कश्मीर में केंद्र सरकार आतंकवादियों के खिलाफ चार सालों से विशेष ऑपरेशन चला रही है लेकिन आतंकवाद अब भी कायम है. बुधवार को अनंतनाग जिले में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सेना के तीन जवान और एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मारे गए.
विज्ञापन
जम्मू और कश्मीर के दो इलाकों में हुई दो अलग अलग मुठभेड़ों में भारतीय सेना के तीन जवानों और जम्मू और कश्मीर पुलिस के डिप्टी एसपी के मारे जाने की खबर है. मंगलवार 12 सितंबर को भारतीय सुरक्षाबलों ने अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके में आतंकियों के खिलाफ एक साझा ऑपरेशन शुरू किया था.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कोकरनाग के जंगलों में आतंकवादियों के छुपे होने की जानकारी मिलने के बाद सेना और पुलिस ने विशेष अभियान शुरू किया था. बुधवार सुबह टीम जंगलों में आतंकियों को खोज ही रही थी, तभी गोलीबारी होने लगी.
समाप्त नहीं हो रहा आतंकवाद
19 राष्ट्रीय राइफल के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोंचक और डिप्टी एसपी हुमायूं मुजम्मिल भट्ट बुरी तरह से जख्मी हो गए. उन्हें हवाई रास्ते से श्रीनगर ले जाया गया लेकिन वहां उनकी मौत हो गई. अभी तक किसी भी आतंकियों के पकड़े जाने या मारे जाने की खबर नहीं मिली है.
दूसरी मुठभेड़ राजौरी जिले में हुई, जिसमें सेना के वाइट नाइट कोर के राइफलमैन रवि कुमार, डॉग स्क्वाड का एक कुत्ता और दो मिलिटेंट मारे गए. चार अन्य सुरक्षाकर्मी घायल भी हो गए.
दोनों मुठभेड़ों और इनमें सेना और पुलिस के जवानों के मारे जाने की वजह से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद का खात्मा क्यों नहीं हो पा रहा है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में आतंकवादी हिंसा और सीमापार से घुसपैठ में कमी आई है लेकिन यह पूरी तरह से रुक नहीं पाए हैं.
कश्मीर बना हेरोइन का गढ़
02:09
जहां 2021 में 129 आतंकवादी घटनाएं और 34 घुसपैठ हुई थीं, वहीं 2022 में इनकी संख्या 125 और 14 थी. 2023 में 30 जून तक 26 आतंकवादी घटनाएं हुई थीं. घुसपैठ की एक भी घटना नहीं हुई थी.
2021 में आतंकवादी घटनाओं में 41 नागरिक और 42 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे. 2022 में 30 नागरिक और 31 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे. 2023 में अभी तक कम से कम सात नागरिक और चार सुरक्षाकर्मियों की मौत हो चुकी है.
कहानी पुलित्जर जीतने वाले भारतीय फोटो पत्रकारों की
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के तीन भारतीय फोटोग्राफरों ने प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार जीता है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाबंदियों के बीच उन्होंने आखिर कैसे खींची और भेजीं तस्वीरें?
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Khan
"चूहा-बिल्ली" का खेल
"ये हमेशा चूहा-बिल्ली का खेल था" - एसोसिएटेड प्रेस के फोटोग्राफर डार यासीन ने अगस्त 2019 में कश्मीर में लागू हुई तालाबंदी की कहानियों को तस्वीरों में कैद करने के तजुर्बे को कुछ यूं बयान किया है. यासीन और उनके दो और सहयोगियों मुख्तार खान और चन्नी आनंद को इस दौरान जम्मू और कश्मीर में खींची गई तस्वीरों के लिए 2020 के फीचर फोटोग्राफी के पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया है. देखिये इनमें से कुछ तस्वीरें.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Dar Yasin
घोषणा
अगस्त में जम्मू में एक इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की दुकान पर टीवी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण सुनते लोग. 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म कर उसे दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था. कश्मीर तब से एक तरह के लॉकडाउन में है जिसके तहत वहां के नागरिकों पर कई कड़े प्रतिबंध लागू हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP/C. Anand
विरोध
अगस्त में श्रीनगर में कर्फ्यू के बीच अर्धसैनिक बल के जवानों पर दूर से पत्थर फेंकता एक प्रदर्शनकारी. श्रीनगर में एपी के फोटोग्राफर मुख्तार खान और यासीन डार को प्रदर्शनकारियों और सेना के जवानों दोनों का ही अविश्वास झेलना पड़ता था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Yasin
पहरा
अगस्त में श्रीनगर में कंटीली तारों से बंद एक सुनसान सड़क पर पहरा देता एक सुरक्षाकर्मी. श्रीनगर में खान और यासीन कई बार कई दिनों तक घर नहीं लौट पाते थे और अपने परिवारों तक अपनी खबर भी नहीं पहुंचा पाते थे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Yasin
बंदूकें और बूट
पिछले साल अगस्त में श्रीनगर में तालाबंदी के दौरान ड्यूटी पर तैनात दो सुरक्षाकर्मी. खान और यासीन अपनी खींची हुई तस्वीरें दिल्ली ऑफिस तक पहुंचाने के लिए एयरपोर्ट पर अनजान यात्रियों से अपील करते थे. कुछ यात्री डर कर अपील ठुकरा देते थे तो कुछ मान लेते थे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Dar Yasin
नमाज
अगस्त 2019 में जम्मू में मस्जिद में ईद पर नमाज अदा करते हुए लोग. आनंद जम्मू में काम करते हैं और कहते हैं कि पुरस्कार से वो अवाक रह गए. वे बीस साल से एपी के लिए काम कर रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Anand
ये कैसी ईद
अगस्त 2019 में ईद पर जम्मू में सुरक्षाबलों की भारी तैनाती के बीच अपने रास्ते पर जाता एक मुस्लिम व्यक्ति. एपी के अध्यक्ष गैरी प्रुइट ने कहा कि इस टीम की बदौलत ही दुनिया कश्मीर में आजादी की लंबी लड़ाई में हुई एक नाटकीय तेजी देख पाई.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Anand
वापसी
अगस्त में प्रवासी श्रमिक जम्मू और कश्मीर को छोड़ अपने अपने घर जाने के लिए जम्मू रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन में बैठे हुए. कर्फ्यू और फोन और इंटरनेट के बंद होने के बावजूद ये तस्वीरें एपी के इन फोटोग्राफरों ने खींचीं और किसी तरह भेजीं.
तस्वीर: picture-alliance/AP/C. Anand
पुलिस
सितंबर 2019 में श्रीनगर में शिया प्रदर्शनकारियों पर डंडे चलाता एक पुलिसकर्मी. एपी के फोटोग्राफरों ने कभी अंजान लोगों के घर में छिप कर तो कभी कैमरों को सब्जियों के थैलों में छिपा कर तस्वीरें खींची.
तस्वीर: picture-alliance/AP/M. Khan
बंदूकों के साए में
नवंबर में श्रीनगर में एक बाजार में हुए एक विस्फोट के स्थल की जांच करता हुआ एक सुरक्षाकर्मी. यासीन कहते हैं कि उनके काम का उनके लिए पेशे-संबंधी और व्यक्तिगत दोनों मतलब है. वे कहते हैं इन तस्वीरों में सिर्फ दूसरों की नहीं बल्कि उनकी खुद की भी कहानी है.