ताइवान के विदेश मंत्री ने चेतावनी दी है कि उनका देश चीन के साथ युद्ध की तैयारी कर रहा है. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से गोपनीय सूचनाएं साझा करने और सामरिक सहयोग बढ़ाने का अनुरोध किया है.
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ऑस्ट्रेलिया के सार्वजनिक टीवी चैनल एबीसी को दिए एक विशेष इंटरव्यू में ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने चेतावनी दी है कि चीन के साथ युद्ध का खतरा मंडरा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर चीन की सेना हमला करती है तो उनका देश जवाब देने के लिए तैयार है.
वू ने कहा, "ताइवान की रक्षा हमारे हाथ में है और उसे लेकर हम पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. मुझे पूरा यकीन है कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो उन्हें खासा नुकसान उठाना पड़ेगा.”
चीन ने हाल ही में ताइवान के इर्दगिर्द अपनी सैन्य गतिविधियां तेज कर दी हैं जिस कारण इलाके में काफी चिंता का माहौल है. पिछले हफ्ते चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के 120 से ज्यादा विमान ताइवान के एयर डिफेंस आईडेंटिफिकेशन जोन में उड़ान भरते देखे गए थे.
ताइवान के करीब पहुंचे चीनी हमलावर
बीते शनिवार को चीन का राष्ट्रीय दिवस था. उसी दिन पीएलए के 39 विमान ताइवानी इलाके में उड़ान भरकर आए. इनमें परमाणु हथियार ले जा सकने वाले लड़ाकू विमान भी शामिल थे. इस घटना की ताइवान के अलावा अमेरिका ने भी निंदा की थी.
सोमवार को ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि पीएलए के 50 से ज्यादा विमानों ने उनके क्षेत्र में प्रवेश किया, जो अब तक की सबसे बड़ी गतिविधि थी.
पीएलए के विमान द्वीपीय देश ताइवान की सीमा के 200 से 300 किलोमीटर दूर तक पहुंच गए थे, जो ताईपेई के लिए परेशान करने वाला है. ताइवान कई बार कह चुका है कि उसे चीन के हमले का डर सता रहा है.
चीन मामलों के विशेषज्ञ, मेलबर्न यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर प्रदीप तनेजा कहते हैं कि ताइवान का यह डर झूठा नहीं है. प्रोफेसर तनेजा ने डॉयचे वेले को बताया, "चीन ने ऐसा कभी नहीं कहा है कि वह ताइवान पर शक्ति का इस्तेमाल नहीं करेगा. चीन का मकसद है ताइवान को अपने अंदर मिलाना. उसने कहा है कि उसके लिए ताकत इस्तेमाल करनी पड़ती है तो वह करेगा.”
तस्वीरेंः सबसे बड़े एयर शो में दिखी चीन की ताकत
सबसे बड़े एयर शो में दिखी चीन की ताकत
जुहाई में हुए चीन के सबसे बड़े एयर शो में भारत के पड़ोसी मुल्क ने अपनी अत्याधुनिक सैन्य और अंतरिक्ष तकनीक का प्रदर्शन किया.
तस्वीर: Aly Song/REUTERS
चीन की हवाई ताकत
ये है सीएच-4 ड्रोन जिसे चीन ने ग्वांगडो प्रांत के जुहाई में हुए एयरशो में पेश किया.
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एयर डिफेंस भेदने वाला
चीन का J-16D इलेक्ट्रोनिक लड़ाई में काम आने वाला फाइटर विमान है जो अमेरिका में बने EA-18G ग्राउलर का मुकाबिल है. यह एयर डिफेंस सिस्टम को तहस नहस करने की क्षमता रखता है.
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सहयोगी ड्रोन
एयर शो में चीन ने महंगे लड़ाकू विमानों की सुरक्षा के लिए साथ उड़ने वाला ड्रोन भी इस शो में दिखाया है. भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसी योजनाएं चल रही हैं.
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दो तरह के इंजन
हर तरह के इंजनचीन दो तरह के घरेलू इंजनों पर परीक्षण कर रहा है जो उसके y-20 ट्रांसपोर्ट विमान में लगाए जाएंगे.
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अंतरराष्ट्रीय स्तर के विमान
WZ-7 शियांगलोंग ड्रोन अमेरिका के मशहूर ग्लोबल हॉक ड्रोन के मुकाबले का है. इसे भारत-चीन सीमा के नजदीक भी देखा गया है और उत्तर कोरियाई सीमा के आस पास भी.
