ताइवान के रक्षा क्षेत्र में चीन ने भेजे दर्जनों लड़ाकू विमान
२४ जनवरी २०२२
ताइवान के अधिकारियों का कहना है कि दर्जनों चीनी लड़ाकू विमान उसके हवाई क्षेत्र में फिर से दाखिल हुए. ताइवान ने भी विमानों को घेरने और अपनी मिसाइल रक्षा प्रणाली को सक्रिय करने के लिए लड़ाकू विमान आसमान में उड़ाए.
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ताइवान ने रविवार को एक बमवर्षक सहित अपने दक्षिण-पश्चिमी वायु रक्षा क्षेत्र (ADIZ) में 39 चीनी लड़ाकू विमानों के एक साथ प्रवेश की खबर दी है. ताजा घटनाक्रम पर बीजिंग की ओर से तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
द्वीप का एडीआईजेड प्रादेशिक हवाई क्षेत्र के समान नहीं है, बल्कि स्व-घोषित हवाई क्षेत्र है जिसकी निगरानी राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों के लिए की जाती है. चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है और अगर जरूरी हो तो बलपूर्वक द्वीप को अपने क्षेत्र में एकीकृत करने का प्रण लिया है.
ताइवान ने क्या रिपोर्ट दी?
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि घुसपैठ में 34 लड़ाकू विमान और एक एच-6 बमवर्षक शामिल था. रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा फाइटर जेट्स के उड़ान पथ रिकॉर्ड पर पोस्ट किए गए एक ऑनलाइन बयान के अनुसार, चीनी लड़ाकू विमानों ने ताइवान-नियंत्रित द्वीप प्रतास के उत्तर-पूर्व में उड़ान भरी.
रक्षा मंत्रालय ने एक ट्विटर पोस्ट में कहा कि जवाब में ताइवान ने भी उनका पीछा करने के लिए अपने लड़ाकू विमान भेजे और रेडियो चेतावनी प्रसारित करते समय उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए तुरंत अपनी वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली सक्रिय कर दी.
सबसे बड़े एयर शो में दिखी चीन की ताकत
जुहाई में हुए चीन के सबसे बड़े एयर शो में भारत के पड़ोसी मुल्क ने अपनी अत्याधुनिक सैन्य और अंतरिक्ष तकनीक का प्रदर्शन किया.
तस्वीर: Aly Song/REUTERS
चीन की हवाई ताकत
ये है सीएच-4 ड्रोन जिसे चीन ने ग्वांगडो प्रांत के जुहाई में हुए एयरशो में पेश किया.
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एयर डिफेंस भेदने वाला
चीन का J-16D इलेक्ट्रोनिक लड़ाई में काम आने वाला फाइटर विमान है जो अमेरिका में बने EA-18G ग्राउलर का मुकाबिल है. यह एयर डिफेंस सिस्टम को तहस नहस करने की क्षमता रखता है.
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सहयोगी ड्रोन
एयर शो में चीन ने महंगे लड़ाकू विमानों की सुरक्षा के लिए साथ उड़ने वाला ड्रोन भी इस शो में दिखाया है. भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसी योजनाएं चल रही हैं.
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दो तरह के इंजन
हर तरह के इंजनचीन दो तरह के घरेलू इंजनों पर परीक्षण कर रहा है जो उसके y-20 ट्रांसपोर्ट विमान में लगाए जाएंगे.
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अंतरराष्ट्रीय स्तर के विमान
WZ-7 शियांगलोंग ड्रोन अमेरिका के मशहूर ग्लोबल हॉक ड्रोन के मुकाबले का है. इसे भारत-चीन सीमा के नजदीक भी देखा गया है और उत्तर कोरियाई सीमा के आस पास भी.
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इंजनों में सुधार
चीन ने अपने हवाई इंजनों की क्षमता और तकनीक में सुधार के लिए कड़ी मेहनत की है. इस मेहनत का नतीजा एयर शो में कई आधुनिक विमानों के रूप में नजर आया. जे-20 फाइटर जेट पहली बार रूस के बजाय चीन में बने इंजन से उड़ा.
