टाटा संस और स्पाइसजेट ने एयर इंडिया की बिक्री के लिए आधिकारिक तौर पर अपनी-अपनी बोलियां जमा कर दी हैं. बोली प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है.
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टाटा संस और स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह ने राष्ट्रीय एयरलाइन में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए अपनी अंतिम बोलियां जमा की हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घरेलू विमानन कंपनी स्पाइसजेट के प्रमोटर सिंह ने कुछ अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर एयरलाइन के लिए एक संयुक्त बोली लगाई है.
टाटा की वर्तमान में दो एयरलाइनों में हिस्सेदारी है- एयरएशिया इंडिया, जो एक कम लागत वाली एयरलाइंस है और दूसरी फुल सर्विस एयरलाइन विस्तारा है. इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि बोली के लिए दो एयरलाइन कंपनियों में से कौन सी वाहन होगी. केंद्र सरकार एयर इंडिया में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचना चाहती है. एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की समय सीमा बुधवार को समाप्त हुई.
विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहले ही साफ कर दिया था बोली लगाने की समय सीमा आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. एयर इंडिया की बिक्री में एआई एक्सप्रेस लिमिटेड में एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड की 50 फीसदी हिस्सेदारी शामिल है.
सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांता पांडे ने ट्विटर पर कहा कि विनिवेश प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "एयर इंडिया के विनिवेश के लिए वित्तीय बोलियां लेनदेन सलाहकार को मिलीं. प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है."
टाटा की बोली बहुप्रतीक्षित थी, क्योंकि उसका नाम पिछले कुछ समय से चर्चा में था. वित्तवर्ष 2021-22 के बजट भाषण के दौरान, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सभी प्रस्तावित निजीकरण की प्रक्रिया वित्तीय वर्ष के अंत तक पूरी हो जाएगी, जिसमें एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश में बहुत देरी भी शामिल है.
अब नहीं बना करेगा "नीरजा" वाला बोइंग 747
फिल्म नीरजा में आपने जिस "डबल डेकर" विमान को देखा, वह था मशहूर बोइंग 747. इसके विशाल आकार के कारण इसे जंबो जेट का नाम दिया गया था. पांच दशकों बाद 747 का सफर खत्म होने जा रहा है.
तस्वीर: Neerja (2016)
अलविदा जंबो जेट!
बोइंग ने अपने डबल डेकर विमान 747 के निर्माण को खत्म करने का फैसला किया है. पिछले 50 सालों में बोइंग ने 1500 से ज्यादा 747 विमान बनाए हैं जिनमें से 450 अब भी इस्तेमाल हो रहे हैं. अब इसके रिटायर होने का वक्त आ गया है.
तस्वीर: picture-alliance/D. Kubirski
हवाई यात्रा को बदलने वाला
पिछले पांच दशकों में 747 ने हवाई यात्रा को काफी बदला है. विशाल जंबो जेट के कारण हवाई अड्डों का विस्तार हुआ. लोग इस डबल डेकर प्लेन में लंबा सफर करते और फिर हवाई अड्डों पर कनेक्टिंग फ्लाइट का इंतजार करते.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Probst
तेल संकट से हुआ नुकसान
बोइंग 747 का सफर 21 जनवरी 1970 को शुरू हुआ. अमेरिका की पैन ऐम एयरलाइंस ने ऐसे 25 विमान खरीदे थे और पहली बार लोगों के लिए न्यूयॉर्क से लंदन का लंबा सफर मुमकिन हो सका था. लेकिन लॉन्च के कुछ ही वक्त बाद 1973 में तेल संकट शुरू हुआ और एयरलाइंस ने इसे ना उड़ाने का फैसला किया क्योंकि यह अन्य विमानों से महंगा पड़ता था.
