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विवादयूक्रेन

यूक्रेन ने रूस पर लगाया संघर्ष विराम के उल्लंघन का आरोप

५ मार्च २०२२

मारिउपोल सिटी काउंसिल के मुताबिक रूसी बमबारी के कारण लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने का अभियान टालना पड़ा है.

मारिउपोल के अस्पताल में बच्चे
मारिउपोल के अस्पताल में बच्चेतस्वीर: Evgeniy Maloletka/AP Photo/picture alliance

यूक्रेन के अधिकारियों ने शनिवार को रूसी सेना पर संघर्ष विराम तोड़ने का आरोप लगाया. मारिउपोल के नगर प्रशासन ने एक बयान जारी कर कहा, "तथ्य तो यह है कि रूसी पक्ष संघर्ष विराम का पालन नहीं कर रहा है और मारिउपोल और उसके आस पास के इलाकों में लगातार बमबारी कर रहा है. सुरक्षा कारणों के चलते आम नागरिकों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने का काम टाल दिया गया है."

यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार ओलेक्सिय अरेस्टोविच ने भी टेलीविजन प्रसारण में रूस पर संघर्ष विराम के उल्लंघन का आरोप लगाया.

इससे पहले रूसी रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर यूक्रेन के मारिउपोल और वोल्नोवाखा शहर में संघर्ष विराम पर सहमति जताई. 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन में रूसी सेना के घुसने के बाद यह पहला मौका जब लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाने का मौका दिया गया है. हालांकि रूसी रक्षा मंत्रालय ने यह नहीं बताया है कि संघर्ष विराम कितना लंबा चलेगा.

यूक्रेन का मारिउपोल शहरतस्वीर: ALEKSEY FILIPPOV/AFP/Getty Images

रूसी सेना की कार्रवाई में दक्षिणी यूक्रेन के तटीय शहर मारिउपोल में काफी नुकसान हुआ है. मारिउपोल के मेयर ने रूस से फायरिंग और बमबारी बंद करने की अपील की थी. इस अपील के बाद डोनेत्स्क मिलिट्री-सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के हेड पाव्लो किरीलेंको ने आम लोगों के लिए 226 किलोमीटर लंबा सुरक्षित गलियारा बनाने का एलान किया. सुबह 11 बजे से शाम के 4 बजे तक आम लोग इस गलियारे के जरिए सुरक्षित ठिकानों पर जा सकेंगे.

आम लोगों पर युद्ध की मार

यूक्रेन में अब भी बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग फंसे हुए हैं. राजधानी कीव में बच्चों के कैंसर अस्पताल में भी बड़ी संख्या में बच्चे फंसे हैं. बमबारी और फायरिंग से बचते हुए इन बच्चों का इलाज तहखाने में किया जा रहा है. यूक्रेन के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक ऐसे बच्चों की संख्या कम से कम एक हजार है, जो कैंसर या ट्यूमर का इलाज करा रहे हैं.

यूक्रेन में रूसी सेना की कार्रवाई में अब तक 840 बच्चे घायल हुए हैं. यूक्रेन सरकार के मुताबिक अब तक 28 बच्चों और 331 लोगों की मौत हो चुकी है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के मुताबिक मृतकों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है.

10 दिन के भीतर शरणार्थी बन गए लाखों लोगतस्वीर: Sabina Fati/DW

24 फरवरी से छिड़े संघर्ष के बाद से अब तक 12 लाख लोग यूक्रेन से भाग चुके हैं. इनमें से करीब 8 लाख ने पड़ोसी देश पोलैंड में शरण ली है. बाकी हंगरी, रोमानिया, मोल्डोवा और स्लोवाकिया पहुंचे हैं. इन लोगों में भी महिलाओं और बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है.

नो फ्लाई जोन को लेकर पुतिन की चेतावनी
शनिवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नाटो और यूक्रेन को एक साथ चेतावनी देते हुए कहा, "इस दिशा में (नो फ्लाई जोन बनाने) कोई भी कदम, जिस देश में हमारी सेना के लिए ऐसा खतरा पैदा होगा, उसे हम सशस्त्र टकराव की तरह देखेंगे."

बयान की अगली लाइन में नाटो को आगाह किया गया, "साथ ही हम दूसरों को भी सैन्य टकराव में शामिल होने वाली पार्टी मानेंगे."

यूक्रेन के वोल्नोवाखा इलाके का हालतस्वीर: Alexander Ryumin/dpa/TASS/picture alliance

रूसी राष्ट्रपति ने यह भी दावा किया कि उनकी सेना यूक्रेन के पूरे सैन्य ढांचे को खत्म करने के करीब पहुंच चुकी है. रूसी न्यूज एजेंसी इंटरफैक्स के मुताबिक पुतिन ने कहा, "हथियारखाने, एयरफोर्स और डिफेंस सिस्टम्स" यह काम करीबन "पूरा हो चुका है."

नाटो की बैठक: यूक्रेन को नो फ्लाई जोन ना बनाने की मांग

यू्क्रेन सरकार बार बार नाटो और पश्चिमी देशों से यूक्रेन को नो फ्लाईजोन घोषित करने की मांग कर रही है. शुक्रवार को नाटो के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी यह मुद्दा उठा. हालांकि बैठक के बाद नाटो ने साफ कह दिया है कि यूक्रेन को नो फ्लाई जोन बनाने से पूरे यूरोप में युद्ध फैल सकता है.
 

विरोध करने वालों भी सख्ती

रूस के कुछ शहरों में यूक्रेन युद्ध के विरोध में प्रदर्शन भी हो रहे हैं. प्रदर्शनों को दबाने के लिए राजधानी मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग जैसे शहरों में सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया गया है. इस बीच रूस ने फेसबुक और ट्विटर जैसे पॉपुलर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी बैन कर दिया है. रूसी सरकार नहीं चाहती कि इन सोशल मीडिया नेटवर्कों के जरिए यूक्रेन युद्ध से जुड़े जानकारी लोगों तक पहुंचे.

दूसरे देशों तक पहुंचने के लिए भी 40-60 घंटे का सफरतस्वीर: Alexander Ryumin/dpa/TASS/picture alliance

रूस का सरकारी मीडिया अब तक यूक्रेन युद्ध को लेकर सिर्फ सरकार का पक्ष सामने रख रहा है. सरकारी मीडिया का कहना है कि रूसी सेना यूक्रेन में मौजूद नाजी और फासिस्ट ताकतों के खिलाफ लड़ रही है. दावा किया जा रहा है कि यूक्रेन सरकार के इशारों पर ये तत्व आम लोगों को निशाना बना रहे हैं, और इसे रोकने के लिए ही रूसी सेना मैदान में मौजूद है.

डीडब्ल्यू और बीबीसी जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रसारकों के टेलिकास्ट पर भी रोक लगा दी गई है. शुक्रवार को रूसी सरकार फेक न्यूज से जुड़ा एक कानून लागू किया. इसके तहत रूसी सेना से जुड़ी गलत जानकारी फैलाने पर 15 साल की जेल और भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

ओएसजे/एडी (एपी, एएफपी)

 

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