चाय के बारे में 14 साल तक पांच लाख लोगों पर किए गए अध्ययन में कई दिलचस्प निष्कर्ष निकले हैं. चाय के स्वास्थ्यवर्धक गुणों के बारे में यह शोध कई बातें बताता है.
चाय पर चर्चा वैज्ञानिकों के बीच भी हो रही हैतस्वीर: Konstantin Okhlopkin/PantherMedia/IMAGO
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भले ही कुछ समय पहले पाकिस्तान के नेता अपनी जनता से चाय कम पीने की गुजारिशकर रहे थे लेकिन चाय की एक प्याली पर दुनिया में बड़े-बड़े काम हो जाते हैं. यह हर खास ओ आम की पसंद है. चाय पर चर्चा से देश बदल जाता है. अब एक शोध कहता है कि जिंदगी भी लंबी हो सकती है. हालांकि यह बात भारत की दूध वाली चाय के बारे में नहीं बल्कि काली चाय के बारे में कही गई है.
हाल ही में हुए एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि जो लोग चाय पीते हैं, उनकी चाय ना पीने वालों से थोड़ा सा ज्यादा जीने की संभावना होती है.
चाय में ऐसे तत्व होते हैं तो जलन को रोकते हैं. चीन और जापान, जहां ग्रीन टी सबसे ज्यादा लोकप्रिय है, वहां पहले भी ऐसे अध्ययन हो चुके हैं जिनमें चाय के स्वास्थ्यवर्धकगुण सामने आते रहे हैं. अब युनाइटेड किंग्डम में सबसे ज्यादा लोकप्रिय काली चाय के बारे में एक अध्ययन हुआ है.
अमेरिकी नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन किया है जिसके बाद उन्होंने कुछ दिलचस्प निष्कर्ष पेश किए हैं. वैज्ञानिकों ने एक विशाल डेटाबेस में उपलब्ध आंकडों का विश्लेषण किया है. इस डेटामेस में युनाइटेड किंग्डम के पांच लाख से ज्यादा लोगों की चाय से जुड़ी आदतों के आंकड़े थे. ये आंकड़े इन लोगों से 14 साल तक बात करने के दौरान जुटाए गए थे.
सबसे ज्यादा चाय ये देश उगाते हैं
यूं तो चाय का उद्गम चीन को माना जाता है, लेकिन इस बीच दुनिया के कई देशों में चाय का उत्पादन होता है. औपनिवेशिक शासकों ने इसे न सिर्फ उपनिवेशों में बल्कि दुनिया भर में लोकप्रिय बनाया है.
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चीन (2473443 टन)
चीन में चाय पीने का लंबा इतिहास है. कहते हैं कि सम्राट शेनॉन्ग ने 2737 ईसा पूर्व में इसका प्रचलन शुरू किया. अब तो चीन में चाय पेय से लेकर दवा तक में इस्तेमाल होती है और देश की कई सांस्कृतिक रिवाजों का हिस्सा है.
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भारत (1325,000 टन)
चाय तो भारत में पहले से होती थी, लेकिन जब अंग्रेजों को चीन से चाय पीने का पता चला तो उन्होंने इसका औद्योगिक चलन शुरू किया. आज भारत में उत्पादित 70 फीसदी चाय की खपचत देश में ही होती है.
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केन्या (440,000 टन)
केन्या ऐसा देश है जहां चाय की खेती बड़े बागानों में नहीं बल्कि छोटे खेतों में होती है. करीब साढ़े चार लाख टन का छोटे खेतों में उत्पादन बड़ी बात है. लेकिन केन्या नई उन्नत किस्मों के विकास पर जोर दे रहा है.
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श्रीलंका (350,000 टन)
1867 में एक ब्रिटिश किसान ने श्रीलंका के कैंडी में चाय का उत्पादन 19 एकड़ जमीन पर शुरू किया था. इस बीच करीब 2 लाख हेक्टेयर जमीन पर चाय की खेती होती है और यह श्रीलंका के प्रमुख उद्योगों में शामिल है.
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वियतनाम (260,000 टन)
जो काम भारत में अंग्रेजों ने किया वह वियतनाम में फ्रेंच लोगों ने किया. 1880 में वहां चाय का उत्पादन शुरू हुआ और पचास साल के अंदर चाय उद्योग इतना बड़ा हो गया कि वियतनाम यूरोप और अफ्रीका को चाय का निर्यात करने लगा.
