तीन साल पूरे होने पर तालिबान ने लगाईं नई पाबंदियां
२७ अगस्त २०२४
तालिबान सरकार ने नैतिकता से जुड़े कई नए कानून लागू किए हैं. इनके तहत महिलाओं के लिए चेहरा ढकना जरूरी होगा और पुरुषों को दाढ़ी बढ़ानी होगी.
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तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबातुल्लाह अखुंजादा ने साल 2022 में एक फरमान जारी किया था. अब उसे कानूनी रूप दे दिया गया है. न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता बरकतुल्लाह रसौली ने बताया कि ये नए कानून लागू हो गए हैं और सरकारी दस्तावेज में छप चुके हैं. तालिबान का कहना है कि ये कानून इस्लामिक शरीयत के अनुसार हैं और इन्हें नैतिकता मंत्रालय द्वारा लागू किया जाएगा.
इन कानूनों के तहत कार में संगीत बजाने पर रोक लगा दी गई है. किसी पुरुष के साथ हुए बिना महिलाओं के यात्रा करने पर भी पाबंदी है. मीडिया को भी शरीयत कानून का पालन करने को कहा गया है. जीवित प्राणियों की तस्वीरें छापने पर भी रोक लगाई गई है.
तालिबान के सत्ता में आने के बाद से ही अफगानिस्तान में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और बुनियादी मानवाधिकारों का हनन हो रहा है. महिलाओं और लड़कियों पर पहले से ही कई सख्त प्रतिबंध लगे हैं. मसलन, छठी कक्षा से आगे लड़कियों की पढ़ाई पर बैन है. महिलाएं पार्क जैसी सार्वजनिक जगहों पर भी नहीं जा सकतीं. मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक, सार्वजनिक जीवन से महिलाओं को जैसे गायब कर दिया गया है.
नियमों के उल्लंघन के आरोप में हजारों लोगों पर कार्रवाई की जा चुकी है. हाल ही में नैतिकता मंत्रालय ने बताया कि उसने पिछले साल 13,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है. इनपर क्या आरोप थे, या इनमें महिलाओं और पुरुषों की संख्या क्या थी, ये ब्योरे साझा नहीं किए गए.
अफगानिस्तान: ब्यूटी पार्लर बैन होने से 60,000 महिलाओं के सामने खड़ा हुआ संकट
तालिबान के आदेश के बाद अफगानिस्तान के हजारों ब्यूटी पार्लर 25 जुलाई से बंद कर दिए गए. इन ब्यूटी पार्लरों के बंद होने से वहां काम करने वाली महिलाओं की आय का जरिया तो बंद ही हो गया,साथ ही अन्य महिलाओं से संपर्क भी टूट गया.
तस्वीर: ALI KHARA/REUTERS
ब्यूटी पार्लर आय का एक जरिया
अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत तो पहले से ही पतली है, लेकिन तालिबान के आदेश के बाद 25 जुलाई को देश के सभी ब्यूटी पार्लर बंद कर दिए गए. उद्योग से जुड़े जानकारों का अनुमान है कि देश में कुल 12 हजार ब्यूटी पार्लर हैं.
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खत्म हो गई आर्थिक आजादी
34 साल की मरजिया रेयाजी पिछले आठ साल से अफगानिस्तान में केवल महिलाओं का ब्यूटी पार्लर चलाती आ रही थीं. ब्यूटी पार्लर के सहारे वो अपने परिवार का समर्थन करती रही हैं लेकिन अब ब्यूटी पार्लर का बिजनेस बंद होने से उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचेगा. उन्होंने अपना बिजनेस शुरू करने के लिए करीब 18 हजार डॉलर खर्च किए थे.
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"हम काम करना चाहते हैं"
रेयाजी कहती हैं, "अब हम यहां काम नहीं कर पाएंगे. हम अपने परिवार का पेट नहीं पाल पाएंगे. हम काम करना चाहते हैं." रेयाजी अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए महिलाओं द्वारा ब्यूटी पार्लर चलाने वाली हजारों महिलाओं में से एक हैं. एक अनुमान के मुताबिक तालिबान के इस आदेश के बाद इस सेक्टर से जुड़ीं 60,000 महिलाएं प्रभावित होंगी.
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तालिबान छीन रहा अधिकार
काबुल के एक ब्यूटी पार्लर में बहारा नाम की ग्राहक ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "हम यहां आकर अपने भविष्य के बारे में बातें कर समय बिताते थे. लेकिन अब हमसे यह अधिकार भी छीन लिया गया है."
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अफगान समाज से गायब होती महिलायें
ब्यूटी सलून में बतौर मेक अप आर्टिस्टि काम करने वाली एक महिला ने नम आंखों से कहा, "तालिबान दिन-ब-दिन महिलाओं को समाज से खत्म करने की कोशिश कर रहा है. हम भी तो इंसान हैं." इस महिला ने सुरक्षा कारणों से अपना नाम नहीं बताया.