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चांद पर निगाह
चीन ने बताया है कि 2028 में, यानी अनुमान से दो साल पहले ही वह अपने आधुनिक रॉकेट तैयार कर लेगा जो अंतरिक्षयान को चांद पर भेजने के लिए बनाए जा रहे हैं.
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बाजार पर कब्जा
व्यवसायिक विमानन के क्षेत्र में भी चीन खासी तरक्की कर रहा है और ऐसी तकनीक विकसित करने में लगा है जिनके बूते उसे किसी अन्य देश पर निर्भर ना रहना पड़े.
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पिछले साल अक्टूबर में एडीआईजेड क्षेत्र में लगभग 56 लड़ाकू विमानों के प्रवेश करने के बाद से यह अपनी तरह की अब तक की सबसे बड़ी घटना है. ताइवान को चीनी वायु सेना से अपने क्षेत्र में घुसपैठ के बारे में शिकायतें मिल रही हैं, आमतौर पर देश के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में प्रतास द्वीप समूह के पास, जिसे वह नियंत्रित करता है. ताइवानी रक्षा अधिकारियों ने बीजिंग पर ताइवान की सेना पर दबाव बढ़ाने के लिए "ग्रे जोन" रणनीति का उपयोग करने का आरोप लगाया है.
नवंबर में ताइवान ने 27 चीनी विमानों के एडीआईजेड में प्रवेश करने के बाद फिर से अपने लड़ाकू जेट विमानों को उड़ाया था.
अमेरिका और चीन के बीच एक लंबे समय से चले आ रहे समझौते के तहत, वॉशिंगटन "एक-चीन" नीति का अनुसरण कर रहा है. इस राजनीतिक स्थिति के मुताबिक अमेरिका ताइवान की राजधानी ताइपे को आधिकारिक रूप से मान्यता देने के बजाय बीजिंग के साथ सभी मुद्दों को निपटाने के लिए बाध्य है.
ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है, लेकिन चीन इसे अपने देश का हिस्सा मानता है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में ताइवान के साथ "पूर्ण एकीकरण" के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. इस बीच ताइवान के उपराष्ट्रपति लाइ चिंग ते उर्फ विलियम लाई इसी हफ्ते अमेरिका की यात्रा पर जाने वाले हैं. वह होंडूरास की अपनी यात्रा के दौरान अमेरिका जाकर वहां नेताओं से बातचीत करेंगे. ताइवान और चीन के बीच बढ़े तनाव के बीच विलियम लाई की यह यात्रा अहम मानी जा रही है.
एए/वीके (डीपीए, रॉयटर्स)
दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमान
जंग की तस्वीर बदल गई है और लड़ाकू विमानों की भूमिका अहम हो गई है. अब इन्हें ज्यादा मारक और फुर्तीला बनाने के साथ ही रडारों की पकड़ में आने से बचाने पर भी जोर है. देखिये दुनिया के सबसे उन्नत और कामयाब लड़ाकू विमानों को.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP Photo/South Korea Defense Acquisition Program Administration
एफ-22 रैप्टर
अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन का यह विमान रडारों के लिए लगभग अदृश्य रहता है. इसे अब तक का सबसे आधुनिक, महंगा और उन्नत लड़ाकू विमान माना जाता है. इसके कई सेंसर और विमान से जुड़ी कई तकनीकों को गोपनीय रखा गया है. वर्तमान में अमेरिकी वायुसेना की जान यही विमान है. अमेरिका ने इसे अब तक किसी और देश को नहीं बेचा है.
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एफ-35
एफ-35 को भी लॉकहीड मार्टीन ने ही बनाया है. यह एफ-22 से थोड़ा छोटा है और उसमें एक ही इंजिन है हालांकि कई चीजें इसमें एफ-22 जैसी ही हैं. यह अपनी गुप्त चालों के लिए विख्यात है और आसानी से रडारों की पकड़ में नहीं आता. वायु रक्षा अभियानों में यह कई तरह से उपयोगी है. हवा से हवा में और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस है और बमों की वर्षा करने में माहिर.
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चेंगदू जे-20
चीन ने इस विमान को रूस की मिग कंपनी की मदद से बनाया है. चीनी वायु सेना ने इसे 2017 में आधिकारिक रूप से अपने बेड़े में शामिल किया. चीन ने इस विमान के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी है. यह एक मध्य और लंबी दूरी का लड़ाकू विमान है जो जमीन पर भी हमला कर सकता है. इसमें अमेरिकी एफ-22 विमान से ज्यादा हथियार और ईंधन रखने की क्षमता है.
