दुबई एयरशो में तेजस हादसे से भारत की उम्मीदों को झटका
२३ नवम्बर २०२५
दुबई एयरशो के दौरान वैश्विक रक्षा खरीदारों के सामने हुए भारत के तेजस लड़ाकू विमान हादसे को घरेलू रक्षा तकनीक के इस प्रमुख प्रतीक के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. यह दुर्घटना ऐसे समय में हुई है जब भारत तेजस को विदेशों में निर्यात लायक फाइटर प्लेन के रूप में स्थापित करने की कोशिश में लगा है. अब यह विमान बड़े पैमाने पर भारतीय सैन्य ऑर्डरों पर ही निर्भर रह सकता है.
शुक्रवार (21 नवंबर) को हुए हादसे का कारण अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह दुर्घटना दुबई में एक ऐसे वक्त में हुई जब भारत और उसका प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान दोनों इस प्रमुख रक्षा प्रदर्शनी में प्रभाव जमाने की कोशिश कर रहे थे. इससे छह महीने पहले ही दोनों पड़ोसी दशकों में सबसे बड़े हवाई संघर्ष में आमने-सामने थे.
विशेषज्ञों ने कहा कि इतनी सार्वजनिक जगह पर इस तरह का नुकसान निश्चित रूप से भारत के निर्यात प्रयासों को प्रभावित करेगी, खासकर तब जब तेजस का विकास चार दशकों की लंबी प्रक्रिया का परिणाम है. भारत ने विंग कमांडर नमांश सयाल को श्रद्धांजलि दी, जिनकी इस दुर्घटना में मृत्यु हो गई.
दुबई एयरशो में हादसा
अमेरिका स्थित मिचेल इंस्टीट्यूट फॉर एयरोस्पेस स्ट्डीज के कार्यकारी निदेशक डगलस ए. बिरकी ने कहा, "यह दृश्य बहुत कठोर है.” उन्होंने कहा कि एयरशो परंपरागत रूप से देशों और उद्योगों को अपनी राष्ट्रीय उपलब्धियों को प्रदर्शित करने का मंच देता है, लेकिन हादसा उल्टा संदेश देता है और "यह नाटकीय विफलता का संकेत है.” उन्होंने यह भी कहा कि नकारात्मक प्रचार के बावजूद तेजस भविष्य में फिर से अपनी गति हासिल कर सकता है.
दुबई दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एयरशो माना जाता है. पहले दो स्थान पेरिस और ब्रिटेन के फार्नबरो एयरशो को मिलते हैं. ऐसे आयोजनों में दुर्घटनाएं अब कम होती हैं.
1999 में एक रूसी सुखोई-30, पेरिस एयरशो में प्रदर्शन के दौरान जमीन को छूने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, और इससे एक दशक पहले उसी स्थान पर एक सोवियत मिग-29 भी दुर्घटनाग्रस्त हुआ था. दोनों ही मामलों में पायलट सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहे थे, और भारत ने बाद में इन दोनों विमानों को खरीदा भी था.
बिरकी ने कहा, "लड़ाकू विमानों की बिक्री बड़े राजनीतिक हितों से संचालित होती है, जो किसी एक घटना से प्रभावित नहीं होती.”
जीई इंजन और उत्पादन की चुनौतियां
तेजस कार्यक्रम की शुरुआत 1980 के दशक में हुई थी. तब भारत ने पुराने सोवियत मिग-21 विमानों को हटाने का लक्ष्य रखा था. मिग-21 की अंतिम स्क्वॉड्रन की सेवा सितंबर में पूरी हो गई. हालांकि यह लक्ष्य से कई वर्ष देरी से हुई और तेजस की धीमी डिलीवरी के कारण इसे बार-बार बढ़ाया गया था.
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को उन्नत एमके-1ए संस्करण के 180 विमानों का घरेलू ऑर्डर मिला है, लेकिन जीई एयरोस्पेस की इंजन सप्लाई चेन समस्याओं के कारण अभी तक डिलीवरी शुरू नहीं कर पाया है. एचएएल के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दुबई दुर्घटना से फिलहाल "तेजस के निर्यात की संभावना समाप्त” हो गई है.
उनके अनुसार एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका तेजस के संभावित बाजार थे, और 2023 में एचएएल ने मलेशिया में एक कार्यालय भी खोला था. उन्होंने कहा, "आने वाले वर्षों में ध्यान घरेलू जरूरतों के लिए उत्पादन बढ़ाने पर होगा.”
भारतीय वायु सेना अपने घटते लड़ाकू विमानों को लेकर चिंतित है. स्क्वाड्रनों की संख्या घटकर 29 रह गई है, जबकि मंजूर संख्या 42 है. आने वाले वर्षों में मिग-29, जगुआर और मिराज 2000 के प्रारंभिक मॉडल भी रिटायर होने वाले हैं. भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने कहा, "तेजस को इनका विकल्प बनना था, लेकिन यह उत्पादन चुनौतियों का सामना कर रहा है.”
दो रक्षा अधिकारियों ने कहा कि तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत "ऑफ-द-शेल्फ” खरीद विकल्पों पर विचार कर रहा है, जिनमें फ्रांसीसी राफेल शामिल है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत, सेवा में मौजूद लगभग 40 तेजस विमानों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. भारत, अमेरिका और रूस की पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों एफ-35 और सुखोई-57 के प्रस्तावों पर भी विचार कर रहा है.
भविष्य के कार्यक्रमों की आधारशिला
विश्लेषकों के अनुसार तेजस की दीर्घकालिक महत्ता केवल निर्यात से नहीं, बल्कि भविष्य के भारतीय लड़ाकू विमान कार्यक्रमों के लिए इसके औद्योगिक और तकनीकी आधार से तय होगी.
लंदन स्थित रॉयल युनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट से संबद्ध वॉल्टर लैडविग ने कहा कि तेजस कार्यक्रम को शुरुआती वर्षों में 1998 परमाणु परीक्षणों के बाद लगे प्रतिबंधों और स्वदेशी इंजन विकास की कठिनाइयों ने प्रभावित किया. उन्होंने कहा कि तेजस की "सच्ची दीर्घकालिक भूमिका” भारत की अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमान प्रयासों के लिए तकनीकी ढांचा तैयार करने में निहित है.
दुबई एयरशो में भारत और पाकिस्तान दोनों की मजबूत उपस्थिति रही. पाकिस्तान ने अपने जे-17 थंडर ब्लॉक-3 विमान के निर्यात के लिए एक "मित्र देश” के साथ प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की है.
जेएफ-17 को पीएल-15ई मिसाइलों के साथ प्रदर्शित किया गया, जो चीन के उसी मिसाइल जखीरे का हिस्सा हैं, जिनके बारे में अमेरिकी और भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि इन मिसाइलों ने मई में पाकिस्तान के साथ हवाई संघर्ष के दौरान भारत के कम से कम एक राफेल को गिराया था. भारतीय अधिकारियों ने कहा कि भारत तेजस को लेकर अधिक सतर्क है. तेजस को मई के चार दिवसीय संघर्ष में सक्रिय रूप से उपयोग नहीं किया गया था. इस वर्ष 26 जनवरी की परेड में भी तेजस अनुपस्थित रहा, जिसे अधिकारियों ने "सिंगल इंजन विमान के सुरक्षा कारणों” से जोड़ा था.