तस्वीर: Getty Images/AFP
स्टाइल और ग्लैमर से भरपूर
747 को सिर्फ इसकी तकनीकी खूबियों के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि यह ग्लैमर की निशानी भी बन गया. यहां ऊपर के हिस्से में एक लाउंज बनाया गया जहां लोग किसी रेस्तरां की तरह आराम से बैठ कर ड्रिंक्स ले सकते थे. विमान में सीटों को अलग अलग तरह से लगाया जा सकता था और इस हिसाब से एक विमान में 366 से 550 लोगों की जगह मुमकिन हो सकी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Boeing
आतंकियों के निशाने पर
फिल्म "नीरजा" में आपने पैन ऐम का जो विमान देखा वह बोइंग 747 ही था. 1986 में चार फलस्तीनियों ने इसका अपहरण किया. इसके बाद दिसंबर 1988 में स्कॉटलैंड में पैन ऐम के ही एक विमान में बम विस्फोट हुआ जिसमें 270 लोगों की जान गई. यहां आप मार्च 1977 की तस्वीर देख सकते हैं जब टेनेरिफ हवाई अड्डे पर दो 747 की टक्कर हुई और 583 लोगों की जान गई.
तस्वीर: Getty Images/Central Press
वीआईपी विमान
जंबो जेट का आखिरी एडिशन है 747-8 जिसे 2012 में लॉन्च किया गया. इस सिरीज के पहले आठ विमान जर्मन एयरलाइंस लुफ्थांसा ने खरीदे. इसमें 467 यात्रियों के बैठने की जगह है. नागरिक विमान के अलावा इस सीरीज के विमान का इस्तेमाल सेना में भी होता है और अमेरिकी राष्ट्रपति का एयर फोर्स वन विमान भी बोइंग 747-8 ही है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
नहीं रही मांग
पिछले एक साल में बोइंग को 747 के सिर्फ 20 ऑर्डर मिले और वे सब भी मालवाहक विमान के लिए. 747 की जगह अब कंपनियां 777 और 787 खरीदना पसंद करती हैं. 747 आधुनिक जमाने की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाया और ऐसे में बोइंग को इसे अलविदा कहने का कठिन फैसला लेना पड़ा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
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एयर इंडिया पर भारी कर्ज
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अगर बोलियां सही पाई जाती हैं और प्रक्रिया सही ढंग से चलती है तो इस साल दिसंबर या अगले साल मार्च तक एयर इंडिया को उसका नया मालिक मिल जाएगा. एयर इंडिया पर करीब 43,000 करोड़ का कर्ज है, जिसमें से 22,000 करोड़ रुपये एयर इंडिया एसेट होल्डिंग लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिए जाएंगे.
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टाटा ने ही की थी शुरूआत
टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की, जिसे बाद में 1946 में एयर इंडिया नाम दिया गया. सरकार ने 1953 में एयरलाइन का अधिग्रहण कर लिया था लेकिन जेआरडी टाटा 1977 तक इसके चेयरमैन बने रहे.
एयर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने का मौजूदा केंद्र सरकार का यह दूसरा प्रयास है. वर्तमान में एयर इंडिया देश में 4400 और विदेशों में 1800 लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट को नियंत्रण करती है. एयर इंडिया के विमान हर महीने 4400 घरेलू उड़ान भरते हैं. वहीं 1800 अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स भी उड़ान भरती हैं.
इस साल मई में एयर इंडिया के पास 173 विमानों का बेड़ा था, जिसमें 13 बोइंग 777-300 एक्सटेंडेड रेंज, तीन बोइंग 777-200 लॉन्ग रेंज, 27 बोइंग 787-800 और 27 एयरबस 321 न्यू इंजन विकल्प शामिल थे.
कोरोना के चक्कर में धराशायी हुई दुनिया भर की एयरलाइन कंपनियां
जनवरी 2020 तक सब कुछ कंट्रोल में लग रहा था. लेकिन उसके बाद कोरोना का ऐसा तूफान आया कि एयरलाइन उद्योग के परखच्चे उड़ने लगे. हजारों नौकरियां उजड़ गईं.
तस्वीर: Steve Strike
लुफ्थांसा
जर्मन एयरलाइन कंपनी लुफ्थांसा को कोरोना वायरस के चलते 2020 की छमाही में करीब तीन अरब यूरो का घाटा हुआ. लुफ्थांसा प्रमुख कार्स्टन स्पोर कहते हैं कि कंपनी को लंबे समय के लिए अपना आकार छोटा करना होगा. जर्मनी में ही कंपनी की 11,000 नौकरियां खतरे में हैं.
