पार्क जाने वाली महिलाओं के कपड़ों पर तालिबान को एतराज
११ नवम्बर २०२२![Afghanistan | Habibullah-Zazai-Park in Kabul](https://static.dw.com/image/63722394_800.webp)
तालिबान के नैतिकता मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद अकीफ मुहाजिर ने स्थानीय मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "बीते 14 या 15 महीने से हम पार्क जाने वाली महिलाओं को शरिया और अपनी संस्कृति के मुताबिक माहौल मुहैया कराने की कोशिश कर रहे थे. दुर्भाग्य से पार्क के मालिकों ने हमारे साथ बहुत अच्छे से सहयोग नहीं किया. साथ ही सुझाव के बावजूद महिलाओं ने हिजाब नहीं पहना. अब फैसला किया गया है कि इस पर प्रतिबंध है."
अफगानिस्तान में तकरीबन सभी महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर सिर ढंकने वाला हिजाब पहनती हैं. तालिबान का कहना है कि महिलाओं को सिर से लेकर पैर तक पूरे शरीर को ढंकने वाला बुरका पहनना चाहिए. चेहरा ढंका होना चाहिए. फिलहाल काबुल और कुछ शहरों में कुछ महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर चेहरा नहीं छुपाती हैं. कुछ महिलाएं चेहरा ढंकने के लिए मास्क भी पहनती हैं.
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वादों से मुकरता अफगानिस्तान
तालिबान और अमेरिका के बीच 2020 में कतर की राजधानी दोहा में एक शांति समझौता हुआ. इस समझौते के तरह अमेरिका ने 14 महीने के भीतर अफगानिस्तान से अपनी सेना हटाने का वादा किया. संधि के तहत अफगान जेलों में बंद हजारों तालिबान लड़ाके और कैदी रिहा किए गए. बदले में तालिबान ने अल कायदा को अपनी जमीन पर ना पनपने देने का वादा किया. तालिबान ने यह वादा भी किया कि वह भविष्य में महिलाओं और आम नागरिकों के कई अधिकारों को बहाल रखेगा.
लेकिन 15 अगस्त 2021 को सत्ता में आने के बाद अब तालिबान के कई वादों में यू टर्न दिखने लगा है. पहले तालिबान ने वादा किया था कि लड़कियों के लिए हाईस्कूल खोलेगा, ब इससे इनकार किया जा रहा है. महिलाओं के पार्क में जाने पर लगाए बैन को भी नई बंदिशों का हिस्सा माना जा रहा है.
प्रतिबंध को लेकर स्पष्ट जानकारी की कमी
नैतिकता मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह नहीं बताया है कि क्या यह प्रतिबंध पूरे देश पर लागू होगा और कितना लंबा चलेगा. पश्चिमी हेरात और उत्तरी बाल्ख के पार्क ऑपरेटरों का कहना है कि उन्हें अभी इस प्रतिबंध की आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं दी गई है. इन दोनों प्रांतों की कुछ महिलाओं का कहना है कि काबुल में लागू प्रतिबंध जल्द उनके इलाके पर भी लागू किए जा सकते हैं.
पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बादशाहखान की एक महिला ने कहा, "यहां उन्होंने अभी तक औरतों और लड़कियों पर पाबंदी नहीं लगाई है लेकिन आपको नहीं पता कि उनकी सोच कब बदल जाए."
तालिबान का कहना है कि वे महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करते हैं, लेकिन ये अधिकार इस्लामिक कानूनों के दायरे के भीतर ही रहने चाहिए.
3.98 करोड़ आबादी वाले अफगानिस्तान में बिना इजाजत गैर मर्द से बातचीत करने और पुरुष अभिभावक की अनुमति के बिना अहम फैसले करने वाली महिलाओं को मर्द सजा दे सकते हैं. आम तौर पर सजा के ऐसा मामलों को धार्मिक नजरिये से जायज ठहराया जाता है.
ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स)