जनवरी 2024 में अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है. 1992 में बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के बाद से शहर पूरी तरह से बदल चुका है. मुसलमान और गरीबों का कहना है कि वे शहर की प्रगति से बाहर हो गए हैं.
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उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को होना है. इसको लेकर शहर में काफी हलचल है. राम मंदिर के निर्माण में 1,800 करोड़ रुपये का खर्च होने का अनुमान है.
एक समय ऐसा था जब शहर सांप्रदायिक तनाव से जूझ रहा था. अब यहां मजदूर दिन और रात लगकर मंदिर के बुनियादी ढांचे को नया स्वरूप देने के काम को अंतिम रूप दे रहे हैं. शहर में एक भव्य हिंदू मंदिर का उद्घाटन एक आर्थिक अलख जगा रहा है लेकिन अयोध्या में हो रहे निवेश को लेकर कुछ गरीब और शहर के मुसलमान समुदाय का कहना है वे उससे वंचित हैं.
हर महीने आएंगे लाखों भक्त
शहर के अधिकारियों को हर महीने लगभग 45 लाख पर्यटकों के आने की उम्मीद है. यह संख्या शहर की कुल आबादी तीस लाख से कहीं अधिक है. राम मंदिर के निर्माण के लिए नक्काशीदार गुलाबी पत्थर, मकराना पत्थर और संगमरमर का इस्तेमाल किया जा रहा है.
साल 1992 में हजारों की संख्या में हिंदू कारसेवकों की भीड़ ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था. उनका कहना था कि यह मस्जिद मंदिर को ढहा कर बनाई गई थी. अब उसी जगह पर एक भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है.
बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के बाद पूरे भारत में तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी और अलग-अलग दंगों में करीब 2,000 लोग मारे गए थे. उसमें से अधिकतर मुसलमान थे. दशकों की कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में मंदिर निर्माण के लिए हिंदू पक्ष को जगह सौंप दी थी.
अयोध्या का पुनर्निर्माण
राम मंदिर के निर्माण के लिए लोगों से दान लिया जा रहा है, जबकि अयोध्या में विकास परियोजनाओं का काम उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार कर रही है.
बीजेपी, जिसने राम मंदिर निर्माण को राष्ट्रीय मुद्दा बनाया था, अब वही बीजेपी की केंद्र सरकार और राज्य सरकार अयोध्या के पुनर्निर्माण पर कई सौ करोड़ खर्च कर रही है, जिसमें एक नया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, पार्क, सड़कें और पुल शामिल हैं.
हिंदू पुजारी राजेंद्र दास कहते हैं कि राम मंदिर के कारण शहर के हॉस्पिटैलिटी और रिएल स्टेट सेक्टर को बहुत बढ़ावा मिला है. 64 साल के पुजारी कहते हैं, "मंदिर से सभी को फायदा होगा."
वे अपने पर्यटक लॉज के पुनर्निर्माण के लिए करीब दस लाख रुपये खर्च कर रहे हैं. दास कहते हैं, "विदेशी पर्यटक और भारत के कोने-कोने से लोग यहां आएंगे."
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कुछ लोगों की शिकायतें
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने शहर के दर्जनों निवासियों और कारोबारियों के साथ बातचीत की, जिन्होंने कहा कि मंदिर अयोध्या में नए निवेश और समृद्धि की बाढ़ ला रहा है. हालांकि कुछ लोग पीछे छूट जाने की भी शिकायत करते हैं.
स्थानीय लोग जिनकी संपत्ति शहर के पुनर्विकास में ध्वस्त कर दी गई थी, वे महसूस करते हैं जमीन की बढ़ती कीमतों और कम मुआवजे के कारण वे विस्थापित हो गए हैं. अयोध्या में अनुमानित साढ़े तीन लाख मुसलमानों आबादी है. कुछ मुसलमानों का कहना है कि उन्हें इस उछाल का लाभ नहीं मिल रहा है.
बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने इस बात से इनकार किया कि मुसलमान समुदायों को विकास से अलग किया जा रहा है. उन्होंने कहा, "अगर सड़कें चौड़ी हो रही हैं तो मुसलमान भी उनका इस्तेमाल करेंगे. अगर बिजली की सप्लाई ठीक हो रही है तो मुसलमानों को भी फायदा होगा."