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तुर्की (234,000 टन)
तुर्की में काले सागर के निकट एक छोटे से इलाके राइज में चाय का उत्पादन होता है. हालांकि तुर्की की कॉफी ज्यादा मशहूर है लेकिन वहां चाय भी काफी लोकप्रिय है. तुर्की में मुख्य रूप से काली चाय का उत्पादन होता है.
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इंडोनेशिया (140,000 टन)
इंडोनेशिया में चाय औपनिवेशिक शासकों के जरिए आई. डच लोगों ने 1700 के आसापास चाय का उत्पादन शुरू किया लेकिन यह स्थानीय लोगों में इतना लोकप्रिय नहीं है. आज भी इंडोनेशिया की चाय आम तौर पर विदेशों में निर्यात की जाती है.
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ईरान (100,000 टन)
ईरान में 15 सदी में व्यापक रूप से कॉफी पी जाती थी. चीन के साथ सिल्क रूट की वजह से ईरानी लोगों को चाय का पता चला और फिर इसका चस्का लगा. 1882 में भारत से लाए गए बीज की मदद से ईरान ने खुद चाय का उत्पादन शुरू किया.
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विश्लेषण के दौरान विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य, सामाजिक-आर्थिक स्थित, धूम्रपान, शराब, खान-पान, आयु, नस्ल और लिंग के आधार पर निष्कर्षों में जरूरी फेरबदल भी किया. इस विशाल अध्ययन का निष्कर्ष यह निकला कि जो लोग ज्यादा चाय पीते हैं उनके जीने की संभावना चाय ना पीने वालों से थोड़ी सी ज्यादा होती है. यानी रोजाना दो या उससे ज्यादा कप चाय पीने वाले लोगों में मौत का खतरा दूसरे लोगों से 9-13 प्रतिशत कम होता है. वैज्ञानिकों ने भी यह स्पष्ट किया कि चाय का तापमान और उसमें दूध या चीनी मिलाने का नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ा.
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चाय का असर
यह अध्ययन अनैल्स ऑफ इंटरनल मेडिसन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए है. शोधकर्ता कहते हैं कि हृदय रोगों का चाय से संबंध कुछ स्पष्ट हुआ लेकिन कैंसर की मौतों का चाय से कोई रिश्ता स्थापित नहीं हो पाया. हालांकि ऐसा क्यों है, इस बारे में शोधकर्ता कोई ठोस जवाब नहीं खोज सके. मुख्य शोधकर्ता माकी इनोऊ-चोई के मुताबिक हो सकता है कैंसर से कम मौतों के कारण कोई ठोस संबंध ना मिला हो.
खाने का विज्ञानसमझने वाले कहते हैं कि लोगों की आदतों और स्वास्थ्य का अध्ययन कर निकाले गए निष्कर्ष किसी तरह का ‘कारण और प्रभाव' साबित नहीं कर सकते. न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी में ‘फूड स्टडीज' पढ़ाने वालीं मैरियन नेस्ले कहती हैं, "ऑब्जर्वेशन-आधारित ऐसे अध्ययन हमेशा सवाल उठाते हैं कि क्या चाय पीने वालों में ऐसा कुछ अलग है जो उन्हें दूसरों से ज्दा सेहतमंद बनाता है. मुझे चाय पसंद है. यह एक शानदार पेय पदार्थ है लेकिन सावधानीपूर्वक इसकी व्याख्या करना ही समझदारी होगी.”
बताओ, किसमें कितनी चीनी?
आपकी रोजाना खुराक में 5 फीसदी से ज्यादा हिस्सा चीनी का नहीं होना चाहिए. इसका मतलब है महिलाओं के लिए 5-6 चम्मच और पुरुषों के लिए 7-8 चम्मच काफी है. लेकिन क्या आपको पता है कि खाने की किस चीज में कितनी चीनी छिपी होती है?
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छिपी हुई चीनी
चीनी दो प्रकार की होती है. एक जो प्राकृतिक रूप से खाने पीने की चीजों में पाई जाती है, जैसे फलों में फ्रक्टोज और दूध में लैक्टोज. दूसरी, जो अप्राकृतिक रूप से मिलाई जाती है. रोजाना हम जिस चीनी का इस्तेमाल करते हैं उसमें सुक्रोज मिला होता है.