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इंजनों में सुधार
चीन ने अपने हवाई इंजनों की क्षमता और तकनीक में सुधार के लिए कड़ी मेहनत की है. इस मेहनत का नतीजा एयर शो में कई आधुनिक विमानों के रूप में नजर आया. जे-20 फाइटर जेट पहली बार रूस के बजाय चीन में बने इंजन से उड़ा.
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चांद पर निगाह
चीन ने बताया है कि 2028 में, यानी अनुमान से दो साल पहले ही वह अपने आधुनिक रॉकेट तैयार कर लेगा जो अंतरिक्षयान को चांद पर भेजने के लिए बनाए जा रहे हैं.
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बाजार पर कब्जा
व्यवसायिक विमानन के क्षेत्र में भी चीन खासी तरक्की कर रहा है और ऐसी तकनीक विकसित करने में लगा है जिनके बूते उसे किसी अन्य देश पर निर्भर ना रहना पड़े.
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प्रोफेसर तनेजा कहते हैं कि अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए चीन यदा-कदा अपनी ताकत ताइवान को दिखाता रहता है. मसलन, बीते सप्ताह चीन ने सौ से ज्यादा बार ताइवान की वायु सीमा में प्रवेश किया, जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया में ऐसी खबरें भी आईं कि चीन ने ताइवान पर हमला कर दिया है.
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चीन ने सीमा पार नहीं की
चीन इस मामले में सजग था कि तकनीकी रूप से उसने सीमा पार नहीं की थी. एक तरफ तो राष्ट्रीय वायु सीमा होती है, जिस पर अंतरराष्ट्रीय कानून लागू होता है. यानी, यह किसी भी देश की वो सीमा होती है जिसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हो.
दूसरी तरफ एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन होते हैं, जिनका अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में कोई अर्थ नहीं होता. असल में यह ऐसा क्षेत्र होता है, जिसे कोई देश अपनी सुरक्षा जरूरतों के मुताबिक तय कर सकता है. फिलहाल दुनिया में 20 ऐसे देश हैं जिन्होंने ADIZ घोषित किया है. इनमें चीन और ताइवान के अलावा अमेरिका, कनाडा, जापाना, दक्षिण कोरिया, युनाइटेड किंग्डम, नॉर्वे, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं. समस्या यह है कि पूर्वी एशिया में ये क्षेत्र एक दूसरे के बीच घुसे हुए हैं और विवादित इलाकों में फैले हैं.
तस्वीरेंः 2021 के 100 सबसे प्रभावशाली चेहरे
2021 के 100 सबसे प्रभावशाली लोग
टाइम मैग्जीन की ओर से जारी 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी नाम शामिल है. जानिए और कौन-कौन हैं सूची में.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
नरेंद्र मोदी
टाइम के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं. टाइम ने लिखा एक स्वतंत्र देश के रूप में अपने 74 वर्षों में भारत के तीन प्रमुख नेता रहे हैं. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने देश के लिए धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक रूप में खाका तैयार किया. इंदिरा गांधी ने युद्ध, नागरिक संघर्ष और इमरजेंसी में सरकार चलाई और नरेंद्र मोदी तीसरे हैं, जो देश की सत्ता पर काबिज हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
ममता बनर्जी
टाइम के प्रभावशाली लोगों की सूची में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल हैं. टाइम ने उन्हें "भारतीय राजनीति में उग्रता का चेहरा" बताया. इसी साल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी ने भारी जीत दर्ज की थी.
तस्वीर: Subrata Goswami/DW
अदार पूनावाला
टाइम मैग्जीन की सूची में सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला को भी जगह दी गई है. सीरम इंस्टीट्यूट भारत में बड़े पैमाने पर कोविड की वैक्सीन कोविशील्ड बना रही है.
तस्वीर: Serum Institute of India
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर
तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को भी टाइम की लिस्ट में जगह मिली है. दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख मुल्ला बरादर को तालिबान और अमेरिका के बीच दोहा शांति समझौते पर बातचीत करने का श्रेय दिया जाता है.
