काबुल हवाई अड्डे पर तालिबान का कब्जा, आजादी का ऐलान
३१ अगस्त २०२१
अफगानिस्तान में काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को तालिबान ने अपने नियंत्रण में ले लिया है. अमेरिका का आखरी विमान अफगानिस्तान से जा चुका है और 20 साल लंबा उसका अभियान खत्म हो गया है.
विज्ञापन
सोमवार रात को अमेरिका का आखिरी विमान अफगानिस्तान से रवाना हो गया. इसके साथ ही 20 साल लंबा उसका अभियान खत्म हुआ और काबुल हवाई अड्डे पर तालिबान ने नियंत्रण कर लिया, जिसने हाल ही में अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया है.
अमेरिकी सेना ने ऐलान किया कि उसके सभी सैनिक अब अफगानिस्तान से जा चुके हैं. सेंट्रल कमांड के जनरल केनेथ मकैंजी ने कहा, "मैं यहां अफगानिस्तान से निकासी पूरी हो जाने की घोषणा के लिए आया हूं.”
तस्वीरों मेंः मिशन काबुल
तस्वीरों में मिशन काबुल
अगस्त के मध्य में तालिबान के नियंत्रण में आने के बाद से हजारों लोगों को अफगानिस्तान से निकाला गया है. लेकिन कई हजार लोग पीछे ही छूट जाएंगे. वे देश में रहेंगे और तालिबान के बदले के जोखिम से घिरे रहेंगे.
तस्वीर: U.S. Air Force/Getty Images
दूतावास कर्मियों को बचाते अमेरिकी हेलीकॉप्टर
जैसे ही तालिबान ने राजधानी काबुल में दाखिल किया, एक अमेरिकी चिनूक सैन्य हेलीकॉप्टर 15 अगस्त, 2021 को काबुल में अमेरिकी दूतावास से अमेरिकी कर्मचारियों को निकालने के काम में लग जाता है. जर्मनी ने लोगों को निकालने की कोशिशों में मदद के लिए काबुल में छोटे हेलीकॉप्टर भेजे हैं.
तस्वीर: Wakil Kohsar/AFP/Getty Images
काबुल एयरपोर्ट तक पहुंचने की जद्दोजहद
काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 16 अगस्त और उसके बाद के दिनों में हजारों लोग अफगानिस्तान छोड़ने की उम्मीद में पहुंचे. लोग दीवार फांदते, कंटीली तारों को पार करते दिखे. वे किसी तरह से देश छोड़ने की कोशिश करते नजर आए.
तस्वीर: Reuters
तालिबान से बचने को बेताब
अफगानिस्तान से भागने की कोशिशों में सैकड़ों लोग अमेरिकी वायुसेना के विमान के साथ-साथ दौड़ने लगे. कुछ लोग विमान से लिपट गए. उन्हें नहीं पता था कि यह कितना खतरनाक हो सकता है. विमान से गिरकर कुछ लोगों की मौतें भी हुईं.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
दो दशक बाद तालिबान की वापसी
दो दशकों तक अफगानिस्तान से तालिबान एक तरह से गायब था. लेकिन जैसे ही अमेरिका, जर्मनी और अन्य देशों के सैनिकों की वापसी शुरू हुई तालिबान तेजी से प्रांतों पर कब्जा जमाने लगा. ये तालिबान लड़ाके अफगान राजधानी पर कब्जा करने के कुछ दिनों बाद काबुल के एक बाजार में गश्त करते दिखाई दे रहे हैं.
तस्वीर: Hoshang Hashimi/AFP
ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाने की कोशिश
लोग किसी तरह से अफगानिस्तान से बाहर जाना चाहते हैं. इस वायुसेना के विमान में क्षमता से अधिक लोग बैठे हैं. जर्मन वायु सेना के इस परिवहन विमान में लोगों ने उज्बेकिस्तान के ताशकंद के लिए उड़ान भरी. काबुल से निकलने वाले अधिकांश सैन्य विमान उज्बेकिस्तान, दोहा या इस्लामाबाद जाते हैं जहां से यात्रियों को अलग-अलग गंतव्यों के लिए भेजा जाता है.
