंग की तरफ आराम से घूमता है.

जुलाई 2023 में सीरिया पहुंचे भारतीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरनतस्वीर: Twitter/MOS_MEA

चीन के प्रयोग से मध्य पूर्व में बदलाव

चीन मध्य पूर्व में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है. इस साल बीजिंग ने एक दूसरे दुश्मन की तरह देखने वाले सऊदी अरब और ईरान के बीच मध्यस्थता कर डील करवाई. इस समझौते के तहत दोनों देश एक दूसरे के यहां दूतावास फिर से खोलने के लिए राजी हुए. बीजिंग की ही मदद से मई 2023 में असद अरब फोरम के सम्मेलन में एक दशक बाद शामिल हो सके. 2022 में सीरिया, चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोग्राम में शामिल होकर सार्वजनिक तौर पर किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट से जुड़ा. पश्चिमी सीरिया में भूमध्यसागर का लंबा तट है. वहां कई गहरे बंदरगाह हैं. पश्चिमी सीरिया में रूसी सेना का एक अहम नौसैनिक अड्डा भी है. 

सीरिया से असद की विदाई अब कोई क्यों नहीं मांगता

अरब जगत में दिसंबर 2010 में सत्ताओं के खिलाफ प्रदर्शनों की शुरूआत हुई. कुछ ही महीने के भीतर ये प्रदर्शन सीरिया में शुरू हो गए. पिता से राजगद्दी पाने वाले सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद ने इन प्रदर्शनों को बलपूर्वक कुचलने की कोशिश की और देश में गृह युद्ध भड़क गया. बीते 12 साल से जारी गृह युद्ध में अब तक दो लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. लाखों सीरियाई नागरिक शरणार्थी बनकर दूसरे देशों में रह रहे हैं. सत्ता बचाने की लड़ाई के दौरान ईरान, रूस और चीन ने लगातार असद का साथ दिया.

ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स, एएफपी)

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