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एफ/ए-18 ई/एफ सुपर हॉर्नेट
वर्तमान में सुपर हॉर्नेट अमेरिकी नौसेना का सबसे काबिल लड़ाकू विमान है. यह विमानवाही युद्ध पोतों से उड़ान भर कर हवा और सतह पर मार कर सकता है. बोइंग कंपनी का बनाया यह विमान ऑस्ट्रेलिया में भी प्रमुख लड़ाकू विमान के रूप में सेवा दे रहा है. इसमें नए इंजिन लगाए गए हैं और ज्यादा मिसाइलें लगाई जा सकती हैं.
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यूरोफाइटर टाइफून
1986 में जर्मनी, इटली, यूके, और बाद में स्पेन ने मिल कर लड़ाकू विमान बनाने के लिए यूरोफाइटर कंसोर्टियम बनाया था. यह विमान उन्नत यूरोपीय मिसाइलों से लैस है और इसमें आधुनिक विमानन की उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है. माना जाता है कि एफ-22 रैप्टर की तुलना में इसकी मारक क्षमता आधी है हालांकि यह एफ-15, फ्रेंच रफाएल, सुखोई 27 जैसे कई और विमानों से काफी बेहतर है.
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राफाल
फ्रांस की दासो कंपनी ने इसे बनाया है जो फिलहाल वहां की वायु सेना और नौ सेना की सेवा में हैं. अत्याधुनिक तकनीकों से लैस इस विमान की फुर्ती बेजोड़ है. यह एक वक्त में 40 निशानों का पता लगाने के साथ ही उनमें से चार पर एक साथ वार कर सकता है. भारत ने इसी विमान के लिए फ्रांस की सरकार से सौदा किया है.
तस्वीर: AP
सुखोई 35
रूस का यह विमान काफी तेज होने के साथ ही फुर्तीला भी है और लंबी रेंज के साथ ही ज्यादा ऊंचाई पर उड़ने और भारी संख्या में हथियारों को ले कर चल सकता है. इसके 12 डैनों में 8000 किलो तक हथियार ले जाने की क्षमता है. इसके बड़े और ताकतवर इंजन लंबे समय तक उड़ान भरने में मददगार हैं. रूस ने यह विमान सुखोई 27 और मिग 29 की जगह लेने के लिए बनाए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
एफ-15 ईगल
एफ-15 ईगल 30 साल से सेवा में है और यह अभी भी शत्रु की रक्षा पंक्ति को तोड़ने वाले विमानों में अग्रणी माना जाता है. इसने 100 से ज्यादा मारक हवाई हमले किए हैं और इसे शीत युद्ध के दौर का सबसे कामयाब लड़ाकू विमान माना जाता है. दुश्मन के इलाके में उड़ान भरते हुए भी यह उनके विमानों का पता लगाने और उन पर हमला करने में सक्षम है.
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मिग-31
नाटो के हवाई हमलों और क्रूज मिसाइलों से बचने के लिए सोवियत रूस ने इस विमान को बनाया था. इसकी रफ्तार तेज है और यह ऊंची उड़ान भर सकता है हालांकि ऐसा करने के क्रम में इसकी फुर्ती थोड़ी कम हो जाती है. दुश्मनों के जहाज को यह दूर से ही अपनी मिसाइलों से ध्वस्त कर देता है. रूसी हवाई सुरक्षा में अहम जिम्मेदारी आज भी इसी विमान की है.
तस्वीर: Reuters/Norwegian NATO QRA Bod
एफ-16 फाइटिंग फाल्कन
एफ 16 वास्तव में एफ-15 ईगल का ही हल्का और कम खर्चीला संस्करण है. एफ-15 से उलट यह हवा और जमीन दोनों जगहों पर वार कर सकता है. लॉकहीड मार्टिन ने बड़ी संख्या में यह विमान बनाए हैं और फिलहाल यह अमेरिका समेत 26 देशों की सेना में शामिल है. ये विमान छोटे और फुर्तीले हैं और इसका कॉकपिट पायलट को ज्यादा साफ देखने में मददगार है.