अफगानिस्तान में चीनी निवेश के लिए उत्सुक तालिबान
२० अक्टूबर २०२३अफगानिस्तान में तालिबान प्रशासन ने आधिकारिक तौर पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के 'बेल्ट एंड रोड इंफ्रास्ट्रक्चर इनिशिएटिव' में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा है कि वह इस संबंध में बातचीत के लिए एक तकनीकी टीम चीन भेजेंगे. ये अहम घोषणा अफगानिस्तान के कार्यवाहक वाणिज्य मंत्री ने गुरुवार को की.
2021 में तालिबान के दोबारा सत्ता में आने के तुरंत बाद, चीन ने तालिबान के साथ अपने संबंधों को बढ़ावा देने के प्रयास शुरू कर दिए. पिछले महीने चीन काबुल में अपना राजदूत नियुक्त करने वाला पहला देश बना था. काबुल में राजदूत की उपाधि वाले अन्य दूसरे राजनयिक भी हैं, लेकिन उन सभी की नियुक्ति तालिबान के कब्जे से पहले ही हुई थी. तालिबान प्रशासन को अभी तक किसी भी अन्य विदेशी सरकार ने मान्यता नहीं दी है.
करीब आते चीन और तालिबान
अफगानिस्तान के कार्यवाहक वाणिज्य मंत्री हाजी नूरुद्दीन अजीजी ने बीजिंग में बेल्ट एंड रोड फोरम की समाप्ति के एक दिन बाद एक इंटरव्यू में रॉयटर्स को बताया, "हमने चीन से अनुरोध किया कि वह हमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे और बेल्ट एंड रोड पहल का हिस्सा बनने की अनुमति दे."
पाकिस्तान का "इकोनॉमिक कॉरिडोर" असल में अफगानिस्तान के पड़ोस में चीन की सड़क और बेल्ट परियोजना का एक बड़ा 'प्रमुख खंड' है. अफगान कार्यवाहक वाणिज्य मंत्री ने कहा कि उनका प्रशासन चीन में एक तकनीकी टीम भेजेगा, जो चीनी पहल में काबुल की भागीदारी के रास्ते में आने वाली बाधाओं और समस्याओं को समझने और समझाने की कोशिश करेगा.
खनिजों से समृद्ध देश अफगानिस्तान के पास चीन को देने के लिए बहुत कुछ है. मेटलर्जिकल कॉर्प्स ऑफ चाइना लिमिटेड (एमसीसी) समेत कई चीनी कंपनियां भी विभिन्न परियोजनाओं के लिए वर्तमान तालिबान प्रशासन और पश्चिम समर्थक पूर्व अफगान सरकार के साथ बातचीत कर रही हैं. देश में कॉपर खनन को लेकर पहले से ही बातचीत चल रही है.
अफगानिस्तान में सुरक्षा बड़ा मुद्दा
अजीजी ने कहा, "दुनिया भर में निवेश करने वाले चीन को अफगानिस्तान में भी निवेश करना चाहिए. हमारे पास वह सब कुछ है जिसकी चीन को जरूरत हो सकती है, जैसे लीथियम, तांबा और लौह अयस्क." अजीजी ने कहा है कि अफगानिस्तान अब पहले से कहीं ज्यादा निवेश के लिए तैयार है.
हालांकि निवेशकों का कहना है कि अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति अभी भी चिंताजनक है. आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट ने काबुल में विदेशी दूतावासों और चीनी अधिकारियों के बीच लोकप्रिय एक होटल को निशाना बनाया था.
एए/वीके (रॉयटर्स)