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फोक्सवागन के 1,00,000 कर्मचारी दो घंटे की हड़ताल पर क्यों गए

३ दिसम्बर २०२४

फोक्सवागन में मैनेजमेंट और कर्मचारियों की ठनी हुई है. देशभर में हजारों कर्मचारियों ने 2 दिसंबर को हड़ताल की. लेबर यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर अगली बातचीत में समझौता नहीं हुआ, तो वे बेमियादी हड़ताल पर जा सकते हैं.

त्सविकाउ शहर में फोक्सवागन के कर्मचारी हड़ताल के दौरान रैली निकालते हुए.
हड़ताली कर्मचारी ऐसे पोस्टरों के साथ दिखे, जिनपर लिखा था, "आप युद्ध चाहते हैं, हम तैयार हैं!" तस्वीर: Jens Schlueter/AFP via Getty Images

देशभर में फोक्सवागन के नौ प्लांटों के कर्मचारियों ने हड़ताल में हिस्सा लिया. सुबह की पारी में आए कर्मचारी दो घंटे हड़ताल पर रहे. वहीं, शाम की पारी में आए कर्मचारी शिफ्ट खत्म होने से पहले निकल गए. हड़ताली कर्मचारियों ने कई जगह रैलियां निकालीं, जिनमें ऐसे भी पोस्टर दिखे जिनपर लिखा था, "तुम जंग चाहते हो, हम तैयार हैं!" जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए ने मजदूर संगठनों के हवाले से हड़ताल में हिस्सा लेने वाले कर्मचारियों की संख्या 1,00,000 बताई है. 

भारी मुश्किल में जर्मनी की पहचान फोल्क्सवागन

त्सविकाउ शहर के फोक्सवागन प्लांट में कर्मचारी 3 दिसंबर को भी हड़ताल कर रहे हैं. इस प्लांट में केवल फोक्सवागन की इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनती हैं. इस प्लांट के एक हड़ताली कर्मचारी ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "जो लोग टॉप पर हैं, वो गलतियां करते हैं और हमें उसकी कीमत चुकानी पड़ती है. यह बात मुझे खिझाती है."

यह हड़ताल 'आईजी मेटाल' नाम के एक मजदूर संगठन ने बुलाई थी. यह यूनियन मेटल, इलेक्ट्रिकल्स, आयरन-स्टील, प्लास्टिक, कपड़ा उद्योग जैसे कई क्षेत्रों में कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है. कंपनी के मुताबिक, अलग-अलग सेक्टरों के करीब 22 लाख कर्मचारी उसके साथ जुड़े हैं. आईजी मेटाल ने ताजा हड़ताल को "वॉर्निंग स्ट्राइक" बताया है.

फोक्सवागन का मुख्य प्लांट जर्मनी के वोल्फ्सबुर्ग शहर में हैतस्वीर: Jens Schlueter/AFP via Getty Images

फोक्सवागन के आगे अभूतपूर्व चुनौती

अपने 87 साल के इतिहास में फोक्सवागन ने पहले भी कई मुश्किलें देखी हैं. पिछले दशक में 'डीजल एमिशन' स्कैंडल के कारण कंपनी को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी. अतीत के इन अध्यायों से इतर फिलहाल फोक्सवागन में जो हो रहा है, वह अस्तित्व की लड़ाई जैसा है.

मांग में आई कमी और उत्पादन की बढ़ती लागत के बीच 'मेड इन चाइना' कारों से बाजार में मुकाबला करना फोक्सवागन के लिए बड़ी चुनौती है. पेट्रोल और डीजल जैसे पारंपरिक ईंधनों से चलने वाली कारों से आगे बढ़कर इलेक्ट्रिक मोड में तेजी से ढलने का इसका सफर भी धीमा है. इन संकटों से पार पाने के लिए कंपनी लागत घटाने और मुनाफा बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रही है, ताकि वह प्रतिद्वंद्विता में बनी रहे.

यूनियन और मैनेजमेंट के बीच अगली बातचीत 9 दिसंबर को होनी हैतस्वीर: Hendrik Schmidt/dpa/picture alliance

जर्मनी में फोक्सवागन की 10 फैक्ट्रियां हैं. कंपनी इनमें कम-से-कम तीन कारखाने बंद करना चाहती है. बाकी कारखानों में भी काम घटाए जाने की योजना है. इसके साथ ही, कंपनी हजारों कर्मचारियों की छंटनी भी करना चाहती है. इसके अलावा बाकी कर्मचारियों के वेतन में कम-से-कम 10 फीसदी की कटौती का भी प्रस्ताव है. कंपनी का यह भी कहना है कि जो कर्मचारी रहेंगे, उनके वेतन में अगले दो साल तक कोई बढ़ोतरी नहीं होगी.