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देश की महिला उद्यमियों का क्या होगा
अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि रोजा इसाकोवना ओटुनबायेवा ने तालिबान के आदेश पर चिंता जताते हुए कहा, "यह महिला उद्यमियों पर प्रभाव डालेगा, गरीबी में कमी लाने के कदम और आर्थिक सुधार के लिए यह एक झटका है."
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कम हो जाएंगी कमकाजी महिलाएं
अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (आईएलओ) ने रॉयटर्स को बताया कि प्रतिबंध से महिलाओं के रोजगार में भी "महत्वपूर्ण" कमी आएगी. आईएलओ के मुताबिक अफगानिस्तान की विदेश समर्थित सरकार के शासन के दौरान औपचारिक कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी 23 प्रतिशत के आसपास थी.
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तालिबान का बेतुका तर्क
अफगानिस्तान के नैतिकता मंत्रालय की ओर से चार जुलाई को ब्यूटी पार्लर को बैन करने संबंधी आदेश में कहा गया था कि उसने यह आदेश इसलिए दिया क्योंकि मेकअप पर बहुत ज्यादा खर्च हो रहा है और गरीब परिवारों को कठिनाई होती है. तालिबान का कहना है कि सैलून में होने वाले कुछ ट्रीटमेंट गैर-इस्लामी हैं.
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महिलाओं के लिए बदतर होते हालात
अगस्त 2021 में सत्ता कब्जाने के बाद से तालिबान ने महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियां लगाई हैं. उनका हाई स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पढ़ना बंद कर दिया गया है. उन्हें पार्कों, मेलों और जिम आदि सार्वजनिक स्थानों पर जाने की मनाही है.
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महिलाओं के लिए क्या है तालिबान की सोच
तालिबान के सुप्रीम लीडर अखुंदजादा ने जून 2023 में कहा था कि इस्लामिक नियमों को अपनाकर महिलाओं को पारंपरिक अत्याचारों से बचाया जा रहा है और उनके "सम्मानित और स्वतंत्र इंसान" के दर्जे को फिर से स्थापित किया जा रहा है. तालिबान का कहना है कि वह इस्लामी कानून और अफगान संस्कृति की अपनी व्याख्या के मुताबिक ही महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करता है.
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अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और तालिबान का बचाव
महिलाओं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर तालिबान के प्रतिबंधों की मानवाधिकार संगठनों और कई सरकारों ने कड़ी आलोचना की है. 2021 में सत्ता में वापसी के बाद अब तक किसी भी देश ने तालिबान को अफगानिस्तान की वैध सरकार के रूप में अधिकारिक मान्यता नहीं दी है. कई देशों ने कहा है कि तालिबान को मान्यता देना कई मुद्दों पर निर्भर करता है. इनमें महिलाओं के अधिकार सुनिश्चित करना और कट्टरपंथी समूहों से संबंध तोड़ना अहम है. हालांकि रूस, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात समेत करीब एक दर्जन देशों की काबुल में राजनयिक उपस्थिति है.
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तालिबान का कहना है कि वे इस्लामिक कानून और स्थानीय परंपराओं के अनुसार महिला अधिकार का सम्मान करते हैं और यह एक आंतरिक मामला है, जिसे स्थानीय स्तर पर सुलझाया जाना चाहिए.
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नए कानूनों का प्रभाव
नए कानूनों के दायरे में सिर्फ महिलाएं नहीं, बल्कि पुरुष भी शामिल हैं. नमाज छोड़ने और रोजा रखने में चूकने पर पुरुषों पर कार्रवाई हो सकती है. कानूनों के उल्लंघन की स्थिति में दी जाने वाली सजा में "सलाह देना, सजा की चेतावनी, धमकी देना, संपत्ति जब्त करना, एक घंटे से तीन दिन तक जेल में रखना" जैसी कार्रवाई शामिल है. यदि इन उपायों से भी व्यक्ति का व्यवहार नहीं सुधरता है, तो उसपर मुकदमा चलाया जा सकता है.
2021 में सत्ता में वापस आने के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान के पिछले संविधान को निलंबित कर दिया था. उसने कहा था कि वे देश में इस्लामिक कानून के अनुसार शासन करेंगे.
पहले से मौजूद सख्तियों के बीच अब नए प्रतिबंधों से महिलाओं और लड़कियों की स्थिति और बदतर होने की आशंका है. मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आलोचनाओं के बावजूद तालिबान अपनी नीतियों में नर्मी लाता नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में कई जानकार मानवाधिकार और महिला अधिकार सुनिश्चित करने के लिए तालिबान के साथ कूटनीतिक संवाद शुरू करने की जरूरत पर जोर देते हैं.
टीजेड/एसएम (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)