तस्वीर: Marc Tessensohn/Bundeswehr/Reuters
तालिबानी शासन में जीवन
तालिबान के देश पर कब्जा करने के कुछ दिनों बाद 23 अगस्त को बुर्का पहने अफगान महिलाएं काबुल के एक बाजार में खरीदारी करती हुईं. महिलाओं और बच्चों के लिए काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठनों को देश में अब काफी दिक्कतें पेश आ रही हैं.
तस्वीर: Hoshang Hashimi/AFP
सुरक्षित हाथों में
24 अगस्त, 2021 को काबुल में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर निकासी अभियान के दौरान एक अमेरिकी मरीन एक बच्चे को उसके परिवार के पास ले जाता हुआ. अमेरिका कह चुका है कि वह 31 अगस्त तक अपने सभी सैनिकों को देश से हटा लेगा.
तस्वीर: Sgt. Samuel Ruiz/U.S. Marine Corps/Reuters
जब बचने में कामयाब हुए
अफगानिस्तान से भागने में कामयाब होने वालों में से कई ने मिलीजुली प्रतिक्रियाएं दी हैं. वे कहते हैं कि वे भाग्यशाली महसूस करते हैं कि वे सुरक्षित रूप से अफगानिस्तान से बाहर आ गए. लेकिन तालिबान शासन से बचने में असमर्थ हजारों लोग के भाग्य पर संकट के बादल मंडरा रहे है. इस परिवार को काबुल से निकाला गया है और एक अमेरिकी शरणार्थी केंद्र में ले जाया जा रहा है.
तस्वीर: Anna Moneymaker/AFP/Getty Images
8 तस्वीरें1 | 8
15 अगस्त को तालिबान ने काबुल में प्रवेश किया था और उसके साथ ही काबुल हवाई अड्डे पर लोगों का जमावड़ा शुरू हो गया था, जो देश छोड़कर जाना चाहते थे. पिछले दो हफ्तों में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने एक लाख 22 हजार लोगों को अफगानिस्तान से निकाला है.
तालिबान ने किया आजादी का ऐलान
ऐसी खबरें हैं कि आखिरी अमेरिकी विमान के जाने के बाद अफगानिस्तान में जश्न मनाया गया. राजधानी काबुल में खुशी में हवा में गोलियां दागी गईं.
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक ट्वीट कर कहा, "आज रात अफगानिस्तान समयानुसार 12 बजे बाकी बचे अमेरिकी सैनिक भी काबुल से चले गए और हमारा देश पूरी तरह आजाद हो गया.”
एएफपी के संवाददाताओं ने बताया है कि उन्होंने कई चेकपोस्ट पर खुशी में गोलीबारी की आवाजें सुनीं. ऐसे कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर भी शेयर किए जा रहे हैं जिनमें तालिबान को हवा में गोलीबारी करते देखा जा सकता है.
विज्ञापन
अमेरिका मदद जारी रहेगी
अभी भी बड़ी तादाद में ऐसे लोग अफगानिस्तान में हैं, जो देश से निकलना चाहते हैं. हालांकि, वे छह परिवार सुरक्षित अमेरिका लौट गए हैं हैं जो अमेरिका में शरणार्थी के रूप में बस चुके हैं. वे गर्मियों की छुट्टियों में अफगानिस्तान आए थे और फंस गए थे. सैन डिएगो में एक स्कूल के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि वे लोग सुरक्षित लौट आए हैं. हालांकि ऐसे कम से कम दो परिवार अब भी अफगानिस्तान में हैं. इनमें कजोन वैली यूनियन स्कूल डिस्ट्रिक्ट के छात्र शामिल हैं.
देखेंः अफगानिस्तान में अमेरिका की 7 गलतियां
अफगानिस्तान में अमेरिका की 7 गलतियां
जिस तालिबान को हराने के लिए अमेरिका ने 20 साल जंग लड़ी, आज वह अफगानिस्तान पर काबिज है. अमेरिकी संस्था स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल फॉर अफगानिस्तान रिकंस्ट्रक्शन ने इसी महीने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें सात सबक बताए गए हैं.
तस्वीर: Shah Marai/AFP/Getty Images
स्पष्ट रणनीति नहीं
सिगार के मुताबिक विदेश और रक्षा मंत्रालय के पास कोई स्पष्ट रणनीति नहीं थी. तालिबान का खात्मा, देश का पुनर्निर्माण जैसे लक्ष्यों में कोई स्पष्टता नहीं थी.