जर्मनी में फोक्सवागन के करीब 1,20,000 कर्मचारी हैं. इनके अलावा लगभग दो लाख ऐसे लोग हैं, जिनकी आजीविका इससे जुड़ी है. फोक्सवागन की फैक्ट्रियां बंद होने या छंटनी होने का असर कई सप्लायरों, डीलरों और स्थानीय स्तर के कामकाज पर भी पड़ेगा. ऐसा नहीं कि फोक्सवागन में पहले कभी छंटनियां नहीं हुईं, लेकिन यह पहली दफा है जब उसने अपने घर जर्मनी में प्लांट बंद करने का प्रस्ताव दिया हो.

मांग में आई कमी और बढ़ती लागत के बीच 'मेड इन चाइना' कारों से मुकाबला करना फोक्सवागन के लिए बड़ी चुनौती हैतस्वीर: Moritz Frankenberg/dpa/picture alliance

लेबर यूनियन की क्या मांग है?

अक्टूबर महीने में आईजी मेटाल ने कर्मचारियों के लिए वेतन में सात फीसद इजाफे की मांग की. कंपनी ने बड़े घाटे की घोषणा की. पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले कंपनी को तीसरी तिमाही के दौरान मुनाफे में 64 फीसदी की गिरावट आई. तब से ही फोक्सवागन मैनेजमेंट और श्रमिक संगठनों के बीच खींचतान चल रही है.

यूनियन के प्रतिनिधियों का कहना है कि चाहे डीजल उत्सर्जन से जुड़ा वाकया हो या चीनी प्रतिद्वंद्वियों से पिछड़ना, ये कंपनी के अधिकारियों की गलतियों का खामियाजा है. कर्मचारियों से इसकी कीमत चुकाने को कहना गलत है.

इसी क्रम में 2 दिसंबर को कर्मचारियों ने हड़ताल की. हड़ताल के दौरान हनोवर में वर्करों को संबोधित करते हुए कहा लेबर यूनियन के एक प्रतिनिधि साशा दुजिक ने मैनेजमेंट के प्रस्तावों की निंदा करते हुए कहा, "हमने वो फैसले नहीं लिए. फोक्सवागन में शीर्ष पर बैठे करोड़पतियों ने लिए हैं."

हड़ताल में शामिल एक कर्मचारी लूसिया हाइम ने भी प्रबंधन के प्रस्तावों को अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा, "यह उलटी दुनिया है. फुटबॉल में अगर टीम मुकाबले ना जीत रही हो, तो ट्रेनर्स इस्तीफा देते हैं. फोक्सवागन में उलट हाल है. यहां खिलाड़ियों को सजा दी जा रही है."

फोक्सवागन का मुख्य प्लांट जर्मनी के वोल्फ्सबुर्ग शहर में है. यहां करीब 70,000 लोग काम करते हैं. मुमकिन है पूरे दिन में दो घंटे की हड़ताल बड़ी बात ना लगे, लेकिन कारखाने के कामकाज पर इसका काफी असर पड़ा. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने लेबर यूनियन के सूत्रों के हवाले से बताया कि यहां सैकड़ों कारों का उत्पादन प्रभावित हुआ.

जर्मनी का कार बाजार हथियाने को तैयार चीनी कारें

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9 दिसंबर को मैनेजमेंट के साथ होगी बातचीत

यूनियन और मैनेजमेंट के बीच अगली बातचीत 9 दिसंबर को प्रस्तावित है. यह वार्ता का चौथा चरण होगा. श्रमिक संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर इसमें किसी समझौते पर सहमति नहीं बन पाती है, तो हड़ताल की अवधि 24 घंटे या अनिश्चितकाल तक बढ़ सकती है.

आईजी मेटाल की ओर से बातचीत का प्रतिनिधित्व कर रहे थोर्स्टन ग्रोएगर ने रॉयटर्स से कहा, "यह आमना-सामना कितना लंबा और कितना तेज होगा, बातचीत की मेज पर यह तय करना फोक्सवागन की जिम्मेदारी होगी." उन्होंने आगे कहा, "जो कोई भी कर्मचारियों की अनदेखी कर रहा है, वो आग से खेल रहा है. और, हम चिंगारियों को लपटों में बदलना जानते हैं."

डानिएला केवाल्लो, फोक्सवागन में वर्कर्स काउंसिल की प्रमुख हैं. उन्होंने रॉयटर्स को बताया कि 9 दिसंबर को हो रही बातचीत में या तो दोनों पक्ष सहमति पर आएंगे या फिर विवाद बढ़ेगा. कारखाने बंद करना, बड़े स्तर पर छंटनी करना और मौजूदा वेतन को घटाना कर्मचारियों के लिए बिल्कुल अस्वीकार्य बताते हुए केवाल्लो ने कहा, "खेद की बात यह है कि मैनेजमेंट की ओर से जो हालिया संकेत दिए गए हैं, वो बहुत उम्मीद नहीं बंधाते हैं."

उधर फोक्सवागन के एक प्रवक्ता ने हड़ताल पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कंपनी कर्मचारियों के स्ट्राइक करने के अधिकार का सम्मान करती है और हड़ताल के असर को कम करने के लिए कदम उठाए गए हैं.

एसएम/एए (रॉयटर्स, डीपीए, एएफपी)

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