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आईस टी
एक गिलास में 5 से 7 चम्मच चीनी होती है. यानि अगर आप एक गिलास आईस टी पी चुके हैं, तो अब आप दिन भर और कुछ भी मीठा नहीं ले सकते. मीठी आईस टी की जगह नमकीन नींबू पानी पीने की आदत डालें.
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कोल्ड ड्रिंक
कोका कोला के एक कैन में 9 से 10 चम्मच चीनी मिली होती है. पानी के बाद कोक में सबसे बड़ी मात्रा चीनी की ही होती है. यकीन नहीं होता, तो उबाल कर देख लीजिए. पानी उड़ जाने के बाद चीनी बची मिलेगी.
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ब्रेड
क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ब्रेड के दो स्लाइस में कितनी चीनी मिली होती है? लगभग 10 चम्मच. जी हां, मैदे और चीनी से भरी हुई व्हाइट ब्रेड आपकी सेहत के लिए बिलकुल भी अच्छी नहीं.
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केचप
बच्चों की मनपसंद टोमैटो केचप के हर चम्मच में कम से कम आधा चम्मच चीनी होती है. इसीलिए बच्चों को इससे दूर ही रखना चाहिए. सैंडविच और पकौड़ियों के साथ केचप की जगह घर की बनी चटनी का इस्तेमाल करें.
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चॉकलेट
थोड़ी मात्रा में चॉकलेट सेहत के लिए अच्छी होती है लेकिन बाजार में अधिकतर चॉकलेट बार चीनी से लैस मिलती हैं. मिसाल के तौर पर एक स्निकर्स बार में लगभग 8 चम्मच चीनी होती है.
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कोल्ड कॉफी
घर पर ही बना रहे हैं, तब तो ठीक है लेकिन कैफे से खरीद रहे हैं, तो सावधान रहें. स्टारबक्स की फ्रैपुचीनो में 8 से 10 चम्मच चीनी होती है. और अगर आप मैकडॉनल्ड्स वाले शेक के शौकीन हैं, तो ध्यान से पढ़ें.. एक ग्लास में 28 चम्मच चीनी होती है.
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आइसक्रीम
आजकल फ्रोजन योगर्ट का चलन चल पड़ा है. इन्हें आइसक्रीम से बेहतर बताया जाता है लेकिन कई बार दही को मीठा करने के लिए इनसे आइसक्रीम की तुलना में ज्यादा चीनी डाली जाती है. एक कप आइसक्रीम (100 ग्राम) में 5 चम्मच चीनी होती है.
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इनोई-चोई ने भी कहा कि चाय के बारे में आप अपनी आदत बदलें, ऐसी सलाह देने लायक सबूत या आंकड़े उनके पास नहीं हैं. उन्होंने कहा, "अगगर आप रोजाना एक कप चाय पीते आ रहे हैं तो मेरे ख्याल से यह बढ़िया है. और हां, इसका भरपूर आनंद लीजिए.”
चाय के बारे में कुछ मजेदार बातें
क्या आप जानते हैं कि चाय हिंदी का शब्द है लेकिन अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में भी खूब इस्तेमाल हो रहा है. अमेरिका और यूरोप के कॉफी हाउस और रेस्तरां चाय भी बेचते हैं जो ‘टी' से अलग होती है. चाय को वहां मसाला चाय के रूप में बेचा जाता है और इसका बनाने का तरीका अलग-अलग हो सकता है.वहां यह
पानी के बाद चाय दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा पिया जाने वाला द्रव्य है. दुनिया में तीन हजार तरह की चाय उपलब्ध हैं. दंत कथाएं बताती हैं कि चाय कीखोज एक चीनी राज शेन नंग ने 237 ईसा पूर्व की थी जब एक पौधे की कुछ पत्तियां उनके गर्म पानी के प्याले में गिर गईं. उन्होंने इस प्याले से पानी पिया और उन्हें बहुत अच्छा लगा. यह संभवतया चाय की पहली प्याली थी. हालांकि आजकल चीन में कॉफी का बोलबाला बढ़ रहा है.
जापान में चाय की संस्कृति काफी विस्तृत है. ग्रीन टी बनाना और पीना वहां एक तरह का समारोह होता है जिसे ‘अ वे ऑफ टी' कहा जाता है. यह कई घंटे तक चलता है. ब्रिटेन में भी चाय बेहद लोकप्रिय है और वहां एक औसत व्यक्ति एक साल में एक हजार कप तक चाय पी जाता है. पूरी दुनिया में सालाना साढ़े तीन अरब से ज्यादा कप चाय पी जाती है.