तस्वीर: Michael Kappeler/AFP/Getty Images
संस्कृति और राजनीति की समझ नहीं
सिगार की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका अफगानिस्तान की संस्कृति और राजनीति को समझ नहीं पाया. इस कारण गलतियां हुईं. जैसे कि वहां ऐसी न्याय व्यवस्था बना दी जिसके अफगान आदि नहीं थे. या फिर अनजाने में एक पक्ष का साथ देकर स्थानीय विवादों को और उलझा दिया.
तस्वीर: Shah Marai/AFP/Getty Images
दूरदृष्टि नहीं
अमेरिका के फैसलों में दूरदृष्टि की कमी को सिगार की रिपोर्ट ने रेखांकित किया है. सफलता के लिए कितना वक्त चाहिए, कितना धन चाहिए, कहां कितने लोग चाहिए इसकी कोई रणनीति नहीं थी. इस कारण ‘20 साल लंबी एक कोशिश’ के बजाय अभियान ‘एक-एक साल लंबी 20 कोशिशों’ में तब्दील हो गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/ISAF
अधूरी योजनाएं
सिगार कहता है कि बहुत सारी विकास योजनाएं शुरू तो हुईं लेकिन पूरी नहीं की गईं. सड़कें, अस्पताल, बिजली घर आदि बनाने पर अरबों डॉलर खर्चे गए लेकिन उनकी देखभाल के लिए कोई जवाबदेही नहीं थी. लिहाजा वे या तो अधूरे रह गए या बर्बाद हो गए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Marai
कुशल लोगों की कमी
सिगार की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिकी सेना और मददगार संस्थाओं के पास जमीन पर कुशल लोगों की कमी थी. इस कारण एक साल बाद जब एक दल घर गया तो नए लोग आए जिनके पास समुचित अनुभव नहीं था. इस कारण प्रशिक्षण में कमी रह गई.
तस्वीर: DW/S. Tanha
परेशान लोग
अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर लोग हिंसा से परेशान और डरे हुए थे जो आर्थिक विकास के रास्ते में बड़ी बाधा बना. अफगान सेना को तैयारी का कम समय मिला और उसकी तैनाती जल्दबाजी में हुई.
तस्वीर: AP/picture alliance
गलतियों से सीख नहीं
सिगार का आकलन है कि अमेरिकी सरकार ने योजनाओं की समीक्षा पर समय नहीं बिताया और गलतियों से सबक नहीं लिया. इसलिए वही गलतियां दोहराई जाती रहीं.
तस्वीर: Shah Marai/AFP/Getty Images
7 तस्वीरें1 | 7
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा है कि अमेरीकियों, अफगानों और उन सभी की मदद लगातार जारी रहेगी जो देश छोड़ना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि 200 से कम अमेरिकी ही अब अफगानिस्तान में बचे हैं. उन्होंने कहा कि काबुल में अमेरिकी दूतावास निकट भविष्य में बंद रहेगा और वहां से काम कर रहे दूतावास के अधिकारी अब कतर में दोहा से काम करेंगे.
अमेरिकी सेना के मुताबिक अफगानिस्तान से उड़े आखिरी चंद विमानों में कोई अमेरिकी नागरिक नहीं था. अमेरिका अब बाकी बचे लोगों को निकालने के लिए कूटनीतिक तरीके अपनाएगा.
अमेरिकी सैन्य उपकरण बंद
अमेरिकी सेना ने सोमवार को आखिरी विमान के जाने से पहले अपने अफगानिस्तान में छूटे सारे उपकरणों और हथियारों को आदि को स्थायी तौर पर बंद कर दिया है ताकि उन्हें इस्तेमाल ना किया जा सके.
जनरल मकैंजी ने बताया कि 73 विमानों को अयोग्य कर दिया गया. उन्होंने कहा, "वे विमान अब कभी उड़ाए नहीं जा सकेंगे. कोई उनका इस्तेमाल नहीं कर सकता. वैसे भी उनमें से ज्यादातर ऐसे थे जो किसी मिशन पर इस्तेमाल नहीं हो सकते. फिर भी, अब उन्हें कभी उड़ाया नहीं जा सकता.”