हॉस्पैटिलिटी समूह और प्रॉपर्टी डेवलेपर्स को आने वाले सालों में अयोध्या में सुनहरा भविष्य नजर आ रहा है. उन्हें उम्मीद है कि भारत की एक बड़ी आबादी के लिए शहर तीर्थस्थल बनने जा रहा है. अयोध्या में टाटा समूह और अमेरिकी समूह रेडिसन नए-नए होटल बना रहा है. जबकि अभिनंदन लोढ़ा भी शहर में आवासीय प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है.
अयोध्या: कब क्या हुआ
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तस्वीर: dpa - Bildarchiv
1528
कुछ हिंदू नेताओं का दावा है कि इसी साल मुगल शासक बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी.
तस्वीर: DW/S. Waheed
1853
इस जगह पर पहली बार सांप्रदायिक हिंसा हुई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. E. Curran
1859
ब्रिटिश सरकार ने एक दीवार बनाकर हिंदू और मुसलमानों के पूजा स्थलों को अलग कर दिया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D .E. Curran
1949
मस्जिद में राम की मूर्ति रख दी गई. आरोप है कि ऐसा हिंदुओं ने किया. मुसलमानों ने विरोध किया और मुकदमे दाखिल हो गए. सरकार ने ताले लगा दिए.
तस्वीर: DW/Waheed
1984
विश्व हिंदू परिषद ने एक कमेटी का गठन किया जिसे रामलला का मंदिर बनाने का जिम्मा सौंपा गया.
तस्वीर: DW/S. Waheed
1986
जिला उपायुक्त ने ताला खोलकर वहां हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी. विरोध में मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया.
तस्वीर: AFP/Getty Images
1989
विश्व हिंदू परिषद ने मस्जिद से साथ लगती जमीन पर मंदिर की नींव रख दी.
तस्वीर: AP
1992
वीएचपी, शिव सेना और बीजेपी नेताओं की अगुआई में सैकड़ों लोगों ने बाबरी मस्जिद पर चढ़ाई की और उसे गिरा दिया.
तस्वीर: AFP/Getty Images
जनवरी 2002
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने दफ्तर में एक विशेष सेल बनाया. शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुस्लिम नेताओं से बातचीत की जिम्मेदारी दी गई.
तस्वीर: AP
मार्च 2002
गोधरा में अयोध्या से लौट रहे कार सेवकों को जलाकर मारे जाने के बाद भड़के दंगों में हजारों लोग मारे गए.
तस्वीर: AP
अगस्त 2003
पुरातात्विक विभाग के सर्वे में कहा गया कि जहां मस्जिद बनी है, कभी वहां मंदिर होने के संकेत मिले हैं.
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जुलाई 2005
विवादित स्थल के पास आतंकवादी हमला हुआ. जीप से एक बम धमाका किया गया. सुरक्षाबलों ने पांच लोगों को गोलीबारी में मार डाला.
तस्वीर: AP
2009
जस्टिस लिब्रहान कमिश्न ने 17 साल की जांच के बाद बाबरी मस्जिद गिराये जाने की घटना की रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया गया.
तस्वीर: AP
सितंबर 2010
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विवादित स्थल को हिंदू और मुसलमानों में बांट दिया जाए. मुसलमानों को एक तिहाई हिस्सा दिया जाए. एक तिहाई हिस्सा हिंदुओं को मिले. और तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए. मुख्य विवादित हिस्सा हिंदुओं को दे दिया जाए.
तस्वीर: AP
मई 2011
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को निलंबित किया.
तस्वीर: AP
मार्च 2017
रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों को यह विवाद आपस में सुलझाना चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
मार्च, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की मध्यस्थता के लिए एक तीन सदस्यीय समिति बनाई. श्रीश्री रविशंकर, श्रीराम पांचू और जस्टिस खलीफुल्लाह इस समिति के सदस्य थे. जून में इस समिति ने रिपोर्ट दी और ये मामला मध्यस्थता से नहीं सुलझ सका. अगस्त, 2019 से सुप्रीम कोर्ट ने रोज इस मामले की सुनवाई शुरू की.
तस्वीर: DW/V. Deepak
नवंबर, 2019
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला दिया कि विवादित 2.7 एकड़ जमीन पर राम मंदिर बनेगा जबकि अयोध्या में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन सरकार मुहैया कराएगी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Armangue
अगस्त, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. कोरोना वायरस की वजह से इस कार्यक्रम को सीमित रखा गया था और टीवी पर इसका सीधा प्रसारण हुआ.
