मुर्गी फार्म को बदनाम करने के आरोप में पत्रकार को जेल
२५ दिसम्बर २०१९थाईलैंड की एक अदालत ने एक रिपोर्टर को दो साल जेल की सजा सुनाई है. इस सजा का कारण मुर्गीपालन केंद्र पर हो रहे मजदूरों के शोषण के बारे में किया गया एक ट्वीट है. वॉइस टीवी में काम करने वाली सुचन्नी क्लिट्रे उन 20 पत्रकारों और कार्यकर्ताओं में से एक हैं जिन्हें थम्माकसेट कंपनी ने समन भेजा था. थम्माकसेट थाईलैंड में खेती और पशुपालन से जुड़ी बड़ी कंपनी बेटाग्रो को मुर्गी सप्लाई करती है. सुचन्नी ने 2016 में ट्वीट कर थाईलैंड के मानवाधिकार आयोग से शिकायत की थी कि थम्माकसेट के फार्म में पड़ोसी देश म्यांमार से लाए गए मजदूरों का शोषण हो रहा है. सुचन्नी ने कहा, "मैं सदमे में हूं. मैंने सोचा नहीं था कि मुझे इतनी कठोर सजा मिलेगी. अब मुझे चिंता है कि मेरे आठ महीने के बच्चे का क्या होगा."
सजा सुनाए जाने के बाद लोपबुरी राज्य की अदालत ने सुचन्नी को 75000 भात (करीब पौने दो लाख रुपये) के मुचलके पर जमानत दे दी. सुचन्नी के वकील का कहना है कि वे इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगी. सुचन्नी ने कहा, "मैं पत्रकार होने के नाते सिर्फ अपना काम कर रही थी. मैं बस बता रही थी कि ये हो रहा है. मेरा किसी को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं था. मुझे लगता है इस फैसले का असर थाईलैंड की प्रेस पर पड़ेगा. अब उन्हें कोई भी रिपोर्ट करते हुए सावधान रहना होगा."
मजदूरों का शोषण
2016 में थम्माकसेट में काम करने वाले मजदूरों ने मीडिया को बताया था कि उन्हें दिन में 20 घंटे काम करने को मजबूर किया जा रहा है. उन्हें बिना किसी छुट्टी के 40 से ज्यादा दिन तक लगातार काम करवाया जा रहा है. मजदूरों ने आरोप लगाया कि उन्हें न्यूनतम वेतन भी नहीं मिल पा रहा है और ना ही उन्हें ओवरटाइम करने का कोई पैसा मिल रहा है. थम्माकसेट ने इन लोगों के दस्तावेज भी जब्त कर लिए हैं. इन लोगों के कहीं भी आने जाने पर पूरी तरह रोक है. मामले के सामने आते ही थम्माकसेट ने अपने कर्मचारियों पर मानहानि का मामला दर्ज करवाया. कंपनी के मैनेजमेंट का कहना था कि मानवाधिकार आयोग को दी गई इस शिकायत के चलते कंपनी की छवि खराब हुई है. बाद में कंपनी ने उन पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को भी नोटिस भेजा जिन्होंने इस मामले पर रिपोर्टिंग की थी.
थम्माकसेट कंपनी इन दोनों मुकदमों को हार गई. अगस्त 2016 में थाईलैंड के श्रमिक सुरक्षा और कल्याण विभाग ने थम्माकसेट को आदेश दिया कि इन मजदूरों को मुआवजे के रूप में 17 लाख भात देने का आदेश दिया. थम्माकसेट ने मजदूरों को पैसे भी दिए. सुचन्नी ने इस मामले को लेकर ट्वीट किए थे. विभाग के निर्णय के बाद थम्माकसेट ने सुचन्नी समेत कई पत्रकारों और कार्यकर्ताओं पर कई सारे मुकदमें दायर कर दिए थे.
अक्टूबर 2019 में थम्माकसेट ने मानवाधिकार आयोग के पूर्व सदस्य अंगखाना नीलापैजित के खिलाफ भी आपराधिक मुकदमा दर्ज करवा दिया. कंपनी का कहना था कि अंगखाना ने भी कई ट्वीट किए जिससे कंपनी की छवि खराब हुई है. साथ ही अंगखाना ने उन लोगों के समर्थन में भी ट्वीट किए जो थम्माकसेट के मुकदमे का सामना कर रहे हैं. अगर इस मामले में अंगखाना को दोषी पाया गया तो उन्हें तीन साल की कैद हो सकती है. मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि ऐसे मुकदमों का उद्देश्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर दबाव डालना होता है जिससे वो शोषण के विरुद्ध आवाज उठाना बंद कर दें. बड़ी कंपनियां अक्सर इस तरह के कदम उठाती हैं.
आरएस/एके (एपी, रॉयटर्स)
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