तस्वीर: SOCIAL MEDIA/REUTERS
6 श्रेणियों में बांटा
टाइम मैग्जीन ने इस बार सूची को छह श्रेणियों में बांटा है. इन श्रेणियों में नेता, कलाकार, पायनियर, आइकन, टाइटन और इनोवेटर्स शामिल हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Buck
कवर पर प्रिंस हैरी और मार्कल
टाइम मैग्जीन के कवर पर प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन मार्कल की तस्वीर है. ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ के पोते प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन मार्कल ने इसी साल एक इंटरव्यू में ऐसी बातें कही जिनकी वजह से शाही परिवार सुर्खियों में आ गया था.
तस्वीर: John Stillwell/PA Wire/empics/picture alliance
कमला हैरिस
प्रभावशाली लोगों की सूची में भारतीय मूल की अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस का भी नाम है.
तस्वीर: Evelyn Hockstein/AP/picture alliance
बाइडेन, ट्रंप भी
विशेष रूप से डॉनल्ड ट्रंप और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन दोनों प्रभावशाली नेताओं की सूची में शामिल हैं. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इस सूची में हैं.
अलेक्सी नवाल्नी
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे बड़े आलोचक अलेक्सी नवाल्नी को भी टाइम ने सूची में शामिल किया है. 44 साल के नवाल्नी लंबे समय से पुतिन के आलोचक रहे हैं. नवाल्नी बीते एक दशक से अपने यूट्यूब चैनल के जरिए रूसी सरकार के भ्रष्टाचार की पोल खोलने का दावा करते हैं.
तस्वीर: Maxim Shemetov/File Photo/REUTERS
टिम कुक और इलॉन मस्क
प्रभावशाली लोगों की सूची में एप्पल के सीईओ टिम कुक और इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने वाली और पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा पर काम करने वाली कंपनी टेस्ला के सीईओ ईलॉन मस्क का भी नाम है.
तस्वीर: Paul Hennessy/ZUMAPRESS/picture alliance
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डिफेंस इंटरनेशनल पत्रिका के वरिष्ठ संपादक जेरी सॉन्ग कहते हैं कि चीन के विमान ताइवान के ADIZ में घुसे थे लिहाजा उन्होंने सीमा का उल्लंघन नहीं किया.
उन्होंने कहा, "पिछले दिनों जो गतिविधियां हुई हैं, वे प्रतीकात्मक ज्यादा थी ताकि ताइवान पर दबाव बढ़ाया जा सके. पीएलए के विमान ताइवान की सीमा में घुस जाते तो हालात विस्फोटक ही हो जाते. तब ताइवान को मजबूरन उन्हें रोकना पड़ता.”
सीधे युद्ध से बचने की कोशिश
प्रोफेसर तनेजा भी इस बात की ताकीद करते हैं कि दोनों ही पक्ष बहुत संभलकर कदम रख रहे हैं ताकि तनाव भड़ककर युद्ध में ना बदल जाए.
वह कहते हैं, "अगर इस इलाके में युद्ध भड़क जाता है तो बात सिर्फ ताइवान तक सीमित नहीं रह पाएगी. तब सवाल यह भी उठेगा कि अमेरिका क्या कदम उठाता है. अगर अमेरिका ताइवान के पक्ष में नहीं आता है तो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसका अधिपत्य पूरी तरह खत्म हो जाएगा. ऐसा अमेरिका नहीं चाहेगा. लेकिन उसका ताइवान के पक्ष में आना तीसरे विश्व युद्ध को भड़का सकता है, जो मेरे ख्याल से फिलहाल कोई पक्ष नहीं चाहता.”
ताइवान, जिसका औपचारिक नाम रिपब्लिक ऑफ चीन है, खुद को एक संप्रभु देश कहता है लेकिन चीन उसे अपना इलाका मानता है और चाहता है कि वह मुख्य भूमि के साथ एकीकृत हो जाए. प्रोफेसर तनेजा बताते हैं कि ताइवान की मौजूदा राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन काफी आक्रामक हैं और देश का नाम बदलकर रिपब्लिक ऑफ ताइवान कर देने के भी पक्ष में हैं लेकिन वह यह भी जानती हैं कि ऐसा होते ही चीन के पास हमले के अलाव कोई विकल्प नहीं रह जाएगा.
ताईपेई की सन यात-सेन नैशनल यूनिवर्सिटी में रणनीतिक अध्ययन की प्रोफेसर यिंग यू लिन कहती हैं कि चीन ताइवान को कम से कम सैन्य ताकत इस्तेमाल कर हराना चाहेगा.
वह कहती हैं, "ऐसा करने के लिए बीजिंग ताइवान पर आर्थिक और कूटनीतिक दबाव बना रहा है. वह जनता के भीतर असंतोष को भी सरकार के खिलाफ भड़काने की कोशिश करेगा.”
