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समाज

कश्मीर में 2020 में आतंकी घटनाएं कम

११ जनवरी २०२१

भारत के गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद वहां की आतंकी घटनाओं पर आंकड़े जारी किए हैं. गृह मंत्रालय का कहना है कि 2019 के मुकाबले 2020 में आतंकी घटनाएं कम हुईं हैं.

तस्वीर: Reuters/M. Gupta

5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35-ए को खत्म कर दिया था. सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने के साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था. सरकार का कहना था कि राज्य के विकास और वहां अमन बहाली के लिए ऐसा किया गया. सरकार के फैसले के पहले ही विपक्ष के कई बड़े नेता हिरासत में ले लिए गए थे और उन्हें कई महीनों तक बाहर जाने की आजादी नहीं दी गई थी.

इसी के साथ जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट स्पीड को सीमित कर दिया गया था. प्रदेश में आज भी मोबाइल इंटरनेट पर 4जी स्पीड उपलब्ध नहीं है. जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने जरूरी काम 2जी स्पीड के सहारे ही करने पड़ते हैं, फिर चाहे स्कूल की शिक्षा हो, प्रवेश परीक्षा की तैयारी या फिर मेडिकल से जुड़ी इमरजेंसी.

सोमवार को गृह मंत्रालय ने दावा किया कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकी वारदात में भारी कमी आई है. मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2019 के मुकाबले 2020 में आतंकी घटनाओं में 63.93 फीसदी की कमी देखी गई है. यह आंकड़ा पिछले साल 15 नवंबर तक का है. वहीं मंत्रालय के मुताबिक विशेष सुरक्षाबल के जवानों के मारे जाने में भी 29.11 फीसदी की कमी आई. 2019 की तुलना में 15 नवंबर 2020 तक आम नागरिकों के हताहत होने के मामले में भी 14.28 फीसदी की कमी आई है.

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से लेकर जुलाई 2019 में 126 आतंकी मारे गए वहीं साल 2020 में इसी अवधि में 136 आतंकी मारे गए. ग्रेनेड हमले की बात की जाए तो साल 2019 में 51 हुए और 2020 में 21 हुए. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले एक साल के दौरान युवाओं का आतंकी गुटों में शामिल होना महत्त्वपूर्ण ढंग से कम हुआ है.

फर्जी एनकाउंटर पर सवाल

गृह मंत्रालय का दावा है कि 2019 के मुकाबले 2020 में आतंकी घटनाएं कम हुई हैं. लेकिन कश्मीर में दो एनकाउंटर सवालों के घेरे में हैं. शोपियां में कथित एनकाउंटर में शामिल होने के आरोप में सेना के एक कप्तान समेत तीन लोगों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर की जा चुकी है. मामला 18 जुलाई 2020 का है, जहां आम्शीपूरा मुठभेड़ में तीन मजदूरों की एनकाउंटर में मौत हुई थी. परिवार ने उन्हें बेकसूर बताया था और कहा था कि वे मजदूर हैं. सेना ने भी माना था कि आरोपियों ने अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया था. वहीं दूसरी ओर 29-30 दिसंबर 2020 को हुई एक और मुठभेड़ संदेह में है.  श्रीनगर में हुई इस मुठभेड़ में तीन युवक मारे गए थे. परिवार के सदस्यों का दावा है कि मारे गए युवक आतंकवादी नहीं थे. जो युवक कथित एनकाउंटर में मारे गए थे उनकी उम्र 16 से लेकर 24 वर्ष के बीच थी. पुलिस ने इस एनकाउंटर पर दावा किया था मारे गए तीनों आतंकवादी थे तो वहीं परिवार उन्हें बेकसूर बता रहा है.

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