एलजीबीटी कर्मचारियों के पार्टनरों को भी हेल्थ बीमा
श्रेया बहुगुणा
१० दिसम्बर २०१९
भारत के दिग्गज कारोबारी समूह टाटा की दो कंपनियों ने एलजीबीटी कर्मचारियों के पार्टनरों को स्वास्थ्य बीमा और एचआर लाभ देने का फैसला किया है.
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टाटा स्टील ने अपने एलजीबीटी कर्मचारियों को समान अधिकार देने का फैसला किया है. कंपनी में कुल 33 हजार कर्मचारी काम करते हैं. इनमें कितनने एलजीबीटी समुदाय से हैं, इस बारे में कंपनी ने जानकारी नहीं दी है. लेकिन अब उसके सभी कर्मचारियों के पार्टनरों का स्वास्थ्य बीमा दिया जाएगा. बाकी कर्मचारियों की तरह एलजीबीटी समुदाय के कर्मचारियों को भी बच्चा गोद लेने के लिए या फिर बच्चे की परवरिश के लिए छुट्टियां दी जाएंगी. एलजीबीटी समुदाय के वो कर्मचारी जिन्हें सेक्स चेंज सर्जरी करानी है, उन्हें वित्तीय सहायता और 30 दिनों की विशेष छुट्टी भी मिलेगी.
टाटा स्टील ने एलजीबीटी समुदाय के कर्मचारियों और उनके पार्टनरों को 'एचआर बेनिफिट' देने की भी घोषणा की है, जिसके तहत कंपनी हनीमून पैकेज, नए कर्मचारियों के साथ पार्टनरों की घरेलू यात्रा का खर्च तो उठाएगी ही, साथ ही ऑफिस की पार्टी में जहां पहले कर्मचारी सिर्फ अपने पति या पत्नि को ही ला सकते थे, अब पाटनर्स भी उनके साथ आ सकते हैं.
टाटा स्टील के मानव संसाधन विभाग के उपाध्यक्ष सुरेश त्रिपाठी कहते हैं, "समान नीतियां और लाभ सभी कर्मचारियों को हर क्षेत्र में देने से उनके बीच समानता आती है. रिसर्च दिखाती है कि जो कंपनी एलजीबीटी समुदाय की रक्षा करती है, लोग उस कंपनी के लिए ज्यादा प्रतिबद्ध होते हैं. एलजीबीटी समुदाय को शामिल करने वाली नीतियों के बाद से कार्य क्षेत्र में उनके खिलाफ भेदभाव में कमी आई है."
अनुभूति बनर्जी एलजीबीटी समुदाय से हैं और टाटा स्टील में एनालिटिक्स और इनलाइट मैनेजर हैं. वह कहती हैं, "मैंने जब तक अपनी पहचान को छुपा कर रखा, तब तक मैं डर में जीती थी. मैं पहले जिस जेंडर के साथ जुड़ी थी, उससे मैं खुद को जोड़ नहीं पाती थी. जब मैं टाटा स्टील के साथ जुड़ी तो मैंने प्रबंधन से कहा कि मैं खुद की पहचान एक महिला के तौर पर चाहती हूं और इस बात को उन्होंने तुरंत स्वीकार कर लिया."
टाटा स्टील की चीफ डाइवर्सीटी अधिकारी अत्रेयी सान्याल कहती हैं कि उनकी कोशिश ऐसा माहौल तैयार करना है जिसमें हर किसी को सम्मान मिले और हर किसी की आवाज सुनी जाए. वह कहती हैं कि हर व्यक्ति को विभिन्नताओं के बावजूद भी गले लगाकर उसका सम्मान करना होगा. उनके मुताबिक, "इसी लक्ष्य के साथ हम एलजीबीटी समुदाय को साथ लेकर चलने वाली नीतियां लेकर आए हैं."
ऐतिहासिक कदम
टाटा कंसल्टेन्सी सर्विसेस (टीसीएस) ने भी ऐसा ही कदम उठाया है. कंपनी ने एलजीबीटी समुदाय के कर्मचारीयों के पार्टनरों को भी स्वास्थ्य बीमा देने का फैसला किया है. इस फैसले से कंपनी में काम करने वाले एलजीबीटी समुदाय में शामिल लेस्बियन, गे, बाईसेक्शुअल, ट्रांसजेडंरों को फायदा होगा.
कंपनी ने अपने यहां काम करने वाले चार लाख कर्मचारियों को मेल भेज कर इसकी जानकारी दी. इस मेल में हेल्थ पॉलिसी में स्पाउस या पति/पत्नी शब्द को फिर से परिभाषित कर उसे पार्टनर कर दिया गया है. इस बीमा योजना के तहत कंपनी कर्मचारियों के सेक्स चेंज सर्जरी का 50 प्रतिशत खर्च भी उठाएगी.
टीसीएस ने अपने आधिकारिक बयान में लिखा, "टीसीएस हर व्यक्ति का सम्मान करता है. हम एलजीबीटी समुदाय को साथ लेकर चलते हैं. एक कंपनी होने के नाते हम ऐसा वातावरण बनाना चाहते हैं, जहां हर कोई सम्मानित और समावेशित महसूस करे."