जानिए, 100 की हो गई चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी की कहानी
100 साल की चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की कहानी
चीन पर शासन करने वाली कम्युनिस्ट पार्टी सौ साल की हो गई है. 28 जून 2021 को पार्टी की सौवीं वर्षगांठ मनाई गई. देखिए, समारोह की तस्वीरें और जानिए सीसीपी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें.
तस्वीर: Thomas Peter/REUTERS
आधुनिक चीन की संस्थापक
चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) आधुनिक चीन की संस्थापक है. 1949 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में पार्टी ने राष्ट्रवादियों को हराकर पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना की थी.
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सीसीपी की स्थापना
सीसीपी की स्थापना 1921 में रूसी क्रांति से प्रभावित होकर की गई थी. 1949 में पार्टी के सदस्यों की संख्या 45 लाख थी.
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सदस्यों की संख्या
पिछले साल के आखिर में सीसीपी के सदस्यों की संख्या नौ करोड़ 19 लाख से कुछ ज्यादा थी. 2019 के मुकाबले इसमें 1.46 प्रतिशत की बढ़त हुई थी. चीन की कुल आबादी का लगभग साढ़े छह फीसदी लोग ही पार्टी के सदस्य हैं. आंकड़े स्टैटिस्टा वेबसाइट ने प्रकाशित किए थे.
तस्वीर: Thomas Peter/REUTERS
सदस्यता
पार्टी की सदस्यता हासिल करना आसान नहीं है. इसकी एक सख्त चयन प्रक्रिया है और हर आठ आवेदकों में से एक को ही सफलता मिलती है. यह प्रक्रिया लगभग डेढ़ साल चलती है.
तस्वीर: Thomas Peter/REUTERS
कैसे हैं इसके सदस्य
सीसीपी के सदस्यों में साढ़े चार करोड़ से ज्यादा के पास जूनियर कॉलेज डिग्री है. करीब एक करोड़ 87 लाख सदस्य सेवानिवृत्त हो चुके नागरिक हैं. 2019 के आंकड़े देखें तो सदस्यों में 28 प्रतिशत किसान, मजदूर और मछुआरे थे.
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महिलाओं की संख्या
पिछले कुछ सालों में सीसीपी में महिलाओं की संख्या बढ़ी है. 2010 में पार्टी की 22.5 फीसदी सदस्य महिलाएं थीं जो 2019 में बढ़कर 28 फीसदी हो गईं. 2019 में सदस्यता लेने वालों में 42 फीसदी संख्या महिलाओं की थी.
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पार्टी पर दाग
पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक पार्टी में 18 प्रतिशत सदस्यों का सरकार पर भरोसा नहीं था. 2020 में छह लाख 19 हजार सीसीपी सदस्यों पर भ्रष्टाचार के मुकदमे दर्ज थे. 2010 में एक रिपोर्ट आई थी जिसके मुताबिक उस साल 32 हजार लोगों ने पार्टी छोड़ दी थी.
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सम्मेलन
हर पांच साल में सीसीपी का एक सम्मेलन होता है जिसमें नेतृत्व का चुनाव होता है. इसी दौरान सदस्य सेंट्रल कमेटी चुनते हैं, जिसमें लगभग 370 सदस्य होते हैं. इसके अलावा, मंत्री और अन्य वरिष्ठ पदों पर भी लोगों का चुनाव होता है.
तस्वीर: Thomas Peter/REUTERS
सात के हाथ में ताकत
सेंट्रल कमेटी के सदस्य पोलित ब्यूरो का चुनाव करते हैं, जिसमें 25 सदस्य होते हैं. ये 25 लोग मिलकर एक स्थायी समिति का चुनाव करते हैं. फिलहाल इस समिति में सात लोग हैं, जिन्हें सत्ता का केंद्र माना जाता है. इसमें पांच से नौ लोग तक रहे हैं.
तस्वीर: Thomas Peter/REUTERS
महासचिव
सबसे ऊपर महासचिव होता है जो राष्ट्रपति बनता है. 2012 में हू जिन ताओ से यह पद शी जिन पिंग ने लिया था. बाद में संविधान में बदलाव कर राष्ट्रपति पद की समयसीमा ही खत्म कर दी गई और अब शी जिन पिंग जब तक चाहें, इस पद पर रह सकते हैं.