तस्वीर: AFP/P. Singh
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जमीन की कीमतों में उछाल
बाबरी मस्जिद को लेकर आए 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से शहर की जमीन की कीमत काफी बढ़ चुकी है. रिएल एस्टेट कंसल्टेंसी एनारॉक के मुताबिक कुछ साल पहले जहां प्रति वर्ग फुट जमीन की कीमत लगभग 1,600 रुपये थी, अब शहर के कई हिस्सों में यह लगभग चौगुनी हो गई है.
अधिकांश विकास शहर के केंद्र में ध्वस्त मकानों और दुकानों की जगह पर हुआ है, जहां कुछ दुकानों की चौड़ाई केवल दो फीट तक रह गई है. शहर में करीब 4,000 दुकानें आंशिक या पूरी तरह से ध्वस्त कर दी गईं, लेकिन स्थानीय व्यापार मालिकों के एक संघ के एक नेता नंद लाल गुप्ता ने कहा कि प्रशासन द्वारा दिया गया मुआवजा पर्याप्त नहीं है.
अयोध्या के डीएम नीतिश कुमार ने कहा कि प्रत्येक भूमि मालिक को पर्याप्त मुआवजा दिया गया. उन्होंने आगे कहा, "अयोध्या में कोई भी खुद को वंचित महसूस नहीं कर रहा है... हर कोई खुश है और लाभान्वित हो रहा है."
किराना व्यापारी अरविंद कुमार गुप्ता ने बताया कि इस साल पुनर्विकास में उनका घर आंशिक रूप से ध्वस्त हो गया था. प्रशासन ने उन्हें डेढ़ लाख रुपये दिए. उनका कहना है कि इतना पैसा नई संपत्ति खरीदने के लिए पर्याप्त नहीं है. अब वह छह लोगों के अपने परिवार के साथ किराये के मकान में रहते हैं.
शहर के प्रशासन ने उनके उस स्टोर को भी ध्वस्त कर दिया जिसको वह पिछले तीस सालों से चला रहे थे. उन्होंने कहा, "सरकार को हमारे लिए व्यवस्था करनी चाहिए थी. अब हम सोच रहे हैं कि हम लोग क्या करेंगे."
मुसलमान भी निराश
हालांकि, इस सुधार ने शहर के मुसलमान समुदाय के कई लोगों को निराश कर दिया है. अपने 2019 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अधिकारियों को मुसलमानों के अधिकारों की वकालत करने वाले उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को एक नई मस्जिद बनाने के लिए "प्रमुख" स्थान पर "उपयुक्त" भूमि आवंटित करनी चाहिए.
राम मंदिर से कुछ किलोमीटर दूर मस्जिद के निर्माण के लिए जमीन आवंटित की गई. बोर्ड की अयोध्या जिला समिति के अध्यक्ष आजम कादरी ने कहा इसका प्रभावी रूप से मतलब है कि मुसलमानों को शहर के विकास में तेजी से बाहर रखा गया है.
जब रॉयटर्स ने मस्जिद के लिए तय स्थल का दौरा किया, तो आसपास के शांत क्षेत्र में कोई निर्माण या बुनियादी ढांचे के विकास का काम नहीं चलता पाया. एक दीवार पर एक पोस्टर में प्रस्तावित डिजाइन डिस्प्ले किया गया था और लिखा था "एक उत्कृष्ट कृति बन रही है."
कादरी ने कहा, "हर किसी का ध्यान मंदिर पर है. मस्जिद को बढ़ावा देने पर भी ध्यान देना चाहिए था." उन्होंने कहा मुसलमान की अभी भी शहर में व्यापक स्वीकार्यता नहीं है और अगर समुदाय ने होटल बनाने की कोशिश भी की तो हिंदू धार्मिक पर्यटक शायद वहां नहीं जाएंगे.
एए/सीके (रॉयटर्स)
अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. कोरोना वायरस की वजह से इस कार्यक्रम को सीमित रखा गया था और टीवी पर इसका सीधा प्रसारण हुआ.
तस्वीर: AFP/P. Singh
राम मंदिर भूमि पूजन
5 अगस्त 2020 भारतीय इतिहास में उस तारीख के रूप में दर्ज हो गई जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया. लंबे कानूनी झगड़े के बाद अयोध्या में विशाल राम मंदिर निर्माण होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया.