तस्वीर: ATC Pilot/Sebastian Thoma
क्वांटस
ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी क्वाटंस एलान कर चुकी है कि वह 2023 तक दुनिया के सबसे बड़े यात्री विमान एयरबस ए380 को बिल्कुल नहीं उड़ाएगी. कंपनी 6,000 नौकरियां खत्म कर चुकी है. बाकी बचे स्टाफ में भी ज्यादातर लोग कुछ ही घंटों के लिए काम कर रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/L. Elliott
इंडिगो
भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो ने अपने स्टाफ में 10 फीसदी कटौती का एलान किया है. भारत में कोरोना का प्रकोप अभी तक खत्म नहीं हुआ है. कंपनी जबरदस्त कॉस्ट कटिंग मोड में भी चली गई है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Pavani
रायनएयर
यूरोप की चोटी की किफायती एयरलाइन कंपनी रायनएयर को इस साल के पहले छह महीनों में टिकट बिक्री में 95 फीसदी गिरावट देखनी पड़ी. सस्ते टिकट वाली आइरिश कंपनी को पहली बार नुकसान झेलना पड़ा है. इस साल कंपनी को अपने 19,000 कर्मचारियों में से सिर्फ 3,000 को चुनना पड़ा.
तस्वीर: Reuters/W. Rattay
इंटरनेशनल एयरलाइंस ग्रुप (आईएजी)
ब्रिटिश स्पैनिश ग्रुप का ऑपरेटिंग लॉस 1.37 अरब यूरो है. इसकी सहायक कंपनी ब्रिटिश एयरवेज में 12,000 नौकरियों पर तलवार लटक रही है. ग्रुप की बाकी एयरलाइंस में बड़ी संख्या में नौकरियां जाना तय है.
तस्वीर: ATC Pilot/Sebastian Thoma
एयर फ्रांस-केएलएम
फ्रेंच डच एयरलाइन ग्रुप को 1.55 अरब यूरो का नुकसान हुआ है. पिछले साल की पहली छमाही के मुकाबले 2020 में टिकट सेल 85 फीसदी गिरी है. ग्रुप 7, 580 नौकरियां खत्म करने जा रहा है. डच एयरलाइन केएलएम तो 2022 तक 33,000 फ़ुल टाइम जॉब्स में 5,000 को खत्म करने जा रही है.
तस्वीर: AFP/B. Guay
ईजीजेट
ब्रिटेन की बजट एयरलाइन ईजीजेट को अप्रैल, मई और जून में ही 36 करोड़ यूरो का घाटा हुआ है. एयरलाइन के 315 विमानों के बेड़े में से सिर्फ 10 ही इस्तेमाल हुए. ईजीजेट ने चेतावनी दी है कि उसे 4,500 नौकरियां खत्म करनी पड़ सकती हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa
नॉर्वेजियन
सस्ते टिकट बेचने वाली नॉर्वे की यह एयरलाइन कंपनी अपने आंकड़े अगस्त अंत में पेश करेगी. स्वीडन और डेनमार्क में इसकी सहायक कंपनियां अप्रैल से बंद हैं. पायलटों और केबिन क्रू को मिलाकर 4,700 नौकरियां धार पर हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Mainka
एसएएस
डैनिश एयरलाइन ग्रुप में आधी यानि करीब 5,000 नौकरियां खतरे में हैं. डेनमार्क, स्वीडन और वालेनबेर्ग फाउंडेशन जैसे बड़े शेयर होल्डरों ने कंपनी को बचाने के लिए एक रेस्क्यू पैकेज का एलान किया है.
तस्वीर: picture-alliance/M.Mainka
विज
हंगरी की लो कॉस्ट एयरलाइन विज को पहले ही हो चुकी बुकिंग से राहत मिली. अप्रैल से जून के बीच कंपनी को 90 लाख यूरो का फायदा हुआ, लेकिन उसके बाद से नुकसान ही हो रहा है. कंपनी के 20 फीसदी कर्मचारियों लग रहा है कि उन्हें सेवा समाप्ति का लेटर मिल सकता है.
तस्वीर: AFP/Getty Images/V. Petrova
कोंडोर
जर्मन हॉलिडे एयरलाइन की पैरेंट कंपनी थॉमस कुक 2019 में दिवालिया हो गई. अब कोंडोर अलग कंपनी है. एयरलाइन को लगता है कि वह अपने स्टाफ में कटौती किए बिना कोरोना संकट से निकल जाएगी. कंपनी ने अपने आंकड़े जारी नहीं किए हैं. रिपोर्ट: हेनरिक बोएमे, ओंकार सिंह जनौटी