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कुछ ही कपंनी हैं, जो बीमा योजना या ऐसी सुविधाएं एलजीबीटी समुदाय को देती हैं. इनमें गोदरेज ग्रुप, एसेंचर, आईबीएम, सिटी बैंक, केरजैमिनी, और आरबीएस (रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड) शामिल है.
युगांडा समलैंगिंकों को मौत की सजा देने का कानून बनाने जा रहा है. ब्रूनेई पहले ही ऐसा कर चुका है. दुनिया के 68 देशों में समलैंगिक संबंध अवैध हैं. लेकिन अब कई देश एलजीबीटी समुदाय को अधिकार देने के बाद उन्हें छीन रहे हैं.
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अमेरिका
अमेरिका ने इस साल से सेना में ट्रांसजेंडरों की भर्ती पर रोक को लागू करना शुरू कर दिया है. 2016 में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ट्रांसजेंडरों को सेना में काम करने की अनुमति दी थी. लेकिन 2017 में राष्ट्रपति पद संभालने वाले डॉनल्ड ट्रंप ने इसे बदलने की घोषणा की. ट्रंप ने इस फैसले की एक बड़ी वजह दवाओं पर आने वाले खर्च को बताया.
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रूस
रूस में पिछले साल पहली बार तथाकथित "गे प्रोपेगैंडा" कानून के तहत एक नाबालिग पर जुर्माना किया गया. इस कानून का इस्तेमाल वहां एलजीबीटी समुदाय को दबाने के लिए किया जाता है. 2013 में बने इस कानून के तहत नाबालिगों में समलैंगिकता को बढ़ावा देने की कोशिश या फिर ऐसा कोई भी आयोजन गैरकानूनी है. इसे तहत वहां गे परेड रोकी गईं और समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया.
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पोलैंड
पोलैंड की सत्ताधारी पार्टी के नेता यारोस्लाव काचिंस्की ने इस साल गे प्राइड मार्चों की आलोचना की और कहा कि इसे रोकने के लिए कानून लाया जाना चाहिए. कट्टरंपंथी लॉ एंड जस्टिस पार्टी ने एलजीबीटी समुदाय विरोधी अपने रुख को चुनाव का बड़ा मुद्दा बनाया है. आलोचकों का कहना है कि इस वजह से समलैंगिकों के खिलाफ हिंसा के मामलों में इजाफा देखने को मिला है.
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इंडोनेशिया
इंडोनेशिया में समलैंगिक पुरुषों के बीच शारीरिक संबंधों पर प्रतिबंध लगाने वाले एक कानून का मसौदा तैयार किया गया है, जिस पर पिछले महीने संसद में विरोध के चलते मतदान नहीं हो पाया. इसके तहत विवाहेत्तर शारीरिक संबंध भी गैरकानूनी होंगे. गर्भपात कराने पर भी चार साल की सजा होगी. सिर्फ मेडिकल इमरजेंसी, बलात्कार या काले जादू के लिए जेल की सजा मिलने पर ही गर्भपात कराने की छूट होगी.
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नाइजीरिया
नाइजीरिया ने 2014 में एक बिल पास किया, जिसमें समलैंगिक सेक्स के लिए 14 साल की सजा का प्रावधान किया गया. अधिकारियों ने 2017 में समलैंगिक गतिविधियों के मामले में 43 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए. इनमें से ज्यादातर को निगरानी में रखा गया और उनका "यौन पुर्नवास" किया गया.
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मलेशिया
मलेशिया में एलजीबीटी समुदाय के लोगों को प्रताड़ित करने के मामले बढ़ रहे हैं. पिछले साल तेरेंगगानु राज्य में दो महिलाओं को आपस में शारीरिक संबंध कायम करने के लिए सार्वजनिक तौर पर बेंतों से पीटा गया. प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद का कहना है कि उनका देश समलैंगिक शादियों और एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों को स्वीकार नहीं कर सकता.
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चाड
अफ्रीकी देश चाड ने 2017 में नई दंड संहिता पर अमल करना शुरू किया, जिसमें समलैंगिक संबंधों के लिए छोटी कैद की सजाओं और जुर्माने का प्रावधान किया गया. इससे पहले वहां स्पष्ट तौर पर समलैंगिक संबंध गैरकानूनी नहीं थे. हालांकि अप्राकृतिक कृत्यों की निंदा करने वाला एक कानून जरूर था.
तस्वीर: UNICEF/NYHQ2012-0881/Sokol
स्लोवाकिया
स्लोवाकिया ने 2014 में अपने संविधान में पारंपरिक शादी की परिभाषा को जगह दी. 2015 में वहां पर एक जनमत संग्रह हुआ जिससे समलैंगिक शादियों और उनके द्वारा बच्चे गोद लेने पर रोक को और मजबूती मिलने की उम्मीद थी. लेकिन जनमत संग्रह में बहुत कम लोगों ने हिस्सा लिया जिसके कारण उसे मंजूरी नहीं मिल सकी. (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन/एके)