तस्वीर: AFP/P. Singh
राम मंदिर की नींव
नरेंद्र मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर की नींव में नौ शिलाएं रखीं. भूमि पूजन का शुभ मुहूर्त 12 बजकर 44 मिनट पर था. तय कार्यक्रम के मुताबिक पूरे विधि विधान से पूजा पाठ किया गया. अयोध्या पहुंचकर सबसे पहले मोदी ने हनुमान गढ़ी जाकर दर्शन किए और आरती उतारी. टीवी चैनलों पर सुबह से ही कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया जा रहा था.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
राम के दर्शन
मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास करने के बाद कहा कि राम मंदिर राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक है. उन्होंने अपने संबोधन में कहा, "आज पूरा देश राममय और हर मन दीपमय है. सदियों का इंतजार समाप्त हुआ." सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दशकों पुराने मामले का निबटारा करते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था. मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन मिली है.
तस्वीर: IANS
राम भक्तों का जश्न
राम मंदिर निर्माण की नींव रखे जाने से भारत में राम भक्तों के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी. कोरोना वायरस की वजह से राम मंदिर भूमि पूजन के लिए सीमित संख्या में मेहमानों को आमंत्रित किया गया था. ज्यादातर लोगों ने ढोल और नगाड़े बजाकर अपनी खुशी का इजहार किया. इस तस्वीर में बीजेपी युवा मोर्चा के कार्यकर्ता जश्न मनाते दिख रहे हैं. राम मंदिर आंदोलन के सहारे ही बीजेपी सत्ता के शिखर तक पहुंच पाई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Nanu
खुशी से झूमती महिलाएं
नई दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद के कार्यालय के बाहर महिलाएं खुशी से झूमती हुईं. राम मंदिर के लिए वीएचपी, आरएसएस और बीजेपी ने आंदोलन चलाया. आंदोलन से जुड़े दो वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh
पटाखों के साथ खुशी
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखने के बाद नई दिल्ली में बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़े और हवा में रंग उड़ाए. कई शहरों में राम भक्तों ने लड्डू बांटे और एक दूसरे को इस अवसर पर बधाई दी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Sharma
खास मेहमान
पिछले कई महीनों से अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास को लेकर हलचल तेज थी और तैयारियां जोरों पर थीं. राम मंदिर तीर्थ ट्रस्ट ने भूमि पूजन के लिए खास तैयारी की थी. चुनिंदा मेहमानों के अलावा भूमि पूजन के लिए आम लोगों को जाने की इजाजत नहीं थी. लोग दूर से इस पल का गवाह बने.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Kanojia
सीधा प्रसारण
राम मंदिर भूमि पूजन का सीधा प्रसारण टीवी पर किया गया. कोरोना वायरस के कारण लोगों ने बड़ी स्क्रीन पर मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम देखा. कई शहरों में इसके लिए खास इंतजाम किए गए थे.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
लड्डू का प्रसाद
अयोध्या में प्रसाद के तौर पर पिछले कुछ दिनों से लड्डू बनाने का काम चल रहा था. भूमि पूजन के बाद 1,11,000 डिब्बों में प्रसाद के रूप में देसी घी के लड्डू वितरित किए गए. इन लड्डूओं को कई तीर्थ क्षेत्रों में वितरित भी किया जाएगा.
तस्वीर: IANS
अयोध्या में सैनिटाइजेशन
कोरोना वायरस के कारण पूरी अयोध्या नगरी को सैनिटाइज किया गया. तमाम रास्तों, गलियों, मंदिरों और भूमि पूजन से जुड़ी जगहों को स्वास्थ्य कर्मचारियों ने सैनिटाइज किया. भूमि पूजन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा, "कोरोना से बनी स्थितियों के कारण भूमि पूजन का कार्यक्रम मर्यादाओं के बीच हो रहा है."
तस्वीर: Reuters/P. Kumar
सख्त पहरा
अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के पहले ही सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी. भूमि पूजन से पहले ही अयोध्या में तीन चक्र की सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे. स्थानीय पुलिस, अर्धसैनिक बल और एसपीजी के जवान तैनात किए गए थे.
तस्वीर: Reuters/P. Kumar
अयोध्या
अयोध्या में पिछले कुछ हफ्तों से सजावट का काम चल रहा था. जगह-जगह दीवारों पर राम के चित्र बनाए गए और सड़कों पर रंगोली बनाई गई. सरयू नदी पर मंगलवार से ही मनमोहक नजारा दिख रहा है. नदी के किनारे को भूमि पूजन के लिए रंगीन रोशनी और रंगोली से सजाया गया.