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बिंदास हैं पाकिस्तान के न्यूड आर्टिस्ट

ईशा भाटिया५ जुलाई २०१६

पाकिस्तान की गिनती अक्सर रूढ़िवादी देशों में की जाती है, जहां धर्म और नैतिकता आपकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच आ जाते हैं. लेकिन उसी पाकिस्तान में न्यूड तस्वीरों वाली आर्ट गैलरियां भी हैं.

Pakistan Karatschi Canvass Galerie Sameera Raja
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Hassan

मोहम्मद अली पाकिस्तान में पेंटर हैं. अपनी एक न्यूड पेंटिंग दिखाते हुए वह कहते हैं कि पाकिस्तान में उनके काम को कभी भी सेंसर नहीं किया गया है. 27 साल के अली कराची की आर्ट गैलरी में ऐसे विषयों पर पेंटिंग बनाते हैं, जो आम तौर पर समाज में वर्जित हैं. राजनीति के अलावा सेक्स भी उनकी कला का एक विषय है. तो फिर उनकी पेंटिंग को ले कर कभी कोई हंगामा क्यों नहीं हुआ? वह बताते हैं, "यहां लोगों के पास पेट भरने के लिए खाना नहीं है और जो भूखा मर रहा है उसकी कला में कोई रुचि नहीं है."

तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Hassan

पाकिस्तान में ईशनिंदा और इज्जत के नाम पर खून-खराबा भी अनसुना नहीं है. ऐसे में अली जानते हैं कि उनका काम जोखिम भरा है, "मैंने कई बोल्ड और रिस्की चीजें बनाई हैं लेकिन में खुशकिस्मत हूं कि मुझे कभी किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा." लेकिन अली अकेले कलाकार नहीं हैं. कराची कला के लिहाज से उभर रहा है. समीरा राजा कराची में कैनवस गैलरी चलाती हैं. यहां कई न्यूड पेंटिंग्स हैं और ऐसी भी जो समलैंगिकों को दर्शाती हैं. अपनी गैलरी के बारे में वह बताती हैं, "कला की दुनिया में ये चीजें वर्जित नहीं हैं. लेकिन मैं यह भी जानती हूं कि में इन्हें पब्लिक प्लैटफॉर्म पर नहीं डाल सकती क्योंकि इससे कलाकार की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी."

तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Hassan

समीरा राजा मानती हैं कि उनके शोरूम में और पाकिस्तान के रईसों के घरों में ये पेंटिंग्स सुरक्षित हैं. वह बताती हैं कि पाकिस्तान में कला का बाजार बढ़ता जा रहा है. कराची यूनिवर्सिटी में कला के प्रोफेसर मुनवर अली सैयद भी इस बात से इत्तिफाक रखते हैं. वह बताते हैं कि यूनिवर्सिटी में सेल्फ सेंसरशिप पर भी ध्यान दिया जाता है, "हम यहां इस बात का ध्यान रखते हैं कि इंसानी जननांगों को ना दिखाएं. कुछ सीमाएं हैं." पर साथ ही वह यह भी मानते हैं कि जब किसी चीज पर रोक लगाई जाती है, तो उससे स्टूडेंट्स को नई दिशा भी मिल जाती है, जब आपको इस बात का अहसास होता है कि यहां सीमाएं हैं जिन्हें आप पार नहीं कर सकते, तब आप और भी ज्यादा कलात्मक हो जाते हैं."

तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Hassan

पाकिस्तान में अस्सी के दशक में जिया उल हक की तानाशाही के दौरान इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ावा मिला. लेकिन जिया उल हक के कत्ल के बाद नब्बे के दशक से कराची जैसे शहरों में बदलाव देखने को मिला. कभी जो छिप छिप के लोगों ने पेंटिंग बनानी शुरू की, आज गैलरी में प्रदर्शनियां लगा रहे हैं. देखना यह है कि क्या ये आगे भी वे खुद को कट्टरपंथियों से बचा कर रख सकेंगे.

आईबी/वीके (एएफपी)

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